गुरुवार, 27 मई 2010

"सरोगेट मदर्स " से जुड़े कुछ नए और रोचक तथ्य


पिछली पोस्ट 'सरोगेट  मदर्स' पर  लिखी थी. उसके बाद से ही टाइम्स ऑफ इंडिया में रोज ही उस से
सम्बंधित कुछ रोचक ख़बरें पढने को मिलीं. सोचा आपलोगों से ये भी शेयर कर लूँ,....इसलिए भी कि सारी ख़बरें सुखद हैं, जिनकी आजकल बहुत कमी महसूस होती है.

आज के ही TOI में जर्मनी के नागरिक Jan Balaz और Susan Anna Lohlad  की खुशियाँ लौट आने की खबर है. 2008 में इन दोनों के जुड़वां बच्चे को एक  भारतीय सरोगेट माँ ने जन्म दिया था. पर इन बच्चों को दोनों देशों ने  नागरिकता प्रदान करने से इनकार कर दिया क्यूंकि जर्मनी में सरोगेसी को कानूनी मान्यता प्राप्त नहीं है और भारत में सरोगेट माँ को नहीं बल्कि donor parents  को असली माता-पिता माना जाता  है. इन जर्मन दम्पति ने दो साल की कानूनी लड़ाई लड़ी. और inter-country adoption policy  के तहत  इन्हें अपनाना चाहा. गुजरात हाई कोर्ट ने इन बच्चों को भारतीय पासपोर्ट जारी करने का आदेश दिया क्यूंकि इन्हें एक  भारतीय माँ ने जन्म दिया था. पर सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले के खिलाफ अपील की गयी. जर्मन दंपत्ति  निराश हो चुके थे कि शायद इनके बच्चे नगरिकताविहीन ही रह जाएंगे.लेकिन 26 मई 2010  को सुप्रीम कोर्ट ने इनकी माथे से चिंता की रेखाएं मिटा दीं और होठों की मुस्कान वापस कर दी और बच्चों के  exit permit  जारी करने के आदेश दिए.अब उनके माता-पिता अपने बच्चों को अपने देश ले जा सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने सरोगेसी से सम्बंधित निश्चित क़ानून ना होने पर चिंता व्यक्त  की. Solicitor General Subramaniam ने कोर्ट को सूचित किया कि इससे सम्बंधित क़ानून का प्रारूप तैयार कर लिया गया है और जल्दी ही इसे पेश किया जायेगा.

इजराइल के Gay Couples भी अपने जुड़वां बच्चों को अब अपने देश ले जा सकेंगे. इजराइल सरकार ने उन बच्चों के  इजराइली  पासपोर्ट जारी कर दिए हैं. इस से पहले एक जेरुसलम कोर्ट ने उन्हें इजराइली नागरिकता प्रदान करने से इनकार कर दिया था. पर शायद यह अंतिम  उदाहरण होगा, किसी gay  couple के  द्वारा किसी भारतीय सरोगेट माँ का सहारा लेने का. Indian council of medical research ने स्वास्थ्य मंत्रालय को एक प्रारूप तैयार कर  के दिया है कि चूँकि भारत में gay और lesbian relation को मान्यता प्राप्त नहीं है इसलिए वे  भारत आकर सरोगेसी की प्रक्रिया के द्वारा बच्चा नहीं अपना सकते.  दुनिया  भर से बहुत सारे gay couple  भारत आ कर इस प्रक्रिया का सहारा ले रहें हैं. यह क़ानून लागू हो गया तो इस पर रोक लग जाएगी.

अब एक कुछ अलग सी खबर भारत से है.पता नहीं, नैतिकता  के सिपाही इसपर  क्या कहेंगे.

सूरत की एक माँ,  अपनी बेटी को triplets (तीन बच्चे)  का उपहार देने वाली है.भाविका का जन्म बिना   uterus के हुआ.छः वर्ष पूर्व भाविका ने सौरभ काठियावाड़ी से प्रेम विवाह किया. सौरभ विवाह से पूर्व जानते थे कि भाविका माँ नहीं बन सकती .विवाह के कुछ दिन बाद ये लोग बच्चा गोद लेने की सोचने लगे. पर दो वर्ष पूर्व डा.पूर्णिमा ने इन्हें सरोगेसी के बारे में बताया. इसके बाद ये लोग एक योग्य सरोगेट माँ की खोज में लग गए पर यह प्रक्रिया बहुत महँगी थी.

एक दिन भाविका की माँ शोभना चावड़ा  उनके घर आयीं. और खुद को सरोगेसी के लिए प्रस्तुत कर दिया. उनके बेटी और दामाद  आश्चर्यचकित भी हुए पर खुश भी बहुत हुए. अब वे triplets (तीन बच्चे) को जन्म देने वाली हैं. शोभना का कहना  है "इस से अच्छा उपहार मैं अपनी बेटी को नहीं दे सकती थी" भाविका का कहना है, "मेरे पास शब्द नहीं है माँ के प्रति अपनी भावनाएं व्यक्त करने के लिए

25 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही अच्छी जानकारियां दी ...अच्छा लगा जानकार.अभी कुछ समय पहले मैने भी एक खबर पढ़ी थी " माँ के बेटी के लिए सेरोगेट मदर बनने के बारे में ..तब भी नैतिकता को लेकर कई प्रश्न खड़े किये गए थे ,परन्तु उस परिवार को इस बात पर ख़ुशी भी थी और गर्व भी.अपनी अपनी सोच है ,परन्तु किसी अपने की ख़ुशी के लिए इस तरह का कोई भी कदम मेरी नजर में तो बुरा नहीं

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  2. नयी वैज्ञानिक तकनीकें मानवता के सामने कई नैतिक और धर्मसंकट भरी स्थितियां उत्पन्न करते हैं और कालांतर में नैतिकता की पुनर्रचना होती है ...मैंने गे कपल पर आपके पिछली पोस्ट पर चिंता जताई थी-इनके हाथों बच्चे का भविष्य कहाँ सुरक्षित होगा ? इनमें मातृत्व का अभाव तो रहेगा और वात्सल्य भाव भी नहीं होगा जो शैशव के लिए जरूरी है ...माँ की कोख में बेटी के पलने की भी खबर कोई नयी नहीं रही ,पिछले वर्षों एक एक गुजराती माँ यह उपहार अपनी बेटी -बेटे (दामाद ) को दे चुकी हैं ....और मेरी दृष्टि से इसमें कोई बुराई नहीं .....चलिए कम से कम इसी बहाने ही सही पैरेंट्स की कद्र और बढ़ जायेगी ! पर इसकी क्या गारंटी कि फिगर कांशस मनुश्यता बिला वाजिब वजह मातृत्व का भार अपनी भावी माओं पर न सौप दे ....और यह एक परिपाटी बन जाए ...मेरे मन में एक विज्ञानं कथा कौंध रही है ..इस प्रोजेक्ट पर (कथा प्रोजेक्ट ) पर हम काम कर सकते हैं -आपको आमत्रण !

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  3. @अरविन्द जी,
    'गे कपल ' के अच्छे अभिभावक ना बन पाने पर आपको चिंता है...पर कितने ही बच्चे बचपन में अपनी माँ को खो देते हैं और पिता अपना पूरा वात्सल्य उडेंल कर उनका पालन पोषण करते हैं और एक अच्छा नागरिक बनाते हैं.

    मेरे एक रिश्तेदार हैं जिनकी बड़ी बेटी ७ साल की और छोटी ४ साल की थी..तब उनकी पत्नी की मृत्यु हो गयी और वे अकेले दोनों बच्चियों को बड़ा कर रहें हैं और दोनों ही बहुत ही ज़हीन और संस्कारी हैं.

    माँ का अपनी बेटी के लिए सरोगेट मदर की भूमिका निभाना नया नहीं है पर यह अभी आम भी नहीं हुआ...और उनकी तस्वीरें भी मिल गयी थीं .इसलिए इसका उल्लेख कर दिया..

    लड़कियों के 'फिगर कॉन्शस' होने की वजह से माँ ना बनने की इच्छा रखने की चिंता आपकी बिलकुल निर्मूल है.

    आमंत्रण के लिए शुक्रिया...अवश्य किसी ऐसे प्रोजेक्ट में सम्मिलित होना चाहूंगी..अगर कुछ योगदान कर सकूँ .

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  4. सूरत की एक माँ, अपनी बेटी को triplets (तीन बच्चे) का उपहार देने वाली है.
    यह एक अच्छा उदाहरण है, ओर ऎसे उदाहरण हमारे यहां भी मिलते है, लेकिन आज कल ""सरोगेट मदर्स " के नाम पर जो जिस्म बेचने का काम भारत मै चलता है वो गलत है, विदेशो मै भी सरोगेट मदर्स मिलती है..... लेकिन उस मै बहुत से कानून शामिल होते है, वहां ऎयाशी का चांस नही होता... बस यही कारण है कि यह धंधा हमारे देश मै खुब फ़ल फ़ुल रहा है, इस मै कोई कुर्बानी या त्याग वाली या प्रोपकार वाली बात नही, बाकी सब की अपनी अपनी सोच है, अगर किसी को बच्चो से ज्यादा ही प्यार है तो विदेशो मै भी आनथाल्य है वही से यह बच्चा गोद ले सकते है.

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  5. सूरत की एक माँ, अपनी बेटी को triplets (तीन बच्चे) का उपहार देने वाली है.
    यह एक अच्छा उदाहरण है ओर इस मां को मै नमन करता हुं

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  6. bahut acchhi jankariya...ha.n mishra ji ki baat gay ka maatratv k abhav wali baat se me bhi sehmat nahi hu.

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  7. विलक्षण है ऐसा कर पाना।

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  8. अभी भारत के साधारण परिवारों के बीच में पला-बढ़ा समाज सेरोगेट का मतलब ज़्यादा नही समझ पता मगर विदेशों में एक महत्वपूर्ण चर्चित विषय बन चुका है यह.

    सेरोगेट मदर पर आपके पिछले आलेख को भी मैने पढ़ा था बहुत रोचक लगा था एक जानकारी भरी तथ्य से रूबरू हो पाया..बढ़िया लगा..

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  9. बहुत अच्छी जानकारी के साथ..... बहुत खूबसूरती से लिखा है आपने.... इस लेख की सबसे बड़ी ख़ास बात यह है कि .... बहुत सरल शब्दों में..... बहुत आसानी से समझाया है..... और मुद्दों पर लाईट दी है आपने..... अब सरोगेसी पर भी एक लेख इसी तरह लिख दीजिये.... ताकि आम जान को भी आपकी लेखनी का फायदा हो... यह पोस्ट बहुत अच्छी लगी.....

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  10. आज ही जर्मनी के दंपत्ति के बारे में मैंने भी पढ़ा था....अच्छी जानकारी है....गे कपल्स के बारे में कुछ नहीं कह सकती...विवाह एक सामजिक बंधन है...पर ऐसी शादियों का क्या भविष्य है इसका अंदाजा नहीं है....और जब भविष्य ही असुरक्षित हो तो बच्चों का क्या भविष्य होगा नहीं कहा जा सकता...

    एक माँ का बेटी को उपहार देना एक सुकून देने वाला उदाहरण है....

    अच्छी जानकारी के लिए आभार

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  11. हर एक रिसर्च के अपने फायदे नुकसान हैं, बात वही है कि कैसे उसका इस्तेमाल किया जाता है।

    मुझे भी लगता है कि गे-फे के चक्कर में बच्चे के सहजता, सरलता और वात्सल्य के मुद्दे पर नुकसान हो सकता है।

    बाकी तो जिस तरह से ट्रिपलेट आदि की बात है तो इस विधि का फायदा तो है, मानता हूँ।

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  12. @महफूज़ मियाँ आप तो भूले भटके कभी इस ब्लॉग पर चले आते हैं...पिछली पोस्ट पढ़ कर देखिए.

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  13. @सतीश जी, इतनी चिंता की बात नहीं..'.गे कपल' के उदहारण इक्का दुक्का ही होंगे,कभी आम नहीं होने वाले और भारत में तो कदापि नहीं. इसलिए हम क्यूँ चिंता करें.
    और मैने पोस्ट 'सरोगेसी' के समर्थन या विरोध में नहीं लिखी..जैसा अखबारों में पढ़ा रख दिया..बस जानकारी के लिए .

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  14. दो पोस्टों में आपने सरोगेसी की सारी जानकारी समेट दी।

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  15. Hi..

    I have thought to post my comment in Hindi but today too the net is very slow, hence I could not post my comment in Hindi..Sorry..

    Anyhow, Thanks for sharing the news regarding surrogate mothers. I personally feel that since the lesbian and gay relationships are not natural, hence the child if adopted through surrogacy too, would not find a secure future.

    Deepak..

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  16. अच्छी जानकारिया और विज्ञानं कथा प्रोजेक्ट के अनावरण का हमे इंतजार रहेगा....वैसे मै बनारस में ही हूँ , कहिये तो अरविन्द जी से कथावस्तु एक बार सुन लू., MOU पर हस्ताक्षर होने से पहले. हा हा हा .

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  17. @आशीष जी,
    उड़ा लीजिये मजाक...आप क्यूँ पीछे रहें...:)
    वो तो बस ऐसे विचार के बीज अरविन्द जी के मन में आए हैं...अभी पल्लवित-पुष्पित होने में बहुत समय लगेगा...अनुकूल हवा, पानी,खाद (समय ) भी तो चाहिए...मैं कहानी और उपन्यास लेखन में व्यस्त हूँ और अरविन्द जी अपने अनगिनत प्रोजेक्ट में.

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  18. पिछली और इस किश्त को मिलाकर वाकई बढ़िया जानकारी।
    शुक्रिया।

    बधाई अरविंद जी के साथ नए (वज्ञान) कथा प्रोजेक्ट के लिए

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  19. बहुत अच्छी जानकरी दी है और इसमें की गयी मेहनत से हमारा ज्ञानवर्धन हो रहा है. बस इसी तरह से कुछ न कुछ नया देती रहो हम इन्जार में रहतेहैं.

    सबसे अच्छी खबर तो माँ और बेटी के बारे में रही. वास्तव में इससे अच्छा उपहार और क्या हो सकता है?

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  20. आशीष जी ,
    सचमुच बनारस में है ? तो आईये न मिल कर पटकथा फ्रेम तैयार कर ही लिया जाय ..
    नो किडिंग ......नंबर नोट करिए .
    09415300706

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  21. अधिसंख्य लोग मुझे सरोगेसी के पक्ष में ही नज़र आ रहे हैं, लेकिन पता नहीं क्यों रश्मि, मैं मातृत्व के इस व्यवसायीकरण से सहमत नहीं हो पाती. मुझे कभी ये लीगल नहीं लगा. अपने नाती को नानी खुद जन्म दे.... शायद मैं बहुत पीछे हूं अभी. इस मामले में तो पीछे हूं ही.
    हां तुम्हारी पोस्ट बहुत तथ्यपरक और व्यवस्थित है.बधाई.

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  22. तीनों ही खबरें सुखद हैं.

    बेटी के लिए माँ का सेरोगेट मदर बनना - मुझे तो कोई बुराई नजर नहीं आती. नैतिकता की दुहाई देने वाले तो हर कार्य में कुछ न कुछ निकाल ही लेंगे किन्तु यह एक नई क्रांति का सुखद आगाज है.

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  23. परिवर्तन प्रकृति का नियम है ...अब कहा जाएगा है नहीं था ........और स्वाभाविक रूप से इन परिवर्तनों का विश्लेषण भी होगा ही । मदर सरोगेसी भी एक क्रांतिकारी परिवर्तन है । अभी इसके किसी भी परिणाम पर पहुंचना जल्दबाजी होगी । आपने जानकारी अच्छी जुटाई है ।

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