बहुत बहुत आभार अभिषेक अजात । आपने किताब पढ़ी, अपनी प्रतिक्रिया लिखी और फिर मेरी मित्र सूची में शामिल हुए । मैने पहले भी कहा है, कोई पुरुष इस पुस्तक को पसन्द करे तो मुझे अतिरिक्त खुशी होती है ,और वो भी कोई युवा ,जिन्होंने इस तरह की समस्याओं को देख सुना नहीं होता ।पर किसी का संघर्ष समझने क लिए सिर्फ एक संवेदनशील मन होना चाहिए ।
पुनः शुक्रिया.
"काँच के शामियाने "
कभी-कभी कुछ चीजें अचानक ही घट जाती हैं आप उनके लिए तैयार नहीं होते हैं पर उन्होंने होना होता है और वो होती हैं, मेरे लिए ऐसी ही एक घटना Rashmi Ravija जी के उपन्यास "कांच के शामियाने" को पढना है। कुछ ऐसी कहानियां होती हैं जो हमेशा के लिए अपनी छाप छोड़ जाती हैं एक शामियाना आपके जेहन में लगा जाती हैं।
रश्मि जी ने बिहार की आंचलिक भाषा के साथ जो शिल्प रचा है वो बहुत सामान्य सी रोजमर्रा की जिंदगी है लेकिन उस जिंदगी को जीने के लिए जिस जिजीविषा की आवश्कता है उस संघर्ष को पूरा स्पेस देना इस उपन्यास को कमाल बनाता है।
किसी भी उपन्यास की ताकत इस बारे में छुपी होती है कि वो कितनी सिटिंग में पूरा किया गया, मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि बिना कोई सस्पेंस थ्रिलर हुए ये कथानक आप बिना खत्म किये हुए छोड़ नहीं पायेंगे जबकि उपन्यास का अंत आपको मालूम है लेकिन तब भी आप उन किरदारों की यात्रा को महसूस करेंगे।
इस उपन्यास की कहानी हमारे समाज के बीच की ही है। इसमें वह सच है, जिससे आंखें चुराने की, उसे नकारने की कोशिश की जाती है। बहुत सी किताबें आपको जानकारी दे जाती हैं बहुत सी किताबें आपका मनोरंजन कर जाती हैं लेकिन कम ही किताबें ऐसी होती हैं जो आपको एक इंसान बनाने की ओर एक कदम आगे ले जाये।
#काँच_के_शामियाने
पुनः शुक्रिया.
"काँच के शामियाने "
कभी-कभी कुछ चीजें अचानक ही घट जाती हैं आप उनके लिए तैयार नहीं होते हैं पर उन्होंने होना होता है और वो होती हैं, मेरे लिए ऐसी ही एक घटना Rashmi Ravija जी के उपन्यास "कांच के शामियाने" को पढना है। कुछ ऐसी कहानियां होती हैं जो हमेशा के लिए अपनी छाप छोड़ जाती हैं एक शामियाना आपके जेहन में लगा जाती हैं।
रश्मि जी ने बिहार की आंचलिक भाषा के साथ जो शिल्प रचा है वो बहुत सामान्य सी रोजमर्रा की जिंदगी है लेकिन उस जिंदगी को जीने के लिए जिस जिजीविषा की आवश्कता है उस संघर्ष को पूरा स्पेस देना इस उपन्यास को कमाल बनाता है।
किसी भी उपन्यास की ताकत इस बारे में छुपी होती है कि वो कितनी सिटिंग में पूरा किया गया, मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि बिना कोई सस्पेंस थ्रिलर हुए ये कथानक आप बिना खत्म किये हुए छोड़ नहीं पायेंगे जबकि उपन्यास का अंत आपको मालूम है लेकिन तब भी आप उन किरदारों की यात्रा को महसूस करेंगे।
इस उपन्यास की कहानी हमारे समाज के बीच की ही है। इसमें वह सच है, जिससे आंखें चुराने की, उसे नकारने की कोशिश की जाती है। बहुत सी किताबें आपको जानकारी दे जाती हैं बहुत सी किताबें आपका मनोरंजन कर जाती हैं लेकिन कम ही किताबें ऐसी होती हैं जो आपको एक इंसान बनाने की ओर एक कदम आगे ले जाये।
#काँच_के_शामियाने
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (01-02-2019) को "ब्लाॅग लिखने से बढ़िया कुछ नहीं..." (चर्चा अंक-3234)) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 01/02/2019 की बुलेटिन, " देश के आम जनमानस का बजट : ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंThanks for sharing with us
जवाब देंहटाएंPKMKB
sports KiteSurfing
जवाब देंहटाएंlifestyle matters