ओमर बोरकन अल गाला |
यह खबर तो पुरानी हो गयी है, पर इसी खबर के बहाने कुछ लिखना चाह रही थी, पर आजकल समय ज़रा रूठा रूठा सा है, हमसे और हमें उसे मनाने का भी समय नहीं मिल रहा :(
खैर वैसे भी बहुत लोगों को इस खबर की खबर भी नहीं होगी. क्यूंकि यह खबर बीस बाईस वर्ष की अंग्रेजीदां लड़कियों के बीच ज्यादा मशहूर हुई .
"ओमर बोरकन अल गाला " का नाम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बहुत प्रसिद्द हुआ .वे विशव के 'पोस्टर बॉय' बन गए . जब उन्हें "Jenadrivah Heritage & Cultural Festival in Riyadh. " में भाग लेने से रोक दिया गया .( मीनाक्षी जी एवं दिगंबर नासवा जी जरूर अवगत होंगे इस खबर से )
पर उन्हें क्यूँ नहीं भाग लेने दिया गया ?? क्यूंकि वे बहुत ज्यादा ख़ूबसूरत हैं . हालांकि अगर वे इस फेस्टिवल में भाग ले ही लेते तो क्या हो जाता ? क्या लड़कियां/औरतें उनपर अटैक कर देतीं ??(वो भी सऊदी में ??)
पर इस तरह उस फेस्टिवल से निकाले जाने पर उन्हें फायदा ही हुआ. नेट पर यह खबर आग की तरह फैली और वे रातों रात स्टार बन गए ...धडाधड उनकी तस्वीरें डाउनलोड की जाने लगीं. You tube पर उनके इंटरव्यू को लाखों हिट्स मिले. उनका एक फेसबुक पेज भी बन गया जिसे वन मिलियन लोगों ने लाइक किया . उन्हें स्त्रियों की प्रगति से सम्बंधित एक कैलेण्डर के लिए साइन कर लिया गया ,एक फिल्म में काम करने का मौक़ा मिल गया और जन्मदिन पर एक अनाम प्रशंसिका ने बिना सामने आये ,एक मर्सिडीज़ भी गिफ्ट कर दी.
खैर यहाँ तो ख़ूबसूरत होने की सज़ा एक वरदान ही साबित हुई. पर अक्सर ऐसा नहीं होता. सुन्दरता एक अभिशाप ही बन जाती है. या फिर कहें सुन्दरता एक दुधारी तलवार की तरह है. लोगों का अटेंशन ..उनकी प्रशंसा भी खूब मिलती है पर लोग प्रशंसा के साथ थोड़ी इर्ष्या का भी मिला-जुला भाव रखते हैं. लेकिन उसके दिल का हाल कोई नहीं जानता.
मेरे हॉस्टल में एक बहुत ही सुन्दर लड़की थी . हम सब छुट्टियों में घर जाने को उत्सुक होते पर वो खुश तो होती साथ ही थोड़ी दुखी भी. कारण ??...उसकी जॉइंट फैमिली थी. एक तो वह बहुत सुन्दर थी, दूसरे उसके पिता उसे हॉस्टल में रखकर पढ़ा रहे थे. उसके चाचा की लडकियां, पूरे समय उसपर व्यंग्य करती रहतीं, "अरे तुम्हे क्या तैयार होना है..तुम तो ऐसे ही अच्छी लगोगी.." कपड़े चुनते वक्त भी उसकी बारी बाद में आती.."तुम पर तो कुछ भी अच्छा लगेगा ...हमें सोचना पड़ता है " वो कहती , "हर वक्त खुद को नीचा दिखाना पड़ता है....उनलोगों को खुश करने की कोशिश करनी पड़ती है, यह दिखाना पड़ता है कि हम तो कुछ भी नहीं."
एक सहेली है, जिसे कॉलेज में ब्यूटी क्वीन कहा जाता था . अभी वो बी.ए. में ही थी, पर उसकी माँ को सुनना पड़ता ," आपको क्या फ़िक्र करनी...बेटी तो आपकी सुन्दर है...घर बैठे रिश्ता आ जायेगा " और जब उसने बी. ए. कर लिया तो माता-पिता को कोई जल्दी नहीं थी पर पूरे महल्ले के पेट में दर्द , "आपकी बेटी तो इतनी सुन्दर है इसकी शादी क्यूँ नहीं हो रही??"
शादी के बाद के भी उसके अनुभव बहुत अच्छे नहीं रहे. ससुराल में ननदें खफा कि 'भाभी उनसे ज्यादा रूपवती है '. उसके हर काम में मीन मेख निकाली जाती और ताना दिया जाता कि 'केवल रूप से क्या होता है' पति भी थोड़े शक्की निकले, वह देवरों से पति के के दोस्तों से खुलकर हंस-बोल नहीं पाती थी. कोई भी उस से बात करता तो उसके पति को लगता, "उस व्यक्ति के मन में उनकी पत्नी के लिए कुछ और भावनाएं हैं " अक्सर कहा जाता है कि "सांवली लड़कियों की किस्मत बहुत अच्छी होती है, उनके पति उन्हें बहुत प्यार करते हैं." मेरी उस सहेली ने इस कथन पर बहुत सोच विचार कर के ये निष्कर्ष निकाला कि ये सच होता है पर इसके पीछे कारण ये है कि "पति ऐसी पत्नियों के लिए बहुत प्रोटेक्टिव होते हैं . उन्हें हमेशा ख्याल रहता है,उनकी पत्नी साधारण शक्ल-सूरत वाली है, उसे कोई कुछ न कह दे ,इसलिए उसके लिए ढाल बने खड़े रहते हैं .खुद ही तारीफ़ करते हैं. जबकि सुन्दर स्त्री के पति को मालूम है कि उनकी पत्नी को तो सबकी प्रशंसा ही मिलने वाली है ,इसलिए वे अक्सर उसकी आलोचना करते ही पाए जाते हैं. (अब ये उसके निजी विचार हैं , और मैंने इतना मनन नहीं किया है,इस पर )
पर उसक बातों में सच्चाई झलकती है.
एक और बहुत ही ख़ूबसूरत सहेली है, उसके पति साल में आठ महीने शिप पर रहते हैं. ज्यादातर पारिवारिक समारोह या दोस्तों की पार्टी , उसे अकेले ही अटेंड करनी पड़ती हैं. पर वह इच्छा होने पर भी ज्यादा सजती संवरती नहीं. साधारण से कपड़े पहनती है, और पार्टी में या किसी समारोह में अपने हमउम्र वालों से ज्यादा बातें नहीं करती,अक्सर बच्चों के बीच बैठी रहती है. महिलायें खुले मन से नहीं मिलतीं और अगर पुरुषों से बात करती है तो उनकी पत्नियां असुरक्षित महसूस करने लगती हैं.
और यह सब सदियों से चला आ रहा है. एक मेरे पहचान की महिला हैं , उम्र की ढलान पर हैं पर पता चलता है कि अपने जमाने में बहुत ख़ूबसूरत रहीं होंगी. जब भी कोई गेट टुगेदर होता है , इस बात का जिक्र करना कभी नहीं भूलतीं कि उनके पति उन्हें गहरे रंग के कपड़े नहीं पहनने देते थे कि कहीं वे और ज्यादा ख़ूबसूरत न लगने लगें हमेशा हलके, उदास रंग की साड़ियाँ ही लाते थे .जब उनकी बेटियाँ बड़ी हो गयीं तो पिता से जिद कर माँ के लिए गहरे रंग की साड़ियाँ लाने लगीं. उन्हें छत पर जाने, बालकनी से झाँकने की इजाज़त नहीं थी. जबकि उनके पति बहुत पढ़े-लिखे और यूनिवर्सिटी में प्रोफ़ेसर थे (अब रिटायर हो गए हैं )
ऐश्वर्या राय को कोई पसंद करे या न करें पर उनकी खूबसूरती को कोई नकार नहीं सकता. कई बार जब टी.वी. पर फ़िल्मी पार्टियों की झलकी दिखाई जाती थी उसमे बाकी हिरोइन्स तो एक ग्रुप बना कर आपस में हंसती बोलतीं नज़र आतीं थीं . ऐश्वर्या के साथ होते मोटे मोटे बदसूरत निर्माता .(आम तौर पर ऐसा मैं नहीं लिखती पर इस वक़्त यही लिखने का मन हो रहा है )(शादी के बाद तो खैर ऐश्वर्या को अपने पति और ससुर की कम्पनी मिल जाती है ) करण जौहर के शो "कॉफ़ी विद करण' में भी..अक्सर दो स्टार एक साथ आते हैं, दीपिका- सोनम, रानी- प्रियंका ....शाहरुख़ -काजोल 'हेमा मालिनी -जीनत अमान' पर खबर थी कि ऐश्वर्या के साथ आने को कोई तैयार नहीं हुआ. ऐश्वर्या के साथ कोई स्टार नहीं आया ...बल्कि उनके साथ थे 'संजय लीला भंसाली '.
एक उलझन इन सुन्दर बालाओं के साथ यह भी है, कोई उनसे सच्ची दोस्ती या सच्चा प्रेम करे ,तब भी ये विश्वास नहीं कर पातीं कि उक्त व्यक्ति सचमुच अपनी भावनाओं के लिए ईमानदार है या सिर्फ उनकी खूबसूरती देख उनकी तरफ आकृष्ट है.
यदा कदा विदेशी ख़ूबसूरत बालाओं के मन का दर्द भी पढने को मिला, वे कहती हैं, "Then there is the judgment that if a woman is beautiful she is dumb.But the bad side is that allot of people have the idea that you are stupid, self obsessed or conceited. Which is not true. "
एक ख़ूबसूरत लड़की जब चौदह पंद्रह साल की थी ,उसे इतने unwanted attention मिले कि वो घबरा ही गयी, लोगों की हरकतों से घबराकर वह डिप्रेशन में चली गयी .वो कहती है ," . After that I went from 115 pounds to 145 in about 6 weeks ... Size 4 to size 14. It was a big change. All of a sudden I saw how superficial people were. Men were not nearly as nice to me. However, I found that girls liked me a whole lot more and when boys did give me their attention it was for what came out of my mouth not how I looked. I was this bigger person until about 18. It was an unconscious protection. Basically I just couldn't handle the attention and feel safe and secure with it. It was very hard to not be able to attract the boys I was interested in - no dates for school dances or really anything until 17 but it kept me safe - no more advances from creepy older men, there were perks to being protected by fat and acne.
एक मॉडल ने कहा , "Most other people who work in the fashion industry (and there are exceptions, of course) treat these girls not only as if they have no brain, but as if they have no feelings."
ये सुन्दरता की देवियाँ भले ही लगें पर अन्दर से एक आम इंसान ही होती हैं. उन्हें भी सबके साथ मिलजुलकर हंसने बोलने का मन होता है . बेफिक्र होकर एक सामान्य सी ज़िन्दगी बिताने का मन होता है ,पर उन्हें अपने आस-पास के लोगों के प्रति,अपने व्यवहार के प्रति चौकन्ना रहना पड़ता है. ये सुन्दरता उनके लिए वरदान कम अभिशाप ज्यादा बन जाती है.
koi bhi baat jab bahut jayda hoti hai, to haanikar jaisee lagne lagti hai...!!
जवाब देंहटाएंक्या रश्मि.........
जवाब देंहटाएंतुमने तो सुन्दरता के नुक्सान गिना डाले और तो और कनविंस भी कर दिया :-)
very well crafted article..
anu
अकसर लोग एक ही पहलू देखते हैं...पर उनके दिल का दर्द भी समझना चाहिए .
हटाएंthanx you liked the post :)
सच का आईना दिखा दिया आपकी इस पोस्ट ने
जवाब देंहटाएंशुक्रिया ,पोस्ट पसंद आयी
हटाएंJabrdast.....
जवाब देंहटाएं:)
हटाएंजीवन से जुड़े कितने ही ऐसे पहलु हैं जहाँ विरोधाभास दिखता है ....यह विषय उसी सच को बताता है
जवाब देंहटाएंबिलकुल मोनिका जी...हर चीज़ के दो पहलू होते हैं.
हटाएंसुंदर पोस्ट...
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें सुंदरता को !
शुक्रिया
हटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन गूगल की नई योजना "प्रोजेक्ट लून"....ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंआभार आपका
हटाएंTabhi to main 3 ghante mein hi Dubai se bhag liya :P
जवाब देंहटाएंइसे कहते हैं सही समय पर सही निर्णय...:)
हटाएंअभिषेक, दुबई तो लगभग मुम्बई जैसा है , वहाँ आपको क्या मुश्किल आई, जानने की उत्सुकता है.. हाँ, साऊदी अरब से भागने की बात करते तो यकीन किया जा सकता था.
हटाएंये जो तुमने बताये हैं , बड़े छोटे दर्द है खूबसूरती के , कई बार खूबसूरती से घबराये लोग अफवाहें फ़ैलाने में , नीचा दिखाने में बी नहीं चूकते . उनकी सामान्य कही बातों में भी घमंड को महसूस कर लिया जाता है . यहाँ खूबसूरती से मेरा तात्पर्य दिखने /होने /व्यवहार / शिक्षा दीक्षा आदि से भी है !
जवाब देंहटाएंबिलकुल वाणी,फूल से ज्यादा कांटे हैं, इनकी राहों में फूल तो बड़ी जल्दी मुरझा जाते हैं जबकि कांटे दंश देते रहते हैं.
हटाएंबात तो पते की है, नफ़ा नूक्सान दोनों ही अपनी जगह है, शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
सौन्दर्य में आकर्षण होता है तो व्यक्तित्व में गरिमा भी..
जवाब देंहटाएंहम्म
हटाएंपहली वाली खबर जब सुनी थी तभी हम सभी महिला मित्रो का हंस हंस के बुरा हाल था , उस समय वो हमारे बिच जोक करने का एक विषय भी होता था , और लोगो की सोच पर तरस भी आ रहा था ।
जवाब देंहटाएंशेर सूना था की की खूबसूरती भी बला है कम्बखत जिसने भी नजर डाली बुरी नजर डाली , इससे सामना बड़े होने पर हुआ जब मैंने अपने चचेरी बहन की सहेली की शादी की बात उसके ही भाई के लिए की , उसे देख कर पता चलता था की मिल्की वाइट् किसे कहते है साथ भी खुबसूरत और पारिवारिक लड़की , जो हमारे बिरादरी से थी घर आना जाना भी , भाई ने जब सुना ( वो गेहुए रंग का बिलकुल पुराने कमल हसन जैसा ) तो इनकार कर दिया , कहता है वो लड़की जब भी अपने बरामदे में खड़ी होती है तो सारे मोहल्ले के लड़को की नजर ऊपर उठ जाती है , उसके कालेज आने जाने के समय लड़को का अड्डा उसका घर होता है मुझे उससे नहीं करनी है शादी , मोहल्ला भर देखता रहे , उस बात का तुक तो मुझे समझ ही नहीं आया । ब्यूटीफुल होना ही नहीं ये शब्द भी बड़ी ताकत रखता है , मेरी बिटिया को ससुराल में कुछ लोग ब्यूटीफुल कहा करते थे मैंने उन्हें टोका भी था की बच्चो को क्यूट कहने का रिवाज है ब्यूटीफुल नहीं पर वो परिवार मनाता नहीं नतीजा बिटिया को ये शब्द की आदत हो गई और दिन में चार बार पूछती की मै ब्यूटीफुल लग रही हूँ की नहीं इसी बात का जिक्र करते हुई मैंने उसकी जन्मदिन पर लगाईं पोस्ट का शीर्षक दे दिया , लो जी ब्लॉग जगत से बधाई देने वालो में से ज्यादातर ने उस शब्द को ही पकड़ लिया , बाद में मुझे बस यु ही लिखे गए उस शब्द पर अफसोस हुआ और ये भी पता चला की ब्यूटीफुल शब्द भी इतनी ताकत रखता है की लोगो को बस अपने तक ही सिमित कर ले , नतीजा बाई शब्द बेमानी हो गए जो मैंने ज्यादा दिल से लिखे थे :)
लेख बहुत ही अच्छा लगा । बाद में आप को अपनी मित्र का किस्सा भी बताती हूँ जिसके लिए भी खूबसूरती बला ही रही ।
अंशुमाला ,
हटाएंयही होता है ,अब उस बिचारी लड़की का क्या कसूर...ईश्वर की कृपा से उसे अच्छा घर-वर ही मिला होगा. पर क्या पता , उसे आपका भाई पसंद हो..घर जाना पहचाना था और उस पर अपनी सहेली का घर, पर खूबसूरती आड़े आ गयी .
आपकी सहेली के किस्से का इंतज़ार रहेगा .
बिल्कुल सही कहा है आपने जो लोग सुंदर लड़कियो से बात नही कर पाते या उनको किसी से बात करते देखते है तो उनके मन मे जलन होने लगती है ....क्या एसा नही है की आज ज़्यादातर लोग प्यार को दिल से नही सुंदरता से जोड़ते है... ? बिना मतलब भी बिना जाने सुंदर लड़कियो से नज़दीकी न बना पाने वाले लोग उनके बारे मे असोभनीय टिप्पणी करते है आप की ये शब्द कविले तारीफ है ... ये विश्वास नहीं कर पातीं कि उक्त व्यक्ति सचमुच अपनी भावनाओं के लिए ईमानदार है या सिर्फ उनकी खूबसूरती देख उनकी तरफ आकृष्ट है..
जवाब देंहटाएं@क्या एसा नही है की आज ज़्यादातर लोग प्यार को दिल से नही सुंदरता से जोड़ते है... ?
हटाएंपहली नज़र के प्यार में तो सुन्दरता की ही भूमिका होती (अधिकांशतः )
सुंदर होने के जो नुक्सान आपने बताये उसमें एक मैं भी जोड़ना चाहूँगी ..."ये न समझना कि तुम बहुत सुंदर हो तो मैं तुम्हारी सब बात मानूँगा"... मतलब सुंदर होना एक धमकी मिलने की वजह :)
जवाब देंहटाएंएक क्या दो चार बातें जोड़ दीजिये...:)
हटाएंsach kaha Rashmi ji ..sundarta ke fayade kam nuksan jyada hai aur aapne ise steek udaharano se sabit bhi kiya hai ..
जवाब देंहटाएंशुक्रिया कविता जी
हटाएंवाह ! आपके लेख ने एक पुरानी बात याद दिला दी ! हमारे पिताजी के एक परिचित सज्जन थे ! वे स्वयं तो बड़े सुदर्शन थे लेकिन उनकी पत्नी उनकी तुलना में अत्यंत साधारण थीं ! वे अक्सर बड़ी मजेदार बातें किया करते थे ! उनका कहना था कि शादी कभी खूबसूरत स्त्री से नहीं करनी चाहिये क्योंकि सब उसे ही देखते रहेंगे और वह कभी समर्पित नहीं रहेगी ! उन दिनों हम बच्चे थे ! इतने छोटे भी न थे कि ऐसी खोखली बातों से प्रभावित हो जाएँ ! तब ऐसा लगता था वे सज्जन मानसिक रूप से विकृत हैं ! लेकिन आपके आलेख से पता चला ऐसी विचारधारा के और भी लोग हैं जिन्हें खूबसूरती से परहेज़ है ! बहुत बढ़िया आलेख ! शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंशुक्र है उन्होंने ये कहा कि "सब उसे ही देखते रहेंगे और वह कभी समर्पित नहीं रहेगी !'
हटाएंवरना लोग यह भी कह जाते हैं ,'वो तो अपने बनाव श्रृंगार में ही लगी रहेगी, घर क्या खाक संभालेगी '
रश्मि जी जो वो कहा करते थे उसे हू ब हू यहाँ उतार देना मैं शालीनता के विरुद्ध मानती हूँ ! समझदार के लिये इशारा काफी होता है ! उनके कहने का तात्पर्य यह होता था कि खूबसूरत पत्नी चरित्रहीन और बेवफा होती है और बदसूरत पत्नी की तरफ कोई देखना नहीं चाहता इसलिए उसके पास वफादार होने के अलावा अन्य कोई विकल्प होता ही नहीं ! इसलिय खूबसूरत लडकी से शादी नहीं करनी चाहिये !
हटाएंऐ लो जी ! इतनी सारी खूबसूरत महिलाओं का ज़िक्र और तस्वीर सिर्फ एक लौंडे की !
जवाब देंहटाएंयह तो बहुत नाइंसाफी है भई। :)
बेशक अत्यधिक सुन्दरता जी का जंजाल ही होती है। लेकिन इस पर किस का वश !
वही तो ...किस का वश
हटाएंरश्मि जी,इस बन्दे को इसलिए नहीं निकाला होगा कि लड़कियाँ अटैक कर दें बल्कि इसलिए निकाला कि कहीं इसे देखकर महिलाओं का दिल न डोल जाए।खैर ये उनकी हास्यास्पद सोच ।हर व्यक्ति अपने को सुंदर तो दिखाना ही चाहता है।पर सच तो ये है कि सुंदर लोग भी और सुंदर दिखना चाहते है और अपने से सुंदर लोगों से अपनी तुलना भी करते रहते हैं।लडकी सुंदर हो या असुंदर उनकी परेशानी के बारे में तो पता है।सुंदर लडकियों को शायद कम अक्लमंद माना जाता है कि वो सजने सँवरने में ही सारा वक्त लगा देती हैं तभी ब्यूटी विद ब्रेन जैसा जुमला बना होगा ऐसे ही गरीब सुंदर लड़की के लिए कीचड़ में कमल खिलने जैसी बात कही जाती है।वही लड़कों को भी एक विशेष मायनों में ही सुंदर दिखना पडता है वर्ना कई लोग सुंदर लड़कों को लडकी ही बता देते हैं।एक युवा अभिनेता को तो हीरोईन ही बताया जाता है।आजकल कुछ लोग तो ऐसे सुंदर लड़कों को गे ही बता डालते हैं।मुझे ये भी नहीं समझ आता कि किसी खूबसूरत पुरुष या लड़के को देखकर अक्सर पुरुष वो शब्द क्यों इस्तेमाल करने लगते हैं जो यहाँ डॉ दराल साहब ने इस तस्वीर वाले लड़के के लिए किया।
जवाब देंहटाएंआपका लेख बहुत अच्छा लगा पर ऐश्वर्या वाली बात से मैं सहमत नहीं।
@ लड़कियाँ अटैक कर दें बल्कि इसलिए निकाला कि कहीं इसे देखकर महिलाओं का दिल न डोल जाए
हटाएंदिल डोलने के बाद वे क्या करतीं? इसी बात का डर था न उनलोगों को...हास्यास्पद तो खैर था ही .
हाँ सही कहा,लड़कों की सुन्दरता के भी अलग पैमाने हैं. TDH लड़कों को ही ख़ूबसूरत कहा जाता है .गोरे ,क्लीन शेव्ड लड़कों को लोग गे ही कह डालते हैं. btw कौन से युवा अभिनेता को हिरोइन बतया जाता है??...हमें तो नहीं पता, नाम ही लिख देते कौन सा वे हीरोज़ ब्लॉग पढ़ते हैं कि मानहानि का मुकदमा दायर कर देते :):)
ऐश्वर्या ने तो ये सब कभी किसी इंटरव्यू में नहीं कहा...पर दो घटनाओं को टी.वी. पर देखकर मुझे कुछ ऐसा ही लगा,क्यूंकि अक्सर बेपनाह ख़ूबसूरत लड़कियों के साथ ऐसा ही होता है. और हम आपके इस बात से सहमत नहीं कि सुन्दर लोग और भी सुन्दर दिखना चाहते हैं, कई बार वे अपना एपियरेंस, (मेकअप ,कपड़े )टोन डाउन भी कर देते हैं कि सबके बीच बिलकुल ही अलग सा न लगें.
अरे नहीं नहीं रश्मि जी,ये मानहानि के मुकदमे वगेरह से तो मैं बिल्कुल नहीं डरता वैसे भी मैं नहीं लोग ऐसा कहते हैं।उस अभिनेता का नाम न बताने का कारण ये है कि मैं उनकी छवि खराब नहीं करना चाहता।ये एक गलत बात का प्रचार करने जैसा होता।मैं नाम बता देता तो आप लोग भी उस हीरो को देखते समय वो बात ही याद करते और आपको भी उनकी सूरत में वो दिखने लगता जो अभी तक नहीं दिखा।और यही नहीं मैं सेलिना जेटली की खूबसूरती पर मुँहफट साजिद खान की टिप्पणी का उल्लेख भी करना चाहता था पर यह भी मुझे गलत लगा तो नही कहा।
हटाएंआप मेरी बात से बिल्कुल असहमत रह सकती हैं पर जैसा ऐश्वर्या वाले मामले में आपको महसूस हुआ ऐसा ही खूबसूरत लोगों के बारे में ये मेरा अनुभव था पर जहाँ तक अलग सा न दिखने के प्रयास की बात है तो ये तो सुंदर असुंदर सभी करते हैं खासकर कुछ विशेष मौकों पर कि कहीं ज्यादा ही तडक भडक वाले कपड़े और मेकअप तो नहीं हो गया ऐसा न हो कि सबसे अलग थलग ही नजर आएं,ये सुंदर न दिखने के लिए नहीं होता असहजता से बचने के लिए होता है।लेकिन ये हो सकता है कि आप बहुत बहुत ही ज्यादा सुंदर लोगों के बारे में बात कर रही हों तो उनकी सोच मुझे पता नहीं ।
ओके ओके कोई बात नहीं ...समझ सकती हूँ,कोई निगेटिव बात हो तो नाम न लेना ही बेहतर है .
हटाएंआपने सेलिना जेटली पर की गयी टिपण्णी के विषय में कुछ नहीं कहा वैसे ही मैंने भी 'इमरान खान' और उन 'ओमर बोरकन अल गाला ' के विषय में कुछ जिक्र करने से परहेज किया..पब्लिक प्लेटफॉर्म पर थोड़ी सतर्कता बरतनी भी चाहिए .
हर बात के दो पहलु होते हैं अब आपको तय करना होता है कि आप किस पहलु की तरफ ध्यान देते हैं !!
जवाब देंहटाएंसच कहा
हटाएंआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार(22-6-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
जवाब देंहटाएंसूचनार्थ!
शुक्रिया वन्दना
हटाएं
जवाब देंहटाएंआपका विश्लेषण सही है लेकिन सुन्दरता का और भी अवगुण है
latest post परिणय की ४0 वीं वर्षगाँठ !
सुन्दरता एक अवगुण है ??
हटाएं सच्चाई को शब्दों में बखूबी उतारा है आपने .. .बेहतरीन अभिव्यक्ति आभार गरजकर ऐसे आदिल ने ,हमें गुस्सा दिखाया है . आप भी जानें संपत्ति का अधिकार -४.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN
जवाब देंहटाएं.एकदम सही कहा आपने .आभार गरजकर ऐसे आदिल ने ,हमें गुस्सा दिखाया है . आप भी जानें संपत्ति का अधिकार -४.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN
जवाब देंहटाएंhttp://en-maktoob.news.yahoo.com/blogs/the-971-report/saudi-preacher-under-fire-for-saying-dubai-is-sinful-093225501.html
जवाब देंहटाएंइस लिंक को भी देख लो... .
मेरे विचार में सुन्दरता का मापदंड हर व्यक्ति की नज़र में अलग होता है...वैसे सुन्दरता पर बेहद सुन्दर लेख है..
सच है ये शख्स दुबई में बहुत मशहूर हुए पर अखबारों ने ज्यादा तवज्जो नही दी इस खबर को ... बस आपसी चर्चा होती रही हर जगह ...
जवाब देंहटाएंआपने हर पहलू का विश्लेषण किया है बहुत ही बारीकी से ... इसलिए सहज ही लेना जरूरी है हर चीज को ...
सुंदरता के साइड अफ्फेक्ट्स जिसके बारे में शायद कम ही लोग सोचते हैं. लेकिन सच है.
जवाब देंहटाएंरश्मि बड़ी अजीब सी बात है ...हम एक परिवार को जानते हैं जिसमें ४ बेटियां हैं...जो सबसे खूबसूरत है वह बेपर्दा घूमती है और बाकी तीनों जो आर्डिनरी की केटेगरी में आती हैं वह पर्दा नशीं रहती हैं....Now how do you explain this ...अब बताओ खूबसूरती अभिशाप हुई या वरदान ...!!!!
जवाब देंहटाएंसच है -इन दर्दभरी दास्तानों की सुपर डुपर नायिका रहीं -मेरिलिन मोनरो -ऐन एवर यंग ब्यूटी (व्हिच नेवर एज्ड दो मेट अ ट्रेजिक एन्ड ) :-(
जवाब देंहटाएंसुंदर पोस्ट.
जवाब देंहटाएंबेहद सुन्दर लेख
जवाब देंहटाएंBahut Sundar Post hai. Aako Blogging ki settings me kisi prakar ki help chaiye to hindisehelp.com par visit kare.
जवाब देंहटाएं