यूँ तो शिखा से मिले एक महिना बीत गया. पर मैं इंतज़ार कर रही थी कि वो वापस लन्दन आकर ब्लॉग की दुनिया में लौटे तभी यह संस्मरण पेश करूँ. अभी लिखने बैठी तो लगा अरे..सब कुछ तो वैसा ही ताज़ा सहेजा हुआ है, मस्तिष्क में ,जैसे कल मिले हो.
शिखा की प्यारी सी बिटिया सौम्या और दुलारा सा बेटा वेदान्त
शिखा को पहले उसके दिए, अपनत्व भरे कमेन्ट से जाना...फिर कब कैसे हमारी दोस्ती की बेल बढती गयी और हमने ब्लॉग से ज्यादा समय चैट पर बिताना शुरू कर दिया पता ही नहींचला. दो,तीन महीने पहले ही शिखा ने बताया कि वो जब भारत आएगी तो दो दिन के लिए मुंबई में भी रुकेगी...और जब पता चला उसकी बहन गोरेगांव में रहती हैं...जो मुंबई के लिहाज से मेरे घर से बहुत नजदीक है...तब मैंने सबको डिनर पर बुलाना चाहा पर शिखा श्योर नहीं थी क्यूंकि उसे, उसके पति का कार्यक्रम नहीं मालूम था ,और उसे कई लोगों से मिलना था. मैंने कहा 'कोई बात नहीं..मैं आ जाउंगी मिलने'...और बस शिखा की बांछे खिल गयीं, "सच...ऐसा हो सकता है..फिर तो कोई मुश्किल ही नहीं." मैंने कहा तुम्हारी बहन के घर के पास ही कहीं कॉफ़ी शॉप में मिलते हैं और शिखा ने कहा, " DONE "
शिखा की रात की मुंबई की फ्लाईट थी और हम दोपहर में चैट कर रहें थे. उसने कहा था, वह मुंबई पहुँच कर फोन करेगी कि कब मिलना है...और इधर तीन दिन मैंने शिखा के लिए फ्री रखे थे. और संयोग कुछ ऐसा बना कि इन्हीं तीन दिनों में यहाँ, मेरी सहेलियों ने भी कई प्लान बना लिए (ये सब शिखा को अब तक नहीं मालूम ) गुरुवार को मूवी और शुक्रवार को मेरे यहाँ गेट टूगेदर . मैंने कहा 'नहीं..मेरी सहेली आने वाली है,लन्दन से, मैं फ्री नहीं हूँ.' जिनका ब्लॉग जगत से परिचय नहीं वे लोग पूछने भी लगीं...".ये नयी सहेली कौन सी आ गयी?"...मैंने कहा "है एक स्पेशल :)"
शाम चार बजे के करीब, एक सहेली, "सोना ' के यहाँ बैठी चाय ही पी रही थी कि शिखा का फोन आ गया, "अभी दो घंटे पहले आई हूँ...और बस आज शाम ही फ्री हूँ...फिर नवी मुंबई जाना है..वहाँ से फिर कहीं और.. क्या आप आधे घंटे में आ सकती हैं , मिलने.?".बस ऐसे, जैसे चप्पल पैरों में डालो और निकल पड़ो.. मैं तुरंत कुछ फैसला नहीं कर सकी और कहा, 'बाद में फोन करके बताती हूँ'. पर मेरी सहेली सोना को तो जैसे मुहँ मांगी मुराद मिल गयी. उसे पता चल गया कि आज अगर रश्मि मिल लेती है तो फिर मूवी LSD और गेट टुगेदर के प्लान में भी कोई व्यवधान नहीं आएगा. और उसने जैसे मुझे पुश करके ही भेज दिया .वैसे सोचने के बाद भी मैं यही फैसला लेती पर उसने तो मुझे सोचने का भी मौका नहीं दिया. लगी सिफारिश करने ,"इतनी दूर से आई है...आज मिल लो..वरना मिल भी नहीं पाओगी ..आते ही फोन किया तुम्हे वगैरह..वगैरह"....उसका वश चलता तो शायद वहीँ से मुझे सीधा भेज देती. पर घर आकर भी तो सबकुछ देखना था. घर आई...थोड़े बचे काम निबटाये ,बच्चों को instructions दिए, पतिदेव को फोन खटकाया और चल दी ,शिखा से मिलने.
शिखा की सहेली गौरी, गौरी के सुपुत्र, शिखा और मैं
अब इतनी जल्दबाजी में तय हुआ कि कॉफ़ी शॉप का आइडिया हमने ड्रॉप कर दिया और उसकी बहन के घर ही मिलना तय हुआ. वैसे शिखा के पति पंकज और बहन 'निहा' उसे चिढ़ा भी रहें थे 'आखिर कौन सी फ्रेंड है जिस से कॉफ़ी शॉप में मिलना है ...हम तो पहले देखेंगे तब तुम्हे जाने देंगे " हम दोनों को पता था कि घंटी बजेगी तो दरवाजे के बाहर मैं और अंदर शिखा ही होगी .वरना शायद भीड़ में देखा होता तो थोड़ी सी मुश्किल होती पहचानने में. फोटो से बिलकुल तो नहीं पहचाना जा सकता( वैसे, हम दोनों ही फोटो से ज्यादा अच्छे दिखते हैं,ऐसा लोग कहते हैं, हम नहीं :) हा हा हा ) वहाँ शिखा और पंकज जी के कॉमन फ्रेंड एक कपल पहले से बैठे हुए थे. अब शिखा दो साल बाद अपने देश आई थी, सिर्फ दो,तीन घंटे हुए थे और अपनी बहन से ,पुरानी दोस्त से और मुझसे मिल रही थी,इसलिए इतनी एक्साईटेड थी और नॉन -स्टॉप बोल रही थी या फिर हमेशा ऐसे ही बोलती है ये तो दो,चार बार मिलने पर पता चलेगा :)...वैसे राजधानी एक्सप्रेस मैं भी हूँ. इसलिए हम दोनों को देखकर लग ही नहीं रहा था पहली बार मिल रहें थे.
उसकी बहन का नाम 'निहा' मुझे बहुत पसंद है .मैंने शिखा को पहले ही बताया था कि उसका नाम मैं किसी कहानी में इस्तेमाल कर लूंगी .शिखा ने शायद उसे यह बता दिया था कि क्यूंकि वह कह रही थी, "मैं तो रोयल्टी लूंगी " मैंने कहा "ले लेना..१०% कमेंट्स तुम्हारे. यहाँ तो बस वही कमाई है." शिखा की कविताओं की सबसे बड़ी प्रशंसक और आलोचक भी वही है. अच्छा पोस्टमार्टम किया उसकी कविताओं का.( पर मजाक में.) वहाँ उपस्थित बाकी लोगों को ब्लॉग की कोई जानकारी नहीं थी.हम उनका ज्ञानवर्धन कर रहें थे कि यहाँ कविता,कहानियाँ,संस्मरण...ज्ञान,राजनीति खेल, हर विषय पर आलेख मिलेंगे. ..साथ ही यहाँ की पौलिटिक्स, गुटबाजी, बहसों के बारे में भी बताते जाते कि सब कुछ वास्तविक संसार जैसा ही है. गहरी दोस्ती भी है और लोग नापसंद भी करते हैं एक दूसरे को. वे लोग आश्चर्य से मुहँ में उंगलियाँ दबा लेते ,"हाँ!!...देखा भी नहीं एक दूसरे को..कभी मिले भी नहीं...फिर भी नापसंद ??"
निहा..लगातार हमारी आवभगत में लगी थी..पहले ठंढा पेश किया फिर नमकीन, ढोकले और बमगोले जैसे बड़े बड़े रसगुल्ले. शिखा की बिटिया 'सौम्या' बड़ी प्यारी है . शिखा ने कहा," पहले उछल रही थी कि मैंने तो रश्मि आंटी से बात भी की है.अब क्यूँ शर्मा रही हो..बात करो " (एकाध बार चैट की है,उसके साथ ) बेटा वेदान्त भी बहुत भोला-भाला है और दोनों तस्वीरों से ज्यादा छोटे लगते हैं. बच्चों से ज्यादा बात नहीं हो पायी. वे भी अपने दोस्तों में मस्त थे और हम भी कहाँ तैयार थे अपनी बातों से ब्रेक लेने को. पंकज जी बीच बीच में बोल उठते 'आप लोगों को अलग से बातें करनी है तो कमरे में जाकर आराम से बातें कीजिये.' शिखा ने बिंदास कहा, 'ना ना वो सब तो हम नेट पर कर लेते हैं.' मेरे मन में आया थोड़ा उन्हें परेशान करूँ ये कह कर कि 'कुछ बचा ही नहीं अलग से बात करने को' पर फिर छोड़ दिया .
बातों बातों में २ घंटे निकल गए .मुझे लौटना भी था और मुंबई की ट्रैफिक में घिरने का अंदेशा भी....सो उठना पड़ा. निहा के पति ने कहा.."अच्छा तो आप लोग ब्लॉगर्स हैं.?" हम दोनों ने एक सुर में कहा ..."एक्चुअली वी आर राइटर्स " और सबकी समवेत हंसी के बीच बाय कहा एक दूसरे को.
अरे! वाह.......... मज़ा आ गया इस मुलाक़ात का.... सच....में बता रहा हूँ.... मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है यह पोस्ट देख कर ..... आपने भावुक कर दिया.... बता नहीं सकता कितनी ख़ुशी हो रही है....
जवाब देंहटाएंज़रा रुमाल दीजियेगा ....
बहुत सुंदर लगी आप की यह मुलाकात , कही कही मुझे अपनी मुलाकात याद आ गई जो इसी तरफ़ से अलग अलग ब्लांगर से हुयी थी.चित्र देख कर लगता है दो बहिने बहुत समय बाद मिली हो
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
रुमाल किसलिए..महफूज़ मियां...??
जवाब देंहटाएंअरे! आपने भावुक कर दिया न.... इतनी प्यारी पोस्ट लिख कर .......इसलिए.... रोना आ गया न....
जवाब देंहटाएंअरे वाह्…………बहुत ही शानदार रसगुल्लों से सजी मुलाकात रही............सच ऐसे पल सहेजने के लिये होते हैं यादो में।
जवाब देंहटाएं:) achha lagta hai dosto ko aise milta julta dekhkar..
जवाब देंहटाएंaisi hi posts ek muskurahat si la deti hain..
बढ़िया विवरण और काफी हल्के फुल्के अंदाज में प्रस्तुति। बहूत बढ़िया।
जवाब देंहटाएंमस्त 'मुलाकातगिरी' पोस्ट है :)
अच्छा तो ये बात थी ...काश डिनर के लिए हाँ कह दिया होता फिर देखते कैसे मेनेज करतीं हाहा हा .वैसे वाकई एक एक बात लिख डाली है आपने.... मजा आ गया था मिलकर and all the credit goes to you only..हालाँकि शुक्रिया कहना बहुत ही कम होगा फिर भी .बहुत बहुत शुक्रिया अपने कीमती वक़्त को हमारे नाम करने का ....भगवान करे ऐसी खूबसूरत मुलाकातें कभी ख़तम न हों
जवाब देंहटाएंतुमसे हुयी मुलाक़ात का वर्णन सुन तो लिया था....पर अब तुम्हारे शब्दों में पढ़ कर भी उतना ही आनन्द आया.....
जवाब देंहटाएंसच में अभी भी लगता है की अभी तो मिले थे....
जब कभी मेरा मुंबई आना होगा तो एक मुलाक़ात की मैं भी पूरी कोशिश करुँगी :):):)
बहुत बढ़िया लिखा है...
बहुत अच्छी पोस्ट ....
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
@शिखा
जवाब देंहटाएंओए, अभी से हो गया तय next trip में तुम डिनर ...ब्रेकफास्ट ,लंच ..सबके लिए आ जाओ..पूरा एक दिन.....मैं नहीं डरती मैनेज करने से
ये आँखों देखा हाल बहुत बढ़िया लगा. ऐसी मुलाकात होती रहे. कभी इधर भी आने कि सोचो.
जवाब देंहटाएंबड़ा अच्छा लगा आप लोगों की मुलाकात का विवरण पढ़कर...और तस्वीर देखकर.
जवाब देंहटाएंअरे वाह...!!
जवाब देंहटाएंलगता है बहुत मज़े किये तुमलोगों ने...पढ़कर ही मज़ा आ गया....
भाई अब तो हम भी एक चक्कर लगा ही लेते हैं इंडिया का.....
तस्वीर बहुत सुन्दर आई है....खूबसूरत...!!
सौम्या तो अपनी मम्मी की फोटोकॉपी है ..बाबा ...
ये महफूज़ मियाँ काहे रो रहे हैं...हम समझे नहीं....भेज दो बाबा रुमाल...
हा हा हा
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति...
नमस्कार...
जवाब देंहटाएंरश्मि की जुबानी, शिखा से मिलने की कहानी...
वाह...
यूँ लगा की वहीँ कहीं हम भी बैठे हों...
बमगोले से रसगुल्ले पढ़कर मुहं मैं पानी आ गया..
अब तो सब मुंबई में आपसे मिलने जरुर आयेंगे...और मैं भी...हालांकि मेरा मुंबई पहुंचना असंभव है फिर भी डराने में क्या हर्ज़ है...हाहाहा ...
सुन्दर विवरण...
दीपक शुक्ल..
'' चार मिलहिं चौसठ खिलें , बीस रहैं कर जोरि '' ..
जवाब देंहटाएंशिखा जी लगनशील ब्लोगर हैं , उनसे मिलना
खुशी की बात है !
सुन्दर मुलाकात रिपोर्ट
जवाब देंहटाएंमानो हम मुलाकात मे शरीक हो रहे हों
bahut khub
जवाब देंहटाएंवाह.......... मज़ा आ गया
rashmi...shikha last year bhi india aaee thee..delhi me ham log 18 april ko mile the....aap logon kee mulakat dekhkar yaaden taaza ho gaee
जवाब देंहटाएंrashmi...shikha last year bhi india aaee thee..delhi me ham log 18 april ko mile the....aap logon kee mulakat dekhkar yaaden taaza ho gaee
जवाब देंहटाएंrashmi...shikha last year bhi india aaee thee..delhi me ham log 18 april ko mile the....aap logon kee mulakat dekhkar yaaden taaza ho gaee
जवाब देंहटाएंवृत्तांत के लिये आभार
जवाब देंहटाएंमहफ़ूज़ भाई कित्ते रूमाल तो इधर से ले गयें हो अब फ़िर वही रूमाल
जवाब देंहटाएंचलिये जबलपुर से रमाल वाली भेजे देता हूं बारात ले आईये तोहफ़े के बतौर खूब रूमाल मिलेंगे पोंच्हिये चश्मा भी आंखें भी
अभी आर्ची बिटिया को पता चलेगा तो डांटेगी आपको कि आंखें भिगो लेते हैं आप
बहुत ही गरमजोशी की ये मुलाकात. सच मे हमारी तो पढकर ही खुल गयी बांछे.
जवाब देंहटाएंआपकी इस मुलाकात से बाकी ब्लोगर्स को भी मिलने की प्रेरणा मिलेगी ।
जवाब देंहटाएंलेकिन सब इतनी बातें करेंगे , कहना मुश्किल है । या फिर सब ब्लोगर्स ऐसे ही बतियाते हैं ?
बढ़िया लगा यह वृतांत पढ़कर ।
आपका उपन्यास नहीं पढ़ सका समय की कमी के कारण । लेकिन कभी तो अवश्य।
पढ़ कर आनन्द मिला
जवाब देंहटाएंअच्छी पोस्ट के लिए धन्यवाद
ओहो तो ये बात थी ,जब दो दो धूमकेतु मिलेंगे तो मौसम तो बदलेगा ही । तभी कहूं कि पिछले दिनों मौसम यूं क्यों बदलता रहा आखिर । जब दोनों जने ही मैनेज करने के तैयार थे तो देर किस बात की थी जी , आखिर पोस्ट में कुछ पेट पूजा का सामान भी दिखता न ।
जवाब देंहटाएंचलिए अगली बार खबर करिएगा , आप दोनों मैनेज करिएगा , हम पेट पूजा करने आएंगे ।
रश्मि जी , ये मुई शचि नहीं दिख रही फ़ोटो में ..कहीं और ही वेट कर /करवा रही होगी ......हा हा हा ..अब आप इस बात पर मेरे पीछे मत पड जाना ।
इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंkitne meethe lamhen aapke khate mein hain..kash inhe ham transfer kar pate..ye loan mein bhi nahi milte..khushi ki bat ki income tax bhi in par nahin lagta....Aap compound interest leti rahein ..mubaarkaan..
जवाब देंहटाएंआलेख पढकर ही लग रहा है कि ये ब्लागर मीट बडी आनंद दायक और रोचक रही होगी. बाकी के किस्से भी अगली पोस्ट मे लिख डालिये.
जवाब देंहटाएंरामराम
महफूज़, I am very very very sorry पर मुझे आपके ये कमेंट्स डिलीट करने पड़ेंगे ...आप हमेशा आवेश में भाषा का संयम खो देते हैं....प्लीज़ मुझे माफ़ करना पर चाहे कोई भी स्थिति हो, इस तरह की असंयमित भाषा मुझे मेरी पोस्ट पर स्वीकार्य नहींहै.
जवाब देंहटाएंउन्हें १०० नापसंद के चटके लगाने दो क्या फर्क पड़ता है....मेरा ब्लॉग पढने वाले पढ़ रहें हैं,ना...और किसके लिए लिखा है,मैंने...sorry again
अरे! रहने देते ना आप.... ऊँ ऊँ ऊँ ऊँ ऊँ ऊँ ऊँ ऊँ ऊँ ऊँ ऊँ........
जवाब देंहटाएंअरे ! वो जिसने भी नापसंद का चटका लगाया था ना.... उसी के लिए था..... गुस्सा आ गया था ना.....
जवाब देंहटाएंअसंयमित कहाँ थी....?
जवाब देंहटाएंआभासी लोक के मित्रों से मुलाकात इतनी ही रोमांचक होती है. हम भी कभी मिलेंगे.... :)
जवाब देंहटाएं@वंदना
जवाब देंहटाएंआमीन!!...जरूर मिलेंगे
वाह ! एक अविस्मरनीय ब्लागर मिलन ....सुन्दर चित्र भी !
जवाब देंहटाएंrochak mulakaat rochak tareeke se sunaai aapne..
जवाब देंहटाएं..."एक्चुअली वी आर राइटर्स " ye bhi sahi kaha
2011
जवाब देंहटाएंशिखा वार्ष्णेय और रश्मि रवीजा की दूसरी मुलाकात...
दोनों दो घंटे की मुलाकात के दौरान चुप रहीं...
दोनों का नाम गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स में आ गया...
जय हिंद...
wah. bahut badhiya report.
जवाब देंहटाएंaap dono ki muskan bata rahi hai ki aap log milte hue kitne prafullit rahe.
ishwar kare mulakatein hoti rahein aisi hi.....
ये बढ़िया रहा, मिलना जुलना लगा रहे
जवाब देंहटाएंकितना मजा आया होगा आप सबको मिलने पर
हम दोनों ही फोटो से ज्यादा अच्छे दिखते हैं
जवाब देंहटाएंशक नहीं कोई, वाकई बहुत अच्छे लगते हैं आप दोनों
इस फोटो में भी बहुत अच्छे लग रहे हैं.......
शिखा और रश्मि की मुलाकात की दास्ताँ बहुत भाई ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लग रही हो दोनों ...
चश्मे - बद्दूर ...
@ हम दोनों ही फोटो से ज्यादा अच्छे दिखते हैं,ऐसा लोग कहते हैं, हम नहीं...
फोटो में भी अच्छी ही दिख रही हो ..मेरे साथ उल्टा है ...फोटो अच्छी आ जाती है ...ब्लैक हेड्स , रिंकल्स फोटो में नजर जो नहीं आते ...:):)
वाह बहुत ही बढ़िया लगा मुलाकात के बारे में जानकर... बधाई और शुभकामनाएँ आप दोनों को :)
जवाब देंहटाएंतो आप दोनों ब्लॉगर्स हैं ?
वाह, अब तो आभासी जगत भी वास्तविक हो गया.
जवाब देंहटाएंसच है ....हम लोगों कि कमाई तो टिप्पणियां ही हैं.... और हाँ.... आपने सोम्या का नाम गलत "सौम्या" लिख दिया है.... बहुत डांटेगी सोम्या ..... मैं उससे डांट खा चुका हूँ.... मैंने भी सोम्या को सौम्या कहा था ..... बहुत डांटा था उसने.... छच्छी कह लहा हूँ.... बहुत डांट खाया था... ऊँ ऊँ ऊँ ऊँ ऊँ ....
जवाब देंहटाएंkya bat hai shikha di sabse mil leen ...:)
जवाब देंहटाएंअरे वाह...!!
जवाब देंहटाएंलगता है बहुत मज़े किये तुमलोगों ने...पढ़कर ही मज़ा आ गया....
बहुत खूब, लाजबाब !
जवाब देंहटाएंदो महा ब्लोगरो(actually writers ) का शिखर मिलन , धन्य हुई मुंबई नगरी .
जवाब देंहटाएंबढ़िया विवरण और काफी हल्के फुल्के अंदाज में प्रस्तुति। बहुत बढ़िया लिखा है...
जवाब देंहटाएंखूब एन्ज्वॉय किया होगा ना ? मेरा भी बहुत मन करता है सबसे मिलने का. आपसे शिखा जी से और भी बहुत लोगों से. जिन लोगों का ब्लॉगिंग से कोई सम्बन्ध नहीं है, उन्हें इस दुनिया की बातें अजूबी सी लगती हैं.
जवाब देंहटाएंमज़ा आ गया आप दोनों की मुलाकात के बारे में पढ़कर...फोटो भी अच्छी आयी हैं.
आप दोनों सहेलियों का मिलन बेहद सुखद था और इससे भी अधिक सुखद है ब्लॉग के जरिये इतनी प्यारी मित्रता पनपना । मेरी शुभकामनाएं आप दोनों के लिए ।
जवाब देंहटाएंवाह .. आपकी इस मुलाकात का क्या कहना ... इंटरनेट के तारों के साथ दिल के संबंध भी यूँ ही बन जाते हैं तो बहुत ही सुखद लगता है मन को ...
जवाब देंहटाएंउन दो सहेलियों की एकल मुलाक़ात पर लिखी पोस्ट जिनकी दोस्ती पर मुझे फक्र के साथ तंज भी है ,कहने को सिर्फ ये शब्द हैं ---------
जवाब देंहटाएंसहेलियाँ बिछुड़ने के लिए ही मिलती हैं
जितना भी वक़्त गुज़रता है सहेलियों के साथ
दर्ज हो जाता है परत दर परत और
मिलता है एक लंबे अर्से के बाद फॉसिल की शक्ल में
पुरुषों की क्रूर दुनिया की टनों भारी चट्टानों के बीच दबा हुआ
सहेलियाँ पंखुड़ियों की तरह रखी गई थीं
दिल की किताब के सफों के बीच
जिन्हें खोला जाता नीम अकेले में बरसों-बरस बाद तो
महक उठता था मन उन दिनों की स्मृतियों में जाकर और
तब बरबस ही भीग आतीं आंखें इस सत्य को जानते कि
सहेलियां बिछुड़ने के लिए ही मिलती हैं
पहले जब एक बार पढ़ा था इसे तो ज्यादा कुछ महसूस नहीं कर पाया , अब जब आपको और शिखा दी को थोड़ा जान गया हूँ तो पढ़ने में एक अलग ही मजा आया....
जवाब देंहटाएंजबरदस्त ....बस इससे आगे और कुछ नहीं कहूँगा....फिलहाल आज आपके ब्लॉग पे ही अभी वक्त बिताना है...:)