शुक्रवार, 5 अप्रैल 2013

एक ऐसा हिन्दू मंदिर जिसमे मुस्लिम महिला की पूजा होती है.

अभी संस्मरण श्रृंखला में ' रश्मि प्रभा ' जी की माता जी के मधुर संस्मरण पोस्ट करना बाकी है. पर आज 'टाइम्स ऑफ इण्डिया 'में एक इतनी अलग सी खबर पढ़ी कि बांटने का मन हो आया.

अहमदाबाद से चालीस किलोमीटर की दूरी पर 'झूलासन ' नामक  एक गाँव स्थित है. यह गाँव अंतिरक्ष यात्री 'सुनीता विलियम्स' के पिताजी का पैतृक गाँव है . इस गाँव की एक खासियत है. यहाँ पर एक मंदिर है और शायद यह एक अकेला  हिन्दू मंदिर है, जिसमें मुस्लिम महिला की पूजा की जाती है.

कहा जाता है कि २५० वर्ष  पहले 'डोला  ' नाम की एक मुस्लिम महिला ने उपद्रियों से अपने गाँव को बचाने के लिए उनसे बहुत ही वीरतापूर्वक लड़ाई की और अपने गाँव की रक्षा करते हुए अपनी जान दे दी. उनका शरीर एक फूल में परिवर्तित हो गया और उस फूल के उपर ही इस मंदिर का निर्माण किया गया.

अभी हाल में ही इस गाँव के अमीर निवासियों ने इस मंदिर को और भी भव्य बनाने के लिए चार करोड़ रुपये की राशि इकट्ठा की है. ' झूलासन केलवानी मंडल' के प्रेसिडेंट 'रजनीश वाघेला ' का कहना है, "यह सच है कि यह मंदिर एक मुस्लिम महिला की याद में बना है .इस मंदिर में कोई मूर्ति या कोई तस्वीर नहीं है. एक पत्थर पर एक यंत्र (शायद ताबीज़ ) रखा है और उसके ऊपर एक साड़ी ओढ़ा दी गयी है .और उसी की पूजा की जाती है

इस मंदिर को 'डॉलर माता' का मंदिर भी कहा जाता है .क्यूंकि ७००० की जनसंख्या वाले इस गाँव के १५०० निवासी अब अमेरिका के नागरिक हैं.

सुनीता विलियम्स जब अन्तरिक्ष यात्रा पर गयीं तो उनकी सुरक्षित वापसी के लिए इस मंदिर में एक अखंड ज्योति जलाई गयी जो चार महीने तक लगातार जलती रही.

धर्म के नाम पर कितनी  राजनीति होती है... कितनी बहसें ..कितने मनमुटाव और यहाँ एक  गाँव में सीधे-सच्चे मन वाले लोगों ने  बिना किसी का धर्म देखे ,उसके कर्मों को सराहा है . उसकी वीरता के लिए उसके बलिदान को याद करते हुए उसकी याद में एक मंदिर ही बना लिया है और अपनी कृतज्ञता उसकी पूजा करके व्यक्त करते हैं 
(साभार टाइम्स ऑफ इण्डिया )

20 टिप्‍पणियां:

  1. श्रद्धा के आगे सब नतमस्तक है ....

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  2. विश्वास का क्या.....आस्थाएं ही तो पत्थर को भगवान बनाती हैं...फिर डोला तो स्वयं भगवान बन आयीं थीं गाँव वालों के लिए.

    nice share!!

    अनु

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  3. ऐसे उदहारण बहुत कम ही देखने, सुनने या पढ़ने को मिलते हैं जो यह विश्वास दिला सकें कि इस दुनियाँ में इंसानियत अब भी बाकी है जो जात पात और धर्म से कहीं ऊपर उठकर केवल इंसान के कर्मों को देख पा रही है और साथ ही सम्मान भी दे रही है।

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  4. ऐसी ही ए‍क और सच्‍ची कहानी से मेरा सामना हुआ पिछले महीने । जल्‍द ही उस पर अपने ब्‍लाग यायावरी में लिखूंगा।

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  5. बहुत सी बहसे नकारात्मक पहलु ही उजागर करती है वर्ना सब प्यार से हने में विश्वास करते है और लिंग भेद भी इसी बहस की उपज बन जाती है ।

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  6. ये एक ख़बर है और रोचक भी है। लेकिन मैं इस तरह किसी को भी भगवान् बना कर पूजने के पक्ष में मैं नहीं हूँ। निसंदेह 'डोला' एक वीर महिला थीं, उनकी वीरता को मैं नमन अवश्य करुँगी लेकिन आराधना करने की बात मुझे नहीं समझ आई । यह बात ज़रूर क़ाबिले गौर है कि हिन्दू बिना जात-पात, धर्म को तवज़्ज़ो दिए हुए, सरल हृदय से सिर्फ कर्मों के आधार पर किसी को भी अपनाने का माद्दा रखते हैं। लेकिन हर वीर, हर करिश्माई शख्शियत की अराधना शुरू कर देना मुझे नहीं ठीक लगता है। दक्षिण में अभिनेत्री खुशबू का भी मंदिर बनाया गया जो एक मुस्लिम महिला है, रजनीकांत, सचिन तेंदुलकर ऐसे लोगों का भी अब मंदिर बन रहा है। ऐसी घटनाएं हमारे बाकी मंदिरों पर भी प्रश्न चिन्ह लगाते हैं, कहा जा सकता है शायद इन मंदिरों का भी आस्तित्व ऐसी ही किसी घटना के कारण हुआ हो। खैर ये तो मेरी सोच है, ज़रूरी नहीं सभी इससे इत्तेफाक रखें। बहरहाल एक बहुत अच्छी जानकारी दी तुमने, हमेशा की तरह।

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  7. रोचक जानकारी, वीरांगनाओं की याद में नाम पर राजस्थान, उत्तराखण्ड आदि में कई मन्दिर हैं।

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  8. वाकई अनूठी और रोचक खबर है मगर
    यह तय नहीं कर पा रही हूँ कि क्या इस प्रकार के विश्वास का समर्थन किया जाना चाहिए !!

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  9. बहुत ही रोचक प्रस्तुति,आभार.

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  10. कुछ राजनीतिक लोग गड़बड़ कर देते हैं नहीं तो आम भारतीय सदा से धर्म सहिष्णु ही रहे हैं।नकारात्मक बातों पर ज्यादा ध्यान जाता है वर्ना ऐसे उदाहरण ज्यादा है ।भारत में ही सबसे ज्यादा धर्म जन्में हैं।हमने उनके आराध्यों को भगवान कहा,अवतार कहा ।ये अलग बात है कि इम्प्रेक्टिकल होने की हद तक नास्तिक सेकुलर वामपंथियों ने इसे भी राजनैतिक षडयंत्र बता मारा ।लेकिन ऐसा मान भी लें तो क्या इससे आम हिंदुओं की भावनाएँ भी इनके प्रति गलत हो गई? और यदि यह राजनीति थी तो इन धर्मों के निर्माण को आप क्या कहेंगें?इस हिसाब से उनके पीछे तो टोटल राजनीति ही राजनीति दिखाई देगी जो कि वास्तव में थी भी।लेकिन क्या फायदा कुछ लोग तर्क केवल उतना ही करते है जितना उनकी विचारधारा के माफिक आता है तभी बहुसंख्यकों की उदारता को भी साजिश बता देते हैं।वैसे मैं अदा जी से सहमत हूँ।और रश्मि जी यदि कुछ भटकाव जैसा लगे तो कृपया इसे प्रकाशित न कीजिएगा ।

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    1. राजन तुम्हारी अधिकतर बातें मेरे सिर के ऊपर से निकल गई। रश्मि शायद न भटकी हो, हम तो एकदमे भटक गयी हूँ।

      हाँ एक बात पूरी तरह से समझ में आई है 'वैसे मैं अदा जी से सहमत हूँ' और इसी बात से खुस भी हूँ :)

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  11. रोचक ओर मत्वपूर्ण भी .. समाज में ऐसे कई उधारण मिल जाते हैं ...
    पर ये उधारण बन के ही रह जाते हैं ... काश भाई चारा दिलों में भी गहरा होता जाए ...

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  12. हिन्‍दू तो सभी की पूजा करते हैं, यही भाव सभी सम्‍प्रदायों में आ जाए तो देश में सौहार्द का वातावरण बने।

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  13. बड़ा ही रोचक तथ्य, आस्था कृतज्ञता से पोषित होती है।

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