नवम्बर 2010 में अमरीकी चैनल CNN ने 'अनुराधा कोइराला ' को अपना International Hero of the Year चुना. जैसा कि सरनेम से ज्ञात होता है....अनुराधा जी , नेपाल से हैं और पिछले 20 वर्षों से एक ऐसे सामाजिक कार्य में लगी हुई हैं...जिनके विषय में लोग बात करना भी नहीं चाहते और उसके अस्तित्व को भी अनदेखा करने की कोशिश करते हैं...और वो है...देह व्यापार से लड़कियों को बचाना.
1990 में अनुराधा जी ने मंदिर के बाहर भीख मांगती कुछ औरतों से उनके भीख मांगने का कारण पूछा...और उनलोगों ने बताया कि वे सब दैहिक हिंसा की शिकार हुई है...और उन्हें अब कौन नौकरी देगा. अनुराधा एक स्कूल में अंग्रेजी की शिक्षिका थीं..उन्होंने अपने वेतन के पैसे में से उनलोगों को सड़क के किनारे छोटी-मोटी चीज़ें जैसे सिगरेट...माचिस...टॉफी...आदि बेचने के लिए चीज़ें खरीदने को पैसे दिए.
उन्होंने दो कमरे का एक घर किराए पर लेकर इन औरतों और बच्चे के रहने की व्यवस्था की. धीरे-धीरे इस तरह की सताई हुई औरतें उनके पास सहायता के लिए आने लगी. उनके परिवार और समाज के लोग उन्हें पागल समझते थे जो देह व्यापार में संलग्न औरतों को इस से छुटकारा दिलाना चाहती थीं. (काश....ऐसा पागलपन हज़ार में से किसी एक को भी हो..पर यहाँ करोड़ों में कोई एक ऐसा पागल होता है)
जल्दी ही इनकी देख-रेख के लिए उन्हें अपनी नौकरी भी छोडनी पड़ी...अब, ना उनके पास कोई पैसा था और ना ही किसी तरह का सहारा. फिर भी इन सताई हुई औरतों के लिए कुछ करने का लगन और जुनून था. 1993 में उन्होंने 'मैती नेपाल ' की स्थापना की. मैती का अर्थ है, "माँ का घर" UNICEF से मदद मिली....और कुछ और लोगो ने आर्थिक सहायता की. 1993 में शुरू किए गए उस दो कमरे से बढ़कर विगत 17 वर्षों में नेपाल के 29 जिलो में 'मैती नेपाल' की शाखाएं हैं. और देश-विदेश में फैले हज़ारों स्वयंसेवक हैं. मैती नेपाल के दो अस्पताल और एक क्लिनिक भी हैं. अब तक 12000 लड़कियों को उन्होंने देह-व्यापार से बचाया है. जिसमे 12 लडकियाँ सउदी और कुवैत से भी हैं. वे किसी भी उत्पीडित महिला या बच्चे को ना नहीं कह पातीं...और मैती नेपाल उन सब बेसहारों का घर है.
अनुराधा कोइराला का कहना है कि "करीब दो लाख के करीब लडकियाँ आज भी....भारत के विभिन्न वेश्यालयों में हैं" इन लड़कियों को सीमा पार करते वक्त ही पकड़ने के लिए अक्सर देह-व्यापार से बचाई गयी लड़कियों को ही नियुक्त किया जाता है. भारत-नेपाल सीमा पर करीब 10 पॉइंट पर 50 लडकियाँ नज़र रख रही हैं. हैं. ये लडकियाँ खुद उस स्थिति से गुजर चुकी हैं...इसलिए ये तुरंत पहचान लेती हैं कि 'कौन सी लड़की देह-व्यापार के लिए ले जाई जा रही है.' सिक्युरिटी फ़ोर्स के जवानो से ज्यादा इनकी नज़र तेज होती है. औसतन रोज चार लड़कियों को बचाया जा रहा है.
Human trafficking असामाजिक तत्व ही करते हैं..और वे बहुत खतरनाक होते हैं. दो बार 'मैती नेपाल' के भवन को नष्ट किया जा चुका है. उसके स्वयंसेवकों पर हमले हो चुके हैं फिर भी इसके स्वयंसेवक पीछे नहीं हटते . ये लडकियाँ जानती हैं कि आगे कैसी कांटो भरी जिंदगी होती है..इसलिए ये अपने बहनों को बचाने के लिए तत्पर रहती हैं.
नेपाल में ' मैती नेपाल ' के इस संघर्ष से नेपाली लड़कियों को देह-व्यापार के लिए विभिन्न देशों में ले जाने के विरोध में काफी जागरूकता फैली. राजनीतिक पार्टियां इसे चुनावी एजेंडा बनाने लगीं. सरकार ने ५ सितम्बर कोAnti Trafficking Day घोषित कर दिया. human trafficking में संलग्न लोगों को अदालत से सजा दी जाने लगी.' मैती नेपाल' , अब तक 496 लोगों को सजा दिलवाने में सहायक हुई है.
देह-व्यापार से बचाए लड़कियों के पुनः जीवन की शुरुआत के लिए के लिए उन्हें तरहतरह के प्रशिक्षण दिए जाते हैं..जिस से वे अपनी आजीविका कमा सकें. समाज शास्त्रियों का कहना है कि अशिक्षा और गरीबी के करण ही लडकियाँ human trafficking का शिकार होती हैं...इसलिए गाँव-गाँव में लड़कियों की शिक्षा और आत्मनिर्भरता पर भी जोर दिया जा रहा है. हालांकि नेपाल में राजनीतिक आस्थिरता की वजह से इस मुहिम को अपेक्षित सफलता नहीं मिल रही है. फिर भी 'मैती नेपाल' के स्वयंसेवक गाँव-गाँव जाकर लोगो में human trafficking की असलियत बताते हैं. उन्हें किसी लोभ का शिकार ना बनने की सलाह देते हैं क्यूंकि अक्सर शहर में नौकरी के बहाने से एजेंट लड़कियों को गाँव से ले आते हैं .
हाल में ही CNN ने एक 50 मिनट की documentary बनाई है...जिसकी एंकरिंग डेमी मूर ने की है..इसमें अनुराधा कोइराला से बात करते हुए उनके संगठन 'मैती नेपाल' को जानने के साथ-साथ. देह-व्यापार से बचाई कुछ लड़कियों के इंटरव्यू भी हैं...जिन्हें सुन कर रोंगटे खड़े हो जाते हैं..."राधिका ने प्रेम-विवाह किया था. उसके प्रेमी ने पहले तो पैसों की खातिर उसे किडनी बेचने पर मजबूर किया...जब पैसे ख़त्म हो गए तो उसे बेच दिया. तीन साल पहले ही उसे कलकत्ता के एक वेश्यालय से मुक्त कराया गया पर उसके परिवार वाले ने उसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया. उस वेश्यालय की मालकिन ने उसके बेटे की जीभ जला दी क्यूंकि वो बहुत रोता था.
उसे 'मैती नेपाल' में ही आश्रय मिला.
नौ साल की गीता की कहानी तो और भी हृदयविदारक है जिसे मेकअप करके एक दिन में साठ आदमियों का सामना करना पड़ता था. मैती नेपाल की एक-एक लड़की की कहानी ऐसी ही लोमहर्षक है.
बासठ वर्षीया अनुराधा कोइराला का कहना है...'अभी बहुत काम बाकी है...जबतक नेपाल की सारी लड़कियों को उनके 'माँ के घर' वापस नहीं लाया जाता और बौर्डर के पार लड़कियों को भेजना नहीं रुक जाता..मेरा सपना पूरा नहीं होगा"
फिर भी उन्हें इस बात का संतोष है कि 'बचाई गयी एक भी लड़की वापस उस दोज़ख में नहीं लौटी है.'
जबकि अक्सर कहानी- उपन्यास- फिल्मो में दिखाया जाता है कि ऐसे हादसों से गुजरी लड़की समाज में कभी जगह नहीं बना पाती...और उसे फिर वहीँ लौटना पड़ता है.
www.cnn.com
1990 में अनुराधा जी ने मंदिर के बाहर भीख मांगती कुछ औरतों से उनके भीख मांगने का कारण पूछा...और उनलोगों ने बताया कि वे सब दैहिक हिंसा की शिकार हुई है...और उन्हें अब कौन नौकरी देगा. अनुराधा एक स्कूल में अंग्रेजी की शिक्षिका थीं..उन्होंने अपने वेतन के पैसे में से उनलोगों को सड़क के किनारे छोटी-मोटी चीज़ें जैसे सिगरेट...माचिस...टॉफी...आदि बेचने के लिए चीज़ें खरीदने को पैसे दिए.
उन्होंने दो कमरे का एक घर किराए पर लेकर इन औरतों और बच्चे के रहने की व्यवस्था की. धीरे-धीरे इस तरह की सताई हुई औरतें उनके पास सहायता के लिए आने लगी. उनके परिवार और समाज के लोग उन्हें पागल समझते थे जो देह व्यापार में संलग्न औरतों को इस से छुटकारा दिलाना चाहती थीं. (काश....ऐसा पागलपन हज़ार में से किसी एक को भी हो..पर यहाँ करोड़ों में कोई एक ऐसा पागल होता है)
जल्दी ही इनकी देख-रेख के लिए उन्हें अपनी नौकरी भी छोडनी पड़ी...अब, ना उनके पास कोई पैसा था और ना ही किसी तरह का सहारा. फिर भी इन सताई हुई औरतों के लिए कुछ करने का लगन और जुनून था. 1993 में उन्होंने 'मैती नेपाल ' की स्थापना की. मैती का अर्थ है, "माँ का घर" UNICEF से मदद मिली....और कुछ और लोगो ने आर्थिक सहायता की. 1993 में शुरू किए गए उस दो कमरे से बढ़कर विगत 17 वर्षों में नेपाल के 29 जिलो में 'मैती नेपाल' की शाखाएं हैं. और देश-विदेश में फैले हज़ारों स्वयंसेवक हैं. मैती नेपाल के दो अस्पताल और एक क्लिनिक भी हैं. अब तक 12000 लड़कियों को उन्होंने देह-व्यापार से बचाया है. जिसमे 12 लडकियाँ सउदी और कुवैत से भी हैं. वे किसी भी उत्पीडित महिला या बच्चे को ना नहीं कह पातीं...और मैती नेपाल उन सब बेसहारों का घर है.
अनुराधा कोइराला का कहना है कि "करीब दो लाख के करीब लडकियाँ आज भी....भारत के विभिन्न वेश्यालयों में हैं" इन लड़कियों को सीमा पार करते वक्त ही पकड़ने के लिए अक्सर देह-व्यापार से बचाई गयी लड़कियों को ही नियुक्त किया जाता है. भारत-नेपाल सीमा पर करीब 10 पॉइंट पर 50 लडकियाँ नज़र रख रही हैं. हैं. ये लडकियाँ खुद उस स्थिति से गुजर चुकी हैं...इसलिए ये तुरंत पहचान लेती हैं कि 'कौन सी लड़की देह-व्यापार के लिए ले जाई जा रही है.' सिक्युरिटी फ़ोर्स के जवानो से ज्यादा इनकी नज़र तेज होती है. औसतन रोज चार लड़कियों को बचाया जा रहा है.
Human trafficking असामाजिक तत्व ही करते हैं..और वे बहुत खतरनाक होते हैं. दो बार 'मैती नेपाल' के भवन को नष्ट किया जा चुका है. उसके स्वयंसेवकों पर हमले हो चुके हैं फिर भी इसके स्वयंसेवक पीछे नहीं हटते . ये लडकियाँ जानती हैं कि आगे कैसी कांटो भरी जिंदगी होती है..इसलिए ये अपने बहनों को बचाने के लिए तत्पर रहती हैं.
नेपाल में ' मैती नेपाल ' के इस संघर्ष से नेपाली लड़कियों को देह-व्यापार के लिए विभिन्न देशों में ले जाने के विरोध में काफी जागरूकता फैली. राजनीतिक पार्टियां इसे चुनावी एजेंडा बनाने लगीं. सरकार ने ५ सितम्बर कोAnti Trafficking Day घोषित कर दिया. human trafficking में संलग्न लोगों को अदालत से सजा दी जाने लगी.' मैती नेपाल' , अब तक 496 लोगों को सजा दिलवाने में सहायक हुई है.
देह-व्यापार से बचाए लड़कियों के पुनः जीवन की शुरुआत के लिए के लिए उन्हें तरहतरह के प्रशिक्षण दिए जाते हैं..जिस से वे अपनी आजीविका कमा सकें. समाज शास्त्रियों का कहना है कि अशिक्षा और गरीबी के करण ही लडकियाँ human trafficking का शिकार होती हैं...इसलिए गाँव-गाँव में लड़कियों की शिक्षा और आत्मनिर्भरता पर भी जोर दिया जा रहा है. हालांकि नेपाल में राजनीतिक आस्थिरता की वजह से इस मुहिम को अपेक्षित सफलता नहीं मिल रही है. फिर भी 'मैती नेपाल' के स्वयंसेवक गाँव-गाँव जाकर लोगो में human trafficking की असलियत बताते हैं. उन्हें किसी लोभ का शिकार ना बनने की सलाह देते हैं क्यूंकि अक्सर शहर में नौकरी के बहाने से एजेंट लड़कियों को गाँव से ले आते हैं .
हाल में ही CNN ने एक 50 मिनट की documentary बनाई है...जिसकी एंकरिंग डेमी मूर ने की है..इसमें अनुराधा कोइराला से बात करते हुए उनके संगठन 'मैती नेपाल' को जानने के साथ-साथ. देह-व्यापार से बचाई कुछ लड़कियों के इंटरव्यू भी हैं...जिन्हें सुन कर रोंगटे खड़े हो जाते हैं..."राधिका ने प्रेम-विवाह किया था. उसके प्रेमी ने पहले तो पैसों की खातिर उसे किडनी बेचने पर मजबूर किया...जब पैसे ख़त्म हो गए तो उसे बेच दिया. तीन साल पहले ही उसे कलकत्ता के एक वेश्यालय से मुक्त कराया गया पर उसके परिवार वाले ने उसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया. उस वेश्यालय की मालकिन ने उसके बेटे की जीभ जला दी क्यूंकि वो बहुत रोता था.
उसे 'मैती नेपाल' में ही आश्रय मिला.
नौ साल की गीता की कहानी तो और भी हृदयविदारक है जिसे मेकअप करके एक दिन में साठ आदमियों का सामना करना पड़ता था. मैती नेपाल की एक-एक लड़की की कहानी ऐसी ही लोमहर्षक है.
बासठ वर्षीया अनुराधा कोइराला का कहना है...'अभी बहुत काम बाकी है...जबतक नेपाल की सारी लड़कियों को उनके 'माँ के घर' वापस नहीं लाया जाता और बौर्डर के पार लड़कियों को भेजना नहीं रुक जाता..मेरा सपना पूरा नहीं होगा"
फिर भी उन्हें इस बात का संतोष है कि 'बचाई गयी एक भी लड़की वापस उस दोज़ख में नहीं लौटी है.'
जबकि अक्सर कहानी- उपन्यास- फिल्मो में दिखाया जाता है कि ऐसे हादसों से गुजरी लड़की समाज में कभी जगह नहीं बना पाती...और उसे फिर वहीँ लौटना पड़ता है.
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मैती नेपाल के बारे में मुझे तब पता लगा था जब मैं एक शादी में नेपाल गया था ... दुनिया का तो नहीं पता लेकिन भारत में नेपाली लड़की को अलग नज़र से ही देखा जाता है.... अनुराधा कोइराला जी के प्रयास से नेपाल में तो जागरूकता आई है लेकिन अभी बहुत कुछ किया जाना है... भारत मित्र देश होने के नाते भी नेपाली लड़कियों के बारे में नज़रिया में बदलाव नहीं आया है.... बढ़िया आलेख...
जवाब देंहटाएंऐसे समाज सुधारकों को मेरा दिल से सलाम। बहुत अच्छी जानकारी दी आपने, इसलिए आपको भी सलाम।
जवाब देंहटाएंmera naman aur salaam
जवाब देंहटाएंजब विडियो देखा था एक ही बात मन में आई थी ..हम हर बुराई से यह कहकर पल्ला झाड लेते है "ये कभी दूर नहीं हो सकती " . पर सब संभव है ...हैट्स ऑफ
जवाब देंहटाएंअनुराधाजी को नतमस्तक सलाम..रश्मि आपके लेख ने रियाद और दुबई के अंधेरे कोनों की याद दिला दी..
जवाब देंहटाएंअनुराधा कोइराला और उनकी संस्था ’मैती नेपाल’ के बारे में जानकर अच्छा लगा. अनुराधा जी को नमन.
जवाब देंहटाएंउनका कदम प्रेरक एवं अनुकरणीय है...आपका आभार इस जानकारी के लिए.
अनुराधा कोईराल को कोटि-कोटि नमन। आपका आभार इस पोस्ट के लिए।
जवाब देंहटाएंरश्मि जी!
जवाब देंहटाएंसही अर्थों में अनुराधा जी जैसी महिलाएँ ही "हीरो" हैं... महिलाओं ने जब जब ऐसे क़दम उठाए हैं, क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं समाज में.. अब चाहे वो 'गुलाबी गैंग' हो या सुदूर उत्तर-पूर्व में नशाखोरी के विरोध में अपने पुरुषों की पिटाई करने वाली महिलाओं का आन्दोलन...
ऐसा ही एक इण्टरव्यू या शायद यही इण्टरव्यू मैंने भी देखा था टीवी पर... और यह भी याद है कि पूरा नहीं देख पाया था..
रश्मि जी, धन्यवाद आपका इस प्रस्तुति के लिये!!
एक जरूरी आलेख प्रस्तुत करने के लिये शुक्रिया! जबरिया हो रहे अत्याचार के खिलाफ अनुराधा कोइराला के प्रयास को नमन!
जवाब देंहटाएंमहिलाओं की एकजुटता सर्वाधिक प्रतिरोधी होगी इस लड़ाई में और वही किया उन्होंने!
पर जिस देश में यह कर्म लीगलाइज है, वहां के बारे में क्या ख्याल है आपका??
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस का कहनाम है एक बार का:
“ जस्टिस दलवीर भंडारी और एके पटनायक की बेंच ने सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रrाण्यम से कहा, ‘आप इसे दुनिया का सबसे पुराना पेशा बताते हैं, साथ ही आप इस पर कानूनन रोक लगाने, सेक्स वर्करों के पुनर्वास और उन्हें चिकित्सा सहायता देने में असमर्थता जताते हैं।’ बेंच ने कहा कि महिलाओं की तस्करी को रोकने का सबसे अच्छा विकल्प यह होगा कि इस पेशे को कानूनी जामा पहना दिया जाए। बेंच ने कहा कि दुनिया में कहीं भी वेश्यावृत्ति पर सख्त कानून के जरिए रोक नहीं लगाई जा सकी है। इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि वे इस मामले को देखेंगे।”[~ http://www1.bhaskar.com/2009/12/10/091210012924_supreme_court_sex.html]
विषयांतर लगे तो कमेंट डेल कर देना आपका अधिकार है!
आभार!!
मैती नेपाल अपने कार्यों में सफल हो। निर्धनता समाज पर अभिशाप न बने।
जवाब देंहटाएंऐसे प्रयासों की चर्चा और सराहना हर वक्त जरूरी है।
जवाब देंहटाएंबहुत नेक और बहादुरी का कार्य कर रही हैं अनुराधा जी ।
जवाब देंहटाएंलेकिन अफ़सोस शैतान हमेशा इन्सान से आगे चलता है । अभी भी लाखों लड़कियां दुर्भाग्यपूर्ण जीवन जी रही हैं ।
समाज में यह सब भी है, इसी से समाज कसयम है. लेकिन इस ओर देखने में कम की ही रुचि होती है.
जवाब देंहटाएंअनुराधा कोईराल सही में एक "हीरो" हैं..विडियो भी देखा मैंने अभी.
जवाब देंहटाएंअनुराधा कोईरालाजी के इस नेक व साहसी अभियान को शत् शत् नमन...
जवाब देंहटाएंइसके बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं थी।
जवाब देंहटाएंअनुराधा कोइराला और उनकी संस्था ’मैती नेपाल’ के बारे में जानकर बहुत अच्छा लगा। अनुराधा जी को सादर नमन।
आपका आभार इस जानकारी को हमसे शेयर करने के लिए।
फेसबुक पर किसी ने सीएनएन वाला विडिओ शेयर किया था. बहुत छू लेने वाला सा विडिओ है.
जवाब देंहटाएंउनका कदम प्रेरक एवं अनुकरणीय है.....उनके बारे में पहले से जानकारी थी कुछ और जानकारी आपकी पोस्ट से मिली ...धन्यवाद
जवाब देंहटाएंअनुराधा जी का कार्य बहुत ही प्रेरणादायक है ...गन्दगी और बुराई से सिर्फ दूर भागते रहने से उसे ख़त्म नहीं किया जा सकता , ईमानदार प्रयास की जरुरत भी होती है ...और इस काम के लिए सिक्यूरिटी और पुलिस पर निर्भर होने की बजे खुद पहल करना वाकई बहादुरी का काम है ...इनका परिचय देने के लिए बहुत आभार ...
जवाब देंहटाएंवही एक प्रश्न ये भी है की भौतिक लालसाओं और लालच की पूर्ति के लिए जो लडकिय स्वेच्छा से इस कार्य को करती हैं , उनका क्या ...
भारत को भी अनुराधा चाहिए .... यहाँ बहुत दुर्दशा है !
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको
अनुराधा कोइराला के इस मुहिम को आपने भी प्रमुखता दी -कितनी अच्छी बात है !
जवाब देंहटाएंनमन है इस प्रेरक व्यक्तित्व को।
जवाब देंहटाएंकेवल कानून के सहारे किसी बुराई को रोका नहीं जा सकता, अच्छाई को स्थापित नहीं किया जा सकता। इस के लिए समाज में इच्छाशक्ति चाहिए। वही इच्छाशक्ति क्षीण हो रही है भारतीय समाज में। संगठन भी चाहिए जो भारतीय समाज को सुधारते हुए आगे ले जा सके। कानून को लागू करने के लिए भी समाज की इच्छाशक्ति चाहिए। सरकार का हाल तो यह है कि भ्रष्टाचार पर अंकुश के लिए लोकपाल बिल इस तरह बनाए जाने की कोशिश है जिस से भ्रष्टाचारी संरक्षण प्राप्त करें।
जवाब देंहटाएंअनुराधा कोईराला ने इच्छाशक्ति का प्रदर्शन किया। कुछ लोग साथ लगे। संगठन हुआ तो मैती नेपाल सामने आया।
सबसे पहले अनुराधा कोइराला जी को सलाम |
जवाब देंहटाएंहर सामजिक लड़ाई की शुरुआत काफी छोटी ही होती है और हिम्मत और उत्साह उसे बड़ा बना देता है | अनुराधा जी और उनके काम के बारे में जान कर बहुत अच्छा लगा उनकी जानकारी हमतक पहुँचाने के लिए धन्यवाद |
पढ़ कर अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंरश्मि जी बहुत कडवी सच्चाई उजागर की है और अनुराधा जी की लगन और इच्छाशक्ति तो एक मिसाल है……………आज उनकी यहां भी बहुत जरूरत है। अभी इसी विषय पर कुछ लिखा है मैने भी जब लगाऊँगी तब बताऊंग़ी।
जवाब देंहटाएंanuradha ji ke bare me pahle bhi padha tha. bahut prerak vyaktitav hia unka...
जवाब देंहटाएंaapke dwara punh parichay hua dhanywaad.
अनुराधाजी की हिम्मत, हौसले और जज्बे को कोटिश: सलाम ! वे सच्चे अर्थों में मानवता की सेवा कर रही हैं और उन्हें इस नेक कार्य के लिए कितनी दुआएं और शुभकामनाएं मिलती होंगी इसका आकलन करना सहज नहीं है ! ऐसी पुण्यात्माओं की वजह से ही धरती पर संतुलन बना हुआ है ! उनका यह अभियान सफलता की नित नई बुलंदियों को छुए यही शुभकामना है ! उनका परिचय देकर आपने भी जो महत्वपूर्ण कार्य किया है उसके लिए आपका आभार !
जवाब देंहटाएंअनुराधा जी के जज्बे को सलाम।
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