मंगलवार, 5 अप्रैल 2011

कॉन्फिडेंट कैप्टन का कूल व्यवहार


किसी ने पूछा, "वर्ल्ड कप की जीत पर कोई पोस्ट लिख रही हैं ??" ...और मैने कह दिया...."बचा क्या है लिखने को??..एक एक मिनट की सचित्र खबर तो अखबार..टी.वी...नेट ...ब्लॉग हर जगह छाई हुई है." कोई इरादा भी नहीं था, कुछ लिखने का पर जैसी कि आदत है...कहीं कुछ अच्छा पढ़ती हूँ तो परिवार वालों को वो आर्टिकल पढ़ने को कहती  हूँ...दोस्तों को एस.एम.एस. करती हूँ...फिर  अपने ब्लॉग पर शेयर करना, उस पूरे आर्टिकल को दुबारा  पढ़ने के सामान ही है.

Mumbai Mirror 
में प्रसिद्द मनोचिकित्सक हरीश शेट्टी ने धोनी की फाइनल में खेली पारी का बहुत ही अच्छा मनोवैज्ञानिक विश्लेषण किया है....जो सबके लिए उदाहरणस्वरुप है कि संकट के समय, अपना व्यवहार कैसे संयत रखें.

आलोचना को अपनी प्रेरणा बना लें -----  20-20 वर्ल्ड कप के प्रेजेंटेशन सेरेमनी में धोनी ने रवि शास्त्री  से एक मुस्कराहट के साथ कहा, " I remember u called us underdogs and so we have won the cup for you."  यहाँ एक खिलाड़ी, वरिष्ठ खिलाड़ी के कटाक्ष  के वजन के नीचे धराशायी नहीं  हुआ बल्कि उसे सकारात्मक तरीके से लिया और कुछ कर दिखाने के लिए कमर कस ली. अगर कोई महत्वपूर्ण व्यक्ति, आपकी काबिलियत नहीं समझें और आपकी सफलता पर शक करे. तो अपने अंदर के डर, गुस्सा, दुख और उदासी पर विचार करें(get in touch with your feelings of fear, dread,anger or sadness and convert these into greater resolve)  और उनपर विजय प्राप्त कर सकारात्मक परिणाम की कोशिश करें. बचपन में सचिन तेंडुलकर भी तब तक बेचैन रहते थे..जब तक वे टेबल टेनिस में अपनी हार का बदला  अपने दोस्तों से नहीं ले लेते थे. युवराज के बारे में भी एक कार्यक्रम में उनके एक दोस्त ने बताया कि एक बार गर्मी की  छुट्टियों में आए उनके चचेरे भाई ने उन्हें टेबल-टेनिस में हरा दिया...युवराज ने पूरे साल  मेहनत की और अगली छुट्टियों में जैसे ही उस भाई से मिले...उसे एक मैच का न्योता दे   डाला और उसे हरा कर ही दम लिया.

बीती ताहि बिसार दे..आगे की सुधि ले
  --- जब भी भारत कोई मैच हारता है...धोनी पब्लिक में उस हार की जिम्मेवारी खुद ले लेते हैं पर फिर वे तुरंत ही आगे की सोचने लगते हैं. एक मैच हारने के बाद पत्रकारों को उनका जबाब था, " ये मैच तो ख़त्म हो गया...अब अगले मैच का प्लान करें ?" पहले के कैप्टन....कोई मैच हारने  पर हार के कारणों की मीमांसा करते थे...कहाँ गलती हुई...इन्ही पर सोचते रहते  थे और कई बार पिच और मौसम को दोषी ठहरा देते थे पर  धोनी....अगले  मैच की  सोचते हैं और हार और निराशा को अपनी राह का रोड़ा नहीं बनने  देते .अगली मंजिल पर फ्रेश दिमाग और फ्रेश निगाहों से कदम बढाते हैं. जब चीज़ें सही ना हों तो खुद की या दुसरो की बहुत ज्यादा आलोचना नहीं करनी चाहिए, इस से शिथिलता आती है.

मैं नहीं हम
---- जीत के दिन वर्ल्ड कप सबके हाथों  में था...सिवाय धोनी के . कुछ साल  पहले एक टेस्ट सिरीज़ में जीत के बाद धोनी ने अनिल कुंबले से विजयी  कप ग्रहण करने का आग्रह किया था. विश्व कप में भी शरद पवार के हाथों से कप लेते ही धोनी ने सचिन के हाथों में थमा दिया...और किनारे चले गए. हर  फोटो  में  वे किनारे ही खड़े हैं..केंद्र में नहीं. स्टेडियम  का चक्कर लगाते हुए भी वे पीछे-पीछे ही थे. पर जब टीम  मेट्स की कोई बात अच्छी नहीं लगती तो उसे कहने से भी नहीं हिचकते.... जैसे  कि गौतम का शतक  के इतने पास आकर एक ख़राब शॉट के कारण चूक जाना उन्हें अच्छा नहीं लगा तो कहने में नहीं हिचके.." he was himself to blame for this "
  प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा है .."मिडिल ऑर्डर को परफॉर्म करना चाहिए " या " श्रीसंत  को अपने व्यवहार पर काबू रखना चाहिए " और यह सब वही कह सकता है जो अपने टीम मेट्स को भरपूर प्यार भी दे. तभी उनके साथी  उनकी बातों का बुरा नहीं मानकर ,अपनी गलतियाँ सुधारने की कोशिश करते हैं.

दिमाग शांत रखें
---- सब जानते हैं धोनी कभी गालियाँ नहीं देते...या फील्ड पर अपना आपा नहीं खोते . धोनी को खुद से बातें करते देखना रोचक होगा. शायद वे खुद से मन ही मन कहते हों, 'calm down.' focus now', 'let me try something new ' इस तरह के इमोशंस उनके मन के स्क्रीन पर आते-जाते रहते होंगे.  जब बुरा समय हो तो बस अपनी भावनाओं को observe  करना चाहिए. अगर आप चिल्लाते हैं और गुस्सा दिखाते हैं..इसका अर्थ है आपके इमोशंस ने आपको हाइजैक कर लिया है और अपने दिमाग पर आपका वश नहीं है. आप अपनी लड़ाई और अपना मित्र, शुभचिंतक  सब हार सकते हैं. और अगर अपनी भावनाओं  पर काबू रखते हैं तो परिणाम हमेशा अच्छे ही होते हैं. 
जीत पर सबकी प्रशंसा पाकर भी, उन्हें याद रहता है कि अगर हार गए होते तो उनके प्रशंसक क्या कह रहे होते. अभी हाल की पकिस्तान से मिली जीत पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा, "सुना है मेरे घर के सामने लोग आतिशबाजी छोड़ रहे थे....यही लोग कुछ साल  पहले हमारी टीम की  हार पर मेरे गेट पर कालिख पोत गए थे "

खुद पर भरोसा करें
----- धोनी ने रवि शास्त्री को जैसे टीज़ करते हुए कहा...""अभी अगर हम हार गए होते तो सवाल होते, "श्रीसंत  क्यूँ..."युवराज के पहले बैटिंग क्यूँ की ...??"  ख़राब फॉर्म के बावजूद धोनी का युवराज के पहले बैटिंग के लिए आना यह दिखाता  है कि वे चुनौती स्वीकार करते हैं और दूसरों की सलाह की  या लोगो की प्रतिक्रिया क्या होगी...ये सोचने के बजाय अपने फैसले पर ज्यादा भरोसा करते हैं. अनिल कुंबले ने भी कहा था..."जब उनका फॉर्म अच्छा नहीं होता तो उन्हें कई सारी सलाह दी जाती थी पर वे सबको इग्नोर कर अपने फैसले के ऊपर ही मजबूती से डटे रहते थे."   
शायद धोनी का मन्त्र भी है...'रिस्क लो..अपने मन की सुनो और शांत रहो..'.

आभार ---  धोनी खुले दिल से किसी का भी आभार  प्रकट करते हैं. वे चाहते तो सारा क्रेडिट खुद ले सकते थे. कि युवराज से पहले बैटिंग का फैसला सिर्फ उनका था  पर उन्होंने कहा, गैरी क्रिस्टिन  ने मेरे युवराज के पहले बैटिंग करने के निर्णय में हामी भरी ..' और उन्होंने गैरी और पैडी  को दिल से धन्यवाद दिया. आभार प्रगट करने से उनका क्रेडिट तो उनके साथ रहा ही...पर उनकी दरियादिली और विनम्रता ने सबके दिलो में उनकी थोड़ी इज्जत और बढ़ा दी.


यह सब कोई अनोखी बात नहीं है...और ना ही किसी ने पहली बार सुनी है..पर आँखों के सामने किसी को इन सबका  सहारा लेकर सफलता के सर्वोच्च  शिखर पर देखना एक अलग ही अनुभव है.


Garry Paddy  जो टीम के मेंटल  कंडिशनिंग कोच थे...उन्होंने भी गौतम गंभीर...लक्ष्मण और धोनी का नाम लिया कि ये लोग संकट में ज्यादा मजबूत होकर उभरते हैं.

शोभा डे ने हमेशा की तरह चटपटे अंदाज़ में अपने ब्लॉग पर लिखा है..."MSD का नशा LSD के नशे से कही  बेहतर है. धोनी के सुपरस्टार का रुतबा सारे बॉलिवुड के हीरो के रुतबे को मिलाने के बाद भी  उनसे बड़ा है. हमें कोई बॉलिवुड सुपरस्टार क्यूँ चाहिए अगर हमारे पास Red Hot Dhoni  है. Dhoni has everything going for him – good looks, a cool head, sex appeal, and exceptional leadership qualities. धोनी को कप ग्रहण करते हुए सब याद रखेंगे...पर उस से ज्यादा ये याद करेंगे  कि कैसे  उन्होंने  वो कप सचिन तेंडुलकर को सौंप  दिया और खुद जाकर किनारे खड़े हो गए,  जैसे कोई बारहवें खिलाड़ी हों. जबकि शायद दूसरा कोई अभिमानी व्यक्ति होता तो पूरे समय केंद्र में खुद होता और दरियादिली दिखाते हुए , कहता  कि "मैं यह सब अपने टीम के बगैर नहीं पा सकता था..." लेकिन धोनी ने शब्दों की बजाय अपने एक्शन पर ज्यादा ध्यान दिया. और बिना बोले ही जता दिया कि अपनी टीम से कितना प्यार है और कितना भरोसा था. यह क्षण  धोनी के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण क्षण था पर इसका रसास्वादन उन्होंने अकेले नहीं...अपने दोस्तों के साथ करना ज्यादा जरूरी समझा. और उनकी यही दरियादिली सारे क्रिकेट प्रेमी का चहेता बना देती है."

विदेशी अखबारों ने भी धोनी की प्रशंसा की  है...लंदन के
The Telegraph ने लिखा है " Dhoni is Mr. confident. But even more so he is cool. He exudes a kind of Karma under the most intense stress. You see it everywhere ,behind the stumps, in press conference, at the crease"

ऑस्ट्रेलिया के अखबार 
The Age में छपा है , " In the critical  hour, and despite modest returns, Dhoni dared to back himself.That is leading from the front.Even in the toughest time,too he managed to convey composure. Throughout, his players felt that captain remained on the bridges and the situation was under control.

ये सब लिखते वक्त
'अदा' याद आ रही है....जब भी बात होती है जरूर कहती है...."रांची के पानी में ही कोई बात है" (अदा का घर रांची है और मेरा ननिहाल भी रांची ही है...जहाँ मेरा जन्म और प्रारंभिक शिक्षा  हुई है  )

हाँ!! अदा...रांची के पानी में ही कोई बात है :):)

56 टिप्‍पणियां:

  1. @ ..."MSD का नशा LSD के नशे से कही बेहतर है.
    -------

    ये शोभा डे से पूछना चाहिए कि LSD का नसा कभी किया है उन्होने या ऐसे ही....जुमला उछालने के लिए लिख मारा :)

    वैसे भी शोभा डे को पढ़ते वक्त कोफ्त होती है.... कचरकूट सा लगता है, इसलिये उसे मैं कभी नहीं पढ़ता :)

    पोस्ट एकदम राप्चिक है...एकदम मस्त।

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  2. @सतीश जी
    जो भी हो..शोभा डे के लिए कहते हैं...Love her or Hate her ..but u cant ignore her
    इस पोस्ट की तो उनकी हर बात सच्ची और अच्छी लगी :)

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  3. जो जीता , वही सिकंदर ।
    लेकिन धोनी के व्यक्तित्त्व से सभी को सीखना चाहिए ।

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  4. बढि़या पोस्‍ट है। डॉक्‍टर साहब ने सही विश्‍लेषण किया है। युवाओं को खासतौर पर इसे पढ़ना चाहिए।
    *
    धोनी के बहाने आपने भी अपनी अदा दिखाते हुए छक्‍का जड़ ही दिया। सचमुच रांची के पानी में दम है यह बात सांची है।
    *
    धोनी तो 'पहाड़' से उतर कर मैदान में आए थे और अब शिखर पर जा बैठे हैं।

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  5. पूरी पोस्ट स १००% सहमत और इस बात से कि "रांची के पानी में ही कोई बात है" से -२००%--(रहने का मौका मिला है वहाँ)..आभार

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  6. बहुत बढ़िया सीख देती प्रस्तुति ..
    खेल सिर्फ खेल नहीं बहुत कुछ सिखाता है जिंदगी में ..
    बहुत ही बढ़िया प्रस्तुति ...
    सारा भारत गौरवान्वित हुआ है ...

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  7. एक और बात धोनी ने एक प्रेस कोंफ्रेंस में कही थी, शायद आयरलैंड वाले मैच में..."our good fielders are getting faster and better but slow one will remain slow" :P

    ये भी कटाक्ष था कुछ खिलाड़ियों के लिए :) :) और देखिये कैसे अंतिम तीनो मैच में सभी ने बढ़िया फिल्डिंग किया.. :)

    वैसे पोस्ट एकदम मस्त है...ऐसी पोस्ट पढ़ के कोंफीडेंस आता है और अच्छा भी लगता है...

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  8. बहुत कूल पोस्ट है,धोनी की तरह.
    आपने अखबारों के वो कालम भी पढ़वा दिए,जो पढ़ नहीं पाया था.
    आभार.

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  9. यद्यपि महेंद्र सिंह धोनी को मैं एक क्रिकेट का बल्लेबाज संभवतः कभी नहीं मान सकता, और वर्तमान भारतीय एकदिवसीय टीम(ज़हीर और सचिन को छोड़ कर) की खेल-भावना (खेल कौशल नहीं) से भी अधिक प्रभावित नहीं ही हूँ।
    फिर भी बात तो है धोनी में। :)
    captain cool हो न हो, captain courageous तो है धोनी।
    सबसे बडी बात ये है, कि वो नतीजे दे रहा है।
    इस दिलेर खिलाड़ी के जीवट और application towards the situation की तो जितनी प्रशंसा करूँ कम होगी।

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  10. खेले हम जी जान से, और बन गए चैम्पियन, बहुत बहुत बधाई

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  11. समस्त देशवाशियों को और भारतीय टीम को विश्व चैम्पियन बनने की बहुत बहुत बधाई धन्यवाद ..

    .........आपको भी बहुत बहुत बधाई..

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  12. जो जीता , वही सिकंदर ।
    बहुत बढ़िया सीख देती प्रस्तुति|

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  13. सबसे पहले रांची को स्पेशल थेंक्स की हमें आप और अदा दीदी जैसे दो बहुत बेहतरीन ब्लोगर्स भी मिले :)
    वर्ल्ड कप पर आपकी पोस्ट का मुझे भी इन्तजार था :)
    मेरे लिए ये पोस्ट "स्पेशल कलेक्शन" वाली है .. सच्ची, वजह है इसमें मौजूद "साइकोलोजी" फेक्टर :)
    अभी इस पर और चिंतन , मनन किया जायेगा .......... गहरा वाला चिंतन :)
    बहुत अच्छी पोस्ट :)

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  14. रांची में बात तो है ही. मुझे ही देख लीजिये :)

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  15. जो जीता वही सिकंदर. अच्‍छा हो जब टीम के पिट जाने पर भी हम इस तरह के गुणों को देख पाएं.

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  16. धोनी को मैं बेहद भाग्यशाली मनाता हूँ पर उनमे कुछ ऐसे गुण भी हैं जो उन्हें एक आम आदमी से अलग करते हैं. वो खुद से पहले टीम को रखते हैं. जब विश्व कप ट्राफी लेने के बाद धोनी एक तरफ खड़े दिखाई पड़े तो जाने क्यों मुझे वो दिन याद आ गया जब भारतीय अंडर १९ टीम ने २००८ में विश्व कप जीता था. तब विराट कोहली टीम के कप्तान थे और ट्राफी सारा समय उनके हाथों में ही रही थी. मुझे बहुत अच्छी तरह से याद है की उन्होंने किसी भी दुसरे खिलाडी को ट्राफी पर हाथ भी नहीं लगाने दिया था और ट्राफी को यूँ थामे रहे मानो उस पर सिर्फ उनका ही हक़ हो. जिस व्यक्ति में खुद से ज्यादा अपनी टीम का ख्याल रखने की भावना हो उसके नेतृत्व में ही कोई टीम इतनी ज्यादा सफलताएँ अर्जित कर सकती है.

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  17. बढिया, बढिया बहुत बढिया :) हां, कुछ बात तो है रांची के पानी में :)

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  18. रश्मिजी, धोनी के आंकलन का यह संकलन वेहतरीन बन पडा है. अदा का घर और आपका ननिहाल और हा धोनी का घर भी. पढकर मज़ा आ गया हाँ नही तो .......(अदाजी से साभार)

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  19. @अभिषेक
    रांची में बात तो है ही. मुझे ही देख लीजिये :)

    अरे!! भई.... आपमें तो बात ही बात है....:)

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  20. रांची के पानी की रश्मि की अदा सुहानी है
    जिसने अच्छे अच्छों को धोने की ठानी है...
    इसमें कोई सक है का !!..
    हमको ही देखो...अफ्रीका में पड़े हैं लेकिन कोमेंत्वा तो मार रहे हैं..
    हाँ नहीं तो....!

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  21. धोनी बहुत cool और balanced हैं । हम भी चाहते हैं की वे IAF का Sukhoi fighter plane उड़ायें । उनकी ये इच्छा भी पूरी हो।

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  22. बहुत ही शानदार आलेख है और सौ प्रतिशत हर बात सच है ! धोनी के व्यक्तित्व की इन अद्वितीय खूबियों ने ही उन्हें इतने कम समय में दिश्व के सर्वश्रेष्ठ कप्तानों की श्रेणी में ला खडा किया है ! टीम संचालन की विलक्षण प्रतिभा ने उनकी झोली में उपलब्धियों के अम्बार लगा दिये हैं ! उन्होंने हर भारतीय को गौरवान्वित किया है और वर्त्तमान समय में तरह तरह की परेशानियों से ग्रस्त और से त्रस्त प्रत्येक भारतीय को खुशी में झूमने का अलभ्य अवसर प्रदान किया है ! इसमें कोई संदेह नहीं वे एक बहुत ही सुलझे हुए, सुयोग्य एवं निर्भीक कप्तान हैं !

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  23. धोनी जब फाइनल में युवराज से पहले बैटिंग के लिए उतरे तो उनके चेहरे पर गज़ब की दृढ़ता थी, कुछ भी
    हो जाए, आज भारत को दोबारा वर्ल्ड कप जिता कर ही दम लेना है...धोनी ने विनिंग सिक्स मारने के बाद जिस अंदाज़ से हाथ घुमाया था, उसी ने साबित कर दिया कि इस शख्स को अपने पोटेंन्शियल पर कितना विश्वास है...श्रीशांत के लिए धोनी का ये कहना कि वो विरोधी टीमों के लिए प्राब्लम बने न कि खुद अपने कप्तान के लिए, एक नासमझ खिलाड़ी को खबरदार करने के लिए इससे बढ़िया शब्द और क्या हो सकते हैं...काश धोनी जैसी लीडरशिप क्वालिटी वाले राजनेता भी देश को मिलें...

    जय हिंद...

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  24. ranchi kaho yaa india kaho
    jeetne kee hum sabne thaani hai
    .......
    vinamrata , sanyat jawab kabhi beasar nahi hota

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  25. इस पोस्ट के लिये आभार
    मेरे सीखने के लिये बहुत कुछ मिल गया इस पोस्ट में, धोनी के बहाने

    प्रणाम

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  26. वाह ...बहुत अच्‍छा लिखा है आपने ...इस बेहतरीन प्रस्‍तुति के लिये आभार ।

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  27. धोनी से वास्तव में अपने व्यव्य्हार से.. बल्ले से... कर्म से .. दुनिया का दिल जीत लिया है...

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  28. धोनी के बारे पिछले दिनों खूब देखा किन्तु आपकी यह पोस्ट सम्पूर्ण लगी धोनी की विशेषताओ को निखारने में |धोनी के धैर्य से देश की जनता को भी कुछ सीखना ही चाहिए नहीं हार में अपना आप खोये और न ही जीत में उन्मादी बने |
    बहुत बढ़िया पोस्ट |
    और रांची की तो क्या बात है ?

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  29. कमाल है!! यह पोस्ट सचमुच हट के है.. जब बहुत कुछ और सब कुछ लिखा, कहा, दिखाया, सुनाया जा चुका हो, तो तारीफों के समन्दर से बाहर निका\लकर यह जो मनोविश्लेषण आपने प्रस्तुत किया है वो वास्तव में प्रेरणा दायक है!!

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  30. धोनी इतने कूल है और सुलझे हुए हैं कि लगता नहीं कि वे रांची के हैं। हा हा हाहा। हमें तो बड़ा डर लगता है जी रांची वालों से। हमारा अनुभव तो ऐसा ही है जी। बहुत ही अच्‍छी पोस्‍ट है। हम तो स्‍वयं चिन्तित थे कि कप लेने के बाद धोनी कहाँ चले गए, लेकिन फिर बताया गया कि उन्‍हें पसलियों में दर्द हो गया था। प्रत्‍येक व्‍यक्ति को धोनी से सीखना चाहिए।

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  31. @अजित जी

    हा हा ...यही तो बात है...सबको डर लगता है...रांची वालों से :)

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  32. @महफूज़ एवं अजित जी,
    मैने ये रांची वाली बात lighter vein में लिखी है....उम्मीद है आपलोगों ने भी ऐसे ही लिया होगा....

    क्षेत्रवाद जैसी कोई बात नहीं...
    अपने भारत देश की मिटटी ही महान है...जहाँ ऐसे रत्न पैदा होते हैं {यहाँ आशय देश का नाम रौशन करनेवालों से ही है ...खुद से या अपने दोस्तों से नहीं :)}

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  33. सच में बिलकुल हट के पोस्ट है अच्छा लगा , यहाँ ब्लॉग पर कुछ लोगो को इन्ही बातो के लिए धोनी की बुराई करते देखा तो दुःख हुआ अक्सर लोग शांत रहने वालो को अभिमानी समझ लेते है | और रश्मि जी हमारी तरफ तो लोग रांची और आगरा को बस एक ही चीज के लिए याद करते है | हा हा हा हा अब जा कर धोनी ने उस बट्टे को अपने शहर से हटाया है |

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  34. @अंशु जी,
    वो रांची का जिक्र किया ही इसलिए गया है कि जरा हंसी मजाक का माहौल बने...

    और पागलखाने की बात कर रही हैं वो तो अब भी रांची में है,(रांची के suburb कांके में )....हाँ शायद आगरा में अब नहीं है (पक्की जानकारी नहीं है,मुझे )

    और हर जीनियस थोड़ा पागल तो होता ही है {चौके-छक्कों की बरसात चालू रहे :)}

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  35. @ अजित जी, अंशुमाला जी, महफूज़ अली साहेब,
    राँची से या राँच वालों से घबराने की क्या ज़रुरत है...हमारी संगति में बड़े-बड़े बिगडैल सुधर जाते हैं...:):)
    और रांची आकर तो अच्छे-अच्छे पागल ठीक हो जाते हैं...कुछ तो बात है वहाँ के पानी में कि भारत सरकार ने तक पागलों को सुधारने कि जिम्मेवारी हमारे काँधों पर डाल दिया है ...:):)
    हाँ नहीं तो ...!

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  36. रश्मिजी, आपने हल्‍के-फुल्‍के अंदाज में भले ही रांची वालों को लिया हो, लेकिन हम नहीं लेते। हम तो उनका लोहा मानते हैं जी। बस उनकी सनक से डर जाते हैं। हा हा हा हा।

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  37. रश्मि जी,

    सभी सूत्र किसी भी क्षेत्र में सफलता के गुर है। लेख संग्रहणीय है।
    इस प्रस्तुति के लिए मात्र आभार नहीं, कृतज्ञ हूँ।

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  38. रांची का पानी साफ़ झलक रहा है नूर बनकर -

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  39. हम भी अब तक रांची को पागलखाने के नाम से ही जानते थे ...मगर अब उसके पानी के नाम से और अदाजी के नाम से भी जानने लगे हैं ...
    सच बात तो ये है की उगते सूरज को सब सलाम करते हैं ...यही मैच यदि भारत हार जाता तो यही लोग पानी पी -पी कर धोनी को कोस रहे होते ...
    पोस्ट अच्छी लगी !

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  40. रश्मि जी आपकी जानकारी के लिये बता दूँ आगरे का पागलखाना आज भी बखूबी चल रहा है और बहुत मशहूर भी है ! यहाँ भी इलाज कराने के बाद कई बिगड़ैल सुधर चुके हैं ! हा हा हा ! आपकी पोस्ट की तो दिशा ही बदल गयी !

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  41. @वाणी
    अब तो लगता है,.."रांची" पर ही एक पोस्ट लिखनी पड़ेगी :)
    ये तो बड़े अफ़सोस की बात है कि रांची को सिर्फ "पागलखाने" के नाम से ही जाना...वो भी बिहार में काफी दिन गुजार चुकने के बाद...

    और वाणी, यहाँ मैने "धोनी 'के बारे में अपने...हरीश शेट्टी के....शोभा डे के और इंग्लैण्ड और ऑस्ट्रेलिया के दो महत्वपूर्ण अखबारों के विचार रखे हैं....इन सबमे कोई(including myself ) इतना नादान नहीं कि हार जाने पर धोनी को पानी पी पी कर कोसे

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  42. @साधना जी,
    देखिए ना ..ये तो नज़र -नज़र की बात है....पोस्ट में किसको क्या नज़र आ जाए...:)

    किसी ने कहा था कि आगरा से पागलखाना शिफ्ट हो गया है,...इसलिए मुझे संदेह हुआ...जानकारी का शुक्रिया

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  43. "रांची के पानी में ही कोई बात है :):)"
    पढ़ तो पहले ही लिया था लेकिन सोचा पता नहीं दिल्ली की टिप्पणी कबूल होगी कि नहीं... :)... (अब हमारी शोखी सहिए)

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  44. पहले रांची की बात कर लूं, फिर धोनी पर आते हैं। क्योंकि पहले राची है, फिर धोनी है।
    क्योंकि पहले रांची है फिर पानी है।
    तो पहले पानी की ही बत कर लूं।
    उन दिनों बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद में काम करता था। तो तब रांची हमारी गृष्मकालीन राजधानी हुआ करती थी। कूल-कूल था ना ... ठीक आज के कप्तान की तरह ... है ना।
    तो कई बार रांची के पानी की जांच (टेस्ट) की।
    (कांके तब अपने ही राज्य में था, अब बंट गया तो क्या हुआ, कई जान-पहचान के होंगे अभी भी वहीं।)

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  45. @मीनाक्षी जी,
    टिप्पणी तो सबकी स्वीकार्य होती है....{कोई नहीं कह सकता कि मैने आजतक कोई कमेन्ट रोका हो..:) }
    और दिल्ली तो दिल वालों की है....आप तो वैसे भी ख़ास हैं...इंतज़ार ही रहता है आपकी टिप्पणी का :)

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  46. अब धोनी .. की बात!
    हम कपिल की जेनेरेशन के हैं।
    वो हमारा हीरो था।
    जब हम पहली बार विश्व कप जीते थे तो कपिल देव कप्तान थे।
    हरियाणा का लाल! जो एथलिट बनना चाहता था, बन गया क्रिकेटर।
    जो महानगर से नहीं था।
    उसकी विनम्रता अनुकरणीय थी।
    उसे भी गावस्कर, अमरनाथ आदि सीनियर को एकजुट करके ले चलना था, ज़रूरत पड़ी तो एक तरफ़ा १७५ की पारी खेल कर मैच जिता दिया।
    धोनी और उसमें कितनी समानता है।
    फुटबॉल खेलते-खेलते क्रिकेटर बन गया।
    एक पिछड़े राज्य से है।
    और उसके मनोविज्ञानिक अध्ययन तो आपने करके पोस्ट लिखा ही है।
    उसे भी कई सीनियर खिलाड़ियों वाली टीम का नेतृत्व करना पड़ा। ज़रूरत पड़ी तो फाइनल जीताने वाली पारी खेल दी।
    अब वो हमारे बच्चे का हीरो है। रोल मोडेल है।
    जेनेरेशन बदल गया ... पर ....!

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  47. मुझे तो बस एक ही बात कहनी है

    रांची के पानी का नूर बस छाया हुआ है !

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  48. शानदार पोस्ट है। सहेजने लायक। मेरे मुताबिक सभी को इसका प्रिंट लेकर अपने स्टडी टेबल पर लगाना चाहिए।

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  49. सुना है कि वहां का मौसम बड़ा हसीन होता है अगर जिंदगी ट्रेक से उतर गई हो और अक्ल ठिकाने लाने का ख्याल जोर मारे तो... :)

    वहां मेरे एक खास दोस्त की ससुराल है ! होता ये है कि जगदलपुर से कोई भी भला मानस रांची गया नहीं कि बंदे क्विंटलों के भाव से सब्जियां लाद देते हैं :)

    वैसे रांची अब जैसी है वो आप दोनों के निकलने के बाद से है या पहले भी ही ऐसी थी :)

    बहरहाल रांची के पानी में कुछ तो खास है ही , अब देखिये ना हमारे परमप्रिय मित्रवर डाक्टर अरविन्द जी की सुई सी अटक गई है रांची के पानी और उसके नूर में :)

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  50. देर से आया मगर आनंद आया ! शुभकामनायें आपको !

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  51. @अली जी,
    होता ये है कि जगदलपुर से कोई भी भला मानस रांची गया नहीं कि बंदे क्विंटलों के भाव से सब्जियां लाद देते हैं :)

    क्या बात है ...एक गुण दरियादिली का और जुड़ गया रांची वालों के नाम :)

    पर आप सिर्फ अंतिम दो पंक्तियाँ पढ़कर निकल गए...बात कुछ जमी नहीं..:)

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  52. अगर कोई महत्वपूर्ण व्यक्ति, आपकी काबिलियत नहीं समझें और आपकी सफलता पर शक करे. तो अपने अंदर के डर, गुस्सा, दुख और उदासी पर विचार करें और उनपर विजय प्राप्त कर सकारात्मक परिणाम की कोशिश करें.

    वाह वाह ....क्या बात है रश्मि जी .....
    आज ही बात कर रही थी आपके लेखन की ...सच में हमें तो नाज़ होने लगता है आप पर .....

    @ सुना है मेरे घर के सामने लोग आतिशबाजी छोड़ रहे थे....यही लोग कुछ साल पहले हमारी टीम की हार पर मेरे गेट पर कालिख पोत गए थे ...
    ये ऐसे घाव हैं जो भरते नहीं .....
    @ "अभी अगर हम हार गए होते तो सवाल होते, "श्रीसंत क्यूँ..."युवराज के पहले बैटिंग क्यूँ की ...??"
    धौनी के वे वक्तव्य गर्व करने लायक हैं ....!!

    @ रांची के पानी में ही कोई बात है...
    मेरा ननिहाल भी रांची ही है

    ओये होए ....
    बधाइयाँ जी ....!!

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