सोमवार, 8 नवंबर 2010

ऐसे बनायी जाती है, महाराष्ट्र में रंगोली

हमारे देश के करीब करीब सभी प्रान्तों में रंगोली बनायी जाती है.  बस इसे बनाने के तरीके और नाम अलग होते हैं..बंगाल में चावल को पीसकर उसके घोल से सुन्दर आकृतियाँ बनाए जाती हैं,जिनमे शंख, मछली, कलश आदि प्रमुख होते हैं और इसे अल्पना कहा जाता है .केरल में फूलों से रंगोली बनायी जाती है और इसे पूकल्लम कहते हैं. जिन प्रदेशों में रंगोली की प्रथा नहीं थी  , वहाँ भी अब टी.वी. वगैरह में देख, लोगों ने बनाने शुरू कर दिए हैं. महाराष्ट्र में भी रंगोली का बहुत चलन है और यहाँ पांच दिनों तक धनतेरस से लेकर भाई-दूज तक रोज अलग-अलग रंगोली बनायी जाती है. भाई-दूज के दिन ही गुजराती लोगों का नव-वर्ष भी होता है . ( मुझे कई लोंग गुजराती समझते हैं ,और 'हैप्पी  न्यू इयर' बोल जाते हैं :)) लिहाजा उस दिन गुजरात के लोंग भी घरो के बाहर सुन्दर रंगोली बनाते हैं.
मुंबई आने से पहले मैने रंगोली की तस्वीरें देखी थीं और मुझे लगता था,  पेंट से या गीले रंगों से रंगोली बनायी जाती है. पर जब मैं मुंबई आई तो देखा, यहाँ रंगोली रंगों के पाउडर से बनायी जाती है. शायद इसीलिए, रोज  इतनी मेहनत से बनायी ख़ूबसूरत सी रंगोली मिनटों में बुहार कर हटा दी जाती  है और फिर नई रंगोली बनायी
अंगूठे और तर्जनी की सहायता से रंगोली पाउडर डालने का तरीका
जाती है. मेरे  पड़ोस में एक महाराष्ट्रियन महिला रहती थीं. वह नौकरी करती थीं. पर ऑफिस से आते ही जल्दी से कपड़े बदल,रंगोली बनाना शुरू कर देतीं. उन्हें देख कर ही मैने भी रंगोली बनाना सीखा. पहले जमीन पर गेरू का लेप लगाया जाता है. फिर उस पर एक बड़े से शीट में किए छिद्रों की मदद से सफ़ेद रंग के डॉट्स डाले जाते हैं. फिर इन डॉट्स को छोटी छोटी रेखाओं से मिलाकर बहुत ही जटिल डिजाईन बनाए जाते हैं. अब  सफ़ेद रंग  के पाउडर में अलग-अलग रंग के पाउडर को मिश्रित करके इन खानों को भरा जाता है. और इन पाउडर को भी तर्जनी और अंगूठे के मध्य मसलते हुए एक विशेष तरीके से डाला जाता है. जो सिर्फ प्रैक्टिस से ही आ सकती है. कई लोंग धागे की सहायता से बनाते हैं. चुटकी में रंग ले ,उसे धागे में लगा...त्वरित गति से धागे की सहायता से गोल आकृतियाँ बनाते जाते हैं. कुछ रंग भरने का काम,चाय की छलनी में एक सिक्का डालकर करते हैं. और हाथ ऐसा सधा हुआ कि मजाल है जरा सा,पाउडर रेखा के बाहर चला जाए.

मैने भी यह सब सीखा और दिवाली  में रंगोली बनाना शुरू कर दिया.बच्चे भी साथ में लगे होते. बारह साल की उम्र में बेटे ने फरमाईश की 'अब वो रंगोली बनाएगा.' पर मुझे उसपर भरोसा नहीं था कि पता नहीं कैसा बनाएगा, तो उसने कहा मैं अपने कमरे में बनाऊंगा. छोटा बेटा क्यूँ पीछे रहता, उसने भी जिद की, उसे मैने सीढियों के नीचे 'रंगोली' बनाने का निर्देश दे दिया.उस वर्ष , हमारे यहाँ तीन रंगोली बनी, पर लक्ष्मी जी की कोई विशेष कृपा नहीं हुई :( . और मेरी रंगोली भी उपेक्षित सी रही..सब आने-जाने वाले ,बेटे की रंगोली की ही सराहना करते रहें.

अगले साल  से मैने उसे घर के बाहर रंगोली बनाने की इजाज़त दे दी और मेरे अच्छे -खासे समय की बचत होने लगी. करीब २,३ घंटे लग जाते हैं, एक रंगोली पूरी करने में. लेकिन हर साल मुझे आशंका तो रहती है, 'पता नहीं , इस साल रंगोली बनाएगा या  नहीं' .पर अभी तक तो बना रहा है ..हाँ, अब दो साल से देखती हूँ वो पारंपरिक तरीके से नहीं. फ्री हैण्ड बनाता है. बाकी तरीके  तो वही रहते हैं. पर इसमें समय काफी कम लगता है. सब कहते हैं ,"तुम्हे लड़की की कमी महसूस नहीं होती होगी...और बहुएं बड़ी खुश रहेंगी "... 'लड़की की कमी महसूस नहीं होती' ये तो सही है क्यूंकि आजकल लड़कियों की जीवनचर्या  भी लड़कों जैसी ही है...वे भी घर के कामो में कम ही हाथ बटा पाती हैं. ( वैसे वे सौभाग्यशाली हैं,जिनके घर में बेटियाँ हैं ) पर 'बहुएं कितनी खुश होंगी' , ये नहीं पता क्यूंकि ये लोंग सिर्फ इंटरेस्टिंग काम ही करते हैं.वरना एक अखबार भी नीचे पड़ा हो तो उसे दिन में दस बार जम्प करके पार कर जाएंगे,उठाएंगे नहीं. और मेरे vocal  chord  की अच्छी खासी एक्सरसाईज चलती  रहती है.:)

सोचा ये रंगोली बनाने का बिलकुल अलग सा तरीका, आपलोगों  से भी साझा कर लूँ. मैने अपनी सहेली वैशाली  से आग्रह किया क़ि वो स्टेप  बाइ स्टेप रंगोली बनाने के साथ-साथ उसकी  तस्वीरें भी लेती जाए.  मेरी ऐसी उलटी-सीधी  फरमाईश वो हमेशा पूरी करती है  .थैंक्स वैशाली :)
ये वही वैशाली है जिसने एक ही दिन में दो बार जोधा अकबर के शो देखे थे :) और मैने एक पोस्ट लिख डाली थी
गेरू के लेप से रंगोली के लिए तैयार जमीन                             

रंगोली बनाने के लिए डाले गए डॉट्स

डॉट्स को मिलाकर रंगोली का खाका तैयार

रंगों से सजकर रंगोली,तैयार

रंगोली पर दिए रखती, गृहलक्ष्मी वैशाली शेट्टी

अंकुर की बनायी रंगोली

ऐश्वर्या (सहेली  की बेटी ) की बनायी रंगोली
अंकुर की पिछले साल की बनायी रंगोली


पड़ोसी की बनायी रंगोली

36 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढ़िया ...रंगोली सी पोस्ट रंगोली को लिए हुए ...

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  2. waah ji!!! chhan chhan rangoliyaa....!!!!

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  3. बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति, आपकी इस मनमोहक रंगोली और सुन्‍दर पेशकश ने पोस्‍ट में जान डाल दी ......बधाई इसके लिये ।

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  4. बहु ही सुंदर रंगोलियां हैं, आलेख भी रोचक है।

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  5. रंगोली बनाना बड़ा कठिन कार्य है, यहाँ लोगों को बनाते देखता हूँ तब समझ में आता है। बड़े सुन्दर आकार बनाये हैं आप सबने।

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  6. रंगोली बनाना कठिन काम है ... बहुत एकाग्रता और धैर्य चाहिए जो अक्सर आज कल देखने को नहीं मिलता ... आपको और परिवार को दीपावली की मंगल कामनाएं ...

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  7. रंगोली बनाना तो नहीं हो पता लेकिन अब तो बेटियाँ इस काम के लिए तैयार हैं, रंगोली वाले सांचे और रंगों की उपलब्धता यहाँ कम ही होती है लेकिन फिर भी बेटियाँ अपने ढंग से कभी चावल रंग कर , कभी आते को रंग कर और कभी फूलों को रंगोली सज ही जाती है. वैसे रंगोली से सजा आँगन और घर बहुत सुंदर लगता है.

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  8. लगता है रश्मि रंगोली सिखा कर ही दम लोगी ये देख कर तो दिल कर रहा है कि मै भी बनाऊँ…………अरे दिवाली से पहले लगातीं ये पोस्ट तो हम भी बना ही लेते……………॥वैसे अंकुर की रंगोली तो काफ़ी बढिया है तुमसे भी…………हा हा हा……………अब कोशिश करूँगी अगले साल बनाने की।

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  9. मुझे पता था कि इस तरह की कोई पोस्ट लिखी जाएगी और अब देखिए...क्या झक्कास पोस्ट निकल कर आई है।

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  10. अरे वाह , रंगोलियों की बहार है ।
    अब भी कोई बनाना नहीं सीख पाया तो कब सीखेगा ।
    बहुत अच्छी प्रस्तुति ।

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  11. सबसे पहले तो "हेप्पी न्यू इयर" कल की डेट में :))
    हम लड़कों की की खासियत है : अगर कोई भी काम करते हैं तो सबसे बेहतरीन ढंग से [ऊप्स ..... जेंडर बायस कमेन्ट :)]
    लेकिन यहाँ आपने पकड़ ही लिया ना
    @ ये लोंग सिर्फ इंटरेस्टिंग काम ही करते हैं.वरना एक अखबार भी नीचे पड़ा हो तो उसे दिन में दस बार जम्प करके पार कर जाएंगे,उठाएंगे नहीं

    हिसाब बराबर :)

    फोटोज के लिए और आपकी "सीधी सीधी" फरमाइश को पूरा करने के लिए वैशाली जी का भी आभार

    अब मैं सोच रहा हूँ क्यों ना मैं भी एक बार कोशिश करूँ [रंगोली बनाने की ]
    उत्सव का क्या है , वो तो रोज ही होता है [मन उत्साहित होना चाहिए ], रंगोली तो मैं भी फ्री हेंड ही बनाऊंगा :)

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  12. @रश्मि दीदी

    ये पोस्ट भी शानदार है , पढ़ के बहुत अच्छा लगा

    धन्यवाद इस पोस्ट के लिए :)

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  13. चपन से ही माँ और दादी को रंगोली बनाते देखा है और उनके साथ बनाया भी ...विभिन्न आकृतियों वाले सांचों की मदद से ...
    राजस्थान में पावडर की बजाय गेरू और चुने से रंगोलियाँ बनती हैं ..दिवाली पर इतने काम निकल आते हैं कि खुद को तो फुर्सत ही नहीं होती रंगोली बनाने की ....अब ये काम बेटियां ही करती हैं ....कभी गेरू और चूने से , कभी अनाज और दालों से . तो कभी फूलों की पत्तियों से ...
    तस्वीरें सुन्दर हैं ...बेटे की रंगोली वाकई सुन्दर है ...होनी ही है ...!

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  14. अरे वाह आज तो रंगोली के पावन रंग खिल गए ब्लॉग पर .बहुत ही सुंदर जानकारी दी .मुझे रंगोली बहुत पसंद है पर यहाँ आँगन ही नहीं होते तो बना नहीं पाते.इसलिए हम घर पर एक गत्ते पर ही फूलों की रंगोली बना लेते हैं :)
    बहुत सुन्दर पोस्ट है.

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  15. Rashmi di,

    Rangoli hi rangoli...aur use banane ke itne tarike..lazawab..ab koi rangoli dikhega to uske pichhe ke mehnat aur kalakari ka andaza lagana aasan hoga..aapka ye post pichhle sabhi post ki tarah man moh gaya..

    Dipawli,Bhaiduj,Kalam dawat,chhat ki dheron badhai..

    meri Dipawli fiki rahi..post dala hay..

    thanks

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  16. रंगोली पर शोध पत्र जैसा सुन्दर आलेख. आभार.

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  17. इतनी सुंदर सुंदर रंगोलियां तो मैने पहले कभी देखी ही नहीं .. बंगाल से सटा है हमारा एरिया .. इसलिए बचपन से चावल के घोल का अल्‍पना ही बनते देखा है .. अब लोग अबीर की रंगोलियां भी बनाते हैं .. पर रंगोली में इतनी सुंदर पेंटिंग बहुत अच्‍छी लगी .. बेटे को बहुत स्‍नेह और आशीष !!

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  18. बहुत सुन्दर रंगोली है हमारी तरफ कम ही लोग बनाते हैं हमने टी वी आदि मे ही देखी है। धन्यवाद।

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  19. ये वो पिच है जहां अपने से एक रन ना बने :)

    जोधा अकबर दो बार देखी तो सही पर सहेली आपकी शरमाई सी लगीं :)

    अंकुर सहित सारे पड़ोसी कलाकार तारीफ़ के हक़दार हैं !

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  20. रंगोली के बेहद सुंदर चित्रमय आलेख के लिए धन्यवाद. आभार.
    सादर,
    डोरोथी.

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  21. हम भी रंगोली बनाते हैं, बहुत सुन्दर आलेखा।

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  22. इतनी सुन्दर रंगोली ने मन मस्तिष्क सभी को रंगीन कर दिया ! मुझे भी रंगोली बहुत अच्छी लगती है और दीपावली पर रंगोली पाउडर से एक रंगोली मैं ज़रूर बनाती हूँ ! अब सुन्दर बनती है या साधारण यह तो देखने वाले ही बता सकते हैं लेकिन उसे बना कर मेरा मन बहुत प्रफुल्लित रहता है यह मैं आपको निश्चित रूप से बता सकती हूँ ! वैसे रंगोली बनाने की सही और सम्पूर्ण विधि आज आपके आलेख को पढ़ कर पहली बार जानी है ! इसके लिये आपको अनेकानेक धन्यवाद एवं आभार !

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  23. एक ब्लॉगर भी है जो बचपन से रंगोली बनाता है ।और वह भी बिना छिद्र वाले कागज़ या स्केल की सहायता से । उसकी माँ से भी यही कहा जाता था उसके बचपन में । अब उसे पता होता कि आप इतनी अच्छी पोस्ट लिखने वाली हैं तो वह भी अपनी रांगोली के कुछ चित्र भेज देता । !

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  24. वाह... सुन्दर रंगोलियां... अंकुर तो उस्ताद हो गये हैं... मुझे भी रंगोली बनाने में बहुत मज़ा आता है. सुन्दर, रंगीन पोस्ट.

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  25. पारंपरिक तरीके से रंगोली बनाने के नाम से ही हम डर जाते हैं। इत्ती मेहनत करो और मिनटों-सेकिंडों में सब खराब। मगर मन नहीं मानता ना। मार्केट में मिलता है अब टू मिनट रंगोली फंडा :) इसी से बनाकर खुश हो जाते हैं।
    वैसे आपकी बनाई रंगोली कहां है ??

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  26. यह बहुत बढ़िया बता दिया. :)

    एक पोस्ट तो बनती ही थी इस पर.

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  27. शरद कोकास जी से सहमत,
    एक और ब्लॉगर इधर भी है, जो खूब रंगोली बना चुका है… :) :)

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  28. रंगोलिमय पोस्ट :)

    यहाँ भी देखता हूँ सबको रंगोली बनाते और घर में मेरी बहन बनाती है...मुझे कभी ट्राई करने का दिल नहीं किया..शायद कभी बनाने की कोशिश करूँ :)

    vocal chord की एक्सरसाईज जरुरी भी है दीदी :)

    मेरी मामी से मुझे पता चला था की दिवाली गुजराती लोगों का नया साल होता है...
    मेरी एक दोस्त ने मुझे दिवाली के दिन "हैप्पी न्यू इयर" मेसेज किया..मैंने जब कहा की मैं तो बिहार का हूँ...तो उसने कहा "मैं तो गुजरात की हूँ" :)

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  29. वाह वैशाली , अंकुर ,ऐश्वर्या की बनायी गयी रंगोलियाँ कितनी खूबसूरत हैं और आपका उनका स्टेप वार डेमो ...

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  30. बहुत प्‍यारी है यह कला। जानकारी के लिए आभार।

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  31. वाह मुझे तो ये पूरी पोस्ट ही रंगोलीमय लगी ..कितनी खूबसूरत रंगोलियां बनाई सजाई गई हैं ..बहुत खूब .हम खुद अपने हाथ से यही कलाकारी मारते हैं ..

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  32. अच्छी लगी रंग रंगोली की ये पोस्ट आजकल लड़के लड़कियों को सब काम आने ही चाहिए तभी दोनों एक दूसरे के खुश रख सकेंगे

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