छोटी छोटी बातें क्या महत्व रखती हैं??...हर कोई कहता है..ये तो छोटी बात है,ध्यान मत दो...इतनी छोटी बातें दिल पे लोगे तो कैसे चलेगा...छोटी बातें इग्नोर करनी चाहिए...ये तो बहुत छोटी बात थी...पर क्या ऐसा सचमुच होता है?? ये छोटी बातें अपने आप में इतनी महत्वपूर्ण हो उठती हैं कि सारा वजूद ही घेर लेती हैं.और बड़ी बातों का महत्त्व खो जाता है.सारा ध्यान उस छोटी बात पर ही केन्द्रित हो जाता है और मुख्य बात गौण हो जाती है.
जैसे कोई बड़ा सा सुन्दर भवन हो, पर उसका एक कोना टूटा हुआ हो. उस भवन की सुन्दरता पर किसी का ध्यान नहीं जायेगा पर वह टूटा हुआ कोना हर किसी को नज़र आएगा. एक बार मेरी एक सहेली ने एक समारोह में मैजेंटा कलर की सुन्दर साड़ी पहनी थी,मैचिंग इयर रिंग्स,बैंगल्स,नेकलेस,यहाँ तक कि पर्स और चप्पल भी मैचिंग.पर जल्दबाजी में उसने बिंदी लाल रंग की लगा रखी थी,जो समारोह की तेज रौशनी में और भी स्पष्ट हो उठा. जो भी महिला उस से मिलती, उनकी नज़र बिंदी पर ही चली जाती.और टोक देती.वह हताश होकर कुर्सी पर बैठ गयी..'किसी को साडी,इयर रिंग्स ,बैंगल्स नज़र नहीं आ रहें.' पर ऐसा नहीं था, वह छोटी सी बिंदी,उसके पूरे गेट-उप को इतना इम्परफेक्ट कर रही थी,कि सबका ध्यान उस पर ही चला जा रहा था.
एक बार मुकेश अम्बानी,एक बड़ा सा प्रोजेक्ट ,डिस्कस करने गए. करोड़ों रुपये और बहुत सारा समय लगने वाला था.पर उनका ध्यान गया, एक छोटी सी जगह पर,जहाँ exhaust fan नहीं लगा था. उन्होंने लगाने के निर्देश दिए.छः महीने बाद वे निरिक्षण करने गए, सारे अधिकारी बहुत खुश ,प्रोजेक्ट बहुत अच्छा चल रहा है..तारीफ़ मिलेगी.पर उन्होंने आते ही उस exhaust fan के बारे में पूछा ,जो कि नहीं लगा था फिर सारे बड़े काम अर्थहीन हो उठे.
इक छोटी सी गलती, कैसे ट्रेन दुर्घटना,विमान दुर्घटना की वजह बन हज़ारों निर्दोष जान ले लेती है,इसकी चर्चा ही बेकार है. बड़े बड़े राजाध्यक्षों के भी छोटे से निर्णय इतिहास की धारा ही बदल डालते हैं यूँ ही नहीं कहते, "लम्हों ने खता की सदियों ने सज़ा पायी"
हमारे ब्लॉग जगत का ही उदहारण ले लें, हर दिल अज़ीज़ महफूज़ मियां,सबसे दोस्ती का हाथ बढाते हैं. कोई इगो नहीं रखते.पर दो तीन महीने पर कभी कभी कमेन्ट में ऐसा बडबोलापन कर जाते हैं जो उनकी सारी अच्छाइयों को ढक लेता है और हमेशा के लिए लोगों को उनके कमेंट्स ही याद रह जाते हैं (लेखन के विषय में भी अपनी पसंद हो सकती है,पर यहाँ बड़ा लेखक कौन है?...अधिकाँश लोग,एक जैसा ही लिखते हैं पर महफूज़ अली को लोगों की नापसंदगी अपने कमेन्ट की वजह से झेलनी पड़ती है, पोस्ट पर 8 नापसंद के चटके इसकी गवाही देते हैं.)
एक शब्द आजकल ब्लॉग जगत में बहुत उछल रहा है,'सेलेक्टिव नैतिकता'.एक सहेली है,हर विवादस्पद मुद्दों पर पोस्ट लिखती है,खुल कर बोलती है,विरोध करती है .सिर्फ एकाध जगह उसने अपने दोस्त के खिलाफ विरोध नहीं जताया.(यह भी वजह हो सकती है,कि उसने देख लिया था एक दूसरे दोस्त ने कड़ा विरोध जताया था,इसलिए चुप रह गयी होगी कि अब, सब एक साथ क्यूँ पीछे पड़ जाएँ) पर उसे सेलेक्टिव नैतिकता' के तमगे से नवाज़ दिया गया.और गाहे -बगाहे उसपर तंज कसे जाते हैं.
इसलिए इन छोटी छोटी बातों को नज़रंदाज़ नहीं करना चाहिए.ये ही बातें हैं ,जो किसी भी व्यक्तित्व को सम्पूर्ण व्यक्तित्व बनाने में सक्षम होती हैं.. ज़िन्दगी में हम कितने बड़े फैसले लेते हैं?? पढाई, कैरियर नौकरी,शादी,बच्चे, बच्चों की पढ़ाई(कैरियर ,शादी का ऑप्शन अब उनलोगों ने छोड़ा नहीं :) ) बस.....कुलमिलाकर दस फैसले भी नहीं. पर छोटे छोटे फैसले हमें रोज लेने होते हैं जो हमारी ज़िन्दगी की गति निर्धारित करती है और हम इसे नोटिस भी नहीं करते. ये छोटी छोटी बातें ही हमारे व्यक्तित्व का निर्माण करती हैं.
जैसे छोटी बातें,नकारात्मक पक्ष उभारती है वैसे ही छोटी छोटी बातें ही व्यक्तित्व का सकारात्मक पहलू भी उजागर करती हैं. बड़े लोगों से ही शुरुआत करते हैं. इंदिरा गाँधी के लन्दन यात्रा के दौरान राजीव गाँधी ; सोनिया गाँधी को उनसे मिलाने ले गए. सिर्फ मित्र कह कर ही परिचय दिया. सामान्य बातचीत हुई. वहाँ से सोनिया गांधी को एक पार्टी में जाना था .जब वे विदा लेकर जाने को मुड़ीं तो इंदिरा गाँधी ने उन्हें रोका और कहा कि "तुम्हारी स्कर्ट की हेमिंग थोड़ी सी खुल गयी है,इस तरह पार्टी में जाना ठीक नहीं " और एक छोटे से डब्बे में से सूई धागा निकाला और नीचे बैठकर उनके स्कर्ट की तुरपन ठीक कर दी .बस उनके इसी gesture ने सोनिया गाँधी के दिल में हमेशा के लिए जगह बना ली. और उन्हें ये आभास भी हो गया कि इंदिरा गाँधी इस रिश्ते को नकारेंगी नहीं
एक बार मैं ,टी.वी.पर शाहरूख खान,दीपिका,फराह खान वगैरह का इंटरव्यू देख रही थी. दीपिका ,फरहा का स्वागत करने को उठीं और उनकी शर्ट थोड़ी सी ऊपर खिसक गयी थी,शाहरूख खान ने पीछे से दीपिका के बिना पता चले उसे खींच कर ठीक कर दिया.पर यह बात हम सब सहेलियों ने नोटिस की और दूसरे दिन बातों के दौरान ,उस इंटरव्यू में किसने क्या कहा कुछ याद नहीं था शाहरुख़ खान का ये gesture सबको याद रहा और सब सिर्फ उसकी बातें ही कर रहें थे.जबकि उसके बडबोलेपन, उसके एटीच्यूड के सब बड़े आलोचक हैं.
एक फ्रेंड है उसने लव मैरिज की है.बताती है ,शादी के पहले वे दोनों ऑफिस के बाद मिलते और उसके पति(जो उस समय बॉयफ्रेंड था ) उसके हाथों से छोटा सा छोटा बैग या समान तुरन उस से ले लेते.और उनकी इसी बात ने उसे सबसे ज्यादा आकृष्ट किया.और उसे विश्वास हो गया कि वह ज़िन्दगी भर उसका ख़याल रखेगा. लड़के चाहे सीखे सिखाये मैनर्स...कुर्सी आगे खींच देना, आगे बढ़कर दरवाजा खोल देना, हज़ारो मिस यू के sms या कार्ड, गिफ्ट या फिर उधार की शेरो शायरी..का कितना भी उपयोग कर लें.पर अनजाने में की गयी ये छोटी सी हरकत,लड़कियों के दिल में जगह बना लेती है.
एक कजिन है वह भी कभी नहीं भूलता कि उसकी गर्लफ्रेंड ने सुबह सुबह उसे फोन करके याद दिलाया था कि "अपनी माँ को विश किया या नहीं,आज उनका बर्थडे है" उसने बातों बातों में कभी बताया था और उसकी गर्लफ्रेंड ने यह बात याद रखी थी.यह बात उसे इतने गहरे तक छू गयी कि 'कमिटमेंट' से डरनेवाले लड़के ने शादी का निर्णय लेने में देर नहीं की.
अपनी कही कोई बात, कोई हरकत हम बहुत ही हल्केपन से लेते हैं. इन छोटी बातों पर ध्यान नहीं देते जो हमारी ज़िन्दगी पर गहरा प्रभाव डालती हैं.और जो लोग हर छोटी बात का ध्यान रखते हैं वे, ज़िन्दगी में सफल और महान बन जाते हैं.कोई भी एक दिन में सफलता की सीढियां तय नहीं कर लेता.इन छोटी छोटी गलतियों को सुधारते हुए ही आगे बढ़ता जाता है.
किसी की तरफ मुक्सुरा कर देखना. उसकी बात ध्यान से सुनना, मदद का हाथ बढ़ाना, दो बोल तारीफ के कहना ये सब छोटी बातें हैं पर इनके सकारात्मक परिणाम बहुत बड़े होते हैं. जो ज़िन्दगी का सफ़र आसान बना देते हैं.
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यह सच है कि बड़े-बड़े कामों में उलझे हम लोग बहुत सी छोटी-छोटी बातों को फालतू समझ कर टाल देते हैं। लेकिन एक मुस्कराहट,एक फोन,एक जेस्चर वाकई ज़िंदगी को कितना ख़ूबसूरत बना देता है।
जवाब देंहटाएंदिल को छू लेने वाली छोटी सी बात करने वाली 'बड़ी' पोस्ट
छोटी-छोटी बातें हैं पर बातें बडीं.. भूलें नहीं इनको कभी... काफी पसंद आया आज का लेख भी...
जवाब देंहटाएंइतनी रोचक पोस्ट ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सलीके से हर एक उदाहरण के जरिए बात असरदार ढंग से रखी गई है। सचमुच हमारा ध्यान इन छोटे छोटे बातों पर कम ही जा पाता है।
वैसे यह काफी डिपेंड करता है कि बंदा या बंदी कौन है जो इन बातों पर ध्यान दे रहा है, उसके मनोभाव उस वक्त कैसे हैं वगैरह वगैरह।
बहुत ज्यादा छोटी छोटी बातों पर ध्यान देने से मामला बिगड भी जाता है। हाल ही में मुंबई की उस शादी की बात आपको याद होगी जिसमें दूल्हे की मां ने विवाह के दौरान दुल्हन की मां से एक गिलास पानी मांगा और दुल्हन की मां भागादौडी में पानी देना भूल गई।
बस, इस छोटी सी बात ने दूल्हे की मां के मन में गाँठ जमा दी कि जो एक गिलास पानी नहीं दे सकते वह भला हमारा क्या ख्याल रखेंगे। बात बिगड गई और देखते देखते शादी होते होते एक घंटे के भीतर टूट गई। इसलिए मैंने कहा कि यह बहुत हद तक आसपास के माहौल और लोगों की उस वक्त की मानसिकता पर निर्भर करता है।
बहुत बढ़िया पोस्ट है। उदाहरण सटीक दिये गये हैं।
बिलकुल सच कहा है छोटी छोटी बातें बहुत मायने रखती हैं ,जिन्हें हम नजरंदाज कर देते हैं जबकी यही बातें हमारा पूरा व्यक्तित्व प्रदर्शित करती हैं.जैसे वो कहते हैं न कि किसी व्यक्ति कि असलियत जाननी हो तो उसके जूतों को देख लेना चाहिए.( क्योंकि लोग कपड़े तो बड़े अच्छे पहन लेते हैं पर जूतों को नजरअंदाज कर देते हैं ).
जवाब देंहटाएंछोटी छोटी बातों से दिल जितने की बात जहाँ तक है बिलकुल सटीक है....अब देखो ना तुम्हारी इस छोटी वाली बात की पोस्ट ने भी तो दिल जीत ही लिया ना... :):)
जवाब देंहटाएंकभी कभी बड़ी बातें इतनी चोट नहीं पहुंचातीं जितना कि छोटी सी कोई बात पहुंचा देती है....
सीख देती अच्छी पोस्ट...
शुक्रिया अशोक जी, सतीश जी,संगीता जी, दीपक एवं शिखा
जवाब देंहटाएंसतीश जी मैने वो खबर नहीं पढ़ी...मैं तो ये सोच रही हूँ...कि वो लड़की बच गयी ऐसी छोटी मानसिकता वालों के घर जाने से. शुरू में बहुत दुख हुआ होगा...पर ज़िन्दगी खुशहाल हो जाएगी बाद में.
ओह, अब समझ में आया कि जब भी कहीं जाना होता है , श्रीमती जी सजने में इतनी देर क्यों लगाती हैं ।
जवाब देंहटाएंअब पुरुषों का तो क्या है , उठे और चल दिए । कोई ध्यान भी नहीं देता कि क्या पहना है । और अगर गलती से ध्यान दे भी ले तो शक होने लगता है ।
खैर , आपने बड़ी सही बातें कही हैं । यदि हम इन छोटी छोटी बातों का ध्यान रखें , तो लोगों का दिल जीत सकते हैं ।
बहुत अच्छा आलेख। मुझे तो बहुत सी भूली बातें याद दिला दीं।
जवाब देंहटाएंवाकयी छोटी-छोटी बाते मायने रखती हैं। अब इसी पोस्ट को लीजिए, सारी बाते एक तरफ हो गयी बस मुझे एक बात ही क्लिक कर रही है कि आपने लिखा कि सोनिया गांधी को यह इल्म हो गया कि वे इस रिश्ते को नकारेगी नहीं। अरे उस समय सोनिया की हैसियत ही क्या थी जो इन्दिराजी के रिश्ते को नकारती। एक फिल्म आयी थी बावर्ची, उसका मुद्दा यही था कि जीवन में छोटी बातों का ही महत्व होता है, बड़ी बाते तो कहीं एक तरफ रह जाती हैं लेकिन प्रतिदिन के रिश्ते ये छोटी बातें ही तय करते हैं। बहुत ही बढिया पोस्ट के लिए बधाई।
जवाब देंहटाएंरश्मि जी
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्रेरणादायक आलेख |इसी संदर्भ में मुझे एक वाकया याद आता है | हम लोग एक सीमेंट फेक्ट्री के टाउनशिप
में रहते थे जब भी कभी कोई बड़े अफसर या फेक्ट्री के मालिक का आगमन होता था |जमीन आसमान एक करके तैयारी की जाती रातोरात बड़े बड़े पेड़ लगाये जाते |बिसियी पकवान बनते |ऐसे ही एक बार मालिक आये रात्रि भोज चल रहा था | सब तरह की रोटिया बनी मिस्सी रोटी, परांठे .पूड़ी ,रुमाली रोटी सारे अधिकारी हाथ बांधे खड़े हुए खुश हो रहे थे और इसी बीच मालिक ने फुल्का रोटी की मांग कर दी |सबके चेहरों पर हवाइयां उड़ रही थी क्योकि एक छोटी सी लापरवाही से सबकी मेहनत पर पानी फिर गया \
इस पर आदित्य बिडला हमेशा कहते थे छोटी छोटी बातो से ही जीवन में पूर्णता आती है \
आपने बहुत ही सुन्दर और सटीक आलेख लिखकर फिर से हमे अपनी छोटी गलतियों से बहुत कुछ सीखने के लिए उत्साहित किया है |
आभार
@अजित जी,
जवाब देंहटाएं"सोनिया गाँधी के दिल में हमेशा के लिए जगह बना ली. और उन्हें ये आभास भी हो गया कि वे इस रिश्ते को नकारेंगी नहीं.
यहाँ "आभास होने" का मतलब ये है कि इंदिरा गाँधी नहीं नकारेंगी वरना मैं 'अहसास' लिखती..
कैसी हैं आप? कैसा जा रहा है आपका अमेरिका प्रवास??...एन्जॉय करिए ..शुभकामनाएं
रोचक आलेख.
जवाब देंहटाएंनिश्चित ही जीवन में इन छोटी छोटी बातों का बहुत महत्व है..यही आपका व्यक्तित्व बनाती है और यही बिगाड़ती हैं.
बहुत अच्छे उदाहरण प्रस्तुत किये..बधाई
बहुत सही लिखा आप ने, यह छोटी छोटी बाते बहुत महत्व रखती है...
जवाब देंहटाएंमै भी अजीत गुप्ता जी की बात से सहमत हुं कि...
सोनिया गांधी को यह इल्म हो गया कि वे इस अरे उस समय सोनिया की हैसियत ही क्या थी जो इन्दिराजी के रिश्ते को नकारती। यह तो हमारे नाकारा नेताओ ने सर पर चढा रखा है
एक उम्दा पोस्ट , और बहुत सी महत्वपूर्ण बातों को बताता समझा हआ ।
जवाब देंहटाएंरश्मि जी हमे तो आपकी, इनकी, उनकी और सबकी छोटी बाते भी बडे काम की लगती है. बाबर्ची फ़िल्म का जिक्र आया. मानव व्यबहार मे छोटी बातो के बडे महत्व का सबसे बडा उदाहरण है.
जवाब देंहटाएंसोनिया - इन्दिरा उदाहरण मे कुछ साथियो के विचार थोडे अलग दिख रहे है. वैसे इस उदाहरण को देखे तो प्रथम मुलाकात मे कोई भी नवयुवती अपने वस्त्रो पर अपने मित्र की मा के कथन या टोकने को सहन नही करेगी वो अलग बात है कि टोकने बाली एक देश की शक्तिशाली प्रधान मन्त्री हो.
सीख अच्छी है. मुझसे परिचित पूछते है मम्मी तुम्हारे साथ रहती है मै हमेशा कहता हू नहे मै और मेरा परिवार मम्मी के साथ रहता है.
अरे! आपको पता है.... दरअसल मेरी इस बार पोस्ट पर आठ नापसंद के चटके ....जलन की वजह से लगे.... फिर भी मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सके.... मैं कभी कमेन्ट गलत नहीं देता हूँ....कुछ लोगों की आदत होती है...मीन-मेख निकालने की... दरअसल जब कोई बराबरी नहीं कर पाता .... तो वो मीन-मेख निकालता है.... और मेरी बराबरी करना ज़्यादातर लोगों के लिए मुश्किल ही नहीं ना-मुमकिन है.... इसलिए ...बेचारे उल्टा सीधा कह कर ही काम चला लेते हैं.... और जब कमेन्ट देता हूँ तो बहुत ही प्रैक्टिकल कमेन्ट देता हूँ..... जो कुछ लोगों से डाइजेस्ट नहीं होते हैं..... और जब किसी को चिढ होती है.... तो उस चिढ का क्या कर सकते हैं.... पता है.... अजित ममा कहतीं हैं.... कि ईर्ष्या कमाई जाती है.... और चापलूसी खरीदी जाती है... मैं तो बहुत ही एवरेज किस्म का इन्सान हूँ.... हमेशा से ही मेडियोकर ही रहा हूँ..... और मेदियोकरनेस में .... रह कर ही पहाड़ चढ़ लेता हूँ..... हर इन्सान की अलग अलग सोच होती है.... कुछ को आपकी सोच अच्छी लगेगी और कुछ को नहीं.... तो आप एक वक़्त में सबको खुश नहीं रख सकते..... हालांकि ! मेरी कोशिश रहती है.... कि मैं सबको खुश रखूं..... पर पता है.... यहाँ ब्लॉग जगत में जो लोग बिलो स्टैण्डर्ड है.... उन लोगों से बच कर रहता हूँ..... कीचड (वैसे कीचड की जगह मैंने सबसे गन्दी चीज़ लिखी थी जो की शिखा जी ने मिटवा डी...डांट लगा के...ही ही ही ...) में पत्थर मारने से बेहतर है.... कि कीचड जहाँ पड़ी है.... तो उससे बच कर निकल लो.... कई बार कीचड में पत्थर मार देता हूँ....जाने अनजाने.... तो बट नैचुरल सी बात है.... छीटें तो पड़ेंगे ही.... यह जो नापसंद के चटके देते हैं.... यह कमेन्ट की वजह से नहीं देते ..... यह दरअसल बराबरी नहीं कर पाते हैं....कॉम्प्लेक्स में आ जाते हैं.... इसलिए नापसंदगी के चटकों से कौन घबराता है.... यहाँ तो अब सबके ही पोस्ट पर नापसंदगी दर्ज होती है....बाकी.... तो आपने मुझे एकदम सुधार दिया है..... अबसे कहीं कोई कमेन्ट उल्टा सीधा देता ही नहीं..... आपकी इस पोस्ट ने तो दिल छू लिया....इस बड़ी अच्छी पोस्ट ने छोटी-छोटी बातों का ख्याल रखना सिखा दिया.... वैसे ...यह तो है कि आप और शिखा जी....मेरी लाइफ में बहुत इम्पौरटैंस रखती हैं...... बहुत कुछ सीखा है है मैंने आपसे और शिखा से.....
जवाब देंहटाएंछोटी छोटी बातें ही तो महत्व रखती है .. आपने बिल्कुल सही लिखा है .. बहुत ही अच्छी पोस्ट है !!
जवाब देंहटाएंbeautiful, kafi sundar aur salike se aapne chhoti chhoti bato ki mahatta samjhai hai is post ke bahane se, satish pancham ji ka comment bhi kuchh sikhne ka mauka de raha hai aapki is post ke sath hi....
जवाब देंहटाएंतुमने ठीक ही लिखा है कि छोटी छोटी बातें हमारे व्यक्तित्व को प्रभावित करती हैं इसलिए हमें नजरंदाज़ नहीं करना चाहिए . जिंदगी में बहुत कुछ गलत इसलिए भी होता है कि सही वक़्त पर इन छोटी सी लगने वाली बातों पर ध्यान देकर ना नहीं कहा जा सका हो ...छोटी छोटी बातें ही जब इकठ्ठा हो जाती हैं तो बड़ी बात बन जातीहै
जवाब देंहटाएंअपने अगर गलती करते नजर आ रहे हों तो सच्चे शुभचिंतकों को उन्हें टोकना जरुर चाहिए ...वो अपनी बात पर गौर करे या नहीं ...(जैसे तुमने मुझे भी टोका था .:):)).....सलेक्टिव नैतिकता पर मैं सिर्फ इतना कहूँगी कि इंसान को अपने विचारों को लेखर दृढ रहना चाहिए....एक ही मुद्दे पर दो अलग तरह के कमेंट्स आपके व्यक्तित्व को शक के घेरे में लाकर खड़ा कर देते हैं ...यदि आपने परिस्थितिवश दिए भी हैं तो कारण स्पष्ट किये जाने चाहिए ...
सोनिया गाँधी की स्कर्ट तुरपाई किये जाने वाले सोनिया गाँधी के संस्मरण ने इंदिरा गाँधी के ममतामय व्यक्तित्व को प्रेषित किया ...
बहुत प्रभावशाली लेख...सच है...छोटी छोटी बातों में जादू बड़ा...
जवाब देंहटाएं@हरि शर्मा जी,
जवाब देंहटाएंसोनिया- इंदिरा गाँधी से सम्बंधित उद्धरण में लोगों के विचार क्यूँ अलग हैं,समझ नहीं आ रहा...इंदिरा गाँधी देश की प्रधानमंत्री थी,उनके सामने सोनिया की क्या हैसियत ...पर वह उनके व्यक्तित्व के आगे सहमी और डरी सी रहतीं...पर इंदिरा जी के इस व्यवहार से उनका ममतामयी रूप उजागर हुआ,जिससे सोनिया गाँधी के दिल को छू लिया और वह उन्हें एक रस्त्र्नेता के रोप में नहीं एक माँ के रूप में देख सकीं.
"आपका यह कथन भी "प्रथम मुलाकात मे कोई भी नवयुवती अपने वस्त्रो पर अपने मित्र की मा के कथन या टोकने को सहन नही करेगी" कुछ समझ नहीं आया...यहाँ इंदिरा जी ने उन्हें टोका नहीं था,'ऐसा क्यूँ पहना वैसा क्यूँ पहना' बल्कि उनकी मदद की क्यूंकि वे एक पार्टी में जा रही थीं और वहाँ लोगों की नज़र पड़ती तो अच्छा नहीं लगता. सोनिया गाँधी क्या...किसी भी साधारण लड़की के साथ ऐसा वाकया हो तो वह अभिभूत हो जाएगी और मित्र की माँ के प्रति उसके मन में आदर और सम्मान बढ़ जायेगा
सुन्दर पोस्ट। छोटी बातें बड़ा प्रभाव!
जवाब देंहटाएंछोटी छोटी बाते , कई बार हमारे मन. विश्वास और दिमाग को झकझोर जाती है . ये बात एकदम सत्य है की अगर हम इन छोटी बातो को ध्यान में रखे और अपने जीवन में प्रयोग करे तो ये जीवन को खुशहाल बनाने में हमारी सहायक हो सकती है. .एक हमारी छोटी से बात, उम्दा पोस्ट.
जवाब देंहटाएंरश्मि जी..जिंदगी में छोटी बातों का बहुत महत्व है घर परिवार,अपनों के बीच में ही नहीं बल्कि बाहरी दुनिया में भी इन छोटी छोटी बातें बहुत बड़ी असर करती है..निश्चित रूप से परिणाम सकारात्मक होते है...आपने उदाहरण देते हुए इस बढ़िया आलेख को खूब सजाया है पोस्ट बहुत ही बढ़िया लगी...हम सभी को कोशिश करनी चाहिए की जिंदगी में छोटी छोटी बातों के लिए भी स्थान रखे और उन्हे महत्व दे क्योंकि हो सकता है जिन्हे हम छोटी समझ रहे है वो किसी दूसरे के लिए या अपने लिए ही वास्तव में बहुत ज़्यादा मायने रखती हो......बेहतरीन आलेख के लिए धन्यवाद रश्मि जी बढ़िया पोस्ट...
जवाब देंहटाएंछोटी छोटी बातों में अधिक ध्यान देने से बड़ी समस्यायें भी छोटी लगने लगती हैं ।
जवाब देंहटाएंvastav men aesi baten dil men ghar kar jati hai jinki chap jeevan bhar dekhi ja sakti hai. sonia gandhi ne indira gandhi ki virasat smhalkar ise sabit kar diya hai ke un par indira ji ka kitana adhik prabhav tha ASHUTOSH VERMA
जवाब देंहटाएंछोटी छोटी बाते व्यक्तित्व उभारती भी है और बिगाडती भी.. जैसा सतीश जी ने कहा कि ये उस बन्दे या बन्दी पर भी डिपेन्ड करता है और साथ ही साथ उन परिस्थितियो पर भी जिनमे वो बाते कही/सुनी गयी...
जवाब देंहटाएंज़िन्दगी की इस भागादौडी मे ऎसी कई छोटी खूबसूरत बाते एक जानी-अनजानी खुशी दे जाती है.. मैने भी अपनी कुछ पोस्ट्स मे चन्द ऎसे लम्हो को समेटने की कोशिश की थी.. और ऎसी खुशिया हमे एक दूसरे से बांटते रहना चाहिए..
इस ब्लोगजगत को जितना मै जानता हू (हो सकता है कि ये सिर्फ़ मेरा परसेप्शन हो), उस लहजे से एक ब्लोगर का व्यक्तित्व उसकी पोस्ट मे ६०% और उसकी टिप्पणियो मे बाकी ४०% दिखता है... इसलिये टिप्पणिया अगर किसी की निगेटिव इमेज बनाती है तो जैसा वाणी जी ने कहा कि ’कारण स्पष्ट किये जाने चाहिए’.. और न कि खुद की बनायी हुई किसी फ़ाल्स फ़ैन्टेसी मे रहना चाहिये..
’सेलेक्टिव नैतिकता’- ये शब्द न जाने मुझे क्यू बडा मीनिगफ़ुल लगता है.. हम असलियत मे भी तो ऎसे ही होते है.. सेलेक्टिव नैतिक.. जब हमारे अपनो की बात होती है, हमारी सोचे, धारणाये.. सबकी परिभाषाये बदलने लगती है.. उदाहरण के तौर पर: जब कश्मीर की बात करते है तो भारतीयो की अलग नैतिकता होती है और पाकिस्तानियो की अलग... मुम्बई को ही देख लीजिये.. ठाकरे परिवार को ही देख लीजिये... झारखन्ड मे शिबु सोरेन को अपनी तरफ़ मिलाती पार्टीज को ही ले लीजिये... वरुण गाँधी की स्पीच के बाद मेनका गाँधी को ही ले लीजिये... ’इमरजेन्सी’ को ही ले लीजिये...
हम सब कही न कही से सेलेक्टिव नैतिक है और इसका बोध होना भी शायद अच्छी ही बात है.. (ये मेरी सेलेक्टिव नैतिकता है)
* आप सबसे उम्र मे बहुत छोटा हू.. इसलिये जाने अनजाने छोटे मुह कोई बडी बात कह दी हो तो उसके लिये क्षमाप्रार्थी हू... बस इस बडी से पोस्ट के और एन्गल्स ढूढने की कोशिश की है..
छोटी छोटी बातें , बड़ी बातों से अधिक महत्वपूर्ण होती हैं. बहुत अच्छी तरह से सिध्धकर दिया है. इन छोटी बातों पर लोग अधिक ध्यान देते हैं. क्योंकि व्यक्ति का व्यक्तित्व इन छोटी बातों से ही झलकता है. हम लोग इतने सारे लोग हैं ब्लोग्स पर कुछ लोगों की छवि अपने आप ही स्पष्ट है कि अगला क्या है? कहने कि या बताने कि जरूरत नहीं होगी.
जवाब देंहटाएंरहिमन देखि बड़ेन को लघु न दीजिए डारि
जवाब देंहटाएंजहां काम आवै सुई, कहां करै तलवारि
@पंकज तुमने बहुत सारे एंगल्स दिए इस पोस्ट को...मैने इसीलिए तो लिखा है,"जो लोग हर छोटी बात का ध्यान रखते हैं वे, ज़िन्दगी में सफल और महान बन जाते हैं.कोई भी एक दिन में सफलता की सीढियां तय नहीं कर लेता.इन छोटी छोटी गलतियों को सुधारते हुए ही आगे बढ़ता जाता है."...इसलिए कोशिश जारी रखनी चाहिए..
जवाब देंहटाएंऔर जब हम सब ही कहीं ना कहीं से "सेलेक्टिव नैतिक" हैं ,तो सिर्फ एक पर तंज़ क्यूँ उसे single out करके ताने कसना कहाँ तक ठीक है?
चीज़ों को आप समग्र रूप में देखते हैं और आपकी दृष्टि बहुत व्यापक है...इसे बनाए रखना..:)
बहुत सटीक.. रोचक और प्रेरक..
जवाब देंहटाएंगजब लिखती है आप ! बहुत सारी शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंछोटी-छोटी बातें ही जिन्दगी बदल देती हैं। खुशियां भर देती हैं या बडे-बडे युद्ध भी करवा देती हैं।
जवाब देंहटाएंप्रेरक पोस्ट के लिये आभार
प्रणाम
bahut kuchh seekh deti aap ki rachna vistrit aur achhi rahi. dhanywad.
जवाब देंहटाएंरोचक पोस्ट ।
जवाब देंहटाएंएक प्रेरणादायक अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंजनमदिन वाले ब्लॉग पर भी आप सभी के स्नेह ने मेरे इस अहसास की पुष्टि की है कि छोटी-छोटी बातें कितना मायने रखती हैं
आभार
लगता है आजकल आप व्यक्तित्व विकास पर लेक्चर्स दे रही हैं ..बाय द वे अगला लेक्चर कब है आपका ?, मैं आपका स्टूडेंट बन कर शामिल होना चाहता हूँ ।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी पोस्ट।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !
छोटी छोटी बातों की बातें हैं बड़ी।
जवाब देंहटाएंयह रहा मेरे बिरोध का जबाब...
जवाब देंहटाएंयहां
यहां
वेसे बाकी आप का लेख बहुत अच्छा है, ओर मै भी विदेशी ही हुं लेकिन अपनी पहचान भी णाःइ छुपाई, किसी को धोखे मै नही रखा, झुठ नही बोला...
दिल को छुने बाली बात कही है आपने। सही में छोटी छोटी बातें अच्छी होती हैं और दिल को छू लेती हैं. पर कई बार ऐसी बातों को लोग गलत भी ले लेते हैं। एक बार किसी ड्राइवर का मेरे को हैलो कहना मेरे साथ खड़े सीईओ को पसंद नहीं आया . उन्होने मुझे नसीहत दी. ज्यादा ध्यान नहीं दिया . नतीजा क्या भुगता होगा आप समझ ही सकती हैं। कभी कभी लगता है कि लोक व्यवहार को भी अमल में लाना चाहिए पर क्या करुं पूरी तरह से नहीं ला पाता। हर मुस्कुराहट के बदले मुस्कुराहट देना फितरत है सो देता ही रहता हूं और देता रहूंगा।
जवाब देंहटाएं@शरद जी,
जवाब देंहटाएंआप एक साथ ही चार-पांच क्लासेस अटेंड कर लेंगे (जैसे आपने मेरी ६,७ पोस्ट एक साथ ही पढ़ ली..और टिप्पणियाँ भी करते गए )...फिर हमें फीड बैक कैसे मिलेगा?? इसलिए कोई फायदा नहीं ...:)
और लेक्चर्स तो मैं कभी दे नहीं सकती क्यूंकि उसके लिए प्लानिंग की जरूरत होती है...और मैं बस लिखती जाती हूँ चीज़ें जुडती चली जाती है...इसीलिए शायद लोगों को प्रवाह भी नज़र आता है मेरे लेखन में...और ये सायास नहीं है ,इसलिए बदलने का कोई इरादा भी नहीं. आप कभी अपने वर्कशॉप के अनुभव यहाँ भी बांटे...कुछ हमें भी फायदा हो.
chhoti baaten hoti hain bade kaam ki
जवाब देंहटाएंhttp://sanjaykuamr.blogspot.com/
bahut achchha likha hai rashmi....badhai
जवाब देंहटाएंज़िन्दगी मे छोटी बातें ही ज्यादा महत्त्व रखती हैं………………ये छोटी छोटी बातें ही ज़िन्दगी को दिशा देती हैं…………………न जाने किसकी कही कौन सी बात कब दिल को छू जाती है और ज़िन्दगी और सोच दोनो क ही नज़रिया बदल देती है पता ही नही चलता……………सही कहा है हर महान इंसान इन्ही बातों को ध्यान रखता था तभी आज भी लोग उन्हे याद रखते है और इंसान की महानता का पता इन छोटी बातों से ही चलता है।
जवाब देंहटाएंअरे बहुत सही बात लिखा है आपने रश्मि जी...
जवाब देंहटाएंऔर मुझे तो पोस्ट से ज्यादा समय कमेन्ट पढ़ने में लगा...पंकज का भी कमेन्ट काफी लंबा था ;);)
खैर, आपने सही कहा.. :)
Jindagi kee seekh deti huyee Rochak prastuti ke liye dhanyavaad
जवाब देंहटाएंदी, बहुत ही खूबसूरत पोस्ट है...महकते हुए फूलों के गुच्छे की तरह. और ये बात तो बहुत ही अच्छी लगी --"जो लोग हर छोटी बात का ध्यान रखते हैं वे, ज़िन्दगी में सफल और महान बन जाते हैं.कोई भी एक दिन में सफलता की सीढियां तय नहीं कर लेता.इन छोटी छोटी गलतियों को सुधारते हुए ही आगे बढ़ता जाता है.'
जवाब देंहटाएंछोटी-छोटी अच्छी बातें ध्यान में रखनी चाहिए, अपनी छोटी-छोटी गलतियों को सुधार लेना चाहिए और दूसरे की छोटी गलतियों को माफ कर देना चाहिए ... है न ?
मैं अक्सर पढ़ने के बाद बिना टिप्पणी किए निकल लेता हूँ, मगर आज लगा कि ये छोटी बात नहीं है, या अगर छोटी भी हो तो कम महत्वपूर्ण नहीं कि तारीफ़ के दो शब्द कहे जाएँ।
जवाब देंहटाएंआभार।
सही कहा आपने छोटी छोटी बातें कभी कभी बहुत बड़ा महत्व रखती हैं।
जवाब देंहटाएंसादर
छोटी छोटी बातें... छोटे छोटे लम्हे ही जिंदगी को खूबसूरत बनाते है!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर. रोचक और स्पर्शी प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंसादर...
छोटी छोटी बातो का अपना अलग ही महत्व है .....आभार
जवाब देंहटाएंchoti-choti baton ka importance bataati ..sarthak post ....
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