अभय तिवारी,युनूस खान,विवेक रस्तोगी, बोधिसत्व,विमल कुमार,
राज सिंहं, अनिल रघुराज,आभा मिश्र, विभारानी, ममता,अनीता कुमार
इस बार सोच रखा था, सिर्फ तस्वीरें लगा कर मुंबई ब्लॉगर्स मीट में सम्मिलित लोगों का परिचय करवा दूंगी. विवेक रस्तोगी जी विस्तारपूर्वक रिपोर्ट लिखेंगे.लेकिन मुश्किल ये थी कि फिर 'घुघूती-बासूती' जी को कैसे मिलवाऊं आपलोगों से ? क्यूंकि उन्होंने तो तस्वीरें लेने से मना कर दिया था. वे सिर्फ अपने लेखन में व्यक्त विचारों द्वारा ही अपना परिचय देने की इच्छुक हैं. अब हमारी
किस्मत पर रश्क कीजिये कि हमने उनके विचार सिर्फ पढ़े ही नहीं हैं बल्कि उनके मुखारविंद से सुनने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ. वैस इतना बता दूँ, वे बेहद ख़ूबसूरत हैं और तस्वीरें लेने से मना कर कैमरे को सजा ही दे रही हैं.
आयोजक दंपत्ति बोधिसत्व एवं आभा मिश्र
ये ब्लोगर्स मीट ,आभा मिश्रा जी के सद्प्रयास से आयोजित हुई और उनके पति बोधिसत्व जी ने भी पूरे उत्साह से उनका साथ दिया.जितने लोग मुंबई में थे और जितने लोगों से संपर्क हो सका ,उन्हें इत्तला कर दी गयी. "घुघूती-बासूती' जी एवं 'अनीता कुमार जी' नवी मुंबई से करीब दो घंटे का सफ़र तय कर सबसे मिलने के लिए पहुंची. विभारानी जी जिनके ब्लॉग को हाल में ही भोपाल में आयोजित समारोह में "लाडली मिडीया अवार्ड " सम्मान मिला है. वे भी अपनी बिटिया के साथ सम्मिलित हुईं .'कोशी' का भी अपना ब्लॉग है और आजकल
बारहवीं का इम्तहान देने के बाद वो काफी सक्रिय है.
स्टार ब्लॉगर जादू अपनी मम्मा की गोद में
ममता एवं युनुस जी भी छोटे स्टार ब्लोगर जादू को लेकर सम्मिलित हुए. और पूरे तीन घंटे जादू ने जरा भी परेशान नहीं किया...बस एक चॉकलेट बिस्किट कुतरते हुए पूरे समय चॉकलेट से अपनी दाढ़ी मूंछ बनाने में उलझा रहा. अभय तिवारी जी,अनिल रघुराज जी , और विवेक रस्तोगी जी सबसे पहले पहुँचने वालों में से थे.
महावीर सेमलानी जी,सतीश पंचम जी एवं पंकज उपाध्याय मुंबई से बाहर होने के कारण इस मीट में सम्मिलित नहीं हो पाए पर फ़ोन पर उन्होंने अपनी शुभकामनाएं दीं.
यह मीट बिलकुल ही अनौपचारिक रूप से चलती रही. ऐसा लगा जैसे कई सारे पुराने मित्र एक जगह इकट्ठे हो,विचारों का आदान-प्रदान कर रहें हों. और इसी वजह से औपचारिक रूप से परिचय का दौर तीन बार शुरू हुआ पर बीच में ही बातों का सूत्र कोई और थाम लेता और किसी दूसरे विषय पर विमर्श शुरू हो जाता. बातचीत के दरम्यान ही लोग अपने विचार रखते गए और एक दूसरे की शख्सियत से परिचित होते गए.
आभा जीएवं विवेक जी
अनीता कुमार जी ने बताया कि अपना ब्लॉग शुरू करने के बाद ही उन्हें लगा कि लोग स्वेच्छा से उनकी बातें सुनने को इच्छुक हैं.वरना उन्हें लगता था कॉलेज में छात्र उनके लेक्चर इसलिए सुनते हैं क्यूंकि वे बाध्य हैं. वे मानसिक रूप से खुद को अब ज्यादा एलर्ट समझती हैं और उन्हें ऐसा महसूस हो रहा है जैसे दिनोदिन उनकी उम्र घट रही है.(इस पर जोरदार तालियाँ बजीं :)) .लोग रिटायरमेंट से डरते हैं पर वे पांच साल बाद रिटायर होने की राह देख रही हैं ताकि वे ज्यादा समय ब्लॉग्गिंग को दे सकें.
घुघूती जी, को ब्लॉग्गिंग में आकर ऐसा लगा जैसे कोई नया दरवाजा खुल गया हो जिससे होकर वे कई सारे समान विचार वाले दोस्तों से मिल पा रही हैं . इसके पहले ज्यादातर उनके पति के मित्र की पत्नी या पडोसी ही उनके मित्र हुआ करते थे. पर अब उन्हें अपनी पहचान मिल गयी है. और लोग उनके विचारों की वजह से उनसे मिलने को इच्छुक हैं.उन्होंने ब्लॉग्गिंग से पहले के अपने जीवन की तुलना एक पत्तागोभी से की जो बढ़ तो रही थी पर अपने आप में पूरी तरह बंद.( हालांकि वे इतनी प्रबुद्ध महिला हैं कि उनसे मिलने वाले किसी को भी उनके विचारों से जरूर लाभ होता होगा.)
ममता एवं युनुस खान
उन्होंने आगे कहा कि बहुत हुआ तो वे लेडीज़ क्लब चली जाती थीं और थोड़ी गप्पें कर और समोसे खाकर चली आती थीं .समोसे के नाम से बोधिसत्व जी को फिर से याद आ गया कि समोसे ठंढे हो रहें हैं.इसके पहले भी उन्होंने धीरे से समोसे ठंढे होने का जिक्र किया था और मैंने कहा था, परिचय का दौर ख़त्म हो जाने दीजिये. पर अब उन्हें और सब्र नहीं था. और इसके बाद समोसे,केक,बिस्किट,मिठाइयों का दौर चलता रहा. बोधि जी ने चाय का भी इंतजाम कर रखा था .और सबके आते ही उन्हें ठंढा पानी और कोल्ड ड्रिंक भी सर्व कर रहें थे. मीट का आइडिया तो आभा जी का था पर उसके आगे की कमान बोधि जी ने संभाल ली थी.
अनीता जी एवं राज जी
अभय तिवारी जी ने बोधिसत्व एवं आभा मिश्र सहित करीब दस लोगों को अपना ब्लॉग बनाने के लिए प्रेरित किया है. अनीता जी ने कहा कि जब वे पहली बार अभय जी से मिली थीं (यह उनकी तीसरी मुलाक़ात थी ) तो ऐसा लग रहा था जैसे उनके विचारों के जरिये वे उनके सम्पूर्ण व्यक्तित्व से बहुत पहले से परिचित हैं क्यूंकि किसी से मिले बिना भी उसके लेखन से उसके व्यक्तित्व और विचारों को जाना जा सकता है. अनीता जी को तब भी बहुत आश्चर्यमिश्रित ख़ुशी हुई, जब राज सिंह जी ने उन्हें पहचान लिया जबकि वे राज सिंह जी को नहीं जानती थीं. मुझे भी ऐसा ही अनुभव हुआ जब,घुघूती जी ने बताया कि वे मेरी कहानियां पढ़ती हैं और मुझसे मिलने को इच्छुक थीं. मैंने भी घुघूती जी का ब्लॉग नियमित पढ़ा है और मिलकर ऐसा लगा कि मैं उनके व्यक्तित्व को अच्छी तरह जानती हूँ.
घुघूती जी ने सभी उपस्थित पुरुष ब्लॉगर्स से एक सवाल किया कि "क्या ब्लॉग्गिंग में स्त्रियों के मन के विचार पढ़ कर उन्हें स्त्रियों को समझने में कुछ सहायता मिली है?" अनीता जी ने कहा कि यहाँ सारे पुरुष ब्लोगर्स मुंबई में काफी दिनों से हैं, इसलिए महिलाओं से विचारों के आदान-प्रदान के वे अभ्यस्त हैं. बोधिसत्व जी ने भी कहा कि "यहाँ सब प्रगतिशील विचारों के समर्थक हैं.वे महिलाओं का लेखन बचपन से ही पढ़ते आ रहें हैं.,इसलिए उनका मन अच्छी तरह समझते हैं परन्तु उनका सपना है कि भारत की प्रत्येक स्त्री सिर्फ घर की चहारदीवारी तक ही सीमित ना रहें और इसके साथ उसे अपने विचारों को भी व्यक्त करने की पूरी स्वतंत्रता मिले तभी सच्ची स्त्री मुक्ति संभव है." वैसे सबका यह मत था कि घुघूती जी को पूरे ब्लॉग जगत के पुरुषों से यह सवाल जरूर पूछना चाहिए.
अनिल रघुराज जी एवं विवेक रस्तोगी जी ने फाइनेंस और बैंकिंग की जटिलताओं को अपने ब्लॉग के जरिये सरल भाषा में समझाने के अपने प्रयास का उल्लेख किया. विवेक जी से सबने जिज्ञासा भी व्यक्त की कि एक तरफ
बैंकिंग जैसी व्यावहारिक बातें और आध्यात्म जैसे विषय का सही सामंजस्य वे कैसे कर लेते हैं?
विभा जी, युनुस जी ,विमल जी
राज सिंह ने अपने एक निर्माणधीन फिल्म के विषय में जानकारी दी.
युनुस खान एवं ममता शायद पहली बार खुद को श्रोता की भूमिका में देखना ज्यादा पसंद कर रहें थे. हमेशा वे बोलते हैं और विविधभारती के श्रोता उनकी बातों का लुत्फ़ लेते हैं आज वे ज्यादातर सबको सुन रहें थे. फिर भी ममता जी को अपने मधुर स्वर में अपने और स्टार ब्लॉगर जादू के बारे में दो बातें करनी ही पड़ीं.
युनुस खान के ब्लॉग की चर्चा भी हुई. अनीता जी ने बताया कि कैसे नियमित रूप से उनका ब्लॉग पढने के बाद वे म्युज़िक ज्यादा एन्जॉय करने लगी हैं. अब वे कोई गाना सुनती हैं तो उसमे बजने वाले वाद्य-यंत्रों को भी पहचान लेती हैं.
विमल जी के बहुआयामी व्यक्तित्व से भी सबका परिचय हुआ कि कैसे वे थियेटर, ब्लॉग्गिंग, लेखन सब एक साथ सुचारू रूप से सँभालते हैं.
इन सब बातों में कब साढ़े तीन घंटे बीत गए पता ही ना चला, सबको IPL का फाइनल देखने के लिए घर पहुँचने की जल्दी थी. अभय जी ने एक विषय "अपनी रचना अपनी कलम और ब्लॉग की दुनिया" पर सबको अपने विचार रखने के लिए कहा था. खुद भी वो एक आलेख तैयार करके लाये थे. पर समय नहीं मिल पाया. विमल जी का गाना और विभा जी की कहानी सुनने का भी समय नहीं निकल पाया. यह सब अगली मीट में पूरी करने की योजना के साथ
सभी ब्लॉगर्स ने एक दूसरे को विदा कहा
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अरे वाह रश्मि तुम तो बहुत फ़ास्ट निकलीं………………विवरण पढ कर ऐसा लगा जैसे हम भी वहीं थे तुम्हारे साथ्…………………………सबसे परिचित कराने के लिये शुक्रिया।बहुत अच्छा लिखा है।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा है मिलना मिलाना । उत्साह बढ़ेगा और नये विषयों का जन्म होगा ।
जवाब देंहटाएंवंदना आप भी कुछ कम फास्ट नहीं...इधर मैंने पोस्ट किया और आपने पढ़कर कमेन्ट भी कर दिया..वाह
जवाब देंहटाएंप्रवीण जी आपका भी धन्यवाद
रश्मि जी पूरा श्रम झलक रहा है। पसीने की बूंदों के रूप में नहीं, पूरी पोस्ट के एक एक अक्षर में और चित्रों में। घुघूती जी के विचारों से ही मिलना हो सका। वैसे विचार ही महत्वपूर्ण होते हैं। उनका दर्शन सही है पर विचार तो एक जैसे भी हो सकते हैं परंतु चित्रों में भिन्नता अवश्य होती है। यह जो भिन्नता है वो बनी रहनी चाहिए विचारों में भी और चित्रों में परन्तु खिन्नता का कहीं भी समावेश न हो। हिन्दी ब्लॉगिंग के जरिए समाज से खिन्नता का भी लोप होता जा रहा है। जिसे हम पहले नहीं मिले पर वे जब मिले तो पहले मिले जैसे लगे , यह विचारों का ही करिश्मा है। अगली बैठक की सूचना मुझ तक अवश्य भेजिएगा, मेरा पूरा प्रयास रहेगा कि मैं शामिल हो सकूं।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा मुंबई ब्लोग्गर्स मीत के बारे में जानकर
जवाब देंहटाएंएक बात का दुःख हैं कि घुघूती-बासूती जी के दर्शन नहीं होंगे चित्रों में
विचारो से जानते ही हैं सब उनको, उनके चित्र में भी दर्शन होते तो बहुत ही आनंद आता ,
कुछ दिन पहले नवी मुंबई आना हुआ था, तब दिमाग में घुघूती-बासूती नाम ही आ रहा था, उनके साक्षात् दर्शन की तम्मना हैं
घुघूती जी मुंबई से बाहर वालो ने क्या गुनाह किया हैं जो अपना चित्र नहीं लगाने दिया ? हमको भी तो अधिकार हैं आपके दर्शन का.......
अच्छी जानकारी से भरी विवेचना को ब्लॉग पर सुन्दर ढंग से प्रस्तुत करने के लिए धन्यवाद / ऐसे ही प्रस्तुती और सोच से ब्लॉग की सार्थकता बढ़ेगी / आशा है आप भविष्य में भी ब्लॉग की सार्थकता को बढाकर,उसे एक सशक्त सामानांतर मिडिया के रूप में स्थापित करने में,अपना बहुमूल्य व सक्रिय योगदान देते रहेंगे / आप और आपके मित्रों से हमारा आग्रह है की , देश हित में हमारे ब्लॉग के इस पोस्ट http://honestyprojectrealdemocracy.blogspot.com/2010/04/blog-post_16.html पर पधारकर १०० शब्दों में अपना बहुमूल्य विचार भी जरूर व्यक्त करें / विचार और टिप्पणियां ही ब्लॉग की ताकत है / हमने उम्दा विचारों को सम्मानित करने की व्यवस्था भी कर रखा है / इस हफ्ते उम्दा विचार के लिए अजित गुप्ता जी सम्मानित की गयी हैं /
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया, विस्तृत और आत्मीय रिपोर्टिंग… ऐसे ब्लॉगर मीट आयोजित होते रहना चाहिये…। इन सभी दिग्गज ब्लॉगरों में से सिर्फ़ विवेक जी से ही मिलना हो सका है, वो भी इसलिये कि वे उज्जैन के ही हैं… बाकियों के ब्लॉग पर तो निरन्तर जाना होता ही है… सभी को शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंविशेष - घुघूती बासुती जी ने तस्वीर लेने से मना कर दिया… कोई बात नहीं… हम काल्पनिक रूप से ही सोच लेते हैं। वैसे उनके शानदार लेखन से उनकी तस्वीर तो दिमाग में पहले से फ़िट है ही।
बहुत सुंदर लगे सभी चित्र ओर सभी से मिलना भी , आप ने बहुत रोचक ढंग से सब से परिचय करवाया.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
सुन्दर सचित्र वर्णन
जवाब देंहटाएंसिलसिला चलता रहे
विस्तृत और आत्मीय रिपोर्ट
जवाब देंहटाएंकोई कुछ भी कहे लेकिन ऐसे ब्लॉगर मीट आयोजित होते रहने चाहिये
अविकल रपट के लिए आप बधाई की पात्र है -मुझे लगता है की कहीं बेनामी ही तो सबसे खूबसूरत लोगों में नहीं है ? जादातर सनामी तो अब निराश करने लगे हैं !
जवाब देंहटाएंरश्मि, उतारो चने के झाड़ से! गिर पड़ने का भयंकर भय सता रहा है। नीचे कोई नेट भी लगाया है कि नहीं?
जवाब देंहटाएंसबसे मिलना बहुत भला लगा। खूब खूब गप्प व मस्ती हुई। जिनको पढ़ते रहे हैं उनको देखने जानने का अवसर मिला। आशा है कि यूँ ही मिलना होता रहेगा। वैसे जिनसे मिल चुके हैं उनसे चैट पर बतियाना तो होगा ही।
रश्मि की रपट के लिए आभार।
घुघूती बासूती
अरे वाह बिल्कुल सजीव वर्णन !!
जवाब देंहटाएंअरे वाह रश्मि जी आप तो सचमुच बहुत फ़ास्ट निकलीं। बहुत अच्छा वर्णन दिया आप ने और आप सब से मिलना अत्यंत सु्खद रहा।
जवाब देंहटाएंकुछ बातें सुधारना चाहूंगी। मैं ने ये नहीं कहा कि मैं अभय से पहली बार मिल रही हूँ, उनसे मैं पहले दो बार ब्लोगर मीट में मिल चुकी हूँ। मैं ने ये कहा था कि किसी से मिले बिना भी उसके लेखन से उसके व्यक्तित्व और विचारों को जाना जा सकता है और अभय को मात्र एक उदाहरण के रूप में लिया था…:)
यूनुस जी के ब्लोग को पढ़ने से मुझे वाद्य-यंत्रों की पहचान पर महारत हासिल नहीं हुई है, सिर्फ़ उस दिशा की तरफ़ मेरा ध्यान आकर्षित हुआ है और अब उनको पहचानने का प्रयत्न करती हूँ। पहले सिर्फ़ श्रोता थी अब संगीत की शिष्या बनने का प्रयत्न कर रही हूँ
आशा है आप सब से जल्द फ़िर से मुलाकात होगी
बोधि,श्याम पट पर अंग्रेजी में लिखी सूचना , किसी और बैठक की है ?
जवाब देंहटाएंओह अनीता जी,सॉरी मुझे लगा आप ,पहली बार मिल रही हैं...अभय जी से. मैं पोस्ट में एडिट कर देती हूँ.
जवाब देंहटाएंऔर वाद्य यंत्रों को पहचानने में भले ही महारत हासिल ना हुई हो परन्तु उसी राह पर तो हैं...आज ना कल हो जायेगी. :)
अरे वाह, काफ़ी खूबसूरत तस्वीरे है.. ऐसा लग ही नही रहा कि आप मे से काफ़ी लोग पहली बार मिल रहे है.. बस जादू की चाकलेट मूछ वाली फ़ोटो मिसिग है :)
जवाब देंहटाएंक्या मैं इतना परदुखकातर हूँ कि लेख लिख कर लाऊँ और बिन सुनाए लौट जाऊँ? लेख वो भी ब्लौगर मीट के लिए??
जवाब देंहटाएंअरे भाई मैं मज़ाक कर रहा था!!
आप से सब से मिल कर इतनी खीज हुई कि स्कूल से घर तक सारे रास्ते दाढ़ी नोचता रहा.. सोच रहा हूँ कि वो फोटो आप को भेज दूँ..
और मेरी फोटो आप ने क्यों नहीं छापी? किस जनम का बदला ले रही हैं आप.. फोटो छपने के लिए तो उतनी दूर गया था.. सो भी आप ने छापी नहीं.. ब्लौगर मीट नियमावली की धारा ३४.७ के तहत मैं आप की इस पोस्ट को निरस्त किए जाने की सिफ़ारिश करता हूँ..
फिर से सीरियसली ले रही हैं क्या?
बहुत अच्छा लगा सभी से तस्वीरों में मिलना. लगा जैसे हम भी वहाँ साथ साथ हैं.
जवाब देंहटाएंस्टार ब्लॉगर जादू जी तो मजेदार हैं ही. :)
abhi chitra dekh liye di.. padhta hoon sham ko.. :)
जवाब देंहटाएंवाह रश्मि जी खूब ब्लोगर मीत करा रहीं हैं आप तो ....हम तो दूर बैठे बस तसवीरें देख कर ही खुश हो लेते हैं ...नाम नहीं लिखा आपने ...कुछ को तो पहचान रही हूँ ....ये आपकी बगल में कौन हैं .....?
जवाब देंहटाएंपोस्ट बहुत ही बढिया लिखती हैं आप .....!!
सब गंदे हैं.. गंदे गंदे गंदे..
जवाब देंहटाएंसब अकेले अकेले मिल लिए.. :(
बहुत अच्छी तसवीरें हैं...अच्छा हुआ रश्मि जी, आपने ये सब बातें हमें बताया...अगर बंगलोर में कोई ऐसी ब्लॉगर मीट हुई तो मैं जरूर वहां जाना पसंद करूँगा...अगर मुझे मौका मिला वहां आने का तो...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा विवरण भी दिया आपने..पढके मजा आया
सुंदर तस्वीरें .. अच्छी रिपोर्ट .. बहुत बढिया लगा जानकर !!
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा मुंबई के ब्लागर्स से मिलकर
जवाब देंहटाएंरश्मि जी,विस्तृत रिपोर्ट के लिए आभार
शुभकामनाएं
यूनुस, अभय, अनिल, अनीता जी और विमल वर्मा से मुंबई में मेरी भी मुलाकात हुई थी. आपकी इस पोस्ट ने वो दो शामें याद दिला दीं जो इन मित्रों के साथ मैंने काटी थीं।
जवाब देंहटाएंमुम्बई जैसे बडे शहर मे ब्लोगरो का इस तरह मिलना सच मानो बहुत गज़ब घटना होती है और सधुवाद उनका जिन्होने इसे साकार किया.
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार रपट है रश्मि. तस्वीरें भी बहुत बढिया. मैं तो बड़ी बेसब्री से इस रपट का इन्तज़ार कर रही थी. कल विवेक जी ने एक फोटो जो डाल दी थी ब्लॉग पर. देखो, हमें कब मौका मिलता है किसी ब्लॉगर मीट में शामिल होने का.
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत सुन्दर! मजेदार मुलाकात रही यह तो। विवरण जानकर अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंvah rashmiji aannd a gya apki riport padhkar .aise hi ap log milte rahe aur ham aannd lete rhe .
जवाब देंहटाएंरश्मि,
जवाब देंहटाएंअरे वाह...ये तो बहुत ही बढ़िया रिपोर्ट दी है...चित्रों के साथ....लिखने की शैली तो कमाल की है ही तुम्हारी...सब पढ़ कर और चित्र देख कर आनंद आ गया..इस मिलन के लिए सभी को बधाई
सब बहुत शानदार है,
जवाब देंहटाएंलेकिन हमारी रश्मि बहना का फोटो कहां है...
जय हिंद...
बहुत ही बढ़िया...चित्रमय विस्तृत रिपोर्ट ....
जवाब देंहटाएंकाश मैं भी मुम्बई में होता
बहुत खूब...
जवाब देंहटाएंहम भी आयेंगे...
हम भी आयेंगे...
दीदी आपके लेखन में जो प्रवाह है उसने मुंबई के गंभीर और बुद्धिजीवी ब्लोगर साथियों का परिचय जिस तरह से कराया वो कभी भूल नहीं सकता..
जवाब देंहटाएंwaah waah ..
जवाब देंहटाएंmazaa aagaya padh kar...laga hi nahi ki ham wahan nahi the...
bahut hi badhiya report ...kya dharaprawaah prichay diya hai sabka ...aise blogger meets hote rahne chahiye...aatmiyata badhti rahni cahiye..
bahut badhiya laga padh kar Rashmi..
Thanks..
रवीजा जी
जवाब देंहटाएंमैं आयोजक नहीं एक सहयोगी भर था।
इसमें विमल जी ने भी सहयोग किया था। आपका केक और बिस्किट के साथ आना कितना अच्छा लगा था मैं कह नहीं सकता। फिर ममता की लाई स्वादिस्ट बर्फी और अनिता जी की काजू कतली सब के सामूहिक स्वाद से यह गोष्ठी सरस हुई है। आप लोगों को खुशी हुई इससे अच्छा और क्या हो सकता है। हम फिर से कहीं बैठेंगे।
अच्छा है नये सम्बन्ध बन रहे हैं इन अल्पावधि संबंधों में बिगाड़ की गुंजायश कम है क्योंकि बुरा लगने से पूर्व ही मजमा बिखर जाता है कई बार सोचता हूँ क्या भावी समाज को ऐसे ही संबंधों की दरकार है ? क्या संबंधों का अच्छापन अल्पकालिक संपर्कों का मोहताज हो चला है ? क्या हम अपने दीर्घकालिक स्थायी संबंधों में सहजता / सहिष्णुता और पारस्परिक आदर और सम्मान के ये फ्लेवर बरक़रार रखने में असफल हो चले हैं ? ये सारे सवाल ...सच पूछिये तो घुघूती बासूती को एक नयी पोस्ट लिखने के लिये ...सुझाव स्वरुप हैं ...वे गंभीरता से सोचती हैं ...इसलिए ये बहस वे ही शुरू करें तो बेहतर होगा ! वे कैमरे के सामने सुन्दर दिखती हैं या नहीं ये तो पता नहीं पर ख्यालात की खूबसूरती के हिसाब से बेजोड़ हैं ...भला हम सब अपने अपने ब्लाग्स में क्या एक दूसरे के चेहरे देखने के लिये अवतरित हुए हैं ? ...नहीं ना ...!
जवाब देंहटाएंरश्मि मैम आपके ब्लाग पर पहली टिप्पणी ? भले ही कर रहा हूँ पर पाठक पुराना हूँ ! अन्यथा मत लीजियेगा ! आप सबका मिलना अच्छा लगा !
रश्मि जी ,
जवाब देंहटाएंरिपोर्ट तो पढ़ ली थी और आपकी तीव्रता पर सुखद आश्चर्य का अहसास भी हुआ ( मुझ जैसे आलसी को ) .टिप्पणी अब कर पा रहा हूँ.
और आपकी रिपोर्टिंग के क्या कहने .पिछली मीट की भी आपकी रिपोर्टिंग गज़ब की थी .
करीब दो मिनट की विडिओ रेकार्डिंग अपने ब्लॉग पर डालने जा रहा हूँ .( उतनी ही हो सकी क्यूंकि अभय जी ने कहा की सब कैमरा कान्सस हो जायेंगे तो ' विचार प्रवाह ' बाधित हो जायेगा और आकर्षण का बिंदु कैमरा ही रह जायेगा )
अब उम्मीद करता हूँ की उनकी तस्वीर( और कईयों की भी ) नहीं आयी तो बिचारे अपनी दाढी नोंचते न फिरें :)
मुझे तो बहुत आनंद आया क़ि बड़े सारे इलाहाबदिए ( प्रयाग विश्वविद्यालय से पढ़े ,मेरी ही तरह ,मगर जूनियर :) , निकले तो इलाहबाद के अपने अपने दिनों की भी चर्चा हुयी .
आपको बहुत ही धन्यवाद क़ि इस मीट को सब तक पहुँचाया .
वन्दना सही कह रहीं हैं आप सचमुच फास्ट निकली ,अच्छा भी लगा कि जल्द से जल्द चर्चा भी सब तक पहुँच गई. मिलन सुखद रहा यह और भी सुखकर लगा ,आभार
जवाब देंहटाएंमैं इस रपट का इन्तजार कर रही थी, इसके लिए ही तो कल भी तुमको मिस किया. पढ़ कर और देख कर बड़ा अच्छा लगा कि ये सब होना चाहिए जहाँ हम एक दूसरे से मिल सकें और इस मंच को और अधिक सार्थक बनाया जा सके. मैं भी इन्तजार कर रही हूँ कि कब हमारे इलाके में सब लोग ऐसा करने कि सोचें. वैसे अनूप शुक्ल जी जैसे प्रतिष्ठित और स्थापित चिट्ठाकार पहल करें तो कानपुर में संभव हो सकती है, क्योंकि मेरा ब्लॉग संसार में इतनी अधिक दखल भी नहीं है और लोग मुझे पहचानते भी नहीं है. हाँ सहयोग के लिए मैं पूरी तरह से हाजिर रहूंगी.
जवाब देंहटाएंबढ़िया तस्वीरें, तस्वीरों की बात जब भी ब्लॉगर मीट में होगी घूघूती-बासूती जी किनारे ही हो लेंगी।
जवाब देंहटाएंनई दिल्ली और फिर अहमदाबाद ब्लॉगर मीट कि रपटें इस बात का उदाहरण है। शायद एक ही मीट की रपट में उनकी तस्वीर उपलब्ध हुई थी वह भी बाद में उनके अनुरोध पर हटा ली गई थी।
आभा जी और बोधि जी का शुक्रिया कि उन्होंने आयोजन किया जिसकी रपट आप हमें पढ़ा रहीं है, आपको भी शुक्रिया।
करीब-करीब सभी के ब्लॉग्स से परिचित हूं लेकिन राज सिंह जी का ब्लॉग मेरे लिए अपरिचित ही था अब तक देखता हूं उनका ब्लॉग भी।
वैसे पंकज उपाध्याय के इस कथन से सहमति है कि जादू की चॉकलेट से अपनी दाढ़ी मूंछ बनाई हुई तस्वीर दिखनी चाहिए थी।
जारी रहे यह मिलना ताकि हम पढ़ते रहें आपकी यह प्रवाहपूर्ण शैली में रपट।
शुभकामनाएं
Hi..
जवाब देंहटाएंKahne ko hum vahan nahin the..
par lagta hai rahe wahin..
etna sundar vivaran padhkar..
laga kyon hum the gaye nahin...
jise koi na jaanta ho wo agar pahunchta to koi baat hoti...
jaise ki main...
Deepak Shukla..
पता है आपका ये लेख मेरे ब्लॉगर डैशबोर्ड पर नहीं आया...इसीलिये इतनी देर से आ पा रही हूँ यहाँ. मुझे पहले बज़ से और फिर जादूजी से पता चला इस रिपोर्टिंग के बारे में. बहुत जीवंत लगा सब कुछ. मुझे जलन हो रही है आप सबसे...
जवाब देंहटाएंबहुत खुशी हुयी कि ब्लॉगर मित्र एक नयी संस्कृति रच रहे हैं...एकदम नयी...हमें आपस के वैमनस्य भुलाकर इन नये रिश्तों को एन्ज्वॉय करना चाहिये.
घुघूती बासूती जी बहुत सुन्दर हैं...ये मुझे पहले से मालूम है, जबसे ये पता चला कि वे उत्तराखण्ड की हैं. वैसे मैं उनको उनके प्रबुद्ध विचारों के कारण ही जानती थी. वे अपने जीवन के अनुभवों को इतने आकर्षक ढंग से सबके सामने रखती हैं कि सहज ही कोई उनका प्रसंशक हो जाये...उनके प्रसंशकों में से एक मैं भी हूँ...और एक न एक दिन उनसे साक्षात रूप में मिलूँगी ही.
socha tha ki ghughuti jee ko bhi dekh lete ...par afsos...bakee report ke liye shukriya...
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद इतने साथियो से मिलवाने का
जवाब देंहटाएंbada accha lagta hai aisi meetings ke bare mein padh kar. blog se naye logon se intro hota hai.
जवाब देंहटाएंमुझे लग रहा है कि मै इस बार ज़रा जल्दी मुम्बई हो आया ..बस तीन सप्ताह पहले वरना मै भी इस ब्लॉगर्स मीट मे शामिल हो जाता । खैर कोई बात नहीं अगली बार देखेंगे ..। वैसे आपने जिस सहजता से यह विवरण प्रस्तुत किया है उसके लिये आप धन्यवाद की पात्र है। अनिता जी से और बोधि भाई जो मेरे बहुत पुराने कवि मित्र भी है , से मेरी बात हुई है अगली बार पक्का ।
जवाब देंहटाएंbahut achcha lag sare bloggers ko ek jagah de kar...aur bahut sundar dhang se aapne sabse milwaya...dhanywaad
जवाब देंहटाएंगति की अपनी गति होती है. आपने जिस तेज गति से रपट को अंजाम दिया है, वक काबिले- तारीफ है. मेरा नाम विभा रानी है, विभारानी नहीं. वैसे भी कोई खास फर्क़ नहीं पडता. यह आपको चिढाने के लिए. सबकी बर्फी, समोसे, केक, बिस्किट मैने खाए, मैने कुछ नहीं खिलाया. अब क्या करू? अगला आयोजन कीजिए!
जवाब देंहटाएंब्लॉगर्स मीट की शानदार रिपोर्ट ...और होती रहे ऐसी स्नेहमय मुलाकातें ...
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें ....!!
aah missed it.:( Mumbai lautte hue aati to shayad ye soubhagya mujhe bhi mil jata ....khair fir kabhi sahi :) baki padhti hoon itminaan se.:)
जवाब देंहटाएं@विभा रानी
जवाब देंहटाएंविभा जी,अरे भई वो मीटिंग तो आभा जी ने ख़ास आपसे मिलने के लिए ही,आयोजित की थी,.(I mean...initiative लिया था...वरना बोधि जी की पत्नी श्री भी कहेंगी, मैं आयोजक नहीं बस सहयोगी थी :) )...सब आपके बहाने मिल लिए....और जहाँ तक समोसे बर्फी का प्रश्न है, वे भी तो आपसे मिलने को आतुर थे....पता नहीं चेन्नई के इडली डोसे के बीच आप उन्हें भूल ना जाएँ.
वैसे आप खिलाना ही चाहती हैं तो बस आदेश कीजिये कब कहाँ हाज़िर हो जाऊं...पूरी मुंबई की ब्लॉगर्स बिरादरी के साथ :) :)
padh kar abhut achcha lagaa
जवाब देंहटाएंमुंबई में न होने के कारण इस बैठकी में शामिल तो न हो सका लेकिन रिपोर्टिंग पढ़ लगा कि कोई बात नहीं यार, सब कुछ तो डिटेल मिल ही गया है।
जवाब देंहटाएंअभय जी की टिप्पणी मजेदार लगी है। वैसे कुछ हद तक मुझे लगता है कि कभी ब्लॉगर आपस में मिलें तो थोड़ा ध्यान देने पर एक दूसरे को पहचान सकते हैं :)
इसके पहले जो ब्लॉगर बैठकी हुई थी उसमें तो आपने मुझे झट से पहचान लिया था जबकि न मैं कभी आपसे मिला था न आप मुझसे फिर बी पहचान लिये गये।
और हां विवेक जी गच्चा दे सकते हैं इस पहचान कौन वाले मामले में :)
chalo chitro ke zariye hi ham milan samaroh kar lenge.
जवाब देंहटाएंshukriya.bahut acchhi jankari di.
हर मीट की रिपोर्ट पढ़ के बस यही कह लेता हूं…'या हुसैन हम न थे'
जवाब देंहटाएंबोधि भाई और आभा भाभी से फोन पर बतिया के दूरी पता ही नहीं चलती पर यह रिपोर्ट पढ़ के लगा कि बंबई बहुत दूर है!