गुरुवार, 26 जुलाई 2012

किसिम किसिम के किस्से

बहुत हो गयी गंभीर बातें और उनपर गंभीरतम विमर्श...आज कुछ हल्की -फुलकी पोस्ट लिखने का मन है....फेसबुक पर ये वाकया शेयर किया पर मेरे जैसे ढेर सारा लिखने वालों को फेसबुक वाल पर लिखकर संतुष्टि नहीं मिलती . कितनी ही बातें मन में उमड़ती-घुमड़ती ही रह जाती हैं...और इसके लिए अपना ब्लॉग तो है ही...:) 

 हाल ही में दूसरी बार ऐसा मजेदार संयोग हुआ. कुछ साल पहले..लैंड लाइन पर एक फोन आया था.
"रश्मि है?".. एक पुरुष स्वर 
"हाँ..कहिए ?"..मेरा प्रत्युत्तर
"रश्मि से बात करनी है.."
"हाँ, बोल रही हूँ..."
"मुझे रश्मि..रश्मिकांत से बात करनी है...मैं उसका फ्रेंड बोल रहा हूँ.." एक अटकता हुआ स्वर.
"सॉरी रॉंग नंबर .."

आज एक अनजान नंबर से कॉल था..

"हू इज दिस "..मैने पूछा.
"सीमा .हियर.."
सीमा नाम की दो फ्रेंड और एक रिलेटिव हैं..लगा नए नंबर से फोन कर रही होंगी या फिर मुझसे उनमे से किसी का  नंबर गुम हो गया होगा...इसलिए आवाज में अतिरिक्त ख़ुशी छलका कर पूछा . "ओह..सीमा...क्या हाल हैं..कैसी हो??"
"बढ़िया.. तू बता .."
"बस सब  ठीक है... चल रहा है..."
"सुना तूने जी.डी.एस. ज्वाइन कर लिया ." चहक भरी आवाज सुन मेरा माथा ठनका.आवाज जानी-पहचानी तो पहले भी नहीं लग रही थी..पर लगा शायद बारिश की वजह से आवाज क्लियर नहीं सुनाई दे रही...उस तरफ भी यही मुगालता हुआ होगा.
"किस से बात करनी है...?
"रश्मि से..रश्मि बोल रही हो ना.."
हाँ..पर आप कहाँ से बोल रही हैं..?."
"बैंगलोर से "
"सॉरी बैंगलोर में तो मेरी सीमा नाम की कोई फ्रेंड नहीं है..मेरा नंबर आपको कहाँ से मिला.."
"पता नहीं मेरे सेल में रश्मि नाम से सेव्ड है...आप नेहा की फ्रेंड हो..??" ..वो भी आप पर आ गयी थी.
"नेहा नाम की मेरी दो फ्रेंड तो है..अब पता नहीं..किस नेहा की बात कर रही हैं.."
"नेहा...नेहा मंत्री.."
"ना सॉरी मैं किसी नेहा मंत्री को नहीं जानती.."
"सॉरी.. .."
जबकि मैंने किसी सोशल वेबसाईट पर अपना नंबर नहीं डाला है..सबसे शेयर भी नहीं करती..फिर भी ऐसे संयोग..:):)

जब फेसबुक पर ये लिखा तो रंजना सिंह जी का कमेन्ट आया 

घबराई आवाज़ :- संजय भैया हैं..? 

संजय(मेरा भाई)- जी , बोल रहा हूँ..

- भैया (अमुक स्थान पर)जल्दी आ जाइये, अंकल का एक्सीडेंट हो गया है, हम उन्हें लेकर 

हॉस्पिटल जा रहे हैं..

(गनीमत कि पिताजी बगल वाली कुर्सी में बैठ चाय पी रहे थे..वर्ना...)

इन वाकयों  ने एक रॉंग नंबर का किस्सा याद दिला दिया..मेरी मौसी के पहचान वाले हैं. उनकी बेटी की शादी तय हुई. एंगेजमेंट हो गया...लड़की के पास मोबाइल फोन नहीं था ..लड़के ने बातें करने को उसे मोबाइल फोन गिफ्ट किया. बातें होने लगीं..इसी बीच उस मोबाइल पर किसी लड़के का रॉंग नंबर आया. उस रॉंग नंबर से इतनी बातें होने लगीं की बातों की परिणति प्रेम में हुई..और फिर घर से भाग कर शादी करने में .

वो बिचारा लड़का..अब लड़कों शादी से पहले कोई गिफ्ट दो..अपनी मंगेतर को मोबाइल फोन कभी मत देना..:)

अब इसके पहले कि लोग शुरू हो जाएँ "ये आजकल की लडकियाँ"...कि कुछ वाकये और याद आ गए. 

करीब पच्चीस साल पहले की बात है. पिताजी  की पोस्टिंग एक छोटे से शहर में हुई थी. वे लोग हमारे पड़ोसी थे. एक उच्च पदस्थ लड़के से बेटी की शादी तय की. लड़के वालों ने कहा...'लड़की की नाक थोड़ी फैली हुई है..उसकी प्लास्टिक सर्जरी करवा दीजिये. लड़की के माता-पिता ने मुंबई लाकर बेटी की नाक की प्लास्टिक सर्जरी करवा दी.' महल्ले वालों को यह बात अजीब सी लगी थी...लड़कियों में तो बहुत नाराजगी थी कि आखिर लड़का क्या बिलकुल परफेक्ट होगा.उसमे भी तो कोई कमी होगी .पर यह उन लोगों का अपना निर्णय  था.

तय दिन बारात आई. लड़के के  सबसे छोटे भाई ने बारात में माइक पर गाने गाए...खूब डांस भी किया. जयमाला की रस्म हो गयी. सबलोग खाने-पीने में लग गए.  लड़के के साथ बाराती जनवासे में चले गए. अब शादी की रस्मे शुरू होने का समय हो रहा था पर लड़का जनवासे से शादी के लिए मंडप में आ ही नहीं रहा था. उसने कह दिया..'उसे लड़की पसंद नहीं है' उसके घर वाले भी उसे समझा  रहे थे. लड़की के चाचा-पिता अपनी पगड़ी उतार कर उसके पैरों में रख रहे थे (हमने ऐसा सुना था ) .पर लड़का नहीं मान रहा था. लड़के के घर वालों से बातचीत चल ही रही थी...कि इन सब हंगामों के बीच पता चला...बारात में आई हुई एक लड़की के साथ दूल्हा भाग गया. उन दोनों का पहले से अफेयर था. स्टेशन..बस स्टैंड सब जगह लोग ढूंढ कर  वापस आ गए..वे दोनों नहीं मिले..आखिर सुबह चार बजे के करीब लड़के वालों के कुछ रिश्तेदार लड़के के सबसे छोटे भाई.जो इंजीनियरिंग का छात्र था और लड़की से उम्र में छोटा था. उसे लेकर आए और आग्रह किया कि इस लड़के से अपनी लड़की की  शादी कर दीजिये. लड़के के मंझले भाई की शादी भी तय हो चुकी थी और एक हफ्ते बाद उसकी शादी थी. और दोनों भाइयों का रिसेप्शन एक साथ ही देने की  योजना थी. यह छोटा भाई..पत्ते की तरह काँप रहा था..बार बार पानी पी रहा  था. पर अपने बड़े भाई की करतूत की सजा अपने सर ले ली थी. सिंदूरदान और फेरे जैसे बस कुछ  महत्वपूर्ण रस्म हुए और लड़की विदा हो कर ससुराल भी चली गयी...और जब एक हफ्ते बाद मायके आई...तो दूल्हा-दुल्हन दोनों ही खुश नज़र आ रहे थे. 

इस घटना के आस-पास का ही एक और वाकया है...

मोनी, नीता की सहेली थी..दोनों साथ पढ़ती थीं. पर स्वभाव में बहुत अलग. मोनी को पढ़ाई-लिखाई से कोई मतलब नहीं था. सिर्फ फैशन ..सारा दिन केवल अपने कपड़ों अपने बालों की देखभाल. उन दिनों भी पार्लर में डेढ़ सौ रुपये में वो अपने बाल सेट करवाती थी. नीता का एक चचेरा भाई अमन था. बारहवीं पास था और एक प्रायवेट कॉलेज में दो सौ रुपये की तनख्वाह पर क्लर्क था पर  गाँव में जमीन जायदाद बहुत थी. अमन, मोनी के घर के बाजार के..सारे काम करता. अक्सर मोनी के साथ मार्केट...फिल्म देखने भी जाता. पूरे मोहल्ले को यह बात पता थी पर पता नहीं मोनी की माँ कभी अमन को अपने यहाँ आने से मना नहीं करती...बल्कि साथ में फिल्म जाने की इजाज़त भी वहीँ देतीं थीं.  नीता को उनकी दोस्ती बिलकुल पसंद नहीं थी. पर वो कुछ नहीं कर सकती थी. वो इतनी भोली थी..एक दिन उसने ये सारा किस्सा मुझे बताया और ये भी बताया कि पहले मोनी, अमन को भैया कहा करती थी ,राखी भी बांधती थी..और एक बार राखी बांधते हुए फोटो भी खिंचवाई थी. नीता ने वो फोटो फ्रेम करवा कर अपने घर में शोकेस में सबसे आगे सजा दी है कि शायद उसे देख-देख कर दोनों को कुछ अपराध बोध हो. 

कुछ ही दिनों बाद मेरे पिताजी का ट्रांसफर हो गया और हम वहाँ से चले आए. नीता के पत्र मेरे पास आते रहे. और एक पत्र में उसने बताया कि अमन की शादी तय हो गयी थी, शादी की रस्मे शुरू हो गयी थीं हल्दी लग चुकी थी और बारात वाली सुबह वो मोनी के साथ भाग गया. अमन के छोटे भाई अजय को लेकर बारात घर से निकली और जिस लड़की की शादी अमन से तय हुई थी..उसकी शादी अजय से कर दी गयी. मुझे तो बस यही चिंता थी कि जो लड़का दो सौ रुपये कमाता है...और जो लड़की डेढ़ सौ रुपये में अपने बाल सेट करवाती है..उनकी कैसे निभेगी?
पर उसके बाद मैं भी अपनी पढाई-लिखाई में व्यस्त हो गयी...नीता का पता भी गुम हो गया..उस से कोई संपर्क नहीं रहा. आज भी कभी-कभी सोचती हूँ...कैसे निभी होगी,उन दोनों की ??

खैर , इतने दिनों में इतना बदलाव तो आया ही होगा...मुझे अब नहीं लगता..शादी टूटने की स्थिति में छोटे भाई या बहन से शादी कर दी जाती होगी. क्यूंकि इसके बाद ऐसा कोई किस्सा नहीं सुना. जबकि करीब दो साल पहले पटना में एक लड़की से मिली. उसकी एंगेजमेंट हो गयी थी. लड़का मुंबई का था. वो मुंबई के बारे में कई बातें पूछ रही थी..खुश थी कि उसके जानने वालों में से एक मैं मुंबई में हूँ. लड़का उन दिनों छः महीने के लिए लंदन गया हुआ था. उसके लौटते ही शादी हो जानी थी. पर फिर पता चला...लड़के के माता-पिता सगाई  की अंगूठी लौटा गए. लड़के का किसी से अफेयर था..उसने उसी लड़की से शादी कर ली. 


वैसे अनूप जलोटा का भी यही किस्सा है...सोनाली राठौर से अफेयर था..पर परिवार के दबाव में कहीं और शादी के लिए हाँ कर दी थी. शादी का निमंत्रण पत्र देने किसी म्यूजिक डायरेक्टर के पास गए, वहाँ सोनाली मिल गयीं...सोनाली ने आँखों में आँसू भर कर पूछा.."मेरा क्या कसूर था?" और अनूप जलोटा ने निमंत्रण पत्र फाड़ दिए और उसी वक्त मंदिर में जाकर उनसे शादी कर ली...ये अलग बात है कि दोनों की आपस में ज्यादा दिन निभी नहीं..और सोनाली आज रूपकुमार सिंह राठौर की पत्नी हैं..और अनूप जलोटा की पत्नी मेधा जलोटा हैं...जिनकी पहली शादी शेखर कपूर से हुई थी .

पर एक बात समझ में नहीं आ पाती. ये प्रेमी -प्रेमिका....किसी और से शादी के लिए 'हाँ' क्यूँ करते हैं...और 'हाँ' करते हैं तो फिर ऐन समय पर धोखा क्यूँ देते हैं..दूसरे के आत्म-सम्मान को चोट क्यूँ पहुंचाते हैं??....अपने परिवार की इतनी फजीहत क्यूँ करवाते हैं. ??

55 टिप्‍पणियां:

  1. ye baat to mujhe bhi samajh nahin aati :) shayad parivaar ka dar aur dabav hota hoga isliye shuru mein haan kar dete honge par baad mein apne dil ki sunna hi unhe sahi lagta hoga :)

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. दिल की पहली बार में ही सुन लेनी चाहिए ना मोनिका..

      जितनी हिम्मत बाद में करते हैं..उस से आधी हिम्मत ही पहले कर लें...तो कितने लोग परेशानी से बच जाएँ.

      हटाएं
  2. इन लडकों में ताऊ हार्मोन्स की कमी होती होगी तभी तो निडर फ़ैसले घर से भाग भाग कर करते हैं.:)

    रामराम.

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हा हा ऐसा ही होगा..
      बड़े दिनों बाद इस ब्लॉग का रुख किया...शुक्रिया

      हटाएं
    2. ताऊ यहाँ भी अपनी दवा बेंच रहा है ..
      :)

      हटाएं
  3. सब किस्से पढ़ लिए.....
    अब किस पर टिपियाएं ये सोच रहे हैं....
    बस पूरी पोस्ट पढ़ के मज़ा आया....
    :-)

    अनु

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. टिपियाना कम्पलसरी थोड़े ही है..
      पढ़ ली...और मजा भी आया...काफी है..:)

      हटाएं
  4. @खैर , इतने दिनों में इतना बदलाव तो आया ही होगा...मुझे अब नहीं लगता..शादी टूटने की स्थिति में छोटे भाई या बहन से शादी कर दी जाती होगी. क्यूंकि इसके बाद ऐसा कोई किस्सा नहीं सुना.
    रश्मिजी
    पहले के वक़्त में यदि किसी लड़की की सगाई टूट जाती थी तो फिर शादी होना मुश्किल होता था फिर होती थी तो वो शादी बेमेल ही होती थी. इसीलिए दहेज़ के लिए लड़की वाले हर शर्त मानने के लिए मजबूर होते थे.
    इसलिए उस वक़्त लड़के वालो का छोटे भाई से शादी का निर्णय एक अच्छा रहा परन्तु आज ऐसा नहीं है इसीलिए लडकियाँ भी दहेज़ मांगने वालो को न कहने लगी है.

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हाँ..अब शायद ऐसा नहीं होता है....कि दूल्हा या दुल्हन के मंडप छोड़ भाग जाने पर...उसके छोटे भाई या छोटी बहन से शादी कर दी जाए..

      इस मामले में तो शहरों में तो स्थिति बदली है...मेरे रिश्ते में से ही दो लड़कियों ने खुद एंगेजमेंट तोड़ी है...क्यूंकि एंगेजमेंट तक तो लड़के वालों ने कहा..कुछ नहीं चाहिए..और एंगेजमेंट के बाद सुरसा की मुहँ की तरह...उनकी मांगें बढ़ने लगीं...पर यहाँ दोनों लडकियाँ जॉब में थीं.और ख़ुशी होती है देख...दोनों की शादी हो चुकी है..और दोनों ही अब बहुत खुश हैं.

      इसीलिए लड़कियों का आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होना...बहुत जरूरी है...तब ही वो अपनी इच्छा सामने रख पाती हैं.

      हटाएं
  5. मौसी की जान पहचान वाला किस्सा पढ़ कर तो वो बात याद आ गई की प्रेमिका को इतना ख़त लिखा की प्रेमिका डाकिये के साथ भाग गई :))
    रॉंग नंबर का तो नहीं किन्तु एक ही नाम के दो व्यक्तियों को गलत नंबर लगा बात करने के कई किस्से हुए है | पर ये हल्का फुल्का पोस्ट नहीं है बस किसी के अंदर जरा सा कीड़ा कुलबुलाने की देरी है और पोस्ट ;)

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. ये तो सच कहा, अंशुमाला...किसी के अंदर कीड़ा कुलबुलाने की देर है.
      कई बार हैरानी होती है...कभी किसी साधारण सी पोस्ट.. सिंपल से कमेन्ट..पर बहस छिड़ जाती है. कई बार मन होता हुई...'बहुत सुन्दर'...'सार्थक प्रस्तुति' ही लिखना श्रेयस्कर है. किसी और की पोस्ट पर तो बहस से बचे रहें.

      और ये रॉंग नंबर पर प्रेम की घटना बनारस की ही है...आपके रिश्तेदारों को भी शायद इसकी खबर होगी..:)

      हटाएं
  6. ये फोन का वाकया तो अजीब है ... आया था एक मेसेज मेरे नम्बर पर भी ...
    और ये सही कहा कि निर्ण सही समय पर सही ही हो तो कोई परेशानी नहीं होगी .

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सच कह रही हैं... कोई भी निर्णय सही समय पर लेना बहुत जरूरी है...

      हटाएं
  7. कल रात में ही पोस्ट पढ़ ली थी. किस्से मज़ेदार हैं और आश्चर्यजनक भी क्योंकि मेरे किसी करीबी जाननेवाले के साथ ऐसा नहीं हुआ है. तब मुझे लगा कि मैं अभी बहुत छोटी हूँ :) हॉस्टल में ऐसे किस्से बहुत थे, जहाँ कोई लड़की अपनी सहेली के प्रेमी से यूँ ही मिलने जाती थी और बाद में उन दोनों में प्रेम हो जाता था. तब बड़ा आश्चर्य होता था कि 'यार कोई अपनी सहेली के प्रेमी से कैसे प्यार कर सकता है?' पर ये प्यार का मामला ही ऐसा है शायद. वो कहते हैं ना 'इश्क पर ज़ोर नहीं'
    और फोन पर बात करते-करते किसी को प्यार कैसे हो जाता है, ये भी मेरी समझ में नहीं आता. मैं तो जिससे प्यार करती हूँ उससे भी फोन पर ज्यादा देर बात नहीं कर पाती :)

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. @और फोन पर बात करते-करते किसी को प्यार कैसे हो जाता है,

      हा हा अराधना तुम अभी भी बहुत छोटी हो और भोली भी....यहाँ नेट पर चैट करते-करते बिना मिले...बिना आवाज तक सुने लोगों को प्यार हो जाता है :)
      लंदन से एक लड़की भागकर हरियाणा के एक छोटे से कस्बे में आ गयी थी...अपने चैट फ्रेंड से शादी करने...टी.वी. पर उन दोनों को लम्बा फुटेज दिया गया था {टी.वी. को तो ऐसी ही ख़बरें चाहिए :)} .दोनों सत्रह-अठारह साल के थे...लड़के के घर वाले तो बहुत खुश थे पर लड़की के घरवाले परेशान थे...पता नहीं..आगे क्या हुआ.

      हटाएं
  8. रश्मि फोन वाले मामले बहुत मजेदार हैं :० मेरे साथ तो कई बार हुआ ऐसा. पिछले दिनों एक फोन दमोह से आता था, लैंड लाइन पर. हैलो कहते ही सुनाई पड़ता- वन्दना बोल रही हो न? " मेरे हाँ कहते ही लगभग डपटती सी आवाज़ आती- " चाची को बुलाओ जल्दी, बहुत ज़रूर बात है." मैं अम्मा को बुला लायी. खैर उसी समय साबित हो गया की गलत नंबर पर बात हो रही है. कुछ दिन बाद फिर रात लगभग ग्यारह बजे फोन आया , डांटते हुए, चाची को बुलाने का ऑर्डर...इस बार मैंने उनसे पूरी नरमी के साथ नाम पता जाना, और कहा की अगर कोई बहुत ज़रूरी बात हो, तो वे वो नंबर दें जिस पर बात करना चाहतीं हैं. उन्होंने नंबर दिया और कहा की मैं खबर कर दूं की भाभी को बेटी हुई है :) बाद में मैंने उस नंबर पर फोन लगाया और सही लोगों के बीच बात करवाई :) :)

    जवाब देंहटाएं
  9. क्रास कनेक्शन ....मजेदार किस्से है मेरी सहेली का तीन साल का अफेयर इस नोट पर ख़त्म हुआ " आज मुझे लग रहा है मैं तुम्हे पसंद करता हूँ पर प्यार सोनल को करता हूँ ". फिर हम दोनों ने मिलकर उसकी बैंड बजाई थी

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हे भगवान...अच्छा किया...तुमने और तुम्हारी सहेली ने उसे सबक सिखाया

      हटाएं
  10. ऐसे किस्से होते रहते हैं... अभी भी होते हैं...बढ़िया आलेख...

    जवाब देंहटाएं
  11. baap re..itne saare kisse suna diye dokha dene walon ke.......ab kuch hamesha saath dene waalo ki bate bhee sunaiye.

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. किसिम किसिम के किस्से अच्छे हैं। और जो आखिर में लिखा, एक बात समझ में नहीं आ पाती...इसका जवाब सच में बेहद मुश्किल है।

      हटाएं
    2. @ Mamta
      भाभी जी..आप हेल्प कीजिए ना..सुनाइये कुछ ऐसे किस्से...यहाँ शेयर कर लेती हूँ..:)
      हम्म..वैसे आपने सच में काम पर लगा दिया..एकाध साथ निभाने वाले किस्से भी पता हैं..उसे भी लिख डालती हूँ.

      हटाएं
    3. @रवि धवन
      बड़े दिनों बाद...सुध आई ब्लॉग की
      जबाब ही तो मुश्किल है...:(

      हटाएं
  12. ये जो आख़िरी सवाल तुमने उठाये हैं, उसके लिए ज़रूरी है की कुछ ऐसे लोगों से परिचर्चा की जाए, जिन्होंने ऐन मौके पर भाग के परिवार को शर्मिंदा किया है. दो-तीन लोगों को मैं जानती हूँ, परिचय नहीं है लेकिन बात तो की ही जा सकती है :) शायद कुछ बात बने, क्योंकि हम लोगों के लिए तो ये सवाल, हमेशा सवाल ही बना रहेगा :(

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. ये तो बहुत ही बढ़िया विचार है...पर मेरा भी ऐसे लोगो से परिचय नहीं है...जिन्होंने अपनी तय की हुई शादी तोड़ कर अपने प्रेमी/ प्रेमिका से शादी कर लिया..
      वरना ये सवाल जरूर पूछती..

      हटाएं
  13. aapne sahi kha.......i mean fazihat kyu krwani....agar tumme himmat h to seedhe bolo, nd accept everythng..
    anoop jalota, sonali rathore ka kissa........poora aaj pta chala.

    जवाब देंहटाएं
  14. मजेदार किस्से !
    तभी तो कहते हैं -- विनाश काले , विपरीत बुद्धि !
    इस काल के बाद कोई बच जाता है , किसी का विनाश हो जाता है . :)

    जवाब देंहटाएं
  15. बड़कों का प्रेम छुटकों की ज़िन्दगी बदल देता है ! फुटकर किस्से , रिश्तों को थोक में बदलते देखे गये !

    हमारा समाज जब तक जान लब पे ना आ जाये , प्रेम हलक पे ना अटक जाये तब तक खुद से फैसला करने लायक हिम्मत और हौसला नहीं देता , कहने का मतलब ये कि यह सब पारिवारिक प्रशिक्षण की कमियां हैं !

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जब अपना प्रेम अभिव्यक्त करने की हिम्मत आ जाती है....अंत में घर से भागने की हिम्मत आ जाती है..तो किसी दूसरे से शादी को ना कहने की हिम्मत भी होनी चाहिए.

      हटाएं
  16. यह फोन बड़ा भला है तो कभी बहुत बड़ी बला भी है..

    खैर, अधिकांशतः लोग क्षणिक आवेग और स्थायी इच्छा में भेद नहीं कर पाते और रिश्तों में बढ़ने या तोड़ने की जल्दीबाजी कर बैठते हैं..मानसिक आवेगों में लिए गए निर्णय शायद ही कभी सही होते हैं, वर्ना तो इनके परिणाम भयंकर हुआ करते हैं..

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सही कहा... .मानसिक आवेगों में लिए गए निर्णय शायद ही कभी सही होते हैं,

      हटाएं
  17. :) सच में कमाल के किस्से .... रोचक लगी पोस्ट

    जवाब देंहटाएं
  18. अरे रश्मि,
    पिछली बार जब मैं रांची में थी, एक फ़ोन आया लैंडलाइन पर...
    मेरे हल्लो करने पर किसी लड़की की आवाज़ थी...पूछने लगी 'शाहरुख़ खान हैं ?
    मुझे अजीब लगा, लेकिन पीछे खिल-खिल हो रही थी, मैं समझ गयी प्रैंक कॉल है, मैंने दुबारा पूछा 'किनसे बात करनी है' ?
    जवाब वही मिला 'शाहरुख़ खान हैं क्या ? पीछे से खुसुर-फुसुर सुनाई पद ही रहा था, मैंने कहा नहीं वो तो नहीं हैं....शरारत से फिर पूछा उस लड़की ने 'कहाँ गए हैं, शाहरुख़ खान ?....मैंने कहा 'शाहरुख़ खान तो बाहर पानी भर रहे हैं...आप राखी सावंत बोल रहीं हैं का ?
    लड़की ने कहा 'जी मैं राखी सावंत ही बोल रही हूँ', 'आप कौन बोल रही है' ? मैंने कहा 'जी मैं ऐश्वर्या राय बोल रही हूँ, सलमान खान को बुलाऊं क्या ?
    लड़की ने फट से फ़ोन बंद कर दिया..:):)
    मजेदार पोस्ट...इतने दिनों की घिच-घिच के बाद ....अहा ! शीतल समीरर र र र र (समीर लाल नहीं हैं ई, कहीं कोई ई कनफुसियन न पाल ले) ...ठंडी हवा का झोंका.... :):)
    हाँ नहीं तो..!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हा हा मजेदार किस्सा
      हाँ, अदा बहुत जरूरी थी ऐसी एक पोस्ट

      हटाएं
  19. रोंग नंबर नंबर वाले पता नहीं कहाँ से नंबर ढूंढ लेते हैं ...
    हमारे परिचित के यहाँ भी ऐसा हादसा हुआ , हालाँकि यह प्रेम विवाह नहीं था ... आपसी मतभेद पर लड़के वाले बारात लौटा ले गये तो उसी बारात में शामिल एक व्यक्ति ने अपने पुत्र से उस लड़की के विवाह को राजी किया और आज उनकी जिंदगी भी सफल चल रही है .
    प्रेम या सगाई होकर छूट जाना , कहते हैं कुंडली का मंगल सब गड़बड़ करवाता है :)...वैसे मैं मानती हूँ कि जोड़े ऊपर वाला तय करता है , कौन किसकी किस्मत में !
    रोचक किस्से !

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. मुझे नहीं लगता...रॉंग नंबर वाले कोई नंबर ढूंढते हैं..गलती से एकाध डिजिट गलत नोट कर लेते हैं...और बस हो गयी मुसीबत..
      छोटे भाई/बहन की बलि चढाने से तो अच्छा है...कोई हमउम्र ही शादी का प्रस्ताव कर दे...

      हटाएं
  20. प्रेम सम्‍यम् जगत मिथ्‍या है ऐसे लोगों के लिए। रोज ही होते हैं ऐसे वाकये।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हाँ, रोज ही होते हैं..सबके सामने..और हम हैं कि लिख डालते हैं..:)

      हटाएं
  21. कभी परिवार के दबाव मे तो कभी हिम्मत ना हो सकने के कारण

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. वही बात...भागने की हिम्मत आ जाती है...पर बिनमर्जी की शादी से ना करने की हिम्मत नहीं आती.

      हटाएं
  22. हम्म! :)
    मैं एक ताजा घटना जानता हूँ यहीं ऑफिस की - वीर-ज़ारा का non-glamorous version था।
    हर १० दिन में embassy के चक्कर काटते हैं दोनों लोग। खैर! ये अलग मसला है।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. @मैं एक ताजा घटना जानता हूँ यहीं ऑफिस की - वीर-ज़ारा का non-glamorous version था।

      अगर नाम बदल कर वो कहानी मेल कर दें तो मैं अगली पोस्ट में शामिल कर लूंगी ( सही समझें और इच्छा हो तो..)
      अगली पोस्ट, सच्चे प्रेम....हैप्पी एंडिंग वाली लिखने वाली हूँ...अपनी भाभी जी की फरमाइश पर.

      हटाएं
  23. क्‍यों न किस्‍से के फोन के नाम से एक किताब छपवाई जाए।
    *

    बहरहाल लड़का या लड़की में से कोई शादी से मना कर दे वहां तक तो ठीक। पर कहीं मां-बाप ही ऐन मौके पर मुकर जाएं तो क्‍या होता है। मैं स्‍वयं इस स्थिति का शिकार हो चुका हूं। एक बार अपने परिवार की तरफ से और एक बार लड़की के परिवार की तरफ से। ये किस्‍से मेरे ब्‍लाग गुल्‍लक पर शादी के लड्डू नाम से मैंने लिखें हैं। मन हो तो पढ़ डालिए।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत बहुत शुक्रिया...किताब छपवाने की सलाह के लिए...मुझे तो इतनी अच्छी बात सूझी ही नहीं.
      पढ़ती हूँ आपकी पोस्ट .

      हटाएं
  24. वाह वाह रोंग नंबर का भी नंबर लग ही गया. अब दिलकी बातें होती ही ऐसी ही हैं रोंग नंबर की संभावनाएं भी नकारी नहीं जा सकती.

    जवाब देंहटाएं

फिल्म The Wife और महिला लेखन पर बंदिश की कोशिशें

यह संयोग है कि मैंने कल फ़िल्म " The Wife " देखी और उसके बाद ही स्त्री दर्पण पर कार्यक्रम की रेकॉर्डिंग सुनी ,जिसमें सुधा अरोड़ा, मध...