ब्लॉग जगत में सबने इसलिए कदम रखा था कि न यहाँ किसी की स्वीकृति की जरूरत है और न प्रशंसा की. सब कुछ बड़े चैन से चल रहा था कि अचानक खतरे की घंटी बजी कि अब इसमें भी दीवारें खड़ी होने वाली हैं. जैसे प्रदेशों को बांटकर दो खण्ड किए जा रहें हैं, हम सबको श्रेष्ट और कमतर की श्रेणी में रखा जाने वाला है. यहाँ तो अनुभूति, संवेदनशीलता और अभिव्यक्ति से अपना घर सजाये हुए हैं . किसी का बहुत अच्छा लेकिन किसी का कम, फिर भी हमारा घर हैं न. अब तीसरा आकर कहे कि नहीं तुम नहीं वो श्रेष्ठ है तो यहाँ पूछा किसने है और निर्णय कौन मांग रहा है?
हम सब कल  भी एक दूसरे  के  लिए सम्मान रखते थे और आज भी रखते हैं ..
 अब ये गन्दी चुनाव की  राजनीति ने भावों और  विचारों पर भी डाका डालने की सोची है. हमसे पूछा भी नहीं और नामांकन भी हो  गया. अरे प्रत्याशी के लिए हम तैयार हैं या नहीं, इस चुनाव में हमें भाग  लेना भी या नहीं , इससे हम सहमत भी हैं या नहीं बस फरमान जारी हो गया.  ब्लॉग अपने सम्प्रेषण का माध्यम है,इसमें कोई प्रतिस्पर्धा कैसी? अरे कहीं  तो ऐसा होना चाहिए जहाँ कोई प्रतियोगिता  न हो, जहाँ स्तरीय और सामान्य,  बड़े और छोटों  के बीच दीवार खड़ी न करें.  इस लेखन और ब्लॉग को इस चुनावी  राजनीति से दूर ही रहने दें तो बेहतर होगा. हम खुश हैं और हमारे जैसे बहुत  से लोग अपने लेखन से खुश हैं, सभी तो महादेवी, महाश्वेता देवी, शिवानी और  अमृता प्रीतम तो नहीं हो सकतीं . इसलिए सब अपने अपने जगह सम्मान के योग्य  हैं. हमें किसी नेता या नेतृत्व की जरूरत नहीं है. 
इस  विषय पर किसी  तरह की  चर्चा ही निरर्थक है.फिर भी हम इन मिस्टर जलजला कुमार से जिनका असली नाम  पता नहीं क्या है, निवेदन करते हैं  कि हमारा अमूल्य समय नष्ट करने की  कोशिश ना करें.आपकी तरह ना हमारा दिमाग खाली है जो,शैतान का घर बने,ना अथाह  समय, जिसे हम इन फ़िज़ूल बातों में नष्ट करें...हमलोग रचनात्मक लेखन में  संलग्न रहने  के आदी हैं. अब आपकी इस तरह की टिप्पणी जहाँ भी देखी  जाएगी..डिलीट कर दी जाएगी.(मैने अपनी इस पोस्ट पर टिप्पणी का ऑप्शन नहीं रखा है..सॉरी)
 
 
