अपनी, उनकी, सबकी बातें
शनिवार, 18 सितंबर 2021
फिल्म The Wife और महिला लेखन पर बंदिश की कोशिशें
गुरुवार, 19 अगस्त 2021
बुजुर्गों की कर्मठता
सच ही कहा जाता है, इंसान उम्र भर सीखता रहता है। दो वर्ष पूर्व तक मुझे लगता था,बुजुर्गों को कोई काम नहीं करना चाहिए। उन्होंने सारा जीवन काम किया है। अब जीवन का आनंद लें, टी वी देखें-गप-शप करें-टहलें-अच्छा खाये-पहनें बस।
शुक्रवार, 11 जून 2021
जन्मदिन की अशेष शुभकामनाएं, पुष्पा भारती जी
जिसका भी हिंदी साहित्य से बचपन या किशोर वय में नाता जुड़ा ,उसके लिए उस उम्र में 'गुनाहों का देवता' पढ़ना पहले प्यार में भीगने की मानिंद रहा। 'धर्मयुग' के माध्यम से भी धर्मवीर भारती और पुष्पा भारती जी बहुत आत्मीय से लगते थे।
पुष्पा जी स्वभाव से भी बहुत बेबाक हैं।चौपाल में ही ग़ज़ल गायक राजकुमार रिज़वी उनसे मिलने आये।मैं पुष्पा जी के पास ही बैठी हुई थी। उन्होंने रिज़वी साहब को नहीं पहचाना।परिचय देने पर हठात बोलीं, "अरे! आप तो कितने हैंडसम हुआ करते थे।" रिज़वी साहब झेंप गए।अब उनके बाल चले गए थे पर फिर पुष्पा जी ने देर तक उनसे आत्मीय बातचीत की और उन दिनों को याद किया जब भारती जी के सान्निध्य में उनके घर की महफिलों में राजकुमार रिज़वी गज़लें गाया करते थे।
बुधवार, 26 मई 2021
सीमा प्रधान की पुस्तक : कश्मकश की आँच
आजकल रोज रोज की खबरों से मन इतना अवसादग्रस्त है कि बस शुतुरमुर्ग की तरह किसी फिल्म में सर घुसा दीन दुनिया भूल जाने की कोशिश करता है. किसी किसी दिन चार फ़िल्में देख लेती हूँ (अलग-अलग भाषाओं की ) किताबें पढनी हैं, लिखना है पर मन कहीं टिकता ही नहीं. ऐसे में बचपन की दोस्त Seema Pradhan की किताब, “कश्मकश की आँच” आई. उलट-पुलट कर देख लिया, सीमा की तस्वीर निहार ली , परिचय पढ़ गर्वित हो ली और जल्दी ही पढूंगी करके रख दिया. जब उसने फोन पर पूछा तो बड़ी शर्मिंदगी महसूस हुई. वो भी इंतज़ार में ही होगी कि रश्मि खुद बतायेगी .
शुक्रवार, 9 अप्रैल 2021
भारतीय घरों का सच दिखाती फिल्म : The great indian kitchen
The great indian kitchen फिल्म देखते हुए कई चेहरों का आँखों के समक्ष आ जाना लाज़मी है। हर मध्यमवर्गीय भारतीय महिला अपनी जिंदगी में कभी न कभी इन अनुभवों से गुजरती है। भारत के किसी भी प्रदेश की रसोई हो। त्योहारों पर बनने वाले सुस्वादु व्यंजन को दरकिनार कर दें तब भी रोज के खाने में भी बहुत मेहनत लगती है। पीसना,तलना, भूनना और ये सारी मेहनत स्त्री के हिस्से ही आती है। उस पर से पुरुषों के नखरे ,चटनी सिलबट्टे पर पिसी होनी चाहिए, चावल कुकर में नहीं,पानी में उबाल कर बनाये जाएं। पुरुष किसी भी प्रदेश में जाकर बस जाएँ पर उनकी जीभ पर पारंपरिक स्वाद का असर बना रहता है . शुरू के दृश्यों में ही अप्पम, इडियप्पम, पुट्टू,डोसा-सांभर, उबले केले,टोपियोको, केले के चिप्स छनते देख पता कल जाता है,यह केरल की रसोई है.
गुरुवार, 18 फ़रवरी 2021
प्रवासी पक्षी : खंजन
जानि सरद रितु खंजन आए।
रविवार, 17 जनवरी 2021
दोस्ती की भावना से भरा पंछी 'मैगपाई रॉबिन ' Magpie Robin
सफेद और काले रंग का ये सुंदर सा पंछी ' मैगपाई रॉबिन ' बहुत खूबसूरत लगता है. यह बहुत जल्दी दोस्ती कर लेता है .दोस्ती यानी आप पर भरोसा कर लेता है कि उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा. सुबह मेरे कमरे की खिड़की खुलने से पहले यह आवाजें लगाता है.और शाम को खिड़की बंद होने पर भी मानो डांटता है कि इतनी जल्दी क्यों बंद कर लिया. :) कई बार खिड़की से कूदकर घर के अंदर भी आ जाता है. अगर मैं बहुत देर तक खिड़की के पास ना जाऊं तो अपनी सुरीली आवाज़ में इतनी टेर लगाता है कि सागर कह उठती है, 'भाभी जाओ ,अपना चेहरा दिखा कर आ जाओ "उसे भी झिड़कती है, 'रुक आ रहीं हैं :) '
अगर मैं खिड़की पर खड़ी हूँ और रॉबिन सामने वाले पेड़ की डाल पर बैठा हो तो उड़ कर खिड़की पर आ कर बैठ जायेगा . उड़ते हुए उसके काले-सफेद पंख इतने सुंदर लगते हैं कि मैं मुग्ध हो देखती रह जाती हूँ, वीडियो लेना भूल जाती हूँ.मेरे बच्चे भी मुझे देखकर, हर बार इस तरह दौड़ कर नहीं आयें होंगे. अगर मैं खिड़की पर हाथ टिका कर बैठूं तो बिलकुल कुहनी के पास बैठ जाएगा, ज़रा भी नहीं डरता 😊
नर-रॉबिन के सर-चोंच-वक्ष और पंख
चमकते हुए काले रंग के होते हैं. पेट सफेद होता है और पंख पर सफेद धारियां होती
हैं जो बहुत सुंदर लगती हैं. मादा-रॉबिन के सर-चोंच-वक्ष और पंख धूसर रंग के होते हैं.नर
की तरह ही पेट सफेद और पंख पर सफेद धारियां होती हैं. मादा-रॉबिन बहुत शांत दिखती
है. एक ही जगह पर देर तक बैठी रहती है. इनसे ही शिकायत है, नर और
मादा कभी साथ साथ बैठे नहीं दिखते .इनकी ऐसी एक भी तस्वीर नहीं ले पाई हूँ. वैसे
भी बुलबुल-तोता-गौरया=मैना-कबूतर की तरह ये झुण्ड में नहीं रहते. कभी कभी ही दो
रॉबिन साथ में दिखते हैं.
रॉबिन की इन आदतों के विषय में
अपूर्व को बता रही थी तो उसने बताया, “डबलिन
में भी रॉबिन बहुत दिखते हैं . (रॉबिन की अलग किस्म ).ग्रैंडपा (मकान-मालिक) इनकी
एक स्टोरी सुनाते हैं “ . मुझे वो कहानी सुनने की इच्छा थी पर हमेशा ह्मारी बात
किसी और तरफ मुड जाती. एक रोज मैंने कहा, “पहले
रॉबिन की कहानी सुनाओ, फिर आगे दूसरी बात होगी “
“हाँ सुनाता हूँ...ग्रैंडपा बताते
हैं, अगर लॉन में अकेले टहल रहे हो तो रॉबिन पास में आ जाएगा .पार्क में भी अकेले
देख,उडकर पास आ जाता है , बहुत फ्रेंडली होता है “
“कहानी तो सुनाओ...”
“यही कहानी थी...”
ये कहानी थी या इन्सटाग्राम स्टोरी :) ....मुझे लगा था रॉबिन से जुड़ा कोई किस्सा होगा. :D
“
फिल्म The Wife और महिला लेखन पर बंदिश की कोशिशें
यह संयोग है कि मैंने कल फ़िल्म " The Wife " देखी और उसके बाद ही स्त्री दर्पण पर कार्यक्रम की रेकॉर्डिंग सुनी ,जिसमें सुधा अरोड़ा, मध...
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सच ही कहा जाता है, इंसान उम्र भर सीखता रहता है। दो वर्ष पूर्व तक मुझे लगता था,बुजुर्गों को कोई काम नहीं करना चाहिए। उन्होंने सारा जीवन काम क...
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बहुत बहुत आभार अभिषेक अजात । आपने किताब पढ़ी, अपनी प्रतिक्रिया लिखी और फिर मेरी मित्र सूची में शामिल हुए । मैने पहले भी कहा है, कोई पुरुष ...
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चोखेरबाली , ब्लॉग पर आर.अनुराधा जी की इस पोस्ट ने तो बिलकुल चौंका दिया. मुझे इसकी बिलकुल ही जानकारी नहीं थी कि 1859 में केरल की अवर्ण ...