पहले भी अखबारों की कुछ ख़बरें...शेयर करती आई हूँ...आज ही Mumbai Mirror में कुछ ऐसा पढ़ा कि लगा...ऐसी ख़बरें लोगो के सामने आनी चाहिए .
इसका एक पक्ष तो दुखद सा कटु सत्य है. अंग्रेजों के इतने साल की गुलामी की वजह से गोरे रंग के प्रति हमारी रुझान आज भी बनी हुई है. ढेर सारे विज्ञापन भी यही कहते हैं.Fair is Lovely .सामने से जो भी कहें लोग, पर मन ही मन हर कोई एक अदद गोरी बीवी और गोरे बच्चों की कामना रखता ही है. (यहाँ महिलाओं के विषय में जरूर कहूँगी...कि वे लोग TDH (tall,dark and handsome )पर ही रीझती रहीं हैं और उन्हें पति के सांवले सलोने होने से कोई शिकायत नहीं होती है }
इस गोरे रंग के प्रति आकर्षण ने एक महिला का जीवन नरक कर डाला. मई 2005 में मुंबई निवासी सत्ताईस वर्षीय लक्ष्मण शिंडे का विवाह हुआ. शादी के तुरंत बाद ही शिंडे अपनी पत्नी को उसके गहरे रंग की वजह से सताने लगा. उसका लोगो के सामने उपहास उड़ाता. कई बार घर से भी निकालने की कोशिश की. पर वो महिला दूसरी लाखों भारतीय महिलाओं की तरह सारी प्रताड़ना चुपचाप सहती रही. परन्तु पत्नी के काले रंग ने शिंडे को उस से शारीरिक सम्बन्ध बनाने से नहीं रोका. लेकिन अगर पत्नी गर्भवती हो जाती तो वह उसे दवा देकर...उसका गर्भपात करवा देता क्यूंकि उसे डर था, उसके बच्चे भी काले रंग के होंगे और ये उसे बर्दाश्त नहीं था. बार-बार गर्भपात से उस महिला का स्वास्थ्य गिरने लगा.
उसके बिगड़ते स्वास्थ्य का कारण उसके ससुर को पता चला. उन्होंने इसका विरोध किया और बेटे को समझाना चाहा....बेटे ने उन्हें धमकी दी...पर उन्हें लगा, ऐसे तो उनकी पुत्रवधू जीवित नहीं बचेगी और उन्होंने उसे अपने मायके भेज दिया. करीब एक साल तक वो मायके में रही..उसके पति ने उसकी कोई खोज-खबर नहीं ली. फिर दोनों परिवारों के बुजुर्ग लोगो के समझाने पर अच्छे व्यवहार का वायदा कर,शिंडे अपनी पत्नी को अपने घर लिवा गया. कुछ दिनों तक सब ठीक रहा. पर फिर जल्द ही उसके रंग को लेकर प्रताड़ना शुरू हो गयी. और जब वो फिर से गर्भवती हुई तो उसपर गर्भपात के लिए दबाव डालने लगा.
उक्त महिला अपने मायके आ गयी. २००७ में उसने एक बच्ची को जन्म दिया. सबको लगा,बच्ची के जन्म के बाद,शायद वह बदल जाएगा...पर उनकी आशाएं निर्मूल साबित हुईं. शिंडे ने पत्नी और बच्ची से कोई सम्बन्ध नहीं रखा. फिर भी उक्त महिला और उसके परिवार वाले सोचते रहे कि कुछ दिनों बाद शायद उसे अक्ल आ जाए और वो अपनी पत्नी को स्वीकार कर ले.
पर कुछ ही दिनों पहले शिंडे ने दूसरी शादी कर ली. अब महिला ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवा दी है. इन सबमे एक सुखद बात ( जिसने इस पोस्ट को लिखने को प्रेरित किया) ये है कि.उक्त महिला के ससुर ने अपने परिवार वालों की इच्छा के विरुद्ध जाकर अपने बेटे के विरुद्ध गवाही दी है. पुलिस से कहा है कि..."बेटे ने अपनी पत्नी को बहुत प्रताड़ित किया है और उसे सजा मिलनी चाहिए."
फिलहाल...लक्षम शिंडे फरार है और उसपर 'अपनी पत्नी को प्रताड़ित करने के'...'ब्रीच ऑफ ट्रस्ट के'...'दूसरी शादी करने के '...'बिना पत्नी की सहमति के जबरदस्ती गर्भपात करवाने के' आरोप लगाए गए हैं. पुलिस ने उसे जल्द ही पकड़ लेने का दावा किया है.
लक्षमण शिंडे पता नहीं कब पकड़ा जाएगा....उसके केस की सुनवाई कितने सालों के बाद होगी...कहा नहीं जा सकता. पर एक ससुर ने आगे बढ़कर अपने बेटे के खिलाफ गवाही दी है. यह एक स्वागतयोग्य दृष्टांत है.
इसका एक पक्ष तो दुखद सा कटु सत्य है. अंग्रेजों के इतने साल की गुलामी की वजह से गोरे रंग के प्रति हमारी रुझान आज भी बनी हुई है. ढेर सारे विज्ञापन भी यही कहते हैं.Fair is Lovely .सामने से जो भी कहें लोग, पर मन ही मन हर कोई एक अदद गोरी बीवी और गोरे बच्चों की कामना रखता ही है. (यहाँ महिलाओं के विषय में जरूर कहूँगी...कि वे लोग TDH (tall,dark and handsome )पर ही रीझती रहीं हैं और उन्हें पति के सांवले सलोने होने से कोई शिकायत नहीं होती है }
इस गोरे रंग के प्रति आकर्षण ने एक महिला का जीवन नरक कर डाला. मई 2005 में मुंबई निवासी सत्ताईस वर्षीय लक्ष्मण शिंडे का विवाह हुआ. शादी के तुरंत बाद ही शिंडे अपनी पत्नी को उसके गहरे रंग की वजह से सताने लगा. उसका लोगो के सामने उपहास उड़ाता. कई बार घर से भी निकालने की कोशिश की. पर वो महिला दूसरी लाखों भारतीय महिलाओं की तरह सारी प्रताड़ना चुपचाप सहती रही. परन्तु पत्नी के काले रंग ने शिंडे को उस से शारीरिक सम्बन्ध बनाने से नहीं रोका. लेकिन अगर पत्नी गर्भवती हो जाती तो वह उसे दवा देकर...उसका गर्भपात करवा देता क्यूंकि उसे डर था, उसके बच्चे भी काले रंग के होंगे और ये उसे बर्दाश्त नहीं था. बार-बार गर्भपात से उस महिला का स्वास्थ्य गिरने लगा.
उसके बिगड़ते स्वास्थ्य का कारण उसके ससुर को पता चला. उन्होंने इसका विरोध किया और बेटे को समझाना चाहा....बेटे ने उन्हें धमकी दी...पर उन्हें लगा, ऐसे तो उनकी पुत्रवधू जीवित नहीं बचेगी और उन्होंने उसे अपने मायके भेज दिया. करीब एक साल तक वो मायके में रही..उसके पति ने उसकी कोई खोज-खबर नहीं ली. फिर दोनों परिवारों के बुजुर्ग लोगो के समझाने पर अच्छे व्यवहार का वायदा कर,शिंडे अपनी पत्नी को अपने घर लिवा गया. कुछ दिनों तक सब ठीक रहा. पर फिर जल्द ही उसके रंग को लेकर प्रताड़ना शुरू हो गयी. और जब वो फिर से गर्भवती हुई तो उसपर गर्भपात के लिए दबाव डालने लगा.
उक्त महिला अपने मायके आ गयी. २००७ में उसने एक बच्ची को जन्म दिया. सबको लगा,बच्ची के जन्म के बाद,शायद वह बदल जाएगा...पर उनकी आशाएं निर्मूल साबित हुईं. शिंडे ने पत्नी और बच्ची से कोई सम्बन्ध नहीं रखा. फिर भी उक्त महिला और उसके परिवार वाले सोचते रहे कि कुछ दिनों बाद शायद उसे अक्ल आ जाए और वो अपनी पत्नी को स्वीकार कर ले.
पर कुछ ही दिनों पहले शिंडे ने दूसरी शादी कर ली. अब महिला ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवा दी है. इन सबमे एक सुखद बात ( जिसने इस पोस्ट को लिखने को प्रेरित किया) ये है कि.उक्त महिला के ससुर ने अपने परिवार वालों की इच्छा के विरुद्ध जाकर अपने बेटे के विरुद्ध गवाही दी है. पुलिस से कहा है कि..."बेटे ने अपनी पत्नी को बहुत प्रताड़ित किया है और उसे सजा मिलनी चाहिए."
फिलहाल...लक्षम शिंडे फरार है और उसपर 'अपनी पत्नी को प्रताड़ित करने के'...'ब्रीच ऑफ ट्रस्ट के'...'दूसरी शादी करने के '...'बिना पत्नी की सहमति के जबरदस्ती गर्भपात करवाने के' आरोप लगाए गए हैं. पुलिस ने उसे जल्द ही पकड़ लेने का दावा किया है.
लक्षमण शिंडे पता नहीं कब पकड़ा जाएगा....उसके केस की सुनवाई कितने सालों के बाद होगी...कहा नहीं जा सकता. पर एक ससुर ने आगे बढ़कर अपने बेटे के खिलाफ गवाही दी है. यह एक स्वागतयोग्य दृष्टांत है.