पूरा एक साल गुजर गया, अपनी,उनकी,सबकी बातें करते...और बातें हैं कि ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रहीं....बाढ़ में किसी हहराती नदी सी उमड़ी चली आती हैं. और उन बातों को एक बाँध में बाँधना जरूरी था सो इस ब्लॉग का निर्माण करना पड़ा. जबकि तीन महीने पहले ही ब्लॉग जगत के आकाश में "मन का पाखी' बखूबी उड़ान भरना सीख गया था . कई पोस्ट लिख चुकी थी, परन्तु अभी तक अपनी कहानी पोस्ट नहीं कर पायी थी, जिन लोगो ने मेरी कहानियाँ पढ़ रखी थीं,उनका भी आग्रह था और मेरी भी इच्छा थी कि अपनी कहानियों पर लोगो के विचार जानूँ.
पर मेरी कहानी किस्तों वाली थी और पता नहीं मेरी कहानियाँ ,एक कहानी की परिभाषा पर खरी उतरती हैं या नहीं. लेकिन उन्हें लेकर एक अजीब सा मोह है मुझमे कि कहानी की किस्तों के बीच किसी दूसरे विषय पर बात नहीं होनी चाहिए या फिर उस पर की गयी टिप्पणियों पर कोई बहस नहीं होनी चाहिए. यही सब सोच एक दूसरा ब्लॉग बनाने की सोची तो जिस से भी सलाह ली,सबने मना किया कि एक ब्लॉग संभालना ही मुश्किल होता है. सो दूसरा ना ही बनायें तो अच्छा. मैने भी सोच लिया कोई बात नहीं, दो महीने तक कहानी की किस्तें ही पोस्ट करती रहूंगी...उसके बाद ही कुछ लिखूंगी. 'मन का पाखी' पर कहानियों से इतर मेरी अंतिम पोस्ट थी, "खामोश और पनीली आँखों की अनसुनी पुकार" जो मैने, 'रुचिका-राठौर प्रकरण ' पर लिखा था. एक प्रोग्राम में रुचिका की सहेली के ये कहने पर "कि वो सारा दिन क्लास में रोती रहती थी और किसी टीचर ने कभी उसके करीब आने की, उसे समझाने की कोशिश नहीं की" सुन मुझे बहुत दुख हुआ था और मैने शिक्षकों की भूमिका पर एक पोस्ट लिख डाली कि उन्हें बच्चों की मनःस्थिति के बारे में भी जानने की कोशिश करनी चाहिए, क्यूंकि वे बच्चों के काफी करीब होते हैं. ब्लॉग जगत में भी कई शिक्षक हैं. उन्होंने ऐतराज जताया ..काफी कमेंट्स आए, कि शिक्षकों के ऊपर पहले से ही इतना भार है...ये पैरेंट्स का कर्तव्य है. मुझे भी लगा शायद मैं कुछ ज्यादा ही लिख गयी . मैने टिप्पणी में क्षमा-याचना भी कर ली और कहानी की पहली किस्त पोस्ट कर दी .
किन्तु दो दिनों के बाद ही अखबार में पढ़ा, महाराष्ट्र शिक्षा विभाग ने यह निर्णय लिया है कि हर स्कूल से कम से कम पांच, शिक्षकों को स्टुडेंट्स की काउंसलिंग का प्रशिक्षण दिया जायेगा,क्यूंकि वे ही छात्र के सबसे करीब होते हैं . यह खबर शेयर करना जरूरी लगा और आनन-फानन में मैने यह ब्लॉग बना लिया. सतीच पंचम जी की पहली टिप्पणी भी याद है, लगता है आपका मोटो है, "सुनो सबकी करो ,अपने मन की" {अब वो तो है :)}
अलग ब्लॉग बनाने का खामियाजा भी भुगतना पड़ा. कई लोगो को मेरे नए ब्लॉग का पता ही नहीं चल पाया. किसी को तीन महीने बाद, छः महीने बाद तो किसी को हाल ही में पता चला कि मेरा कोई और ब्लॉग भी है. इस ब्लॉग से कई नए पाठक भी जुड़े. जिन्हें नेट पर कहानियाँ पढना नहीं पसंद वे इस ब्लॉग के पाठक बने रहे.
इस सफ़र में कई दोस्त बने...बिछड़े...नए बने, ये चक्र तो चलता ही रहेगा.
इस ब्लॉग पर खूब जम कर लिखा. कई विवादास्पद विषय पर की-बोर्ड खटखटाई {कलम चलाई,कैसे लिखूं...:)} घरेलू हिंसा, पति को खोने के बाद समाज में स्त्रियों की स्थिति, गे -रिलेशनशिप , अवैध सम्बन्ध , जैसे विषयों पर लिखा,जिसपर अमूमन लोग लिखने से बचते हैं. पर साथी ब्लॉगर्स-पाठको ने खुल कर विमर्श में हिस्सा लिया और अपने विचार रखे. लिखना सार्थक हुआ.
कई पोस्ट पर सार्थक और कुछ पर निरर्थक बहसें भी हुईं. जनवरी में ही ब्लॉग बनाया और फ़रवरी में 'वैलेंटाईन डे' पर अपनी कुछ रोचक यादें शेयर कीं तो एक महाशय ने ऐतराज जताया कि भारतीय त्योहारों के बारे में क्यूँ नहीं लिखा. आशा है...होली, गणपति,ओणम,दिवाली पर मेरी पोस्ट देखकर उनका भ्रम दूर हो गया होगा.
मेरी पोस्ट लम्बी होने की भी कुछ लोगो ने शिकायत की. एक युवा ब्लॉगर के बार बार इस ओर संकेत किए जाने पर मैने कुछ लोगो के नाम गिनाए कि "ये लोग भी तो लम्बी पोस्ट लिखते हैं?" उन्होंने तुरंत कहा, "वे लोग तो स्थापित ब्लॉगर हैं " मैने उन्हें तो कुछ नहीं कहा पर मन ही मन खुद से कहा कहा.."कोई बात नहीं...क्या पता हम भी एक दिन स्थापित ब्लॉगर बन जाएँ " सफ़र जारी है...क्या पता सचमुच एक दिन बन ही जाएँ "स्थापित ब्लॉगर " . पर पोस्ट की लम्बाई में कोई कम्प्रोमाईज़ नहीं किया. इसलिए भी कि कई लोग यह भी कह जाते, कब शुरू हुआ , कब ख़त्म.पता ही नहीं चला. प्रवाह अच्छा है. तो अब किसकी बातें मानूँ....किसकी नहीं..?? "सुनो सबकी... "वाला फॉर्मूला ही ठीक है.
तीन महीने पहले ही अपने पुराने ब्लॉग के एक साल के सफ़र पर एक पोस्ट लिखी थी और बड़े गर्व से कहा था, "ब्लॉग जगत में कोई कडवे अनुभव नहीं हुए" और जैसे खुद के ही कहे को नज़र लग गयी. और एक महाशय उलटा-सीधा लिखने लगे, मेरे लेखन की जबतक आलोचना करते कोई,बात नहीं..सबकी अपनी पसदं-नापसंद होती है. पर महाशय दूसरे के बचपन की यादों को कूड़ा-करकट कहने लगे, उनकी कोशिश होती,पोस्ट से ध्यान हटकर किसी दूसरी बहस में उलझ जाए. लिहाजा,मॉडरेशन लगाना पड़ा. और दुख होता है ,जबतक मॉडरेशन रहता है कोई आपत्तिजनक टिप्पणी नहीं आती,जहाँ मॉडरेशन हटा, टप्प से टपक पड़ती है...दुखद है यह...पर अवश्यम्भावी भी है..सब कुछ रोज़ी रोज़ी ही हो..कैसे हो सकता है ऐसा.
ब्लॉग्गिंग के कुछ जुदा अनुभव भी रहे...ये हमारा प्रोफेशन नहीं है..महज एक शौक है पर कभी-कभी कमिटमेंट की मांग भी करता है. मराठी-ब्लॉगर्स के सम्मलेन की खबर पढ़ी थी और उसे ब्लॉग पर शेयर करना चाहती थी पर उस दिन मेरी तबियत बहुत खराब थी. बैठना भी मुश्किल हो रहा था. पर परिवारवालों की नाराज़गी झेलकर भी वो पोस्ट लिखी,क्यूंकि कोई खबर समय पर शेयर की जाए तो ही अच्छी लगती है.
कभी मेहमानों से घर भरा होता है,परन्तु अपने ब्लॉग पर या किसी और ब्लॉग पर किसी विमर्श में भाग लिया हो तो समय निकाल कर जबाब देना ही पड़ता है.
ब्लॉग्गिंग से मेरे आस-पास के लोग भी काफी हद तक प्रभावित हुए हैं.
पतिदेव खुश हैं कि अब उन्हें,अपने व्यस्त रहने पर ज्यादा शिकायतें नहीं सुननी पड़तीं.
कहीं भी जाना हो तो सहेलियाँ,आधा घंटे पहले याद से फोन कर देती हैं कि 'अब, लैप टॉप बंद कर ..तैयार होना,शुरू करो.'
मेरी कामवाली बाई बेचारी भी बहुत को-औपेरेटिव है, देर से आएगी तो कहेगी..'सबसे पहले आपका टेबल साफ़ कर दूँ, आपको काम करना होगा'. कभी कुछ नहीं मिलने पर कहेगी.."नहीं नहीं..आप काम करो..मैं ढूंढ लूंगी" बेचारी को अगर पता चल गया कि इन सब काम के मुझे पैसे नहीं मिलते तो मुझे दुनिया का सबसे बड़ा पागल समझेगी. मुझे पागल समझने से तो अच्छा है,उसका यह भ्रम बना रहे.:)
पर सबसे प्यारी प्रतिक्रिया मेरे छोटे बेटे की रही { माँ ,थोड़ी पार्शियल हो ही जाती है :) }
इतने लोगो के उत्साहवर्धक कमेन्ट और लगातार अखबारों में मेरी पोस्ट प्रकाशित होते देख, उसने कहा,"हमलोगों को बड़ा करने में कितना टाइम वेस्ट किया ना...अगर लगातार लिखती रहती तो क्या पता हिंदी की 'शोभा डे' हो जाती या फिर उनसे भी आगे निकल जाती."
मैने उसे समझा दिया..."इतने दिन अनुभव भी तो बटोरे...जिन्हें अब लिख पा रही हूँ " पर उसका इतना समझना ही संतोष दे गया.
सोचा था.एक साल पूरा हो जाने के बाद ब्लॉग्गिंग से कुछ दिन का ब्रेक लूंगी. शायद मन में यह ख्याल भी होगा कि विषय भी ढूँढने पड़ेंगे लिखने को..एक अंतराल आ जायेगा. पर फिलहाल तो ऐसे आसार नज़र नहीं आते, कुछ विषय जो ब्लॉग्गिंग शुरू करने से पहले सोच रखे थे...आज भी वे बाट जोह रहे हैं,अपने लिखे जाने का....सो आपलोग यूँ ही झेलते रहिए मेरा लेखन...:)
आप सबो का.. यूँ साथ बने रहने का...मेरी हौसला-अफजाई का...विचारों के आदान-प्रदान का....बहुत बहुत शुक्रिया.
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
फिल्म The Wife और महिला लेखन पर बंदिश की कोशिशें
यह संयोग है कि मैंने कल फ़िल्म " The Wife " देखी और उसके बाद ही स्त्री दर्पण पर कार्यक्रम की रेकॉर्डिंग सुनी ,जिसमें सुधा अरोड़ा, मध...
-
गुवाहाटी में जो कुछ भी उस शाम एक बच्ची के साथ हुआ...ऐसी घटनाएं साल दो साल में हमारे महान देश के किसी शहर के किसी सड़क पर घटती ही रहती हैं. ...
-
(चित्र सतीश पंचम जी के सौजन्य से ) कभी नहीं सोचा था, 'अवैध ' या 'विवाहेतर सम्बन्ध ' जैसे विषय पर कभी कुछ लिखूंगी...इसलि...
-
चोखेरबाली , ब्लॉग पर आर.अनुराधा जी की इस पोस्ट ने तो बिलकुल चौंका दिया. मुझे इसकी बिलकुल ही जानकारी नहीं थी कि 1859 में केरल की अवर्ण ...
एक महाशय हा-हा-हा-हा बाहुत खूब रही ये , खैर आपको बधाई एक साल पूरे करने पर , आपने हिन्दी ब्लोगिंग को अपने सकारात्मक लेखन से नई उर्जा दी है जिसके लिए आपका आभार । आशा करता हूँ कि आप निरन्तरता बनायें रखेंगी नित्य नये आयाम को प्राप्त करेंगी ।
जवाब देंहटाएंरश्मि जी आपसे से परिचय हुए अधिक दिन नहीं हुआ फिर भी आपको पढ़कर लगा कि हिंदी में गंभीर विषयों पर ब्लॉग जगत में लिखा जा रहा है... ब्लॉग्गिंग का यह वर्ष और भी सफल हो, इसकी कामना है..
जवाब देंहटाएंमैं आपके ब्लॉग की खट्टी मीठी बाते जरूर पढती हूं .. खुद को रोक नहीं पाती .. इतना अच्छा जो लिखती हैं आप .. कहानियां पढने का समय नहीं मिल पाता .. इस बारे में कुछ नहीं बता सकती .. आप लेखन में निरंतरता बनाए रखिए .. बहुत बधाई और शुभकामनाएं !!
जवाब देंहटाएंजीवन चलने का नाम । रश्मि ही बने रहिए ।
जवाब देंहटाएंरश्मि जी
जवाब देंहटाएंजब तक ज़िन्दगी है...लोगों से मिलना-जुलना है और ढेर सारी बातें हैं...
आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगता है...
यादों का स्वादिष्ट अचार और मुरब्बा.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लगता हे आप को पढना, धन्यवाद
जवाब देंहटाएंहमें भी इस साल की उपलब्धि मान लीजिए। हमारा परिचय भी इसी साल हुआ है। आपका लिखना और लिखा हुआ पढ़ना दोनों ही अच्छे लगते हैं।
जवाब देंहटाएंइस ब्लॉग के एक साल पूरे होने की बधाई | फ़रवरी महीने पर तो हम भी कुछ लिखने की सोच रहे थे चलिए आब आप की पोस्ट से कुछ प्रेरणा ( पुरा मैटर चुराने वाली हु कापी राइट के कानून की आप जानकारी ले ले ) ले लेती हु | वैसे स्थापित ब्लोगर का सर्टिफिकेट के लिए कितने साल और की बोर्ड खडखडाना पड़ेगा हमको भी बताइयेगा | किसी से एक झड़प के बाद मेरे ब्लॉग पर भी बेमतलब के नकारात्मक कमेन्ट आये कुछ दिन एक महाशय के मैंने बस उन्हें अनदेखा कर दिया चार पोस्ट के बाद खुद ही चले गए | आप जितना कमिटमेंट तो हम नहीं दे सके ब्लॉग को पर मुझे लिखने से ज्यादा आप सभी को पढ़ने में और टिप्पणी देने में आता है इसलिए आप निरंतर ऐसे ही लिखती रहिये |
जवाब देंहटाएंरश्मि जी ,ब्लॉग का एक साल सफलतापूर्वक पूरा होने की बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें
जवाब देंहटाएंख़ुदा करे आने वाले सालों में आप का ये ब्लॉग और आप कामयाबी की बुलंदिया छू लें (आमीन)
साल पूरा होने पर बधाई।
जवाब देंहटाएंऔर अगले एक साल के सफ़र पर क़दम बढाने और सफलता की नई ऊंचाइयां छूने की मंगल कामना।
आपको पढना सदैव सुखद रहा है।
@अंशु जी,
जवाब देंहटाएंकॉपीराइट कैसा...आपका इतना कहना ही कहीं मुझे 'स्थापित ब्लॉगर' का तमगा ना दिलवा दे:)
हम क्या बताएं, कितने दिन की-बोर्ड खटखटाने पड़ेंगे....साथ में ये दौड़ (खटखटाना ) जारी रखते हैं...इस सफर में एक से दो भले.:)
बहस तो आपने मेरे ब्लॉग पर देखी ही होगी, लोगो ने कई विषयों पर खुल कर अपने-अपने विचार रखे हैं....पर पोस्ट से अलग,किसी विषय पर बहस करने का मन नहीं होता. लोगो का भी ध्यान भंग होता है.बस...इतनी सी बात है.
रश्मि जी, बधाई...
जवाब देंहटाएंदुआ है कि ये सिलसिला सफ़लतापूर्वक यूंही चलता रहे, और हम सब इसका लाभ लेते रहें.
देखिये कल एक ख़ास विषय पर अपनी बात कहने के लिये आपको खोज रहा था.. दिखी नहीं.. चलिये वो सब कहने का आज समय नहीं.. आज तो बस बधाई.. सालगिरह मुबारक! बस इसी तरह ये बातें फलती फूलती रहें..
जवाब देंहटाएंरश्मि जी, आपके अनुभवों को जानना बहुत अच्छा रहा........... ऐसे ही बस लिखते रहिये.
जवाब देंहटाएंस्थापित ब्लॉगर जी ...बहुत बधाई!
जवाब देंहटाएंतुम्हारे लेखन की सहजता बहुत आकर्षित करती है ...गंभीर विषयों पर भी सीधे सरल शब्दों में अपनी बात दृढ़ता से रखना और उस पर बने रहना अच्छा लगता है ...!
आपका लेखन ऐसा है जो किसी भी मापदंड पर सर्वाधिक अंक ले जाने की हैसियत रखता है -और आप कोई एक दो साल की नवोदित लेखिका भी नहीं है यह आपकी लेखन शैली ही बता देती है -
जवाब देंहटाएंयहाँ तो स्थापित भी आपके स्थापत्य से जड़ हो जायें !
------एक जडीभूत ....
इस ब्लॉग के एक वर्षीय जश्न पर मेरी बहुत बहुत बधाई !
badhaii
जवाब देंहटाएंसाथ बने हुए हैं , हौसला बनाये रखिये ! साल बेहतर गुजरा और भी बेहतर वक़्त आये ऐसी शुभकामना है ! ब्लागिंग के मजे लीजिए :)
जवाब देंहटाएंरश्मि जी, आपके कौन कौन से और ब्लाग हैं हमें पता नहीं। हम तो बस विषय देखकर ही आते हैं और हमेशा बिना नागा यहाँ चले आते हैं। एक वर्ष हो गया तो लीजिए बधाई। अच्छा लिख रही हैं, बस लिखती रहें।
जवाब देंहटाएंहमारा सौभाग्य है कि हम आपको पढ पाते हैं।
जवाब देंहटाएंआपके लेख निरन्तर मिलते रहें।
शुभकामनायें
और हाँ मैं लम्बी-लम्बी पोस्ट्स से बचता हूँ, लेकिन आपकी सभी पोस्ट पूरी पढे बिना नहीं रहा जाता।
जवाब देंहटाएंमेरे विचार में यही ब्लॉगिंग की सफलता है।
प्रणाम स्वीकार करें
रश्मि जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
इस ब्लॉग के एक साल पूरे होने की बहुत बधाई और शुभकामनाएं !!
आपकी वार्षिक ब्लाग-समीक्षा पढ़ी। लगता है कि काफी कुछ छूट गया होगा। फिर भी जो लिखा काफी है.....। पढ़ कर अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंएक ही साल के बाद ब्रेक ... ये अच्छी बात तो नही ... आशा है आपको नये नये विषय मिलते रहेंगे और आप निरंतर ब्लॉग लिखती रहेंगी ... वैसे जो फाय्दे आपने बताए हैं वो सच हैं ... जब से मैने ब्लॉग लिखना शुरू किया है .. मेरे बच्चे भी कहते हैं अब मैं उनको कम डाँटता हूँ ...
जवाब देंहटाएंयूँ हमेशा टिप्पणियाँ नहीं दे पाता, पर आपको लगातार पढना अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंसाल पूरा होने पर बधाइयाँ।
यह संतुलित लेखन निर्बाद चलता रहे।
bachchon se kahna ki yadi tumhen waqt na deti poora to aaj likh nahin pati kuch , waqt ek din siddh kar hi dega .... shobha de
जवाब देंहटाएंब्लॉग का एक साल सफलतापूर्वक पूरा होने की बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें……………और लगी रहो मुन्नीबाई(मुन्ना भाई………अरे गाने वाली मुन्नी नही)……………सब तुम्हारे साथ हैं………इसी प्रकार लिखती रहो और शोभा डे बन जाओ यही कामना है।
जवाब देंहटाएंhmmmmmmm bouth he aacha post hai aapka dear
जवाब देंहटाएंMusic Bol
Lyrics Mantra
ब्लॉग का हैप्पी बर्थ डे है.. केक वगैरा होना चाहिये था बशर्ते कि वो आंग्ल संस्कृति को ना दर्शाता हो..
जवाब देंहटाएंआपको बधाई..
आपका हर वर्ष मानक हो आगामी वर्षों के लिये। सुनिये सबकी, करिये अपने मन की, वही काम आता है।
जवाब देंहटाएंवाकई प्रभावशाली लिखती हैं आप ! शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंइक साल पूरण होण ते लक्ख लक्ख वधाइयां जी वधाइयां :)
जवाब देंहटाएंरश्मिजी
जवाब देंहटाएंब्लाग के एक साल पूरा होने पर बहुत बहुत बधाई |आप इसी तरह ब्लाग लिखती रहे, अपने संस्मरणों के विश्लेष्णात्मक आलेखों से हमे जागरूक नागरिक होने का अवसर मिलता रहे |
इन्ही शुभकामनाओ के साथ आभार |
बेचारी को अगर पता चल गया कि इन सब काम के मुझे पैसे नहीं मिलते तो मुझे दुनिया का सबसे बड़ा पागल समझेगी. मुझे पागल समझने से तो अच्छा है,उसका यह भ्रम बना रहे.:)
जवाब देंहटाएंसही लिखा है...अच्छी पोस्ट.
साल पूरा करने की बधाई।
जवाब देंहटाएंआने वाला पल जाने वाला है
जवाब देंहटाएंहो सके तो इसमें ज़िंदगी बिता दो,
पल जो ये जाने वाला है,
आने वाला पल जाने वाला है...
जय हिंद...
badhaai
जवाब देंहटाएंसबसे पहले तो ब्लॉगजगत से ब्रेक नहीं लेने के फैसले का शुक्रिया। अगर आप ब्रेक ले लेंगी तो हमें इतना अच्छा पढऩे को कहां से मिलेगा। आपकी कहानियां पढऩे में बेहद आनंद मिलता है। बेहद एनर्जी है आपमें, जो फटाफट ब्लॉग अपडेट कर देती हैं।
जवाब देंहटाएंआय सेल्यूट टू यू। ...और हां, वो भ्रम बने ही रहने देना तो ठीक ही होगा।
पहले मिठाई फिर बधाई..
जवाब देंहटाएंतो कहिये मिठाई कहाँ है?
आपका लेखन कितना प्रभावशाली है और आप कितनी 'स्थापित ब्लॉगर' हैं इसके लिये आपको किसीके प्रमाणपत्र की ज़रूरत कहाँ है ! हम जैसों से पूछिए जो अधीरता से आपकी हर पोस्ट का इंतज़ार करते हैं और पढ़ कर लाभान्वित होते हैं ! और हाँ जब कुछ मत भेद हो तो उस ओर संकेत करने से भी नहीं झिझकते ! निश्चिन्त होकर अपना कर्म करिये मीठे फल आपकी झोली में टपकने के लिये तैयार हैं ! ब्लॉग की वर्ष गाँठ पर हार्दिक अभिनन्दन !
जवाब देंहटाएंलिखती रहें…लगातार और याद रखें -- ले दे के अपने पास फ़कत एक नज़र तो है/ क्यूं देखें ज़िंदगी को किसी की नज़र से हम!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर. यादों के झरोके से!
जवाब देंहटाएं