घड़ी पर नज़र डाली, छः बजकर बीस मिनट, और मैने मोबाइल हाथों में लिया,मेसेज टाइप करने को कि I m ready और तभी घंटी बज उठी. सहेली का मिस्ड कॉल था. मोबाइल वहीँ रखा, क्यूंकि तेज बारिश हो रही थी. घर की चाबी उठायी, छाता लिया और दरवाजा खींच कर निकल आई, मॉर्निंग वाक के लिए. गेट के सामने सहेली की गाड़ी नहीं दीखी.सोचा, शायद अभी आई नहीं है. उसकी बिल्डिंग की तरफ बढ़ चली, पर ना रास्ते में उसकी कार दीखी ना अपने युज़ुअल पार्किंग प्लेस पर. वह हमेशा मेरा इंतज़ार करती है. फिर सोचा शायद बेटे को देर हो रही होगी,फूटबाल प्रैक्टिस के लिए.इसलिए निकल गयी होगी. अभी छोड़ कर आ जाएगी.मैं सड़क पर अकेले ही थोड़ा आगे निकल गयी. थोड़ी देर बाद लौट कर आई,अब तक नहीं आई थी वो. मैं फिर दूसरी तरफ निकल गयी. थोड़ी देर बाद फिर उसकी बिल्डिंग में आकर देखा,अब तक नहीं. मैं तो मोबाइल घर पर छोड़ कर आई थी.सोचा उसकी बिल्डिंग में हूँ,उसके घर जाकर ही उसकी बेटी को कहती हूँ, उसे कॉल करके देखे. पर उसकी लिफ्ट बंद थी. सातवीं मंजिल तक चढ़ कर जाना गवारा नहीं हुआ.
लौट कर आई तो वाचमैन दिखा, बोला "हाँ, मैडम तो बेटे को लेकर उसे छोड़ने गयी हैं "
थोड़ी देर फिर मैं घूम कर आई, अब तक वह नहीं लौटी थी.
अब मुझे चिंता भी होने लगी. सात बज गए थे. घर आई ,उसका मिस्ड कॉल देख थोड़ी शांति मिली कि सब ठीक हैं पर गुस्सा बहुत आया.
उसे फोन मिलाया,मैं कुछ कहती इसके पहले ही वो बरस पड़ी, "
"अभी नींद खुली?? मैं फोन करके परेशान हूँ"
"मैं तुम्हारी बिल्डिंग के चार चक्कर लगा कर आ रही हूँ, हो कहाँ तुम?"
"मैने तो कितनी देर तुम्हारे गेट पर इंतज़ार किया"
"मैं तो तुम्हारा मिस्ड कॉल देखते ही निकल पड़ी"
"तुम्हे मेरी गाड़ी कैसे नहीं दीखी?"
"तुम्हे गेट से निकलती मैं, कैसे नहीं दीखी?"
........
.......
बाय
बाय
दरअसल मुझे मिस्ड कॉल देने के बाद ,उसे थोड़ी देर लगी नीचे उतरने में और उसकी गाड़ी,दूसरी जगह पार्क थी. (ऐसा पहली बार हुआ था )मैं थोड़ी जल्दी निकल गयी और उसकी कार जगह पर ना देख...यह सोचा कि वह चली गयी है. उसने गेट पर पहुँच कर मुझे फिर से फोन किया और सोचा शायद मै सो रही हूँ,इसलिए फोन नहीं उठा रही. और मैं सेल भी साथ में नहीं ले गयी थी.उसने बेटे को स्कूल छोड़ा और वहीँ पास के पार्क में ही घूमने चली गयी. और मैं उसका इंतज़ार करती रही.
दोनों को अपनी गलती का अहसास हुआ और फिर एक-एक सॉरी मेसेज भेजा.फिर थोड़ा रुक कर इन्बौक्स से ढूंढ अच्छे अच्छे दोस्ती के मेसेज भेजे एक दूसरे को और बारह बजते बजते हमलोग एक दूसरे से बात करते हंस रहें थे. हम दोनों के पतिदेव शहर से बाहर गए हुए थे. बच्चों की कोचिंग क्लास थी .शनिवार का दिन हमारा ऐसा ही बेकार गुजरने वाला था.
उसने प्रस्ताव रखा,"चलो मूवी चलते हैं."
"पर इतनी बारिश हो रही है?"
"इतने दिन मुंबई में रहकर भी बारिश से डरती हो ..लेट्स गो"
"हम्म ओक्के"
हम महिलाओं का फिल्म देखने जाना इतना आसान नहीं. एक तो बहुत कम फिल्मे ही अच्छी लगती है. फिर थियेटर पास होना चाहिए. टाइमिंग सूट करनी चाहिए. क्यूंकि शाम तक घर भी वापस आना होता है.
जल्दी जल्दी पेपर पलटे गए. थियेटर,फिल्म निश्चित की पर बारिश बढ़ती ही जा रही थी. दोनों जन आधी आधी छतरी में.....ना अपनी अपनी छतरी में भीगते हुए निकल पड़े. मुंबई की बारिश में छतरी और भीगने का अन्योन्याश्रय सम्बन्ध है.आप बारिश में निकलेंगे तो छतरी जरूर लेंगे और यहाँ की बारिश ऐसी होती है कि बिचारी छतरी कुछ नहीं कर पाती,और आप भीगने से नहीं बच सकते.
थियेटर पहुँचते -पहुँचते तो लगा,अब ये बारिश रुकने वाली नहीं. हम डर गए. कहीं ऐसा ना हो, हम तीन घंटे तक फिल्म देखते रहें और बाहर निकले तो पता चला,पूरी मुंबई डूब गयी. एक दूसरे का मुहँ देखा और सर हिलाया, "ना कभी और देखते हैं...आज तो घर वापस चले जाते हैं. " हमने टिकट नहीं लिया पर सोचा.एक एक कॉफी तो पी ली जाए कम से कम.
गीले कपड़ों में ठंढ भी लग रही थी.पर अंदर की ए.सी. में ठंढ और बढ़ गयी,कॉफी ने भी कुछ काम नहीं किया. कॉफी पीते हम निराश आँखों से बाहर देखते रहें. बारिश काफी कम हो गयी थी,सिर्फ हमारी फिल्म कैंसिल करवानी थी उसे. हमने तय किया 'लिंकिंग रोड' पर थोड़ी शॉपिंग कर ली जाए.' पर जब कॉफी शॉप से बाहर निकले तो इतने सुहाने मौसम में सेल्समैन से झिक झिक कर कुछ खरीदने का मन नहीं हुआ.लिंकिंग रोड इसीलिए कुख्यात है. आठ सौ की चीज़ दो सौ तक लाने में हमारे सौ दो सौ शब्द तो खर्च हो ही जाते हैं.
फिल्म भी कैंसल हो गयी. शॉपिंग का मूड नहीं और बारिश की रफ़्तार भी धीमी हो गयी और घर वापस जाने का भी मन नहीं हो रहा. हमने तय किया बैंड स्टैंड चलते हैं,वहाँ प्रेमी युगल ही जाते हैं तो क्या दो सहेलियां नहीं जा सकतीं?. फैमिली के साथ तो वहाँ से कार से गुजरने पर भी मन होता है मुहँ फेर लें..ऐसे दृश्य होते हैं.
और हम पहुँच गए ,उन पत्थरों पर सर पटकती लहरों की फ़रियाद सुनने. जिसे ना वह बेजान पत्थर सुनता है और ना अहसास से धड़कते एक दूसरे में खोये दो दिल. पर हम भी ठीक से कहाँ सुन पाए. अपनी छतरी ही संभालने में लगे रहें. इतनी हवा थी कि छतरी ने भी नाराज़ होकर आकाश की तरफ मुहँ मोड़ लिया. ऐसे में वो गाना जरूर याद आ जाता है ,"छतरी ना खोल...उड़ जाएगी..हवा तेज़ है...." अब भी ये गाना उतना ही बेक्कार लगता है,जितना पहले लगता था..पर याद जरूर आ जाता है.
ब्लॉग पढनेवाले तो सब एडल्ट ही हैं इसलिए बताया जा सकता है ,पहली बार एक 'गे' कपल को भी देखा.और बेवकूफों की तरह कितना भी हम कोशिश करते आकाश से गिरती बूंदे जो लहरों के पत्थर से टकराने के बाद उडती बूंदों से एकाकार हो रही थीं,उन्हें देखें..पर नज़र जिद्दी बच्चे सी बार बार उधर ही लौट जाती.आखिर कार हमने नज़रों को सिगड़ी में सिकते भुट्टो का लालच दिया और कोशिश कामयाब हुई. जब भी समंदर के किनारे भुट्टे खाने का आनंद उठाती हूँ. दूर अमेरिका में बैठी अपनी कजिन से हुई बहस याद आ जाती है.वहाँ के 'बीचेज' की बड़ी बखान करती, इतना नीला पानी है,इतना साफ़ सुथरा....और मैं कहती.."वहाँ धीमी आंच में सिकते भुट्टे मिलते हैं??"और वह सबकुछ भूल ,भुट्टे के साथ,गोलगप्पे...भेलपूरी सब याद करने लगती.
दिन की शुरुआत तो बड़ी खराब हुई थी पर अंत उतना ही अच्छा रहा...
इसलिए भी कि दिन का अंत अपने ब्लॉग जगत के सभी साथियों को " Happy Friendship Day " कह कर कर रही हूँ. वैसे तो दोस्ती का कोई ख़ास दिन मुक़र्रर नहीं पर ज़माने के साथ भी चलना है..तो ये रस्म भी क्यूँ ना निभाएं...एक सुन्दर सा मेसेज ,सबकी नज़र है
A quote said by a friend to his best friend after both got busy in their lives and dnt contact each other..'I MISS UR SMILE ALLOT ......BUT I MISS MY OWN SMILE EVEN MORE."
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
फिल्म The Wife और महिला लेखन पर बंदिश की कोशिशें
यह संयोग है कि मैंने कल फ़िल्म " The Wife " देखी और उसके बाद ही स्त्री दर्पण पर कार्यक्रम की रेकॉर्डिंग सुनी ,जिसमें सुधा अरोड़ा, मध...
-
सच ही कहा जाता है, इंसान उम्र भर सीखता रहता है। दो वर्ष पूर्व तक मुझे लगता था,बुजुर्गों को कोई काम नहीं करना चाहिए। उन्होंने सारा जीवन काम क...
-
बहुत बहुत आभार अभिषेक अजात । आपने किताब पढ़ी, अपनी प्रतिक्रिया लिखी और फिर मेरी मित्र सूची में शामिल हुए । मैने पहले भी कहा है, कोई पुरुष ...
-
चोखेरबाली , ब्लॉग पर आर.अनुराधा जी की इस पोस्ट ने तो बिलकुल चौंका दिया. मुझे इसकी बिलकुल ही जानकारी नहीं थी कि 1859 में केरल की अवर्ण ...
रोचक....यानि कि दिन अच्छा ही गुज़ारा ...
जवाब देंहटाएंमित्रता का दिन मुबारक हो...
चलिए अंत भला तो सब भला. ab मित्रता दिवस मनाईये .
जवाब देंहटाएंमित्र-दिवस मुबारक हो. ये दोस्ती ऐसी ही बनी रहे.
जवाब देंहटाएंकाश ऐसा ही दिन हम भी बिता पाते ..... आपसे जलन हो रही है । मित्र दिवस की शुभकामनायें ।
जवाब देंहटाएंमित्रता का दिन मुबारक हो ! प्रभावी !!लेखन भाई !!
जवाब देंहटाएंसमय हो तो पढ़ें
मीडिया में मुस्लिम औरत http://hamzabaan.blogspot.com/2010/07/blog-post_938.html
अरे बाप रे... सारा दिन हमे भी घुमाया ना नाश्ता, ना दोपहर का खाना, बस एक काफ़ी से टरकाया,फ़िल्म भी नही दिखाई:) सच कहुं अगर मुझे ऎसा ऎसा दोस्त मिल जाये तो मै वही भूखा मर जाऊं, या फ़िर भुख के मारे उस नीले साफ़ पानी मे खुद जाऊ, कितनी कंजुस है जी आप् लोग:)
जवाब देंहटाएंखुद ना खाती लेकिन एक दुसरे को तो खिला देती:)
आप की दोस्ती जिन्दा वाद जी
अभी अभी संगीता जी को एही टिप्पणी देकर हटे हैं कि दोस्ती भी कोनो दिन का मोहताज होती है का... या लोग सोचता होगा कि साल का एक दिन दोस्ती मना लो कि अरे बाप रे एक साल अऊर टिक गया ई दोस्ती... दोस्ती न हो गया चप्पल हो गया... खैर ई मजाक था.. आपका रचना में भी आत्मीयता देखाई देता है अऊर बतियाने का अंदाज..आपका दोस्ती सलामत रहे, एही दुअ के साथ, हैप्पी फ्रेंडशिप डे!!
जवाब देंहटाएंबढ़िया रहा मित्र दिवस.. बधाई एवं शुभकामनाएँ दिवस विशेष की.
जवाब देंहटाएंहम डर गए. हम तीन घंटे तक फिल्म देखते रहें और बाहर निकले तो पता चला,पूरी मुंबई डूब गयी. एक दूसरे का मुहँ देखा और सर हिलाया, "ना कभी और देखते हैं... इस जगह थोड़ा कन्फ्यूज़न हो गया, इसलिए मुझे कई बार पढ़ना पड़ा. आप "हम डर गए" और "हम तीन घंटे.." वाले वाक्यों के बीच "कि कहीं ऐसा ना हो" डाल दीजिए कन्फ्यूज़न दूर हो जाएगा. आपको भी मित्रता दिवस की शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंऔर वो गे कपल को ठीक से देखा क्यों नहीं. देखकर प्रेम के इस रूप के विषय में भी कुछ लिखतीं :-)
मेरे ख्याल से इसे प्रेम का ही एक रूप मानना चाहिए.
राज भाटिया जी के कमेंट को मेरा भी कमेंट माना जाय....पूरा दिन घुमा के रख दिया..लेकिन खाणं वास्ते कंजूसी कर गए तुस्सी दोवें :)
जवाब देंहटाएंHappy frndship day ji.
ये गे कपल वाला मामला बड़ा लफड़ात्मक है जी....अब तो दो आदमी या दो महिलाएं कहीं पार्क या ऐसे ही किसी स्थान पर साथ साथ बैठे दिख जांए तो पहला शक ऐसे ही किसी लफड़े की ओर ही जाता है:)
ये समलैंगिकता वाला मुद्दा न जाने कौन कौन गुल खिलाएगा अभी :)
आपको मित्रता दिवस की ढेर सारी शुभकामनाये.
जवाब देंहटाएंये क्या किया आपने ?
जवाब देंहटाएं?
?
?
अब मुझे भुट्टे लाना ही होंगे :)
रोचक पोस्ट है।
जवाब देंहटाएंमित्रता दिवस मुबारक हो।
मुम्बई के किस्से, बारिश, शॉपिंग और सीन के किस्से अच्छे लगे।
पोस्ट पढ़कर मुस्कराते हुये यह सोच रहा था कि कम्युनिकेशन गैप के बाद दोस्तों से बहस करना आपकी फ़ेवरिट हॉबी है। अपने को सही ठहराने के प्रति आपका खूब सारी मेहनत करने का रवैया मनभावन है।
गे कपल को ध्यान से देखकर उसके बारे में और कुछ लिखना चाहिये था।
सुबह-सुबह इसे पढ़कर आनन्दित हुये।
dost ko mana liya to sab thik...happy friendship day
जवाब देंहटाएंयह भी खूब रही ।
जवाब देंहटाएंअपने साथ साथ हमें भी घुमा दिया ।
कभी कभी ऐसा भी होता है ।
सच में , कभी ऑफ़ दा ट्रेक निकल जाओ , तो बड़ा मज़ा आता है ।
हैपी फ्रैंडशिप डे ।
@अनूप जी,
जवाब देंहटाएंमेरा अनुमान सही निकला मुझे आशा ही नहीं पूरा विश्वास था कि आप इस पोस्ट पर जरूर कमेन्ट करेंगे, और मेरी दोस्त से बहस का जिक्र जरूर करेंगे,वैसे बहस कभी अकेले नहीं होती...सामने वाले को भी उतनी ही रूचि होनी चाहिए....आपका इसे मेरी हॉबी बताने का तरीका भी बहुत मनभावन है :)
एक बार फिर आपको मित्रता दिवस की ढेरों शुभकामनाएं
बड़ा सुन्दर वाक्या। आज कल मोबाइल ने जहाँ हमारी पहुँच बढ़ा दी है वहीं हमारी लापरवाही भी।
जवाब देंहटाएंअरे हमें तो मज़ा आया अब तुमने भी तो एन्जाय किया ही ना…………………बेहद रोचक दास्तान रही।
जवाब देंहटाएंHAPPY FRIENDSHIP DAY
कल (2/8/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
हमेशा की तरह ही बहुत ही रोचक संस्मरण ....बारिश मे भीगना और भुट्टे खाना ...जलाती रहो ऐसे ही ...
जवाब देंहटाएंमानती तो मैं भी यही हूं कि मित्रता के लिये किसी एक दिवस की क्या आवश्यकता है , मगर विश करने में क्य़ा जाता है ....
बहुत बधाई और शुभकामनायें...!
पढ़ लिया आज तो बस शुभ मित्र दिवस !
जवाब देंहटाएं...."वहाँ धीमी आंच में सिकते भुट्टे मिलते हैं??"और वह सबकुछ भूल ,भुट्टे के साथ,गोलगप्पे...भेलपूरी सब याद करने लगती.
जवाब देंहटाएंइससे बढ़िया कुछ नहीं कहा जा सकता.
happy friendship day ji.
जवाब देंहटाएंthanks.
WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM
बहुत बढ़िया.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद.
WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM
Happy Friendship Day
जवाब देंहटाएंMitr jinhe kahti hai duniya..
जवाब देंहटाएंSukh dukh main saati hote..
Chahe sang main rahte hon ya..
Chahe door kahin hote..
Mitrta divas ki hardik shubhkamnayen..
Deepak..
बिलकुल राज भाटिया जी की तरह आपने मेरे साथ भी किया ...यह कैसी दोस्ती ?? खैर दोस्तों की अपनी अपनी किस्मत है ...मगर वर्णन बहुत अच्छा रहा ! पूरा पढने को मजबूर कर दिया आपने .....
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपकी कंजूस मित्रता को ...
एक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है यहां भी आएं !
1 कभी-कभी होता है ऐसा भी (गलतफहमी दोनों तरफा होती है)
जवाब देंहटाएं2 छतरी से केवल सिर भीगने से बचता है
3 धीरे-धीरे आदत हो जायेगी (गे कपल चारों ओर दिखेंगें)
4 आपकी दोस्ती जिन्दाबाद रहे
प्रणाम
सच में जलन हो रही है आपसे .. वैसे मेरे हिसाब से तो नथिंग वेंट रोंग.क्योंकि दोस्त साथ हों तो मौसम ,भूख वगेरा वगेरह कुछ भी असर नहीं करती..बस मस्ती ही मस्ती .
जवाब देंहटाएंऔर हाँ ...दोस्तों के साथ बहस कर सकने जैसी भी किस्मत सबकी नहीं होती ..ऐसे दोस्त भी तो होने चाहिए ना :)...
हद है, आपकी ये पोस्ट मैंने पहले क्यों नहीं पढ़ी? शनिवार को ही, जब आपने लिखा था ये ...
जवाब देंहटाएंखैर,
पता है यहाँ बैंगलोर में भुट्टे बारह रुपिया का एगो मिलता है...हम तो यही सोचते हैं की यहाँ इत्ता महंगा और पटना में क्या मस्त सस्ता भुट्टा मिलता है :) खतरनाक याद दिला दिया आपने भुट्टे की
और बारिश में कोफ़ी पीना...वाह, इससे बेहतर और क्या हो सकता है...
और वैसे एक गे कपल को मैंने भी देखा था यहाँ बैंगलोर में एक सी.सी.डी में :) हा हा
मस्त मस्त पोस्ट है बिलकुल..
बहुत देर कर दी आने में इसलिए कुछ कहने का कोई मतलब नहीं बनता बात बासी मानी जायेगी.. इसलिए इस रोचक पोस्ट को पढ़ के निकल लेता हूँ..
जवाब देंहटाएंवाह रश्मि जी क्या खूब लिखा .....
जवाब देंहटाएंमस्ती तो अपनी जगह है आपके तो शब्दों से भी मस्ती झलकती है ....
सच आपकी लेखनी बांधे रखती है पाठक को .....
कुछ जुमले बेहद ही आकर्षक लगे......
@थोड़ा रुक कर इन्बौक्स से ढूंढ अच्छे अच्छे दोस्ती के मेसेज भेजे एक दूसरे को और बारह बजते बजते हमलोग एक दूसरे से बात करते हंस रहें थे....
@ पर नज़र जिद्दी बच्चे सी बार बार उधर ही लौट जाती.आखिर कार हमने नज़रों को सिगड़ी में सिकते भुट्टो का लालच दिया और कोशिश कामयाब हुई....
@और मैं कहती.."वहाँ धीमी आंच में सिकते भुट्टे मिलते हैं??
friendship par ik achha sa msg meri taraf se ......
Making a million friends is not a miracle,the miracle is to make a friend who will stand by you when millions are against you.