आप लोगों ने सब्जी काटना.. फल काटना सुना होगा और काटे भी होंगे. पर कभी किसी को किशमिश काटते सुना है ??.हमने भी नहीं सुना था, जबतक 'तंगम ' से दोस्ती नहीं हुई थी. क्रिसमस के समय 'तंगम' को बहुत सारे केक के ऑर्डर मिलते हैं और 'तंगम' केक में बाकी मेवों के साथ किशमिश भी काट कर ही डालती है तो हम सब सहेलियाँ एक महीने पहले से बारी-बारी से उसके घर जाकर मेवे काटने में उसकी मदद करते हैं. उसके पतिदेव हम सबको उकसाते रहते हैं कि तंगम से हम इन मेवों को काटने का मेहनताना लिया करें. पर तंगम तो हमारी मेहनत का मोल चुका देगी...लेकिन सालो भर जो इतने प्यार से हमें केक-पेस्ट्री-बिस्किट्स खिलाती है...उस प्यार का मोल हम कहाँ से चुकायेंगे?? बल्कि यही वजह है कि इतना वॉक और योगा करने के बाद भी 'वेइंग स्केल' की सूई टस से मस नहीं होती :):)
मुझे बहुत आश्चर्य हुआ और मैने उस से विस्तार से पूछा कि उसने कब और कैसे केक बनाना शुरू किया??...और यह सब जानने के बाद से ही मेरी इच्छा थी कि ब्लॉग पर शेयर करूँ...कि उम्र के किसी भी मोड पर नई शुरुआत की जा सकती है और सफलता की ऊँचाइयों तक पहुंचा जा सकता है. तंगम जब कॉलेज में थी तो उसकी तमन्ना एयरहोस्टेस बनने की भी थी...उसने क्वालिफाई भी कर लिया था ..पर परिवार से इज़ाज़त नहीं मिली . फिर उसने सोचा कि वो एक बुटिक कम पार्लर खोलेगी..जहां महिलाएँ...शॉपिंग भी कर सकेंगी और अपने सौन्दर्य की देखभाल भी .पर २२ साल की कच्ची सी उम्र में उसकी शादी हो गयी और वो चेन्नई से मुंबई आ गयी. नया शहर... नई भाषा {आज भी तंगम हिंदी में सिर्फ सब्जी वालों से ही बात करती है और इतने धीमे से प्यार से पूछती है.."भैया, ये कैसे दिया.?.' कि सब्जी वाला सुनता ही नहीं...फिर हमें जोर से पूछकर उसकी सहायता करनी पड़ती है :):)}. साल के छः से आठ महीने उसके पति 'शिप' पर रहते हैं .(वे मर्चेंट नेवी में हैं ). ज्यादातर समय अकेले ही अपने बेटे और बेटी की देखभाल करती .पर उसे अपना सपना याद था और उसने ब्यूटीशियन का कोर्स किया . ब्यूटी पार्लर खोलने के लिए सारे जरूरी उपकरण ख़रीदे और घर में ही पार्लर खोल लिया. पर बच्चे छोटे थे .उनको माँ का पूरा अटेंशन चाहिए था. जब वो किसी क्लाइंट को अटेंड कर रही होती उसी वक़्त पांच वर्षीय बेटा चीखना शुरू कर देता. कुछ ही दिनों में उसे बच्चों का ख्याल कर पार्लर बंद कर देना पड़ा.
वो बच्चों की देखभाल में पूरी तरह संलग्न थी. उन्ही दिनों उसकी एक सहेली ने अपने बेटे के बर्थडे पार्टी पर मदद करने के लिए अपने घर बुलाया . उसकी सहेली ने खुद ही केक बनाया था और उसकी आइसिंग कर रही थी. उसकी सहेली के बच्चे भी बड़े उत्साहित थे और केक को सजाने में अपनी माँ की मदद कर रहे थे. तंगम बहुत प्रभावित हुई और सोचा वो कोशिश करे तो इस से भी अच्छा केक बना सकती है. कुछ ही दिनों बाद , उसके माता-पिता के शादी की 'पचासवीं वर्ष्गांठ' थी. वर्षगाँठ वाले दिन तंगम के घर पर ही कुछ रिश्तेदारों की छोटी सी पार्टी थी . दस दिनों के बाद होटल में बड़ी पार्टी थी. जिसमे देश और विदेश से उसके काफी रिश्तेदार आने वाले थे. घर वाली पार्टी में तंगम ने खुद ही केक बनाने की सोची. पर उस समय उसके पास अवन भी नहीं था. उसने बाजार से स्पंज केक ख़रीदा और आइसिंग का सारा सामान भी खरीद कर लाई. देर रात तक जागकर केक को सजाया. उसके पति भी पूरे उत्साह से उसका साथ देते रहे. सारे रिश्तेदारों ने केक की बहुत तारीफ़ की .और दूसरे ही दिन पति के साथ जाकर वह अवन खरीद लाई. (अवन से सम्बंधित एक रोचक वाकया है...मैं जब पहली बार 'तंगम' के घर गयी तो सबसे पहले उसका अवन देखने की इच्छा जाहिर की...मुझे लगता था इतने बढ़िया प्रोफेशनल तरीके से केक बनाने का अवन भी कुछ अलग सा होता होगा, पर हैरानी हुई ये देख उसके पास भी वही अवन था जो मेरे पास था.....और आम घरों में होता है...यानि कि बढ़िया केक बनाने का हुनर उसके हाथों में था..अवन में नहीं )
अब तंगम का ट्रायल एंड एरर शुरू हुआ. उसके साथ एक मजेदार बात और हुई थी. जब एंगेजमेंट के बाद उसके होने वाले पति ने फोन कर के पूछा.."तुम्हारे लिए क्या उपहार लाऊं?"
तंगम को कुछ समझ नहीं आया. उसने किसी के घर पर चमकीले चिकने कागज़ वाली केक के सुन्दर तस्वीरों से सजी विदेशी रेसिपी बुक देखी थी. और उसी की फरमाइश कर डाली. पतिदेव ने भी बड़ी मेहनत से छांटकर केक बनाने के सरल तरीकों वाली किताब खरीदी और उसे भेंट की. इतने दिनों तक वो किताब बक्से के निचली तह में रखी हुई थी. अब तंगम ने उस किताब को निकाला ...और उसमे से पढ़ पढ़ कर केक बनाना शुरू किया.
उस बड़ी पार्टी में भी इस बार तंगम ने खुद ही केक भी बनाया और उसको डेकोरेट भी किया. सबको केक का स्वाद और सज्जा बहुत पसंद आई. दस दिनों बाद ही उसके एक रिश्तेदार की बेटी की शादी थी. कैथोलिक लोगों में केक का बहुत महत्व होता है. उसकी रिश्तेदार ने लंदन से कलर और सजाने का समान मँगा कर एक प्रोफेशनल बेकर को दिए थे. पर उस शादी में सबकी जुबान पर कुछ ही दिनों पहले तंगम के बनाये केक की चर्चा ज्यादा थी और सबका कहना था कि तंगम के बनाए केक का स्वाद और सज्जा दोनों इस प्रोफेशनल बेकर के केक से ज्यादा बढ़िया था. इसके बाद से ही किसी भी अवसर पर रिश्तेदार...दोस्त ..पड़ोसियों के लिए केक तंगम ही बनाती. उसने कई किताबें खरीदीं...इंटरनेट से भी हमेशा नई नई चीज़ें सीखने की कोशिश करती रही. करीब चार साल के बाद...लोग उसपर ऑर्डर से केक बनाने के लिए जोर डालने लगे और तंगम ने केक बनाने का ऑर्डर लेना शुरू कर दिया.
अब वो इतनी सिद्धहस्त हो गयी है कि उसे जो भी तस्वीर दिखाओ..वो वैसा ही केक बना देती है. किसी की बेटी को सैंडल पसंद है तो सैंडल की आकृति...किसी सहेली को पर्स पसंद है तो..पर्स की आकृति...किसी भी चीज़ की आइसिंग बनाने में वो सक्षम है...और डेकोरेशन के उपयोग में लाई सारी चीज़ें खाई जा सकती हैं.
फेसबुक पर उसने केक की बहुत सारी तस्वीरें अपलोड कर रखी हैं.(यहाँ देखी जा सकती हैं ) उन्हें ही देख कर हैदराबाद से एक महिला ने अपनी बेटी की शादी में केक बनाने के लिए उसे निमंत्रित किया. आने जाने का प्लेन का टिकट और एक अच्छे होटल में उसके ठहरने की व्यवस्था भी की. अगर तंगम फ्री ना हो तो लोग अपनी पार्टी का डेट आगे बढ़ा देते हैं.
तंगम को कई बेकरी से उनके लिए केक बनाने का ऑफर मिला है.पर वो अपनी मर्जी से और अपनी सुविधा और अपनी शर्तों पर काम करना चाहती है इसलिए उनका ऑफर स्वीकार नहीं करती.
तंगम के विषय में कुछ और बातें बहुत ही उल्लेखनीय हैं. जब उसके बच्चे छोटे थे तो वो अपना विशेष ख्याल नहीं रख पाती थी और उसका वजन बढ़ गया था. एक बार रास्ते में किसी ने उसे टोक दिया.."वो पहचान में नहीं आ रही है' और उसने ठान लिया उसे अपना वजन कम करना है.पर उसने ना तो जिम ज्वाइन किया ना ही..डायटिंग की. सिर्फ अपने खाने-पीने का ख्याल रखा और वॉक किया करती. तीन साल में उसने अपना वजन पंद्रह किलो घटा लिया. अब दस साल हो गए हैं और आज भी उसका वजन उतना ही है. अगर वो खुद नहीं बताये तो कोई नहीं जान सकता वो कभी ओवरवेट भी थी.यही अगर डायटिंग और जिम जाकर वजन घटाया जाए तो पुनः वापस वजन बढ़ते देर नहीं लगती. आज तंगम को देख कर कोई नहीं कह सकता कि उसका तेइस साल का एक बेटा है. इसमें उसके खुशमिजाज स्वभाव का भी हाथ है.
तंगम के सारे भाई-बहन..अमेरिका..कनाडा.. ऑस्ट्रेलिया में रहते हैं. लिहाजा उसकी माँ तंगम के पास ही रहती हैं. पति भी शिप पर रहते हैं .बेटे ने भी मर्चेंट नेवी ही ज्वाइन कर लिया है. अकेली ही तंगम अपनी 'बुजुर्ग माँ' की देखभाल करती है .डॉक्टर, ब्लड टेस्ट..हॉस्पिटल का चक्कर चलता ही रहता है,अकेले ही सब संभालती है और वो कहती है...बहन-भाई ने अपने पास ले जाने की कोशिश की पर अब माँ का वहाँ कैसे मन लगेगा...इसलिए माँ तो मेरे पास ही रहेंगी
तंगम जैसी महिलाएँ कोई शिकायत नहीं करती...कैसी भी परिस्थिति सामने हो..उसे अपने अनुकूल बनाने की कोशिश करती हैं..और उसी में अपनी राह तलाश कर शिखर तक पहुँचने का प्रयास करती हैं. ऐसी महिलाएँ ही समाज में परिवर्तन लाने की काबिलियत रखती हैं . उन्हें अपने अधिकार का भी पता होता है और वे अपने कर्तव्य निभाने से भी नहीं चूकतीं.
तंगम के कलात्मक केक के कुछ और नमूने
वाह जी तंगम जी के साथ यह संगम बहुत मजे़दार रहा,बिलकुल उनके तरह तरह के केक की तरह ही। और आपने अपनी लेखनी से उनके इस विवरण में किशमिश भी लगा दी है।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया :)
हटाएंआप लोगों का neighbour होना भी जैसे ज़िंदगी की जानी-मानी कई ख़ुशियों में से एक खुशी हो ...
जवाब देंहटाएं'तंगम' जी की जितनी तारीफ़ की जाए कम है...किसी उल्लेखनीय महिला का जब कभी जिक्र होगा 'तंगम' जी को ज़रुर याद कर लेंगे ...और रश्मि जी आपने भी क्या आलेख लिखा है उन पर कि उनके बारे में जैसे कुछ कहने को बाकी न रखा हो...और जो कहा गया है उसे तो स्नेह की ही भाषा कहें...
तुम्हारी भाषा भी सुरेख है जो आँखों को भी भाए और जिसे पढ़ने पर मन भी प्रसन्न हो...
वीक एंड की एक बेहतरीन प्रस्तुति और 'तंगम' जी का वैसा ही क्लास्सिक एवं यादगार सा शब्द चित्र...
सचमुच किस्मत से ऐसे neighbour और ऐसे दोस्त मिलते है...
हटाएंइतने तरह के केक..
जवाब देंहटाएं:)
हटाएंदुनारा पढ़ा , कमाल कि जादुई महिला है !
जवाब देंहटाएंसही में जादुई उँगलियों वाली जादुई महिला...
हटाएंआज आपकी लेखनी खुश कर दी .... !!
जवाब देंहटाएंतंगम जी के बारे में जान कर बहुत प्रसन्नता हुई .... !!
शुक्रिया :)
हटाएंgurrrrrrrrrr ये क्या बात हुई इस समय इस तरह कि पोस्ट देना का, वो भी इस तरह की इतनी सारी फोटो लगा कर :( हमारी डाइटिंग की तो हवा निकाल गई ना, अब लालचा के मारे फ्रिज से निकाल कर बेटी की चाकलेट चाट कर रहे है अब हमरे वजन का क्या होगा महीने भर की सुबह की चहलकदमी हो गई बेकार gurrrrrrrrrrrrrrrr
जवाब देंहटाएंऔर हमारे वॉक और योगा की रोज वाट लगती है वो :)
हटाएंमुझे मीठा ज्यादा पसंद नहीं...पर तंगम के केक रेजिस्ट कर पाना बहुत मुश्किल..:)
केक के चित्र तो इतने खूबसूरत हैं कि इन्हें काटकर खाने का मन ही नहीं करेगा।:)
जवाब देंहटाएंहाँ,कई बार सजावट को काटने का मन नहीं होता......ये ऊपर चित्र में जो सैंडल वाला केक है...वो सैंडल बहुत दिनों तक शर्मिला की बेटी ने ने अपने फ्रिज में रखा था और फिर उस सैंडल को तोड़ तोड़ कर खाया..:)
हटाएंवाह! बहुत खूबसूरत.... पर जूते खाने का मन नहीं है ;)
जवाब देंहटाएंऔर सैंडल ??:):)
हटाएंआई एम् सो वेरी प्राउड ऑफ़ तंगम...मज़ा आगया...न वो सिर्फ़ एक अच्छी बेकर हैं बहुत अच्छी बेटी भी हैं...मेरी ओर से सलाम कहना.. अब किसी दिन केक खाना ही पड़ेगा...
जवाब देंहटाएंएक बात है अपने माँ-बाप की देख भाल का अपना ही आनंद है...मुझे बड़ा मज़ा आता है जब मैं अपनी माँ की माँ बन जाती हूँ..:):)
निहायत उम्दा पोस्ट...हमेशा की तरह..
प्राउड करने वाली बात तो है और लोग कहते हैं...लडकियाँ जिम्मेवारी नहीं लेतीं.....
हटाएंबहुत सुन्दर तरीके से आपने तंगम जी का परिचय करवाया.....
जवाब देंहटाएंspecial post for a very special lady..........
mallus rock !!!!
:-)
anu
She is not a mallu...she is tamilian catholic :)
हटाएंi'm half mallu half tambram
हटाएं:-)
Hv rightly guessed that :)...either u r married to a mallu or mst b offspring of sm Malyalam gentleman or lady..:)
हटाएं@summary..its nt racism..like u she too has said it in a good humor :)
Lovely !
जवाब देंहटाएंthanx :)
हटाएंप्रेरक संस्मरण और प्रेरक चरित्र !
जवाब देंहटाएंआभार आपका..
हटाएंफिलहाल तो बस चित्र देख कर ही तारीफ कर सकते हैं.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
हटाएंयह तो वास्तव में कमाल की कला है .
जवाब देंहटाएंलगता है , मुंबई आना पड़ेगा , केक खाने . :)
स्वागत है.. डा. दराल :)
हटाएंऐसी ही होती हैं महिलाएं, एक से बढ़कर एक कलाकार। बस उन्हें अभिव्यक्ति के लिए समय और साधन चाहिए। आपकी मित्र तंगम को हमारी शुभकामनाएं। बस आपने यह नहीं बताया कि वे किशमिश के कितने टुकड़े करती हैं? हा हा हा हा।
जवाब देंहटाएंतंगम क्या हम ही बता देते हैं .अब तो ज्यादातर किशमिश हम सब सहेलियाँ ही काटते हैं...दो ही टुकड़े करते हैं...उससे ज्यादा की गुंजाइश ही नहीं...:) :)
हटाएंमल्लू हो या तमिलियन है तो हिन्दुस्तानी ही न! मुझे लालच हो रहा है काश ! मेरी भी एक ऐसी बेटी होती।
जवाब देंहटाएंसबके पास ऐसी ही बेटी होनी चाहिए :)
हटाएंइसे कहते हैं लगन. अगर ठान लिया जाय तो कुछ भी सम्भब हो सकता है.
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही...बस लगन सच्ची और पक्की होनी चाहिए
हटाएंबहुत सुन्दर.....बहुत सुन्दर तरीके से आपने तंगम जी का परिचय करवाया..
जवाब देंहटाएंशुक्रिया..:)
हटाएंबहुत सुन्दर पोस्ट है रश्मि, उतनी ही जितनी सुन्दर केक :) तंगम जी के हौसले को बधाई. उन्हें कहो एक ब्लॉग बनाने को जिस पर वे तमाम तरह के केक बनाना सिखायें, इस तरह अन्तरजाल पर भी उनका नाम दूर-दूर तक पहुंच जायेगा.
जवाब देंहटाएंना वंदना....ब्लॉग लिखना तो हम जैसे बैठे ठालों का काम है...वे लोग कर्मयोगिनी हैं ..:)
हटाएंsare cakes itne sundar hia ki...mujhe to bhukh lag aayi :)
जवाब देंहटाएंthanx ..shubham :)
हटाएंक्या बात है रश्मि !!
जवाब देंहटाएंवैसे वो इतनी गुणी महिला हैं ये तो आज मालूम हुआ पर तुम्हारी सब दोस्तों में सब से प्यारी, स्मार्ट और सुंदर भी लगती हैं मुझे (अपनी बाक़ी दोस्तों को मत बताना) :)
तुम ने पेश भी बहुत अच्छी तरह से किया उन के गुणों को
केक देखकर तो मन ललचा गया सच
सब इस बात को मानते हैं..इस्मत...तंगम ही हमारे ग्रुप में सबसे सुन्दर और प्यारी है...कह भी दूँ तो कोई बुरा नहीं मानेगा..:):)
हटाएंरविवारीय महाबुलेटिन में 101 पोस्ट लिंक्स को सहेज़ कर यात्रा पर निकल चुकी है , एक ये पोस्ट आपकी भी है , मकसद सिर्फ़ इतना है कि पाठकों तक आपकी पोस्टों का सूत्र पहुंचाया जाए ,आप देख सकते हैं कि हमारा प्रयास कैसा रहा , और हां अन्य मित्रों की पोस्टों का लिंक्स भी प्रतीक्षा में है आपकी , टिप्पणी को क्लिक करके आप बुलेटिन पर पहुंच सकते हैं । शुक्रिया और शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंशुक्रिया अजय जी
हटाएंअरे वाह ! इतने सुन्दर, सजीले और स्वादिष्ट केक देख कर ही मज़ा आ गया खाने के बाद कितनी तृप्ति का अनुभव होगा यह तो उन्हें चख कर ही बताया जा सकता है ! लेकिन आपने इतनी तारीफ़ की है कि लग रहा है मैंने भी चख लिए हैं ! तंगम जी की कला में और निखार आये और उनके बनाए केक और मशहूर हों यही कामना है ! उनका परिचय कराने के लिए आपका आभार !
जवाब देंहटाएंशुक्रिया साधना जी..
हटाएंअच्छा लगा तंगमजी से मिलकर ..... उनसे तो बहुत कुछ सीखा जा सकता है....
जवाब देंहटाएंशुक्रिया मोनिका जी..
हटाएंऐसे लोगों से मिलकर बहुत ख़ुशी होती है .....तन्गमजी से मिलवाने का बहुत बहुत शुक्रिया रश्मि ..... MAY GOD BLESS HER AND ALWAYS KEEP HER HAPPY .....!!!!!!!!!!!!
जवाब देंहटाएंthanx alot Saras ji..:)
हटाएंतंगम जी से मिलवाने का धन्यवाद ... अच्छा लगा पोस्ट ... आम जिंदगी के ताने बाने ... और भावनाएं ...
जवाब देंहटाएंthanx allot
हटाएंफेसबुक पर छोटा सा नोट देखा था तभी समझ गया था की जरूर ब्लॉग पर इसकी पूरी रिपोर्ट आने वाली है...दिल खुश हो गया दीदी!!अब तो मुंबई आने पर तंगम जी के हाथ की बनी केक खाने की ख्वाहिश रहेगी और आपको उनसे रिक्वेस्ट करना पड़ेगा केक बनाने के लिए!! :) :)
जवाब देंहटाएंबिलकुल अभी...
हटाएंपहले मुंबई आओ तो सही...
वाह ! बड़ी अच्छी दोस्त हैं आपकी.
जवाब देंहटाएंहमारे दोस्त तो बहुत बोरिंग हैं :)
हाँ...आपके दोस्त तो बड़े बोरिंग हैं..बैरिकूल जैसे :)
हटाएंया फिर आपकी कहानियों की चंचल नदी और खामोश झील जैसे :)
वाह अद्भुत कला है तंगम के हाथों मे …………उनकी कला के बारे मे बताने के लिये आभार रश्मि।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
हटाएंतंगम जी से प्रेरणा लेनी चाहिए. सुन्दर.
जवाब देंहटाएंआभार आपका..
हटाएंअभी कुछ दिनों पहले ही तलक पर बहुत सारे डिजायनर केक बनते हुए देखे , तब से दिमाग में खुराफात चल रही थी ... तुम्हारे तो करीब ही इतनी बढ़िया डिजाईनर है .
जवाब देंहटाएंपरिस्थितियों को अपने दायरे में रहकर अपने मुताबिक ढालना ज्यादा साहस का काम लगता है मुझे , इस नाते तंगम भी हमारी गुड बुक में शामिल हो गयी हैं .कभी मुंबई आना हुआ तो तुमसे ना भी मिलूँ , तंगम से जरुर मिलना चाहूंगी :):) . बच्चों को दिखाउंगी तस्वीरें तो अभी ही मिलने की गुहार लगायेंगे .
ओवन ही क्या , मेरी फ्रेंड तो चूल्हे पर बड़े पतीले में रेत भर कर उसमे बर्तन रख कर केक पकाती थी .
रोचक पोस्ट , प्रेरक व्यक्तित्व , सुन्दर तस्वीरें .
@कभी मुंबई आना हुआ तो तुमसे ना भी मिलूँ , तंगम से जरुर मिलना चाहूंगी :):) .
हटाएंअच्छा ये बात है...फिर तो मुझे ये पोस्ट ही नहीं लिखनी चाहिए थी..:)
एक बार अवन खराब हो गया था तो हमने भी कुकर में केक बनाए हैं...और एक नौसिखिया सहेली को भी बताया...पर ये नहीं बताया कि गैस धीमी रखनी है...मुझे लगा...इतनी समझ तो उसे होगी ही..पर मैडम तेज आंच पर चढ़ा कर फोन पर बतियाने चली गयीं...और केक का क्या हश्र हुआ होगा....कल्पना की जा सकती है...:)
केक क्विन तंगम --- किशमिश काटके बारीकी से - क्विन है तभी तो कभी नहीं हारती . तंगम जी को मेरी शुभकामनायें और तुमको भी-
जवाब देंहटाएंक्योंकि ऐसी शक्सियत से तुम ही मिलाती हो
सारे केक मस्त मस्त
शुक्रिया ..:)
हटाएंkash, comment karne par Tangam mam ke banaye cake ke kuchh pieces hi mil jate....:)
जवाब देंहटाएंprerak vyaktitwa!! salam!!
virtual cake to mil hi gaya..:)
हटाएंbahut khoobsurat cake hai, kash hume bhi khane ko mil jate, itni acchi sakhsiyat se milane k liye aapka shukriya.
जवाब देंहटाएंthanx Ritu :)
हटाएंऐसी ही पड़ोसन को ध्यान में रख के 'Love thy Neighbour' की सूक्ति दुनिया में आई होगी. लेकिन Fitness-centric जनता के लिए खतरनाक होगा :)
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया...
हटाएंबल्कि ऐसी पड़ोसन के रहने से फिटनेस के प्रति ज्यादा कॉन्शस हो जाता है..की इतनी कैलोरी इनटेक है तो...वेस्ट भी करनी है..उतनी ही कैलोरी :)
Awesomely awesome!! :)
जवाब देंहटाएंकाश हमारे भी ऐसे दोस्त होते! :(
सूचनाः
जवाब देंहटाएं"साहित्य प्रेमी संघ" www.sahityapremisangh.com की आगामी पत्रिका हेतु आपकी इस साहित्यीक प्रविष्टि को चुना गया है।पत्रिका में आपके नाम और तस्वीर के साथ इस रचना को ससम्मान स्थान दिया जायेगा।आप चाहे तो अपना संक्षिप्त परिचय भी भेज दे।यह संदेश बस आपको सूचित करने हेतु है।हमारा कार्य है साहित्य की सुंदरतम रचनाओं को एक जगह संग्रहीत करना।यदि आपको कोई आपति हो तो हमे जरुर बताये।
भवदीय,
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सत्यम शिवम
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