सबसे पहले तो आप सबको बधाई और भारतीय टीम को धोनीबाद . अब हमें १९८३ के वीडियो का बार बार पुनर्प्रसारण नहीं देखना पड़ेगा...अब हमारे पास फ्रेश तस्वीरें हैं....:) करोड़ों दिलो की मुराद पूरी हुई और कल लगा जैसे ऐसी दीवाली तो देश ने कभी मनाई ही नहीं...तिरंगा तो यूँ लहरा रहा था मानो आज ही स्वतंत्रता मिली हो हमें. अजनबी एक-दुसरे से गले मिल और हाई-फाइव दे एक दुसरे को बधाईयाँ दे रहे थे...अनुपम दृश्य था.....स्मृतियों में हमेशा ताज़ा रहेगा
अब हमारे शरीफ से दिखते युवा ब्लॉगर्स की शैतानी की कहानी...उन्ही की जुबानी
बात कुछ ऐसी है जिसमें किसी की टांग खीचते हुए हम खुद ही उलट-पलट गए थे. यूँ भी टांग खिचने में मैं कभी पीछे नहीं रहता और जब ऐसा ही एक अच्छा मौका हाथ लगा वो भी दोस्तों के साथ तो चुकने का तो सवाल ही नहीं था. हमारे एक दोस्त उन दिनों एक लड़की पर थोड़े सेंटी से थे और हम उनकी इस बात पर खूब खिंचाई करते. उन्हीं दिनों के एक वीकेंड हम कई मित्रों के संग एक बीच घूमने गए हुए थे. और हमारे सेंटी दोस्त उस वीकेंड दिल्ली में थे, संयोंगबस वो लड़की भी उस वीकेंड दिल्ली में ही थी. मुझे इस बातकी जानकारी थी क्योंकि मैं दोनों का ही दोस्त ! अच्छा दोस्त.
सोनल रस्तोगी के आइडियाज़ जनहित में जारी :)
क्या याद दिला दिया आपने ..हर साल १ अप्रैल को जबरदस्त मस्ती करती थी नए नए विचार और ढेर सारी शरारतें .. हर साल लोग मुझसे सावधान रहते और मैं नई नई खुराफातें सोचती ...कुछ आप लोगों के लिए
१) सेण्टरफ्रेश में करेले का injection - इंस्टिट्यूट के खास दोस्तों के लिए मेरा ख़ास तोहफा करेले का जूस निकाल कर injection की सहायता से सेंटर फ्रेश के बीच में लगा दे .. खिलाने वाले पर शक का कोई सवाल ही नहीं उठता .
२) गला खराब -सुबह सुबह स्कूल पहुँच कर फुसफुसाते हुए ऐलान कर दीजिये आपका गल पूरी तरह खराब है और साज सारा दिन आप ऐसे ही बात करेंगी ..अपनी सहेलियों को यकीन दिलाने के लिए टीचर से भी उसी अंदाज़ में फुस्फुसाइए ..सारा दिन फुसफुसी आवाज़ में दोस्तों की नाक में दम कर दे और हर सवाल का जवाब देने के लिए क्लास में हाँथ उठाए ...हाँ टीचर से थोड़ा कम पंगा ले छड़ी पड़ने के चांस ज्यादा है
३) अज्ञात प्रेमी का प्रेमपत्र -अपने बायें हाँथ से अपनी ही बेस्ट फ्रैंड को लव लैटर लिखिए जिसमें बताइए आप उसके अज्ञात प्रेमी है और कई महीनो से उसका पीछा कर रहे है और प्रेमी की बहन उसी स्कूल में किसी कक्षा में है जो आपकी सहेली को follow कर रही है ..अगर उसको प्रस्ताव मजूर है तो लंच के बाद टंकी के पास तीन बार अपनी नाक खुजाये ..यकीन मानिए वो डर के मारे अपनी नाक पर बैठी मक्खी भी नहीं उड़ाएगी .
ऐसी ही कुछ और शरारतें की थी जो बताने लायक नहीं है,और हाँ अपने घर के बड़े सदस्यों पर try मत कीजिएगा जबरदस्त चांटा पड़ने के पूरे आसार है और अप्रैल फूल बनाने में कही आपका चेहरा गोभी के फूल की तरह सूज ना जाए ..जैसा मेरा हुआ था
नमकीन हलवे ने शाना बना दिया देवांशु निगम को
ऐसी तो कोई घटना (या दुर्घटना) याद नहीं आती जब मैंने किसी का अप्रैल फूल बनाया हो | जनता काफी चतुर है | ३१ मार्च से ही तैयारी शुरू हो जाती है | पर एक बार बचपन में पड़ोस वाले भैया ने हमे बनाने की कोशिश की थी | चींटी देवियों ने बचाया हमें | भैया ने बोला आज पूजा थी ये प्रसाद ले लो| सब लोग घर से कहीं बहार जा रहे थे तो मैंने प्रसाद टेबल पे ही रख दिया की लौट के खाया जायेगा आराम से | प्रसाद मे मेरा पसंदीदा हलुवा भी था | घर में चीटियों का बड़ा आतंक था | रस्ते में जब मम्मी को बताया की प्रसाद बाहर रख दिया है तो काफी डांट पड़ी | लौट के आने पे देखा हलुवे में तो चीटी लगी ही नहीं | मैंने बोला मम्मी को "लो अपने फालतू में ही डांट दिया " | पर घर को मम्मी से बेहतर कौन जान सकता है| उन्होंने कहा कुछ गड़बड़ है | तभी भैया दिखे | वैसे तो पूंछ ताछ कार्यालय में मेरे पापा कार्यरत थे उस टाइम पर घर में ये काम मम्मी के ही जिम्मे है आजतक | गहन पूंछताछ के बाद भैया ने बताया की आज फर्स्ट अप्रैल है न इसलिए नमकीन हलुवा दिया था| तब से मै भी काफी शाना हो गया हूँ |
.विवेक जैन का नायाब आइडिया प्रपोज़ल का
मेरी बहुत अच्छी फ्रेंड से मुझे प्यार था, और मैं उससे कह भी नहीं पा रहा था क्यूंकि मुझे लग रहा था कि अगर उसने मना किया तो मुझे बुरा भी लगेगा और कहीं वो फ्रेंडशिप ही ना तोड़ दे.....तो मैंने और मेरे फ्रेंड्स ने प्लानिंग की कि मैं उसे १ अप्रैल के दिन प्रपोज़ करता हूँ, अगर वो मान गई तो बल्ले-बल्ले और नहीं मानी तो कह देंगे कि अप्रैल फूल बनाया है, तेरी ऐसी किस्मत ही नहीं है कि विव (मैं) उसे प्यार करे ...........और १ अप्रैल के दिन हमने उसे प्रपोज़ कर दिया.......उसने मुझसे गुस्से से नज़रें मिलाई और गुस्से में शुरू हो गई कि मैं तो तुम्हें बहुत अच्छा दोस्त समझती थी, तुम ऐसा सोचते हो, वगैरह वगैरह...........कम से कम दस मिनट सुनाने के बाद जब वो शांत हुई तो मैं करीब दो मिनट तो वैसे ही खड़ा रहा फिर हिम्मत करके बोला मैं तो मज़ाक कर रहा था.....अप्रैल फूल बना रहा था.......उसने मुझे घूरा, और फिर बोली.....'एक बात कहूं, मैं भी मज़ाक कर रही थी, मैं तुम्हें सच में पसंद करती हूँ'....और कह के रोने लगी.........फिर तो मुझे और मेरे दोस्तों को करीब ३ दिन लगे उसे सच बताने में कि मैं भी सच में उसे पसंद करता हूँ......
और बस....अब हम इस बार कॉलेज के अन्दर अपना अंतिम अप्रैल फूल मनाएंगे.
अंतिम वाले ने (विवेक जैन जी का) तो मन मोह लिया जी.. :)
जवाब देंहटाएंअभिषेक बाबू ने एक ही किस्सा सुना कर पीछा छुडा लिया, मुझे अच्छे से पता है कि उसके पास किस्सों का पिटारा है..
क्या देवांशु भाई, नमकीन हलुवा टेस्ट करना चाहिए था.. ऐसा मौका बार-बार थोड़े ही ना आता है.. :)
सोनल जी के सभी आयडिया तो मस्त हैं, बस एक सवाल की उनमें से कितनो को उन्होंने Implement किया है? :)
वाह, पढ़कर आनन्द आ गया।
जवाब देंहटाएंविश्व कप में जीत की बहुत बधाई ।
जवाब देंहटाएंशरारतें बाद में पढेंगे ।
सभी कारनामे रोचक लगे।
जवाब देंहटाएंufffffffffff....saans tham gayee...आपने तो आंखें खोल दीं रश्मि जी। बहुत-बहुत शुक्रिया। इत्ते शरारती हैं हमारे साथी...oho....
जवाब देंहटाएंवाह, एकदम मस्त । अंतिम शरारत ने तो वाकई मन मोह लिया है।
जवाब देंहटाएंवाह,शरारतें पढ़कर आनन्द आ गया।
जवाब देंहटाएंविश्व कप में जीत की बहुत बधाई ।
मज़ा आ रहा है सबके कारनामे पढ के. और विवेक की शरारत तो सचमुच बहुत मासूम सी है.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रही ये प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंवर्ल्ड कप की जीत पर बधाई
और
नवसंवतसर की हार्दिक शुभकामनाए.
दिल तो बच्चा है जी...
जवाब देंहटाएंजय हिंद...
सारे किससे मजेदार. सोनल तो शक्ल से ही शैतान लगती है. बाकी बच्चे तो बड़े शरीफ़ हैं :-)
जवाब देंहटाएंहा हा!! सब के कारनामे-एक से एक....सुझाव भी बढ़िया रहे.
जवाब देंहटाएंबिलकुल, मुझे भी प्रशांत के बातों से इत्तेफाक है...अभिषेक बाबु के पास और भी बड़े बड़े कई किस्से होंगे :)
जवाब देंहटाएंसोनल जी के आइडिया कमाल के थे :)
और देवांशु जो को बताऊँ, की एक बार नम्कीम हलुआ हमने भी चखा है...
विवेक बाबु...वाह क्या बात है :)
मैं सोचता था ये बहुत सीरियस लोग होंगे! :)
जवाब देंहटाएंमेरी गर्लफ्रेंड ने गलती से एक मेसेज (मुझे )भेज दिया जो वो अपने दूसरे बोयफ़्रेंड को भेज रही थी. उन मित्र को मुझसे आज तक सहानुभूति है :)
जवाब देंहटाएंदैया रे यही तो जुलुम हो गया! मगर ये बात तो केवल मुझे पता थी ....अभिषेक आपको क्या उसने बताया ?
मस्त संस्मरण !
अभिषेक जी का किस्सा मस्त लगा ...विवेक जी वाला तो बेहद मासूम टाइप ...
जवाब देंहटाएं@PD सारे किस्से आजमाए हुए है अगर यकीन ना हो हम अपने स्कूल का पता दे देंगे ...आज भी अपनी हरकतों की वजह से याद किये जाते है ...
अभिषेक जी वाला संस्मरण पढ़ के मज़ा आ गया ...और विवेक जी का तो बेहद मासूम सा है
जवाब देंहटाएं@PD यहाँ दिए गए सारे नुस्खे पूरी तरह आजमाए हुए है अगर चाहे तो मेरे स्कूल जा कर सत्यापित करवा सकते है .... :-)
बेवकूफी के कारनामे सभी को मुबारक, ऐसे ही बने रहें।
जवाब देंहटाएंमजेदार कारनामे है। जीवन की सहज मूर्खताएं, जिसकी स्मृति आनंददायक बन जाती है।
जवाब देंहटाएंअच्छा प्रस्तुतिकरण!! आभार
बहुत मज़ेदार कारनामे हैं।
जवाब देंहटाएंदेवांशू जी ... हलवा खा तो लेते इतनी मेहनत से बनाया था ....
जवाब देंहटाएंमजेदार रहे सारे किस्से ...
चलिए अब अपनी तो उमर ही नहीं रही अप्रैल फूल बनाने की। और किसी को बनाएंगे तो उल्टा पासा पड़ जाएगा। बहरहाल अप्रैल फूल बनाने की अच्छी तरकीबें जमा हो रहीं हैं यहां। कुछ लोगों के काम आएंगी।
जवाब देंहटाएंक्या शरारतें हैं ...सब एक से एक खुराफाती ...
जवाब देंहटाएंनव संवत्सर की हार्दिक शुभकामनायें !
कहाँ तो हंम सीरियस टाइप के समझे जाते थे और यहाँ तो इमेज की वाट ही लग गयी. गनीमत है पिटारा नहीं खुला. प्रशांत तुम तो चुप ही रहो अब :)
जवाब देंहटाएंएक से बढ़कर एक।
जवाब देंहटाएंएक अच्छी खासी स्क्रिप्ट लिखी जा सकती है।
मजेदार।
abhishe ji ke sath to badi chot hui, sonal ji ke ideas ki to puchho hi mat.........
जवाब देंहटाएं@rashmi ji, thanku mam.......
@All....thanku, one idea can change ur life....atleast mere sath to ye hua.......:P
fool's day is like a valentine day...for me!
बढ़िया उपाय बताये जा रहे है खुराफात करने के ! एक तो आज कल के युवाओ का( बड़े भी कम नहीं है ) दिमाग पहले से ही काफी खुराफाती है उस पर से कई दिमाग मिल कर नये आइडिया दे रहे है खतरनाक है !! सभी मजेदार लगे |
जवाब देंहटाएंहा हा हा ...
जवाब देंहटाएंबड़ा मज़ा आया पढ़कर... :)
सोनल जी तो बड़ी खतरनाक आईडिया से लैस रहती हैं....
विवेक जैन जी की प्यारी सी, महीन सी मासूम सी लव स्टोरी बड़ी अच्छी लगी पढने में...
विवेक जी के प्रोफाइल पर जाना छह रहा हूँ लेकिन आपने वहां गलती से सोनल जी का लिंक दे दिया है....
कृपया उसे ठीक कर लें....
@shekhar suman........ lijiye ye rahaa mera link
जवाब देंहटाएंhttp://www.anaugustborn.blogspot.com/
अरे ये तो काफी सीधे सादे लोग थे ना :)
जवाब देंहटाएं