tag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post8693918287476020439..comments2023-10-31T06:34:42.476-07:00Comments on अपनी, उनकी, सबकी बातें: क्षमा करना कितना सही rashmi ravijahttp://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comBlogger39125tag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-66434215872645581442013-08-30T05:13:31.590-07:002013-08-30T05:13:31.590-07:00.... सहमत हूँ आप की बातो से पर परिस्तिथि के हिसाब ....... सहमत हूँ आप की बातो से पर परिस्तिथि के हिसाब से कई बार माफ़ कर दिया जाता है!! संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-72736924610939321972013-08-29T02:02:39.812-07:002013-08-29T02:02:39.812-07:00क्षमा अच्छी बात है पर बिना दंड दिए, या मानसिक टूर ...क्षमा अच्छी बात है पर बिना दंड दिए, या मानसिक टूर पे ये समझाए बिना की कुछ गलत काम जरूर हुआ है ... छोड़ना ठीक नहीं ... नहीं तो ये आदत बन जाती है ... ओर पहली गलती को तो मभी भी नज़र अंदाज़ नहीं करना चाहिए ... दूसरी पर फैंसला ले लेना चाइये ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-44174401141516890492013-08-28T12:55:28.966-07:002013-08-28T12:55:28.966-07:00भूल हो जाए तो क्षमा उचित है पर समझते-बूझते किए गए ...भूल हो जाए तो क्षमा उचित है पर समझते-बूझते किए गए अपराध का दंड मिलना ही चाहिए - शुरू से ही अंकुश लगे तो आगे की संभावना कम होगी .प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-12334240005036822442013-08-28T09:35:31.785-07:002013-08-28T09:35:31.785-07:00जिनकी चोरी की आदत लग जाती है...वे कुछ भी चुराने से...जिनकी चोरी की आदत लग जाती है...वे कुछ भी चुराने से बाज नहीं आते .<br />अच्छा किया उसकी असलियत सबके सामने लाकर .<br />सतर्क तो रहना ही चाहिए ,मुझे अपनी एक सहेली की माँ की बात हमेशा याद आती है..वे कहती थीं, "ये बिचारी गरीब होती हैं..उनके सामने पैसे रखकर, पर्स खुला छोड़कर उन्हें लालच क्यूँ देती हो तुमलोग " <br />rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-53037120008517300602013-08-28T09:31:06.659-07:002013-08-28T09:31:06.659-07:00सही कहा वन्दनासही कहा वन्दनाrashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-39773479011957393582013-08-28T09:26:06.327-07:002013-08-28T09:26:06.327-07:00हाँ ,कुछ बुरे ग्रह थे यही कह कर संतोष दिया मन को ...हाँ ,कुछ बुरे ग्रह थे यही कह कर संतोष दिया मन को {अब चारा भी क्या :)}rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-81708981081362409292013-08-28T09:19:03.213-07:002013-08-28T09:19:03.213-07:00जब 'कहीं नहीं लिया हो तो '..ऐसी शंका होती ...जब 'कहीं नहीं लिया हो तो '..ऐसी शंका होती है तब तो कोई इलज़ाम नहीं ही लगाता ..जब पूरा यकीन हो तभी पूछताछ करते हैं .rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-67618644648859158872013-08-28T09:10:37.036-07:002013-08-28T09:10:37.036-07:00आपने जो उदाहरण दिया वैसे आम तो नहीं है पर ऐसा भी न...आपने जो उदाहरण दिया वैसे आम तो नहीं है पर ऐसा भी नहीं कि कभी सुना नहीं .<br />हाँ, बेटे को जरूर सजा मिलनी चाहिए थी...उसके हक में ही अच्छा होता.rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-87700132561830357902013-08-28T08:58:16.587-07:002013-08-28T08:58:16.587-07:00बिलकुल हर घर में ये हादसे होते हैं ,मेरे भाई-भाभी ...बिलकुल हर घर में ये हादसे होते हैं ,मेरे भाई-भाभी दोनों नौकरी करते हैं, उनके यहाँ छः साल पुराना एक रसोइया था, विश्वासी हो ही गया था .ये लोग ऑफिस के लिए निकलते तो वो भी निकल जाता और फिर शाम को आता .पर एक दिन भाई-भाभी ऑफिस में और उनका बेटा स्कूल में था तो उसने घर के बाहर की ताले सहित कुण्डी ही निकाल कर अन्दर की आलमारी चाभी से खोल सारे जेवर और कैश गायब कर दिए .(उसे ही पता था, भाभी चाभी कहाँ रखती है )उसके बाद वह गायब हो गया .<br />पर फिर भी इनलोगों ने पुलिस में रिपोर्ट नहीं की क्यूंकि भाई ने कहा ,'पुलिस माली, ड्राइवर ,गार्ड ,झाडू बर्तन करने वाले सबको पकड़ कर ले जायेगी.. पूछताछ करेगी...सामान भी नहीं मिलेगा और सब काम छोड़ देंगे..ये लोग परेशानी में लोग पड़ जायेंगे .<br />(और इनके साहस की तो क्या कहिये,तीन चार महीने बाद...उसकी पत्नी -माँ फिर से उनके घर के चक्कर लगाने लगी कि उस से गलती हो गयी...फिर से काम पर रख लीजिये, परिवार भूखों मर रहा है )<br />यही सब सोच आम लोग सब सहते रहते हैं...और पुलिस में खबर नहीं करते. rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-23008738022323614712013-08-28T08:28:02.562-07:002013-08-28T08:28:02.562-07:00हाँ लेकिन बच्चे जानते हैं..यह हमारे भले के लिए हो ...हाँ लेकिन बच्चे जानते हैं..यह हमारे भले के लिए हो रहा है ...इन नौकरों से कुछ कहने में भी संकोच होता है...उनकी जुबां तो हम पकड़ नहीं सकते ....ऐसी ऐसी बातें कह देते हैं...की खुद शर्म आने लगती है ...और फिर जब तक आँखों से न देखा हो...इलज़ाम लगाना भी मन को गवारा नहीं होता...अगर नहीं ली होगी तो...बस यही "तो" आड़े आ जाता है .....इसका एक ही समाधान है की हम स्वयं अपनी आदतें बदलें और थोडा सतर्क रहे.....Sarashttps://www.blogger.com/profile/04867240453217171166noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-83814575250460523972013-08-28T08:20:37.578-07:002013-08-28T08:20:37.578-07:00कुछ समय पहले एक जाने पहचाने परिवार में चोरी हुई ठी...कुछ समय पहले एक जाने पहचाने परिवार में चोरी हुई ठीक होलिका देहन की शाम को। पत्नी जा चुकी थी , बड़ा बेटा उम्र १७ साल और उसके पिटा घर में थे। <br />चोरो ने हाथ पैर बाँध कर लूट की और चले गए। <br /><br />पत्नी एक मिनिस्टर की भांजी हैं , सो अगले ही दिन पूरी कालोनी की मैड , चोकीदार और काम वालियों को थाने में बुलाया गया। उसके बाद तकरीबन रोज १५ दिन तक ये सिलसिला चला। उनके साथ मार पीट इत्यादि सब हुईं ;लेकिन कुछ नहीं पता चला। <br /><br />फिर एक दिन वो लोग कोलोनी छोड़ कर चले गये बाद में पता चला की चोरी उनके बड़े बेटे और उसके एक कर करवाई थी। बेटे को पिता जी ने "माफ़" के जापान भेज दिया और दोस्त को उनके पिता जी ने कहीं विदेश<br /><br />हर घर में अब अगर कुछ खोता हैं तो काम वालियां कहती हैं ज़रा अपने बच्चो पर नज़र रखे<br /><br />बस किस्सा याद आ गया आप की पोस्ट पढ़ कर <br /><br />और प्रश्न वही हैं क्या माफ़ करना सही था , पुलिस में क्यूँ नहीं दिया रचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-30108820813364262442013-08-28T05:44:39.596-07:002013-08-28T05:44:39.596-07:00ऐसे हादसे हर घर में होते हैं ! आपकी पोस्ट ने हमारे...ऐसे हादसे हर घर में होते हैं ! आपकी पोस्ट ने हमारे भी कई ज़ख्म कुरेद दिये ! कौन सी महरी ने कब-कब क्या-क्या चुराया ! एक्वेरियम की सफाई करने वाला सामान हमसे माँगता रहा और नज़र बचा कर मेज़ पर रखी अँगूठी चुरा ले गया ! दो साल हो गये इस बात को लेकिन आज भी एक्वेरियम की सफाई के लिये उसे ही बुलाना पड़ता है ! अब सबक मिल चुका है तो सावधान रहते हैं ! ऐसे लोगों से निबटना भी तो आसान नहीं होता ! सबके सामने खुद की ऐसी दयनीय तस्वीर खींच देते हैं कि औरों की नज़र में तो क्या खुद की नज़र में भी हम अत्याचारी और घोर अन्यायी बन जाते हैं क्योंकि ना तो सामान ही कभी निकलवा पाये ना उससे उसका अपराध ही कबुलवा पाये ! यह शायद हमारी ही कमी है ! फिर इन लोगों की डिमांड इतनी ज़बरदस्त है कि अगर निकाल बाहर करें तो कुछ दिनों के बाद ऐसा महसूस होने लगता है कि सज़ा उसको नहीं स्वयं को दी है क्योंकि वह महरी तो किसी दूसरे पड़ोसी के यहाँ और अधिक तनख्वाह पर ठाठ से काम कर रही है लेकिन हम महीनों से बर्तन भी माँज रहे हैं और हमारे स्वयं के सारे व्यक्तिगत काम भी ठप हो गये हैं ! ऐसे में पुराणी सूक्तियां याद आती हैं " अपराध से घृणा करो अपराधी से नहीं !" बिशप्स कैंडिलस्टिक्स की कहानी याद आ जाती है ! दरअसल यह सब जनरलाईज़ नहीं किया जा सकता ! हर परिस्थिति के अनुसार उसका ट्रीटमेंट भी भिन्न ही होता है ! आपका आलेख बेशक बहुत चिंतनीय है ! जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें ! Sadhana Vaidhttps://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-67855626054065223162013-08-28T02:27:34.864-07:002013-08-28T02:27:34.864-07:00कुल मिलाकर कित्ता कुछ गुम कर डालती हैं आप जी :) इत...कुल मिलाकर कित्ता कुछ गुम कर डालती हैं आप जी :) इत्ता सोना , हीरा मोता , माल पतरा सब कुछ :) रुकिए सरकार को अभी आपकी पोस्ट पढवाते हैं :) <br /><br />हमारे साथ खुद एक बार यही हुआ घडी रखी , बेड साइड पर घूमे के घडी गायब । श्रीमती जी का हाथ बंटाने जो आती थीं वो नई नई थीं , मगर हमने हल्ला गुल्ला मचा दिया , कहां गई हमारी घडी , फ़िर दो मिनट के लिए इधर उधर हो गए और श्रीमती जी को भी ईशारा कर दिया ।दो मिनट बाद जब उसी कमरे में लौटे तो , वे हाथ में घडी उठाए कह रही थीं , ये रही भईया जी , यहां नीचे पडी थी , हमने भी ले ली चुपचाप , समय तेज़ होता है न फ़ट्ट से घडी बेड से उछल कर नीचे चली गई और उन्हें मिल भी गई । मगर इसके बाद घनघोर सतर्क रहते हैं :) अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-36376300735554850432013-08-28T00:36:43.197-07:002013-08-28T00:36:43.197-07:00क्षमा शोभती उस भुजंग को.... राम की शक्ति-पूजा की ...क्षमा शोभती उस भुजंग को.... राम की शक्ति-पूजा की ये पंक्तियां मुझे बहुत पसन्द हैं रश्मि.. असल में क्षमा वही व्यक्ति कर सकता है जो सक्षम हो. हर गलती पर माफ़ी, हमारी अपनी कमज़ोरी दर्शाने लगती है. जहां हमें लगे कि माफ़ नहीं किया जाना चाहिये, वहां सख्ती बरतना ही चाहिये.वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-69329422697238542052013-08-27T23:43:09.991-07:002013-08-27T23:43:09.991-07:00नहीं नहीं आप ने अपनी इमेज का कोई बंटाधार नहीं किया...नहीं नहीं आप ने अपनी इमेज का कोई बंटाधार नहीं किया है :)<br />मै आप को बहुत सतर्क मानती थी ( और हूँ ) इसलिए लगा की एक ही लापरवाही आप दुबारा नहीं कर सकती है , हा ये भी हो सकता है की इन अनुभवों ने ही आप को इतना सतर्क बना दिया , आखिर हम अपने अनुभवों से ही सिखाते है, सीखे सिखाये पैदा नहीं होते है । पीछे पीछे मै भी नहीं घुमती किन्तु कोई कीमती चीज सामने भी रही रखती , लोगो को शक में घूरती नहीं रहती हूँ किन्तु लोगो पर विश्वास भी नहीं करती । <br />मै आप को अपना किस्सा बताती हूँ , मेरे घर एक महिला दूध देने आती महिना भर ही हुआ था की सोसायटी के लोगो ने सीसी टीवी में किसी को पहचानने के लिए बुलाया देखा तो वो महिला मेरे घर दूध देने के बाद जाते समय वो लिफ्ट के बगल वाले के दवाजे में लगे उनके दूध को चुरा कर ले जाती थी छुट्टियों के दिन उनका दूध देर तक पड़ा रहता था , दुसरे दिन उसे बुला कर पडोसी से अच्छे से डांट खिलावाही और जितने दिन चुरा कर ले गई उसके पैसे भी लिए । मैंने उसे मना कर दिया आने के लिए , लगा अगली बार कुछ भी गायब हुआ तो पहला शक उसपे जाएगा और बदनामी मेरी होगी , और फिर जा कर उस दूध सप्लायर को भी बताया जो उसे मेरे घर भेज रहा था ताकि उसे भी पता चले की महिला क्या कर रही थी , उस बेचारे को भी सुनना पड़ा था और ये सब हुआ मात्र १५ रु के दूध के लिए हुआ , वो बेचारे सिर्फ चाय के लिए मंगाते थे । <br />anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-32268644937420015062013-08-27T23:29:09.430-07:002013-08-27T23:29:09.430-07:00सही कहा सही कहा rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-9414249657823131852013-08-27T23:28:57.691-07:002013-08-27T23:28:57.691-07:00बहुत सारगर्भित बातें कहीं हैं ,आपने बहुत सारगर्भित बातें कहीं हैं ,आपने rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-62937037887928267312013-08-27T23:28:01.388-07:002013-08-27T23:28:01.388-07:00आपका कहना सही है ,जो सुविधाजनक लगे सब वही करते है...आपका कहना सही है ,जो सुविधाजनक लगे सब वही करते हैं और ईश्वर न करे आपको कभी इस तरह का कोई अनुभव हो rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-59615958493299530342013-08-27T20:57:53.265-07:002013-08-27T20:57:53.265-07:00किसी की चोरी की मजबूरी समझना उतना ही घातक है जितना...किसी की चोरी की मजबूरी समझना उतना ही घातक है जितना भ्रष्टाचार सहना।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-85338316047814311522013-08-27T12:41:43.757-07:002013-08-27T12:41:43.757-07:00वो आपकी उम्र का असर है :)वो आपकी उम्र का असर है :)rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-56353588738980461242013-08-27T11:00:29.795-07:002013-08-27T11:00:29.795-07:00इतनी दरियादिली?
मैं तो मोबाइल कंपनी वालों को भी सड़...इतनी दरियादिली?<br />मैं तो मोबाइल कंपनी वालों को भी सड़क पर खींच लेता हूँ दस रुपयों के झूठ के लिए! :)Avinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-57786432155986272562013-08-27T01:51:06.323-07:002013-08-27T01:51:06.323-07:00क्षमा - घाव गहरे न हों तो कर ही देता है इंसान
छोट...क्षमा - घाव गहरे न हों तो कर ही देता है इंसान <br />छोटों के सरल उत्पात सॉरी के साथ चलते हैं <br />और अन्याय,जघन्य पाप के साथ कैसी क्षमा <br />…………। <br />क्षमा शब्द नहीं,मन की एक गहरी प्रक्रिया है - जिसे उपदेश और सूक्ति से नहीं चला सकते <br />क्षमा का अर्थ भी होना चाहिए अन्यथा कोई औचित्य नहीं रश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-75028000895349259002013-08-27T01:38:44.448-07:002013-08-27T01:38:44.448-07:00पहले जब कानून के बजाय व्यक्ति के विवेक का ही ज्याद...पहले जब कानून के बजाय व्यक्ति के विवेक का ही ज्यादा महत्व था अतः कहीं क्रोधवश अराजकता की स्थिति उत्पन्न न हो,ये क्षमा को लेकर ये बडी बडी बातें कही गई होंगी।वर्ना हमारी ऐसी संस्कृति कि जिसमें यदि आपसे बिना दुर्भावना के भूलवश भी अपराध हुआ तो भी लापरवाही की सजा भुगतनी पडेगी।महाराज पाण्डु और दशरथ जैसे कई उदाहरण हैं।जब कोई गलती करता है तो लोग या तो भावनाओं में बहकर या पुलिस के लफडे से बचने के लिए कुछ नहीं करते पर ज्यादातर छोटी मोटी सजा दी ही जाती है पर वह व्यक्ति नए परिवेश में नए लोगों के बीच फिर वही गलती करता है।कुछ मामलों में यह भी लग सकता है कि पुलिस से गिरफ्तार करवाना इस अपराध के लिए ज्यादा ही बड़ी सजा हो जाएगी।पर कई बार तो अपने स्तर पर कोई सजा देने के बाद लोग यह जता देते हैं कि तुझे पुलिस के पास इसलिए नहीं ले जा रहा कि तू गरीब है या तेरे छोटे बच्चे हैं या ऐसा ही कुछ ।दरअसल ऐसा करके वो खुद की पीठ थपथपा रहे होते हैं कि मैं कितना महान ।यह भी एक प्रवृति है।सच तो यह है कि अपनी बारी आने पर सब करते वही हैं जो उस समय उन्हें सुविधाजनक लगे।स्वयं मेरा कोई अनुभव नहीं क्योंकि मेरे साथ ऐसा कुछ नही हुआ बस अंदाजे से कह रहा ।<br />राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-79734615346600843222013-08-27T01:37:32.765-07:002013-08-27T01:37:32.765-07:00पहले जब कानून के बजाय व्यक्ति के विवेक का ही ज्याद...पहले जब कानून के बजाय व्यक्ति के विवेक का ही ज्यादा महत्व था अतः कहीं क्रोधवश अराजकता की स्थिति उत्पन्न न हो,ये क्षमा को लेकर ये बडी बडी बातें कही गई होंगी।वर्ना हमारी ऐसी संस्कृति कि जिसमें यदि आपसे बिना दुर्भावना के भूलवश भी अपराध हुआ तो भी लापरवाही की सजा भुगतनी पडेगी।महाराज पाण्डु और दशरथ जैसे कई उदाहरण हैं।जब कोई गलती करता है तो लोग या तो भावनाओं में बहकर या पुलिस के लफडे से बचने के लिए कुछ नहीं करते पर ज्यादातर छोटी मोटी सजा दी ही जाती है पर वह व्यक्ति नए परिवेश में नए लोगों के बीच फिर वही गलती करता है।कुछ मामलों में यह भी लग सकता है कि पुलिस से गिरफ्तार करवाना इस अपराध के लिए ज्यादा ही बड़ी सजा हो जाएगी।पर कई बार तो अपने स्तर पर कोई सजा देने के बाद लोग यह जता देते हैं कि तुझे पुलिस के पास इसलिए नहीं ले जा रहा कि तू गरीब है या तेरे छोटे बच्चे हैं या ऐसा ही कुछ ।दरअसल ऐसा करके वो खुद की पीठ थपथपा रहे होते हैं कि मैं कितना महान ।यह भी एक प्रवृति है।सच तो यह है कि अपनी बारी आने पर सब करते वही हैं जो उस समय उन्हें सुविधाजनक लगे।स्वयं मेरा कोई अनुभव नहीं क्योंकि मेरे साथ ऐसा कुछ नही हुआ बस अंदाजे से कह रहा ।<br />राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-47667001196834987232013-08-27T00:28:52.314-07:002013-08-27T00:28:52.314-07:00बिलकुल मोबाइल और चेन छीनने वाले लड़कों की कोई मजबूर...बिलकुल मोबाइल और चेन छीनने वाले लड़कों की कोई मजबूरी नहीं होती...मौज मस्ती के लिए करते हैं फिर इसमें मजा आने लगता है और वह आदत बन जाती है. विद्युत् जामवाल को भी पुलिस स्टेशन बुला कर जबाब तलब किया जा रहा है कि उन्होंने उस लड़के को पुलिस को क्यूँ नहीं सौंपा ...हो सकता है वह मोबाइल छीनने वाले किसी गैंग का सदस्य हो.<br />और यह सब लिख कर तो मैंने अपनी ही इमेज का बंटाधार कर दिया .क्या पता आपकी तरह और लोग भी मुझे बड़ा जिम्मेवार समझते हों :( पर अपने पक्ष में मैं एक दलील {इसे दलील ही कहेंगे :)} भी दे देती हूँ. एक बार शोभा डे ने कहीं लिखा था कि 'वे जानती हैं उनकी कामवालियां सब्जियां लाती हैं या सामान लाती हैं तो पैसे का गड़बड़ करती हैं या किचन से सामान गायब करती हैं पर वे इतना लेखा जोखा नहीं रखतीं कि अब उसका हिसाब करें या अपनी पढ़ाई-लिखाई देखें ." कई महिलायें बताती हैं वे तो कामवाली के पीछे पीछे घुमती हैं..साथ रहकर काम करवाती हैं .अब मैं घर-बाहर का काम भी करूँ और कामवाली के साथ साथ भी काम करवाऊं फिर अपनी रूचि का काम कब करूँ :(rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.com