राखी आ गयी....और हमेशा की तरह....ये दिन तो भाई-बहनों का ही है...ये एक दिन ऐसा है... जब भाई सात समंदर पार हो....कितना भी व्यस्त हो, किसी काम में आकंठ डूबा हो...बहन की याद आ ही जाती है और कैसे नहीं आएगी?? बहन इतने दिल से जो याद करती है
ब्लॉग जगत में अभी दो साल भी पूरे नहीं हुए..पर छोटे (बड़े भी) बहन - भाइयों का स्नेह भरपूर मिला. इन आभासी बहन-भाई के रिश्ते पर बड़ी बहसें होती हैं....ना जाने कितनी पोस्ट लिखी जा चुकी हैं. कईयों का कहना है कि किसी मंसूबे के तहत..टिप्पणी पाने के उद्देश्य से ये रिश्ते बनाए जाते हैं....अब उनलोगों की ऐसी सोच की कोई वजह होगी...पर मैं कैसे मानूं ??...जब मेरे अनुभव बिलकुल ही अलग हैं.
जब कोई मेल भेजते हुए अचानक दीदी लिख जाता है....और मेरे ख़ुशी प्रकट करने पर कहता है.....मैं अनजाने में ही 'दीदी' लिख गया...फिर दुबारा पढ़ा, तो ध्यान आया 'दीदी' लिखा है....फिर मैने उसे ऐसे ही रहने दिया.
कितने ही लोग..दीदी,रश्मि दी या 'रश्मि बहना' कहते हैं...पर ना तो मैं उनकी सारी पोस्ट पर नियमित हूँ...और ना ही वे मेरी हर पोस्ट पर आते हैं.फिर टिप्पणियों की लेन-देन की बात कहाँ से आई??
मैं तो इन भाइयों के स्नेह से इतनी अभिभूत हूँ कि शब्द नहीं मिलते...जब 'रवि धवन' शादी की बारात लेकर निकल रहा होता है..और मेरा आशीर्वाद लेने के लिए फोन करता है...मुझे बैंड की आवाज़ भी सुनाई देती है..और मैं डांट देती हूँ..."ये समय मिला है..तुम्हे फोन करने का??....मेरा आशीर्वाद सदा साथ है...अभी फोन रखो "
दिखाई दे जाता है...:)
और मैं अपने इन भाइयों से अब तक मिली नहीं हूँ .
ओह!! अब अपने किस्से ही सुनाती रहूंगी तो आप सब बोर हो जायेंगे...लीजिये कुछ दूसरे भाई-बहनों की प्यार भरी बातें पढ़िए...पिछले
हम मध्यमवर्गियों का इतिहास में कहीं नाम नहीं होता पर रस्मो-रिवाज़,त्योहार,परम्पराएं..एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक इन्ही के द्वारा हस्तांतरित की जाती है. राखी में भी बहने बड़े शौक से राखी खरीदती हैं या खुद बनाती हैं, मिठाइयां बनाती हैं,भाई शहर में हुआ तो राखी बाँधने जाती हैं वरना दिनों पहले ,राखी पोस्ट की जाती है, भाई भी उसी स्नेह से इसका प्रतिदान करते हैं.
पर जब भाई -बहन का यही प्यार निम्न वर्ग और उच्च वर्ग में देखने को मिलता है तो बड़ी सुखद अनुभूति होती है.
एक बार मैं अपने दादा जी के पास गाँव गयी हुई थी.देखा हमारी गायें चराने वाला चौदह -पंद्रह वर्ष का एक किशोर, मेरे दादा जी से सौ रुपये मांग रहा है (तब वह एक बड़ी रकम थी ) कुछ दिन बाद उसकी माँ ने बताया कि शिवराम अपनी बहन 'प्रमिला' से मिलने पहली बार उसके ससुराल गया .प्रमिला चावल का पानी निकाल रही थी (भोजपुरी में कहें तो मांड पसा रही थी )..उसने जैसे ही सुना, भाई आया है, ख़ुशी में उसका ध्यान बंट गया और गरम पानी से उसका हाथ जल गया. शिवराम अंदर गया तो देखा,उसकी बहन पुआल पर सोती है. घर आकर वह अपनी माँ से बहुत झगडा कि ऐसी जगह उसकी शादी कर दी कि उसका हाथ जल गया और वह पुआल पर सोती है. उसने मेरे दादाजी से एडवांस पैसे लिए और एक चौकी खरीद,बैलगाड़ी पर लाद, अपनी बहन के ससुराल पहुंचा आया.
ऐसा ही प्यार हाल में देखा. मेरी कामवाली मराठी बाई, 'माँ बीमार है' कहकर एक दिन अचानक गाँव चली गयी.उसकी बहन काम पर आने लगी तो बताया कि उसके पति ने बहुत मारा-पीटा है..इसीलिए वह चली गयी है. करीब दस दिन बाद वह वापस आई, उसने कुछ नहीं बताया तो मैने भी नहीं पूछा...अचानक उसके थैले में से मोबाइल बजने लगा.मैने यूँ ही पूछ लिया ,'नया मोबाइल लिया?"
तब उसने सारी बात बतायी कि यह सब सुनकर ,उसका भाई चार लोगों के साथ गाँव से आया और उसके पति की अच्छी धुनाई की (कितने मध्यमवर्गीय भाई हैं जिन्होंने यह सुन, अपने जीजाजी को दो झापड़ रसीद किए हों कि मेरी बहन पर हाथ क्यूँ उठाया ?..खैर..) एक कमरा किराये पर ले उसका सारा समान वहाँ शिफ्ट किया और बहन को एक मोबाइल खरीद कर दिया कि जब भी जरूरत हो,बस एक फोन कर ले .इसका परिणाम भी यह हुआ कि उसका पति खुद माफ़ी मांगता हुआ साथ रहने आ गया.
भाई-बहन का ऐसा ही निश्छल स्नेह ,उच्च वर्ग में देख भी आँखें नम हो जाती हैं.
अमिताभ बच्चन जब कुली फिल्म की शूटिंग के दौरान भयंकर रूप से बीमार पड़े थे ,उन्हीं दिनों राखी भी पड़ी थी और डॉक्टर के मना करने के बावजूद ,अमिताभ बच्चन ने 'सोनिया गांधी' और रमोला (अजिताभ की पत्नी ) की राखी कलाई से नहीं उतारी थी. बाद में सोनिया गाँधी और अमिताभ बच्चन के सम्बन्ध मधुर नहीं रहें.पर जब तक निश्छल प्रेम था,उसे नज़रंदाज़ कैसे किया जा सकता है? पता नहीं कितने लोगों को पता है,सोनिया गाँधी की शादी ,हरिवंश राय बच्चन के घर से हुई थी ,मेहंदी,हल्दी की रस्म वहीँ अदा की गयी थी और इसी नाते अमिताभ से भाई का रिश्ता बना.
संजय दत्त से सम्बंधित घटना बहुत ही द्रवित करनेवाली है. एक प्रोग्राम में उनकी बहन प्रिया बता रही थीं. संजय दत्त सबसे बड़े थे,इसलिए दोनों बहनों को हमेशा इंतज़ार रहता कि राखी पर क्या मिलेगा,वे अपनी फरमाईशें भी रखा करतीं.पर जब संजय दत्त जेल में थे,उनके पास राखी पर देने के लिए कुछ भी नहीं था. उन्हें जेल में कारपेंटरी और बागबानी कर दो दो रुपये के कुछ कूपन मिले थे. उन्होंने वही कूपन , बहनों को दिए. जिसे प्रिया ने संभाल कर रखा था और उस प्रोग्राम में दिखाया. सबकी आँखें गीली हो आई थीं.
ऋतिक रौशन का किस्सा कुछ अलग सा है. उनका और उनकी बहन सुनयना के कमरे तो अलग अलग थे पर उन्हें बाथरूम शेयर करना पड़ता था. ऋतिक रौशन को सफाई पसंद थी जबकि टीनएज़र लड़कियों सी सुनयना के क्रीम, लोशन,क्लिप्स, नेलपौलिश इधर उधर बिखरे होते. उनका रोज झगडा होता. फिर सुनयना की शादी हो गयी.ऋतिक जब दूसरे दिन बाथरूम में गए तो एकदम साफ़ झक झक करता बाथरूम देख हैरान रह गए.और इतनी याद आई बहन की कि तौलिया आँखों से लगाए बाथरूम के फर्श पर ही बैठ रोने लगे.
ब्लॉग जगत में अभी दो साल भी पूरे नहीं हुए..पर छोटे (बड़े भी) बहन - भाइयों का स्नेह भरपूर मिला. इन आभासी बहन-भाई के रिश्ते पर बड़ी बहसें होती हैं....ना जाने कितनी पोस्ट लिखी जा चुकी हैं. कईयों का कहना है कि किसी मंसूबे के तहत..टिप्पणी पाने के उद्देश्य से ये रिश्ते बनाए जाते हैं....अब उनलोगों की ऐसी सोच की कोई वजह होगी...पर मैं कैसे मानूं ??...जब मेरे अनुभव बिलकुल ही अलग हैं.
जब कोई मेल भेजते हुए अचानक दीदी लिख जाता है....और मेरे ख़ुशी प्रकट करने पर कहता है.....मैं अनजाने में ही 'दीदी' लिख गया...फिर दुबारा पढ़ा, तो ध्यान आया 'दीदी' लिखा है....फिर मैने उसे ऐसे ही रहने दिया.
कितने ही लोग..दीदी,रश्मि दी या 'रश्मि बहना' कहते हैं...पर ना तो मैं उनकी सारी पोस्ट पर नियमित हूँ...और ना ही वे मेरी हर पोस्ट पर आते हैं.फिर टिप्पणियों की लेन-देन की बात कहाँ से आई??
मैं तो इन भाइयों के स्नेह से इतनी अभिभूत हूँ कि शब्द नहीं मिलते...जब 'रवि धवन' शादी की बारात लेकर निकल रहा होता है..और मेरा आशीर्वाद लेने के लिए फोन करता है...मुझे बैंड की आवाज़ भी सुनाई देती है..और मैं डांट देती हूँ..."ये समय मिला है..तुम्हे फोन करने का??....मेरा आशीर्वाद सदा साथ है...अभी फोन रखो "
एक और ब्लोगर भाई...फेरों से उठता है....और फोन मिलाता है...मेरे पूछने पर कि सारी रस्मे हो गयीं?..कहता है...बस अभी-अभी पूरी हुई हैं. मुझे फोन पर लोगों की हलचल सुनाई देती है...और मैं कहती हूँ...'फोन रखो बाद में बात करती हूँ'...वो अपनी 'सद्द्यविवाहिता दुल्हन' से भी बात करवाता है...और उसे मजाक में 'मिसेज' का संबोधन देने वाली मैं पहली होती हूँ...दुल्हन का लाल चेहरा मुझे हज़ारों मील दूर बैठे भी
और मैं अपने इन भाइयों से अब तक मिली नहीं हूँ .
ओह!! अब अपने किस्से ही सुनाती रहूंगी तो आप सब बोर हो जायेंगे...लीजिये कुछ दूसरे भाई-बहनों की प्यार भरी बातें पढ़िए...पिछले
साल पोस्ट की थी....पढ़ रखी हो तो दुबारा पढ़िए...अच्छी लगेंगी..:)
पर जब भाई -बहन का यही प्यार निम्न वर्ग और उच्च वर्ग में देखने को मिलता है तो बड़ी सुखद अनुभूति होती है.
एक बार मैं अपने दादा जी के पास गाँव गयी हुई थी.देखा हमारी गायें चराने वाला चौदह -पंद्रह वर्ष का एक किशोर, मेरे दादा जी से सौ रुपये मांग रहा है (तब वह एक बड़ी रकम थी ) कुछ दिन बाद उसकी माँ ने बताया कि शिवराम अपनी बहन 'प्रमिला' से मिलने पहली बार उसके ससुराल गया .प्रमिला चावल का पानी निकाल रही थी (भोजपुरी में कहें तो मांड पसा रही थी )..उसने जैसे ही सुना, भाई आया है, ख़ुशी में उसका ध्यान बंट गया और गरम पानी से उसका हाथ जल गया. शिवराम अंदर गया तो देखा,उसकी बहन पुआल पर सोती है. घर आकर वह अपनी माँ से बहुत झगडा कि ऐसी जगह उसकी शादी कर दी कि उसका हाथ जल गया और वह पुआल पर सोती है. उसने मेरे दादाजी से एडवांस पैसे लिए और एक चौकी खरीद,बैलगाड़ी पर लाद, अपनी बहन के ससुराल पहुंचा आया.
ऐसा ही प्यार हाल में देखा. मेरी कामवाली मराठी बाई, 'माँ बीमार है' कहकर एक दिन अचानक गाँव चली गयी.उसकी बहन काम पर आने लगी तो बताया कि उसके पति ने बहुत मारा-पीटा है..इसीलिए वह चली गयी है. करीब दस दिन बाद वह वापस आई, उसने कुछ नहीं बताया तो मैने भी नहीं पूछा...अचानक उसके थैले में से मोबाइल बजने लगा.मैने यूँ ही पूछ लिया ,'नया मोबाइल लिया?"
तब उसने सारी बात बतायी कि यह सब सुनकर ,उसका भाई चार लोगों के साथ गाँव से आया और उसके पति की अच्छी धुनाई की (कितने मध्यमवर्गीय भाई हैं जिन्होंने यह सुन, अपने जीजाजी को दो झापड़ रसीद किए हों कि मेरी बहन पर हाथ क्यूँ उठाया ?..खैर..) एक कमरा किराये पर ले उसका सारा समान वहाँ शिफ्ट किया और बहन को एक मोबाइल खरीद कर दिया कि जब भी जरूरत हो,बस एक फोन कर ले .इसका परिणाम भी यह हुआ कि उसका पति खुद माफ़ी मांगता हुआ साथ रहने आ गया.
भाई-बहन का ऐसा ही निश्छल स्नेह ,उच्च वर्ग में देख भी आँखें नम हो जाती हैं.
अमिताभ बच्चन जब कुली फिल्म की शूटिंग के दौरान भयंकर रूप से बीमार पड़े थे ,उन्हीं दिनों राखी भी पड़ी थी और डॉक्टर के मना करने के बावजूद ,अमिताभ बच्चन ने 'सोनिया गांधी' और रमोला (अजिताभ की पत्नी ) की राखी कलाई से नहीं उतारी थी. बाद में सोनिया गाँधी और अमिताभ बच्चन के सम्बन्ध मधुर नहीं रहें.पर जब तक निश्छल प्रेम था,उसे नज़रंदाज़ कैसे किया जा सकता है? पता नहीं कितने लोगों को पता है,सोनिया गाँधी की शादी ,हरिवंश राय बच्चन के घर से हुई थी ,मेहंदी,हल्दी की रस्म वहीँ अदा की गयी थी और इसी नाते अमिताभ से भाई का रिश्ता बना.
संजय दत्त से सम्बंधित घटना बहुत ही द्रवित करनेवाली है. एक प्रोग्राम में उनकी बहन प्रिया बता रही थीं. संजय दत्त सबसे बड़े थे,इसलिए दोनों बहनों को हमेशा इंतज़ार रहता कि राखी पर क्या मिलेगा,वे अपनी फरमाईशें भी रखा करतीं.पर जब संजय दत्त जेल में थे,उनके पास राखी पर देने के लिए कुछ भी नहीं था. उन्हें जेल में कारपेंटरी और बागबानी कर दो दो रुपये के कुछ कूपन मिले थे. उन्होंने वही कूपन , बहनों को दिए. जिसे प्रिया ने संभाल कर रखा था और उस प्रोग्राम में दिखाया. सबकी आँखें गीली हो आई थीं.
ऋतिक रौशन का किस्सा कुछ अलग सा है. उनका और उनकी बहन सुनयना के कमरे तो अलग अलग थे पर उन्हें बाथरूम शेयर करना पड़ता था. ऋतिक रौशन को सफाई पसंद थी जबकि टीनएज़र लड़कियों सी सुनयना के क्रीम, लोशन,क्लिप्स, नेलपौलिश इधर उधर बिखरे होते. उनका रोज झगडा होता. फिर सुनयना की शादी हो गयी.ऋतिक जब दूसरे दिन बाथरूम में गए तो एकदम साफ़ झक झक करता बाथरूम देख हैरान रह गए.और इतनी याद आई बहन की कि तौलिया आँखों से लगाए बाथरूम के फर्श पर ही बैठ रोने लगे.
ये थे भाई बहनों के निश्छल स्नेह के कुछ खट्टे-मीठे पल.
सफलताओं के शिखर हो,उनके कदमो तले
हर डाली पर जीवन की,नव पुष्प खिले,
दीपों की माला सी, पाँत खुशियों की जगमगाए
सुख,समृधि, शांति ,से उनका दामन भर जाए .
मेरे सारे भाइयों को दुनिया की ढेssssssssर सारी खुशियाँ मिलें.
सफलताओं के शिखर हो,उनके कदमो तले
हर डाली पर जीवन की,नव पुष्प खिले,
दीपों की माला सी, पाँत खुशियों की जगमगाए
सुख,समृधि, शांति ,से उनका दामन भर जाए .
भाई बहन के प्रेम से भीगी पोस्ट से जाने क्यों आँखें भी भीग गई...हमेशा की तरह पढ़ते हुए लगता है जैसे सामने बैठ कर आँखों देखी सुना रही हो ..सब सजीव सा लगने लगता है...बहुत प्यारी पोस्ट...सभी भाई बहन का प्यार यूँ ही बना रहे चाहे कितनी ही दूर क्यों न रहते हों...
जवाब देंहटाएंसच में दुनिया सबसे प्यारा और निश्चल रिश्ता है ये ....बहुत बहुत शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंत्यौहार की बधाई।
जवाब देंहटाएंकितना प्यार और स्नेह मिलता है इस पावन पर्व के अवसर पर.गर्व होता है अपने इस प्यार भरे त्यौहार पर.एक बार फिर से राखी के शुभ पर्व और स्वतन्त्रतादिवस की बधाई आपको.
जवाब देंहटाएंरश्मिजी आपकी पोस्ट से आँखों में आँसू आ गए। आरक्षण नहीं मिलने के कारण जयपुर नहीं जा पायी और अब अकेली दुखी हो रही हूँ। सच भाई-बहन का प्रेम बहुत अमूल्य होता है।
जवाब देंहटाएंदुनिया की सारी बुराइयों को भूलकर , निर्मल मन से मनाया जाने वाला यह पर्व निसंदेह ही हमारे देश का एक ऐसा पर्व है जिसे सभी धर्मों के लोग निश्छल भाव से मनाते हैं .
जवाब देंहटाएंरक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनायें रश्मि जी .
आज इस पावन पर्व के अवसर पर बधाई देता हूं और कामना करता हूं कि आपकी कलाई पर बंधा रक्षा सूत्र हर समय आपकी रक्षा करें।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अनुभव
जवाब देंहटाएंराखी पर्व की बधाई।
सुन्दर पोस्ट है रश्मि. रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंसुन्दर पोस्ट
जवाब देंहटाएंरक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनायें .
इन भावनात्मक पलों में सदा ही अपार स्नेह छिपा रहता है।
जवाब देंहटाएंरक्षाबंधन पर्व और आने वाले स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंभवनात्मक पोस्ट ... बहुत सुन्दर... आँखें नम हो गईं...
जवाब देंहटाएंबहुत भावपूर्ण पोस्ट.. रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंशायद ही आपकी कोई पोस्ट एक श्रेष्ठ स्क्रिप्ट न हो -यह भी है ! राखी की बहुत शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंरश्मि बहना,
जवाब देंहटाएंभावनाओं की ये बातें भावनाओं वाले ही जान सकते हैं...
जय हिंद...
ये राखी बंधन है ही ऐसा।
जवाब देंहटाएंआंखें नम कर दी आपने। कितनी ही बार पोस्ट पढ़ गया मैं तो। भगवान जी आपको सारी खुशियां दें और आपके चेहरे पर मुस्कुराहट बनी रहे दी। और जरूरत पड़े तो बस याद कर लेना, दौड़े चले आएंगे।
जवाब देंहटाएंहर रिश्ते की मियाद और वास्तविकता समय की कसौटी ही तय करती है ...
जवाब देंहटाएंअच्छी पोस्ट !
रक्षाबंधन और स्वंतत्रता दिवस पर ढेर सारी शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंभाई बहन के प्रेम में सरावोर बड़ी भावनात्मक पोस्ट प्रस्तुत की है. बधाई.
जवाब देंहटाएंस्वतंत्रता दिवस और रक्षाबंधन की आपको बहुत बहुत शुभकामनायें.
@वाणी,
जवाब देंहटाएंमुझे किसी भी रिश्ते की मियाद की कोई चिंता कभी नहीं रही...जितने दिन रिश्ता रहा...अच्छा रहा...बस उन यादों को ही साथ रखती हूँ.
इन पंक्तियों में मेरा पूरा विश्वास है .
people come into your life
for a reason
for a season
or for a lifetime
जो चले जाते हैं...यही सोचती हूँ ,वे एक season या किसी reason के लिए थे और वो season अच्छा गुजरा..वो reason पूरा हुआ :)
thanks di :)
जवाब देंहटाएंव्यक्तिगत व्यस्तताओं के कारण देर हो गयी.. लेकिन आपकी हर पोस्ट की तरह बिलकुल संबंधों की रश्मियाँ बिखेरती हुई पोस्ट.. रविजा की तरह..
जवाब देंहटाएंआज पढ़ रहा हूँ मैं ये पोस्ट :O
जवाब देंहटाएंऔर थैंक्स :)
@people come into your life
जवाब देंहटाएंfor a reason
for a season
or for a lifetime
One up!! Sheer awesomeness :)
कई बार ऐसे किस्से पढ़ कर या सुन कर आँखें नम हो आती हैं ... ये भारतीय परंपरा कमाल की है ..
जवाब देंहटाएंबहुत नबहुत शुभकामनाएं ..
कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएं ...