हमने मुम्बई से कोचीन की सुबह की फ्लाईट बुक की थी जिस से हम ज्यादा से ज्यादा समय केरल में गुजार सकें .पर फ्लाईट का समय बदल कर दोपहर का हो गया .कोचीन पहुँचते तीन बज गए .मुंबई से एक घंटा चालीस मिनट का हवाई सफर है . कोचीन एयरपोर्ट विश्व में पहला एयरपोर्ट है जो पूरी तरह सौर ऊर्जा से संचालित होता है . यह भारत का पहला एयरपोर्ट है जो public-private partnership (PPP) से बना है . इसके निर्माण में करीब 30 देशों में रहने वाले 10,000 NRI ने आर्थिक योगदान दिया है.
सामान लेने ड्राइवर से सम्पर्क में आधा घंटा और लग गया . एयरपोर्ट पर ही काफी लोग केरल की पोशाक लुंगी (मुंडू) और हाफ शर्ट में नजर आये .दो महिलायें भी केरल की क्रीम और गोल्डन कलर की पारम्परिक साडी, बालों में फूल लगाए किसी के स्वागत के लिए आई हुई थीं . कई टैक्सी ड्राइवर भी मुंडू में नजर आये . केरल से बाहर वालों के लिए यह अलग सा दृश्य था .
हमारी कैब का ड्राइवर नम्र स्वभाव का जैसन कोचीन का ही रहने वाला था, .सबसे पहले उसके व्यवहार ने प्रभावित किया ,जैसे ही हम कार में बैठे उसने मलयालम गाना बदल कर हिंदी गाने लगा दिए .उसके बाद छः दिन तक हमारे कार में आते ही वह कभी fm से तो कभी सी डी से हिंदी फ़िल्मी गाने ही बजाता .जैसन का यह व्यवहार खासकर इसलिए भी पसंद आया क्यूंकि ' लाहुल स्पीती ट्रिप पर वहाँ के ड्राइवर ने ग्यारह दिनों तक पंजाबी पॉप गाने सुना सुना कर पका दिया था . उसे हिंदी गानों की दो सी डी भी खरीद कर दी पर उसने ज़रा सा बजा कर चेंज कर दिया .हमने भी कुछ नहीं कहा क्यूंकि वो रास्ते बहुत खतरनाक थे और शायद उसे अपने पसंदीदा गीत सुनते हुए गाड़ी चलाना ज्यादा सुविधाजनक लगता हो.
सडक के बीचो बीच मेट्रो रेल का काम चल रहा था .जैसन बता रहा था ,यह भारत का सबसे लम्बा मेट्रो रेलवे मार्ग होगा . २०१७ तक ट्रेन चलनी शुरू हो जायेगी ..हमारा होटल एयरपोर्ट से काफी दूर था और चूहे पेट में कबड्डी खेलने लगे थे .हमने जैसन से आग्रह किया कि किसी ऐसे रेस्टोरेंट में रोके, जहाँ केरल के पारम्परिक व्यंजन मिलें .जैसन ने बताया ,लंच का समय तो खत्म हो गया है, इडली डोसा वगैरह ही मिलेगा . एक साफ़ सुथरे रेस्टोरेंट में हमने मसाल डोसा और उत्तपम ऑर्डर किया .कोच्ची के onion uttapa में प्याज और कटी सब्जियों में चावल और उड़द का घोल मिलाया जाता है जबकि बाकी जगह घोल में सब्जियां डाली जाती हैं (नाम की ) ।मसाला डोसा का भी स्वाद बिलकुल अलग था , मुझे पसंद आया ।
सांभर और चटनी के लिए चम्मच की मांग करनी ही पड़ी :)अंत में हमें एक एक गुलाबी टिश्यू पेपर थमाया गया ।और बिल मुंबई के मुकाबले आधा ।
st.George church |
रास्ते में ही 'एडापल्ली' पड़ा जहाँ बहुत ही प्रसिद्ध 'सेंट जॉर्ज चर्च' है . यह भारत के सबसे पुराने चर्च में से एक है . इसका निर्माण 594 AD में किया गया . इसे 'वर्जिन मेरी ' को समर्पित किया गया था 1080 में इसे स्थानीय भाषा में 'मार्था मरियम' का चर्च कहा जाने लगा .अब इसके पास ही एक भव्य और बहुत बड़े चर्च का निर्माण किया गया है . जो काफी बड़ा और बहुत ख़ूबसूरत है . पूजा अर्चना करने वाले तो ज्यादातर पुराने चर्च में ही दिखे .इस चर्च की खूबसूरती के अवलोकन के लिए ही लोग घूमते नजर आये .इस चर्च में 'अंडा' चढाया जाता है. एक ढक्कन लगी बाल्टी में हमें कुछ अंडे रखे हुए दिखे . चर्च के बाहर भी ख़ूबसूरत लॉन और सुंदर पेड़ पौधे हैं. शाम को समय बिताने के उद्देश्य से भी स्थानीय लोग आते होंगे .
इसके बाद ड्राइवर ने कहा, हमें 'मैरीन ड्राइव' ले जाएगा. 'वेम्बानद' झील के किनारे किनारे दूर तक टाइल्स बिछी है, बेंच लगी हुई हैं . लोग यहाँ शाम की सैर के लिए आते हैं. मुझे लगा कि शायद हम मुंबई से आये हैं ,इसीलिए ड्राइवर कह रहा है कि कोचीन का मैरिन ड्राइव दिखाएँगे . पर उस जगह का नाम सचमुच 'मैरिन ड्राइव' ही है . मुंबई का मरीन ड्राइव तो समुद्र के किनारे है, जहां लहरों की हलचल रहती हैं, कभी उत्ताल तरंगे भी उठती हैं .पर यहाँ झील बिलकुल शांत थी . दूर कुछ जहाज और नावें भी लंगर डाले खड़ी नजर आ रही थीं .मुम्बई में एक समुद्र और नजर आता है, इंसानों का .पर यहाँ शांत झील की तरह उसका किनारा भी शांत था .हालांकि मुंबई वाला नजारा यहाँ भी था . कहीं कहीं बेंच पर लडके लडकियां जोड़े से बैठे हुए थे . सारी लडकियां सलवार कुरते में थीं और बहुत शरमाई सकुचाई सी पर अंदर से निडर होंगी, तभी तो अपने प्रेमी के साथ यूँ बेंच पर बैठने की हिम्मत कर पाईं. कहीं कहीं दो चार लड़के ग्रुप में बैठे थे और अपनी बोरियत दूर करने को सेल्फी ले रहे थे . एक बेंच पर दो पुलिसमैन अपने जूते उतार कर अनमने से पैर उठा कर बैठे हुए थे . इतनी शांत जगह और शांत लोग ,पुलिस का कोई काम ही नहीं पर प्रशासन को अपना काम करना था .
वेम्बनद झील |
किनारे ही ऊँची ऊँची इमारतें थीं .बिल्डिंग से इक्का दुक्का लोग टहलने के लिए आते दिखे . एक छोटी सी बच्ची कुछ शरारत कर रही थी और उसके पिता उसे मना कर रहे थे .मेरी चाल धीमी हो गई कि सुनूँ ,मलयालम में वे उस से क्या कहते हैं .पर वे तो उत्तर भारतीय निकले, हिंदी में बोल रहे थे...'कह रहा हूँ न...चोट लग जायेगी ' :)
झील के किनारे थोड़ी देर बैठ, सूर्यास्त देखकर ...पेड़ों के झुरमुट के नीचे टहल कर हम वापस आ गए . ठेलों पर भुट्टे, बालू में भुने जाते मूंगफली , फलों के जूस मिल रहे थे . थोड़ी देर पहले ही हमने मेदू वडा, उत्तपा , डोसा का भोग लगाय था , खाने की इच्छा नहीं थी .ऑरेंज जूस ऑर्डर किया .सामने ही संतरे छील कर उसने जूस बनाया और पूछा, ,'मधुरम् ??' हमें समझ नहीं आया तो उसने बोतल में एक पारदर्शी द्रव्य दिखा कर फिर पूछा .तब पता चला वो पूछ रहा था ,'शुगर सिरप डालूँ ?' :)
अब तक रात हो गई थी . कोचीन में काफी कुछ देखना बाकी था .उसे हमने अंतिम दिन के लिए छोड़ दिया .क्यूंकि वापसी की फ्लाईट भी कोचीन से ही पकडनी थी . सुबह हमें मुन्नार के लिए निकलना था .होटल में आकर सामान रखा,फ्रेश हुए. डिनर में हमने केरल के पारम्परिक स्वीट डिश ढूंढें पर वही प्रचलित स्वीट डिश ही थे .इसमें ह्मने फ्राइड आइस्क्रीम यानि 'तली हुई आइस्क्रीम' ऑर्डर की.जो कब से ट्राई करना चाह रहे थे .पर यहाँ आकर सम्भव हुआ. कॉर्न फ्लोर और ब्रेडक्रम्ब के गाढे घोल में आइस्क्रीम लपेट कर तला हुआ था . बाहरी सतह तोड़ने पर अंदर से पिघला हुआ आइस्क्रीम निकलता है जो बाहरी सतह के टुकड़े के साथ काफी स्वादिष्ट लगता है .
डिनर के बाद बाहर टहलने की सोची .पर सडकें इतनी सूनी थीं कि वापस लौटना ही श्रेयस्कर समझा.
fried icecream |
मैरिन ड्राइव |
मेट्रो रेल निर्माण |
अब केरल जाने की इच्छा हो गई..बहुत सुंदर वर्णन..फ़ोटो भी बहुत अच्छी है..अगली पोस्ट का इंतज़ार है।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा यात्रा वृतांत रश्मि जी
जवाब देंहटाएंआपने केरल के बारे मे उत्सुकता बड़ा दिया। इतने अच्छे पोस्ट के लिए धन्यवाद। वहाँ के मसालो के बागानो के बारे मे भी जानने कि इच्छा है।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया रोचक ,पर चर्च में अंडा ही क्यों? मुझे अब इसको पढ़ कर इंतज़ार है कि केरल कब मुझे बुलायेगा 😊👍
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि- आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल रविवार (09-10-2016) के चर्चा मंच "मातृ-शक्ति की छाँव" (चर्चा अंक-2490) पर भी होगी!
जवाब देंहटाएंशारदेय नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि- आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल रविवार (09-10-2016) के चर्चा मंच "मातृ-शक्ति की छाँव" (चर्चा अंक-2490) पर भी होगी!
जवाब देंहटाएंशारदेय नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुंदर जी
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