अब जबतक जावेद अख्तर की 'तरकश' मेरे पास रहेगी और दूसरे ब्लॉग पर कहानी चलती रहेगी आपलोगों को उसमे की चुनिन्दा नज्में पढवाती रहूंगी
मुअम्मा ( पहेली )
हम दोनों जो हर्फ़ थे
हम इक रोज़ मिले
इक लफ्ज़ बना
और हमने इक माने पाए
फिर जाने क्या हम पर गुजरी
और अब यूँ है
तुम इक हर्फ़ हो
इक खाने में
मैं इक हर्फ़ हूँ
इक खाने में
बीच में
कितने लम्हों के खाने खाली हैं
फिर से कोई लफ्ज़ बने
और हम दोनों इक माने पायें
ऐसा हो सकता है
लेकिन सोचना होगा
इन खाली खानों में हमें भरना क्या है
(हर्फ़- अक्षर) (लफ्ज़ -शब्द) (माने-अर्थ)
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जावेद साहब की बहुत खूबसूरत नज़्म पेश की है....मुझसे पूछते तो कह देती कि हर खाने में एक एक हर्फ़ भरते जाएँ लम्हों के...और फिर बन जाती एक ग़ज़ल....
जवाब देंहटाएंशुक्रिया यहाँ प्रस्तुत करने के लिए .
अरे ये खजाना कहाँ जायेगा आपके पास से ? यूँ ही लुटती रहो मोती हम यूँ ही चुनते रहेंगे
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत नज़्म है ..शुक्रिया.
गलती सुधार ..लुटाती * पढ़ा जाये.
जवाब देंहटाएंचश्मेबद्दूर नज़्म. श्री खुशदीप सहगल अगर कमेन्ट करेंगे तो ऐसे.
जवाब देंहटाएंदुवा बद्दुवा दे ये कुछ गम नहीं.
की मै और तुम रह गए हम नही
जावेद साहेब को खाली जगह में हम बनाने वाले हर्फ़ का प्रयोग करना चाहिए. हा हा ,इसे कहते है छोटा मुह और बड़ी बात.
तरकश से पुन: अंश पढ़वाने के लिए धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर नज़्म है।
जावेद साहब के तो हम भी दीवाने है जी, बहुत सुंदर लगी आप की यह पोस्ट. धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत धन्यवाद रश्मि, "तरकश" को सहज उपलब्ध कराने के लिये.
जवाब देंहटाएंजावेद साहब की बड़ी सुन्दर रचना रचना।
जवाब देंहटाएंतुम लुटाती रहो ...हम चुनते रहें ...
जवाब देंहटाएंतरकश पर एक शेर याद आ रहा है..मेरा है ..जावेदजी का नहीं
" सितम कर करके दिल भरा नहीं आपका
जब भी मिलते हैं कहते हैं मुस्कराईये
तीर अभी और क्या बाकी है तरकश में
जो कहते हैं रुक जाईये , अभी ना जाईये "
आपके माध्यम से जावेद जी यह नज्म पढ़ने को मिली, बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति के लिये आभार ।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंखाली खानों मे बस मोहब्बत के सिवा और क्या भरा जा सकता है तभी तो हर्फ़ मुकम्मल होगा………………बिना मोहब्बत के तो ज़िन्दगी भी अधूरी है……………हर शय अधूरी है।
जवाब देंहटाएं@आशीष जी
जवाब देंहटाएंअब खुशदीप भाई तो मेरे दोनों ब्लॉग का रूख करते नहीं....आपने उन्हीं के अंदाज़ में टिप्पणी कर उनकी उपस्थिति भी जता दी..शुक्रिया...
@वाणी,
जवाब देंहटाएंवाह वाह वाणी, सुब्हान अल्लाह....क्या बात कही है...
तीर अभी और क्या बाकी है तरकश में
जो कहते हैं रुक जाईये , अभी ना जाईये "
बहुत खूब....
ये मेरी पोस्ट्स पर कमेन्ट करके डिलीट करने का रिवाज़ कब्भी थमेगा भी या नहीं?
जवाब देंहटाएंलोग कमेन्ट कर देते हैं फिर सोचते हैं....ना, इस ब्लॉग पर अपनी उपस्थिति नहीं दिखानी...और कोई उसी वक़्त तो कोई दूसरे दिन अपने कमेंट्स डिलीट कर जाता है....पर मेल में तो आ ही जाता है....आखिर किस से और क्यूँ डरते हैं ये लोग????
बाबा कौन सा मेरे लिखे को अच्छा कहा था...ये तो जावेद अख्तर की नज़्म थी...:)
साहबजादे अच्छे मित्र भी हैं,( अब ये मेरी खुशफहमी है या ग़लतफ़हमी, नहीं पता :) )सो नाम नहीं बताते..:)
.रश्मि जी,
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी नज़्म पढवाई आपने। इसके लिए आपका बहुत आभार।
.
beautiful......
जवाब देंहटाएंfir se ek bar padhwane ke liye shukriya...
इक बार वक्त से लम्हा गिरा कहीं,
जवाब देंहटाएंवहां दास्तां मिली लम्हा कहीं नहीं,
थोड़ा सा हंसा के, थोड़ा सा रुला के,
पल ये भी जाने वाला है,
आने वाला पल जाने वाला है
हो सके तो इसमें ज़िंदगी बिता दो,
पल ये जो जाने वाला है...
आ गया रश्मि बहना जी, आ गया...अरे बाबा, बहन से बच कर कहीं जा सकता हूं क्या...अब कहोगी, वही बहाना दोगे मसरूफ़ियत का...कोई बहाना नहीं आज, सीधे बहन के सामने कोर्ट मार्शल के लिए हाज़िर...अब जो सज़ा सुनाई जाएगी, बंदे को मंज़ूर होगी...
जय हिंद...
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंमैने कोई लोड नहीं लिया डियर डियर पंकज...:)
जवाब देंहटाएंमेल में पूछा...आपने जबाब नहीं दिया....तो मुझे यही लगा कि आपको मेरे ब्लॉग पर अपनी उपस्थिति दिखाना गवारा नहीं....गाहे-बगाहे ही आते हैं, आप.
और किन शब्दों में शुक्रिया अदा करूँ कि तुमने इतना सोचा मेरे लिए...कोटिशः धन्यवाद
कितने अच्छे दोस्त हो...अपनी इतनी अच्छाई हमेशा बरकरार रखना...God Bless U
P. S.सिलसिला तो अपने आप बन जाता है...जब एक सी घटनाएं एक के बाद एक होती हैं....अलग से कोशिश नहीं करनी पड़ती.
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंPankaj there is smthing wrong in my blog's time setting...as this comment reached to my mail box at 12.26...here is the proof
जवाब देंहटाएंrashmi ravija
show details 12:26 PM (3 hours ago)
rashmi ravija has left a new comment on your post "जावेद अख्तर की तरकश से एक और ख़ूबसूरत तीर":
ये मेरी पोस्ट्स पर कमेन्ट करके डिलीट करने का रिवाज़ कब्भी थमेगा भी या नहीं?
U can check urself...as u hv posted ur comments on 3.22 and on this blog its showing 2.52
I DONT LIE KID...for god sake...:)
and yess i thought u mst b around as when i received ur comment in mail box...(ws online) immediately sent a msg , asking "Y did u delete ur comment"...bt u chose nt to reply ( hw wud I know that u were on ur way to office)..
Yet i dint disclose ur name....
So chill boy...and thanx allot for ur encouraging words.
There is no condition bt when one finds smone visiting mny blogs on regular basis,then a thought always crosses one's mind..."wts the reason?...May b my writing is nt upto the mark..or r there sme other reasons??.."
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंGoodness...now it has gone really far...
जवाब देंहटाएंI dnt want to do this....bt U r compelling me...God!!! hv to again show u the proof...
Pankaj Again n again am saying DINT LIE TO U ..its really disgusting that i hv to gv proof as someone is nt believing my word...:(
Hv asked u before writing comments.....
Sent u the msg..at 12.02
rashmi ravija
to mr.p.upadhyay
show details 12:02 PM (4 hours ago)
y did u delete ur comment??
And here is the comments timing
rashmi ravija
show details 12:26 PM (4 hours ago)
rashmi ravija has left a new comment on your post "जावेद अख्तर की तरकश से एक और ख़ूबसूरत तीर":
ये मेरी पोस्ट्स पर कमेन्ट करके डिलीट करने का रिवाज़ कब्भी थमेगा भी या नहीं?
Have waited for good 24 minutes... in between replied to Vani n Ashish
And on sme system ur name is nt showing..( comment removal one)...verify wid sme of ur friends as i did ...thats y i thought its safe to write as no one wud come to know...u had deleted it immediately .....bt dint know that on some system ur name is there too
Will copy paste for u ( HATE DOING THIS)
Comment deleted
This post has been removed by the author.
NOW SATISFIED??? hope so....
बहुत घहराई है इन चंद लफ़्ज़ों में ।
जवाब देंहटाएंलेकिन लफ्ज़ बिखरने के बाद भी कहीं मिलते हैं हर्फ़ ?
छोडिये भी ना.. आप दोनों भी बिलकुल बच्चों जैसे बात कर रहे हैं.. कि हम ये बोले, तो हम वो बोले.. कुछ और बात किया जाये, जावेद अख्तर जी कि बात करनी कैसी रहेगी? :)
जवाब देंहटाएं(दोनों ही मेरे बहुत अपने हैं और उन पर इतना अधिकार समझता ही हूँ कि ऊपर लिखी बात लिख सका, उम्मीद है बुरा नहीं मानेगे :) )
PD hv decided to delete this post altogether as He really is a good friend...(and a kid too....smart one :).
जवाब देंहटाएंbt not before....giving proof that I was not lying
cant take this accusation(of lying) at this stage of my life...
and believe me (if u can as cant invite u n show my laptop hahaha) really i dint know that his name too is showing as comment deleted by so n so...or wudnt hv written that comment..
आप अच्छा कर रही हैं.इसी बहाने हम सभी को जावेद साहब की खूबसूरत नज्में तो मिलती रहेंगी.
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंWell... wont delete it now......jst thought of deleting this post as dnt want ppl to relish our communication...if u r nt bothered ....let ppl njoy our communication..even I gv a damn
जवाब देंहटाएंAnd dear..am nt suffering from any Deletofobia (this is a new word for me) .Yet to delete nything written by me.
"You could have simply addressed me and said that 'Pankaj, why did you delete that comment', instead of using 'log'.".
Your name ws nt showing on my system (and on sme others too) otherwise wudnt hv written साहबजादे अच्छे मित्र भी हैं,( अब ये मेरी खुशफहमी है या ग़लतफ़हमी, नहीं पता :) )सो नाम नहीं बताते..:) ..Now tell me hw wud hv addressed U as' Pankaj ' and plss i dnt need any shoulder to fire my guns...hv enough ways to make ppl hear my voice.
In each n evry comment U said that i hv commented first then sent U a mail.and that ws nt true...u even gave sme examples too. Y dint u jst believe my words if U thought I was not lying. (I had to gv proofs)
And dear am mature enough to handle many things at a time and nt mixing with each other. If u r thinking that ws in bad mood as ws worried abt my kids.(shared it to U) who went for trekking ..yess ws worried bt nt angry....ws still chatting wid friends...posting comments on other's post
And u wud happy to know they came back safely..and njoyed their trip thoroughly.
अब ख़ाक डालो इस डिस्कशन पर....घर जाओ आराम करो..कल एक नया दिन और नई सुबह होगी....शुभकामनाएं.
आप सुनवाती जाइये हम भी पढेगे और सोचेगे सुन रहे है |वनिजी का शेर भी अच्छा लगा |
जवाब देंहटाएंतरकश हमारी किताबों की अलमारी की भी शोभा बढ़ाती है..मगर आप तीर चलाती रहें. :)
जवाब देंहटाएंसमीर जी,
जवाब देंहटाएंजरूर, आपके पास भी होगी यह किताब , आपकी पर्सनल लाइब्रेरी की तस्वीर देख चुकी हूँ,और थोड़ा थोड़ा जल भी चुकी हूँ :)...एक नन्ही सी लाइब्रेरी तो मेरी भी है पर उसमे अब हिंदी की किताबें शामिल करना बाकी है.
दरअसल बचपन की आदत है कहीं कुछ अच्छा पढ़ा, कोई कहानी, कविता, किताब तो दोस्तों को भी पढवाती थी और फिर हम डिस्कस करते थे. और पुरानी आदत कहाँ जाती है,इसीलिए फिल्म हो ,कोई किताब हो या कोई नज़्म ...यहाँ भी शेयर करती रहती हूँ.
वरना यह कोई दुर्लभ पुस्तक नहीं है...नेट पर भी कई रूप में उपलब्ध है.
जावेदी तरकश का तीरे-नज़्म असरदार है !
जवाब देंहटाएंआपकी किताबी अलमारी गुणवत्ता की दृष्टि से संपन्न होगी न कि मात्रा की दृष्टि से , ऐसा सहज ही अनुमान लगता है ! हिंदी के कुछ नवगीतकारों को भी जगह दें तो और आनंद आये !
टीपों की आंग्ल-बतझक में तीरे-नज़्म का असर बाधित सा रहा , बाकी पोस्ट अच्छी लगी ! आभार !
aap najmen hamen najar karti rahen phir apani almari men rakhi hui padhne ka vakt kab milega. tum hi padha do.
जवाब देंहटाएंlekin jab padhao to kam se kam mujhe bata jaroor dena. samajh rahi ho ki main kyon kah rahi hoon.
आज कुछ सर्च कर रहा था और ऐसे में ही यह पोस्ट फिर से दिख गई।
जवाब देंहटाएंमैंने फॉलो अप कमेंट के लिए टिक नहीं किया था शायद इसीलिए बाद में आनी वाली इन बमचकात्मक टिप्पणियों को मिस कर गया।
बमचकात्मक इसलिए कि पोस्ट से ज्यादा रोचक पंकज जी और रश्मि जी आप दोनों की ढिंचाक बतकहीयां रही......मैंने ये कहा....तूमने वो कहा....इस समय इतने बज कर उतने बजे ये कहा गया..... तब तुमने उतने बज कर उतने मिनट पर ऐसा कहा :)
कौन कहता है भारत में समय की कद्र नहीं होती.....यहां टिप्पणियों में देखिए मिनट मिनट का हिसाब है :)
झगड़ा
हाहा..सतीश जी...दफ़न हो गयी बातों में जान फूंकना ...कोई आपसे सीखे :) :)
जवाब देंहटाएं*बमचकात्मक = कुछ कुछ झगड़ात्मक :)
जवाब देंहटाएंसतीश जी...
जवाब देंहटाएंकुछ बमचकात्मक, ढिंचाक बतकहियों के लिये इसे भी देखें :-)