'पूजा अनिल' ,स्पेन में रहती हैं .वे जब भारत आईं थीं तो अपने साथ 'काँच के शामियाने ' उपन्यास ले गईं थीं
.उन्हें उपन्यास बहुत पसंद आया .उन्होंने पढ़ कर इसकी समीक्षा भी लिखी और अभी हाल में ही एक उपन्यास के एक अंश का अपनी भाव भरी आवाज़ में पाठ भी किया है. नीचे दिए गए लिंक पर सुना जा सकता है. शुक्रिया पूजा :)
लोकप्रिय स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको
सुनवाते रहे हैं नई, पुरानी, अनजान, प्रसिद्ध, मौलिक और अनूदित, यानि के हर
प्रकार की कहानियाँ।
आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं रश्मि रविजा के चर्चित उपन्यास काँच के शामियाने का एक अंश जिसे स्वर दिया है पूजा अनिल ने।
प्रस्तुत अंश का कुल प्रसारण समय 8 मिनट 17 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। इस उपन्यास की अधिक जानकारी रश्मि रविजा के ब्लॉग अपनी, उनकी, सबकी बातें उपलब्ध है। http://radioplaybackindia.blogspot.in/2017/01/rashmi-ravija-kaanch-ke-shamiyane.html?m=1
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.उन्हें उपन्यास बहुत पसंद आया .उन्होंने पढ़ कर इसकी समीक्षा भी लिखी और अभी हाल में ही एक उपन्यास के एक अंश का अपनी भाव भरी आवाज़ में पाठ भी किया है. नीचे दिए गए लिंक पर सुना जा सकता है. शुक्रिया पूजा :)
काँच के शामियाने - रश्मि रविजा
आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं रश्मि रविजा के चर्चित उपन्यास काँच के शामियाने का एक अंश जिसे स्वर दिया है पूजा अनिल ने।
प्रस्तुत अंश का कुल प्रसारण समय 8 मिनट 17 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। इस उपन्यास की अधिक जानकारी रश्मि रविजा के ब्लॉग अपनी, उनकी, सबकी बातें उपलब्ध है। http://radioplaybackindia.blogspot.in/2017/01/rashmi-ravija-kaanch-ke-shamiyane.html?m=1
http://radioplaybackindia.blogspot.in/2017/01/rashmi-ravija-kaanch-ke-shamiyane.html?m=1
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