राज सिंहं, अनिल रघुराज,आभा मिश्र, विभारानी, ममता,अनीता कुमार
इस बार सोच रखा था, सिर्फ तस्वीरें लगा कर मुंबई ब्लॉगर्स मीट में सम्मिलित लोगों का परिचय करवा दूंगी. विवेक रस्तोगी जी विस्तारपूर्वक रिपोर्ट लिखेंगे.लेकिन मुश्किल ये थी कि फिर 'घुघूती-बासूती' जी को कैसे मिलवाऊं आपलोगों से ? क्यूंकि उन्होंने तो तस्वीरें लेने से मना कर दिया था. वे सिर्फ अपने लेखन में व्यक्त विचारों द्वारा ही अपना परिचय देने की इच्छुक हैं. अब हमारी
किस्मत पर रश्क कीजिये कि हमने उनके विचार सिर्फ पढ़े ही नहीं हैं बल्कि उनके मुखारविंद से सुनने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ. वैस इतना बता दूँ, वे बेहद ख़ूबसूरत हैं और तस्वीरें लेने से मना कर कैमरे को सजा ही दे रही हैं.
आयोजक दंपत्ति बोधिसत्व एवं आभा मिश्र
ये ब्लोगर्स मीट ,आभा मिश्रा जी के सद्प्रयास से आयोजित हुई और उनके पति बोधिसत्व जी ने भी पूरे उत्साह से उनका साथ दिया.जितने लोग मुंबई में थे और जितने लोगों से संपर्क हो सका ,उन्हें इत्तला कर दी गयी. "घुघूती-बासूती' जी एवं 'अनीता कुमार जी' नवी मुंबई से करीब दो घंटे का सफ़र तय कर सबसे मिलने के लिए पहुंची. विभारानी जी जिनके ब्लॉग को हाल में ही भोपाल में आयोजित समारोह में "लाडली मिडीया अवार्ड " सम्मान मिला है. वे भी अपनी बिटिया के साथ सम्मिलित हुईं .'कोशी' का भी अपना ब्लॉग है और आजकल
बारहवीं का इम्तहान देने के बाद वो काफी सक्रिय है.
स्टार ब्लॉगर जादू अपनी मम्मा की गोद में
ममता एवं युनुस जी भी छोटे स्टार ब्लोगर जादू को लेकर सम्मिलित हुए. और पूरे तीन घंटे जादू ने जरा भी परेशान नहीं किया...बस एक चॉकलेट बिस्किट कुतरते हुए पूरे समय चॉकलेट से अपनी दाढ़ी मूंछ बनाने में उलझा रहा. अभय तिवारी जी,अनिल रघुराज जी , और विवेक रस्तोगी जी सबसे पहले पहुँचने वालों में से थे.
महावीर सेमलानी जी,सतीश पंचम जी एवं पंकज उपाध्याय मुंबई से बाहर होने के कारण इस मीट में सम्मिलित नहीं हो पाए पर फ़ोन पर उन्होंने अपनी शुभकामनाएं दीं.
यह मीट बिलकुल ही अनौपचारिक रूप से चलती रही. ऐसा लगा जैसे कई सारे पुराने मित्र एक जगह इकट्ठे हो,विचारों का आदान-प्रदान कर रहें हों. और इसी वजह से औपचारिक रूप से परिचय का दौर तीन बार शुरू हुआ पर बीच में ही बातों का सूत्र कोई और थाम लेता और किसी दूसरे विषय पर विमर्श शुरू हो जाता. बातचीत के दरम्यान ही लोग अपने विचार रखते गए और एक दूसरे की शख्सियत से परिचित होते गए.
आभा जीएवं विवेक जी
अनीता कुमार जी ने बताया कि अपना ब्लॉग शुरू करने के बाद ही उन्हें लगा कि लोग स्वेच्छा से उनकी बातें सुनने को इच्छुक हैं.वरना उन्हें लगता था कॉलेज में छात्र उनके लेक्चर इसलिए सुनते हैं क्यूंकि वे बाध्य हैं. वे मानसिक रूप से खुद को अब ज्यादा एलर्ट समझती हैं और उन्हें ऐसा महसूस हो रहा है जैसे दिनोदिन उनकी उम्र घट रही है.(इस पर जोरदार तालियाँ बजीं :)) .लोग रिटायरमेंट से डरते हैं पर वे पांच साल बाद रिटायर होने की राह देख रही हैं ताकि वे ज्यादा समय ब्लॉग्गिंग को दे सकें.
घुघूती जी, को ब्लॉग्गिंग में आकर ऐसा लगा जैसे कोई नया दरवाजा खुल गया हो जिससे होकर वे कई सारे समान विचार वाले दोस्तों से मिल पा रही हैं . इसके पहले ज्यादातर उनके पति के मित्र की पत्नी या पडोसी ही उनके मित्र हुआ करते थे. पर अब उन्हें अपनी पहचान मिल गयी है. और लोग उनके विचारों की वजह से उनसे मिलने को इच्छुक हैं.उन्होंने ब्लॉग्गिंग से पहले के अपने जीवन की तुलना एक पत्तागोभी से की जो बढ़ तो रही थी पर अपने आप में पूरी तरह बंद.( हालांकि वे इतनी प्रबुद्ध महिला हैं कि उनसे मिलने वाले किसी को भी उनके विचारों से जरूर लाभ होता होगा.)
ममता एवं युनुस खान
उन्होंने आगे कहा कि बहुत हुआ तो वे लेडीज़ क्लब चली जाती थीं और थोड़ी गप्पें कर और समोसे खाकर चली आती थीं .समोसे के नाम से बोधिसत्व जी को फिर से याद आ गया कि समोसे ठंढे हो रहें हैं.इसके पहले भी उन्होंने धीरे से समोसे ठंढे होने का जिक्र किया था और मैंने कहा था, परिचय का दौर ख़त्म हो जाने दीजिये. पर अब उन्हें और सब्र नहीं था. और इसके बाद समोसे,केक,बिस्किट,मिठाइयों का दौर चलता रहा. बोधि जी ने चाय का भी इंतजाम कर रखा था .और सबके आते ही उन्हें ठंढा पानी और कोल्ड ड्रिंक भी सर्व कर रहें थे. मीट का आइडिया तो आभा जी का था पर उसके आगे की कमान बोधि जी ने संभाल ली थी.
अनीता जी एवं राज जी
अभय तिवारी जी ने बोधिसत्व एवं आभा मिश्र सहित करीब दस लोगों को अपना ब्लॉग बनाने के लिए प्रेरित किया है. अनीता जी ने कहा कि जब वे पहली बार अभय जी से मिली थीं (यह उनकी तीसरी मुलाक़ात थी ) तो ऐसा लग रहा था जैसे उनके विचारों के जरिये वे उनके सम्पूर्ण व्यक्तित्व से बहुत पहले से परिचित हैं क्यूंकि किसी से मिले बिना भी उसके लेखन से उसके व्यक्तित्व और विचारों को जाना जा सकता है. अनीता जी को तब भी बहुत आश्चर्यमिश्रित ख़ुशी हुई, जब राज सिंह जी ने उन्हें पहचान लिया जबकि वे राज सिंह जी को नहीं जानती थीं. मुझे भी ऐसा ही अनुभव हुआ जब,घुघूती जी ने बताया कि वे मेरी कहानियां पढ़ती हैं और मुझसे मिलने को इच्छुक थीं. मैंने भी घुघूती जी का ब्लॉग नियमित पढ़ा है और मिलकर ऐसा लगा कि मैं उनके व्यक्तित्व को अच्छी तरह जानती हूँ.
घुघूती जी ने सभी उपस्थित पुरुष ब्लॉगर्स से एक सवाल किया कि "क्या ब्लॉग्गिंग में स्त्रियों के मन के विचार पढ़ कर उन्हें स्त्रियों को समझने में कुछ सहायता मिली है?" अनीता जी ने कहा कि यहाँ सारे पुरुष ब्लोगर्स मुंबई में काफी दिनों से हैं, इसलिए महिलाओं से विचारों के आदान-प्रदान के वे अभ्यस्त हैं. बोधिसत्व जी ने भी कहा कि "यहाँ सब प्रगतिशील विचारों के समर्थक हैं.वे महिलाओं का लेखन बचपन से ही पढ़ते आ रहें हैं.,इसलिए उनका मन अच्छी तरह समझते हैं परन्तु उनका सपना है कि भारत की प्रत्येक स्त्री सिर्फ घर की चहारदीवारी तक ही सीमित ना रहें और इसके साथ उसे अपने विचारों को भी व्यक्त करने की पूरी स्वतंत्रता मिले तभी सच्ची स्त्री मुक्ति संभव है." वैसे सबका यह मत था कि घुघूती जी को पूरे ब्लॉग जगत के पुरुषों से यह सवाल जरूर पूछना चाहिए.
अनिल रघुराज जी एवं विवेक रस्तोगी जी ने फाइनेंस और बैंकिंग की जटिलताओं को अपने ब्लॉग के जरिये सरल भाषा में समझाने के अपने प्रयास का उल्लेख किया. विवेक जी से सबने जिज्ञासा भी व्यक्त की कि एक तरफ
बैंकिंग जैसी व्यावहारिक बातें और आध्यात्म जैसे विषय का सही सामंजस्य वे कैसे कर लेते हैं?
विभा जी, युनुस जी ,विमल जी
राज सिंह ने अपने एक निर्माणधीन फिल्म के विषय में जानकारी दी.
युनुस खान एवं ममता शायद पहली बार खुद को श्रोता की भूमिका में देखना ज्यादा पसंद कर रहें थे. हमेशा वे बोलते हैं और विविधभारती के श्रोता उनकी बातों का लुत्फ़ लेते हैं आज वे ज्यादातर सबको सुन रहें थे. फिर भी ममता जी को अपने मधुर स्वर में अपने और स्टार ब्लॉगर जादू के बारे में दो बातें करनी ही पड़ीं.
युनुस खान के ब्लॉग की चर्चा भी हुई. अनीता जी ने बताया कि कैसे नियमित रूप से उनका ब्लॉग पढने के बाद वे म्युज़िक ज्यादा एन्जॉय करने लगी हैं. अब वे कोई गाना सुनती हैं तो उसमे बजने वाले वाद्य-यंत्रों को भी पहचान लेती हैं.
विमल जी के बहुआयामी व्यक्तित्व से भी सबका परिचय हुआ कि कैसे वे थियेटर, ब्लॉग्गिंग, लेखन सब एक साथ सुचारू रूप से सँभालते हैं.
इन सब बातों में कब साढ़े तीन घंटे बीत गए पता ही ना चला, सबको IPL का फाइनल देखने के लिए घर पहुँचने की जल्दी थी. अभय जी ने एक विषय "अपनी रचना अपनी कलम और ब्लॉग की दुनिया" पर सबको अपने विचार रखने के लिए कहा था. खुद भी वो एक आलेख तैयार करके लाये थे. पर समय नहीं मिल पाया. विमल जी का गाना और विभा जी की कहानी सुनने का भी समय नहीं निकल पाया. यह सब अगली मीट में पूरी करने की योजना के साथ
सभी ब्लॉगर्स ने एक दूसरे को विदा कहा