tag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post8289621737684365860..comments2023-10-31T06:34:42.476-07:00Comments on अपनी, उनकी, सबकी बातें: बहुत याद आता है , नीम का वो पेड़rashmi ravijahttp://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comBlogger51125tag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-41293375958851398452010-06-23T03:32:13.278-07:002010-06-23T03:32:13.278-07:00कविता के मामले मे मेरी समझ ज़रा कम ही है पर अच्छा...कविता के मामले मे मेरी समझ ज़रा कम ही है पर अच्छा है इतना ज़रूर कह सकती हूँ,mamtahttps://www.blogger.com/profile/10767198205312070778noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-72977950862642374852010-06-17T13:06:48.872-07:002010-06-17T13:06:48.872-07:00मन प्रसन्न हुआ ! जितना लिखो उतना कममन प्रसन्न हुआ ! जितना लिखो उतना कमसंजय पाराशरhttps://www.blogger.com/profile/04828183013579900184noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-86553415748954509322010-06-04T07:40:48.168-07:002010-06-04T07:40:48.168-07:00मुझे लग रहा था कि मैं इस कविता पर लिख चुका हूँ लेक...मुझे लग रहा था कि मैं इस कविता पर लिख चुका हूँ लेकिन ऐसा नहीं था । अब इतने दिनों बाद लिखूँ भी तो क्या लिखूँ । इतना ही कि यह कविता अच्छी लगी और नीम का पेड़ तो मेरे अवचेतन में भी है मेरे जन्मस्थल बैतूल का । कविता अच्छी है ,लेकिन कहीं कहीं तुक मिलाने के चक्कर में ग़लत शब्द आ गये है ॥बस…॥ और बेहतर कविता आप लिख सकती हैं , मुझे पता है ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-30123180554432631452010-05-16T04:43:25.357-07:002010-05-16T04:43:25.357-07:00बहुत सारी यादें है दिल में कुछ ऐसी ही, आप कि बहुत ...बहुत सारी यादें है दिल में कुछ ऐसी ही, आप कि बहुत अच्छी कविता ,सुन्दर भाव..आभाhttps://www.blogger.com/profile/04091354126938228487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-61486083690525449912010-05-14T00:40:56.531-07:002010-05-14T00:40:56.531-07:00रश्मि जी दो बातें
पहली यह निश्चित रूप से कविता है...रश्मि जी दो बातें<br /><br />पहली यह निश्चित रूप से कविता है<br />दूसरी जो इसे महान वगैरह कह रहे हैं उनसे बिल्कुल विचलित न होईये…यह महान कविता नहीं है। <br /><br />आशा है इससे बहुत बेहतर कवितायें आप लिखेंगी…Ashok Kumar pandeyhttps://www.blogger.com/profile/12221654927695297650noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-62492993861117667212010-05-13T12:29:33.455-07:002010-05-13T12:29:33.455-07:00चार पैसे कमाने मैं आया शहर
गाँव मेरा मुझे याद आता ...चार पैसे कमाने मैं आया शहर<br />गाँव मेरा मुझे याद आता रहा..<br /><br />मुझे मॉर्निंग वाक करे हुये जमाने हो गये :( काश हम लोग ब्लोग पर वाक भी कर सकते तो सेहत के बारे मे ज्यादा सोचना नही पडता. :)Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय)https://www.blogger.com/profile/01559824889850765136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-83068380031473189032010-05-13T12:28:44.925-07:002010-05-13T12:28:44.925-07:00इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय)https://www.blogger.com/profile/01559824889850765136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-77507965443549828472010-05-12T18:02:22.598-07:002010-05-12T18:02:22.598-07:00सही में रशिमी जी भारत एक है.दर्द एक है साझा है.......सही में रशिमी जी भारत एक है.दर्द एक है साझा है......बिहार के नीम और केरल के कटहल के कटने का दर्द एक है.....कविता ने उन सभी नीमों की याद दिला दी. जो मेरी दिल्ली में थी. कई सड़कों पर दोनो ओऱ से झुक कर गर्मी में छाता का काम करते थे, पर पहले सड़क चोड़ी हुई. फिर मेट्रो आई....और सब पेड़ लगभग गायब होते गए..हैं भी तो वो हरियाली कहां बची.....जो गर्मी की भरी दुपहरिया में एसी से भी ज्यादा ठंडक देते थे...Rohit Singhhttps://www.blogger.com/profile/09347426837251710317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-30196941495504376042010-05-12T07:31:42.638-07:002010-05-12T07:31:42.638-07:00हम अपने आस पास के पेड़ पौधों से रहते रहते कितने जुड़...हम अपने आस पास के पेड़ पौधों से रहते रहते कितने जुड़ जाते हैं ये उनसे अलग हो कर ही पता चलता है।Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-54106780066436030432010-05-12T04:10:22.982-07:002010-05-12T04:10:22.982-07:00यह आविष्कारी और चमत्कारी दवा तो बाबा आदम के ज़माने...यह आविष्कारी और चमत्कारी दवा तो बाबा आदम के ज़माने से प्रचलित हैं. लेकिन इसका प्रचार और प्रसार आजकल या तो बाबा रामदेव कर रहे हैं या फिर आप...<br />www.iamshishu.blogspot.com/Shishupal Prajapatihttps://www.blogger.com/profile/12762647939228887562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-70287956641818411492010-05-11T22:30:39.886-07:002010-05-11T22:30:39.886-07:00चलिए एक कदम और आगे ....बधाई .....!!
वैसे उपन्यास ...चलिए एक कदम और आगे ....बधाई .....!!<br /><br />वैसे उपन्यास लिखने वालों के लिए कविता क्या चीज .....??<br /><br />हाँ तसवीरें बहुत अच्छी आई हैं आपकी और शिखा जी की ......हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-53988729434179627172010-05-11T21:08:26.923-07:002010-05-11T21:08:26.923-07:00वाकई बहुत ही खूबसूरत लिखा है. मेरा भी बचपन गुज़रा ह...वाकई बहुत ही खूबसूरत लिखा है. मेरा भी बचपन गुज़रा है, अपनी नानी के आंगन में उगे नीम के पेड़ के नीचे. जब कुछ वर्ष पहले जब में ननिहाल गया तो पाया कि उसे काट दिया गया है. मेरा मन भी ऐसे ही रोया था.<br /><br />मेरी कविता "नानी का आंगन" अवश्य पढ़ें.<br />http://premras.blogspot.comShah Nawazhttps://www.blogger.com/profile/01132035956789850464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-32892779483110282352010-05-11T19:07:20.272-07:002010-05-11T19:07:20.272-07:00आज कल चाहे विज्ञान ने कितने ही सुख के साधन इजाद कर...आज कल चाहे विज्ञान ने कितने ही सुख के साधन इजाद कर लिए हो पर पेड़ों की वो छाव वाला मजा नहीं है, आज फिर से मेरा मन बचपन में चला गया, अपने गाँव में. बहुत अच्छी लगी ये पोस्ट.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-44548771990626634172010-05-11T18:10:20.055-07:002010-05-11T18:10:20.055-07:00बहुत सुन्दर।
यादें और अतीत का अनुभव व्यक्तित्व को ...बहुत सुन्दर।<br />यादें और अतीत का अनुभव व्यक्तित्व को रिच नेस देता है। पर वह न हो तो शायद व्यक्ति बहुत से मानसिक कष्ट से बच जाये। <br />पर अनुभव और कष्ट होना/न होना अपने हाथ नहीं है।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-65873992836229652952010-05-11T17:14:55.695-07:002010-05-11T17:14:55.695-07:00मार्तंड की प्रचंड किरणों से बचने
रोटी,प्याज,मि...मार्तंड की प्रचंड किरणों से बचने<br />रोटी,प्याज,मिर्ची,नमक की लिए पोटली.पी, ठंडा पानी कुंए का,शीतल छाया के नीचे<br />चला आता किसान , विश्राम हेतु , घडी दो घड़ी......<br />वाह भई वाह ...<br />इस विधा में भी लाजवाब ...!!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-19906926432312654952010-05-11T16:44:38.111-07:002010-05-11T16:44:38.111-07:00रश्मि जी, पेड़ों को लेकर आपने बहुत सुन्दरा लिखा है,...रश्मि जी, पेड़ों को लेकर आपने बहुत सुन्दरा लिखा है, इसके पीछे आपका प्रकृति के प्रति जो स्नेह और लगाव है वह भी झलकता है, इसके साथ ही उनसे जुड़ीं आपकी चिंताएं और सरोकार भी द्दृष्टिगोचर होते हैं। कविता सुन्दर है। बधाई !सुभाष नीरवhttps://www.blogger.com/profile/06327767362864234960noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-67497886931584327172010-05-11T16:40:38.522-07:002010-05-11T16:40:38.522-07:00रश्मि जी लो एक और woooow
भावुक कर दिया आपने और पु...रश्मि जी लो एक और woooow <br />भावुक कर दिया आपने और पुरानी स्म्रतियो में खो गए. शानदार कविता और लेख दोनों.राम त्यागीhttps://www.blogger.com/profile/05351604129972671967noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-56638212384604143762010-05-11T12:35:31.137-07:002010-05-11T12:35:31.137-07:00मैं नहीं समझता की की इस महान रचना पर चंद शब्द टिप...मैं नहीं समझता की की इस महान रचना पर चंद शब्द टिपण्णी के लिख कर इसके साथ न्याय कर पाऊंगा ..हां बस इतना कहूँगा ..की बड़े दिनों बाद ऐसी रचना मिली जिसे पढ़कर लगता है की हिन्दी साहित्य का दौर अपने चरम पर जल्दी ही आएगाRahttps://www.blogger.com/profile/08726389437723424230noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-65550181288340610262010-05-11T11:44:09.070-07:002010-05-11T11:44:09.070-07:00Hi..
Jaisa ki sabne hi kaha, kavita sirf kavita n...Hi..<br /><br />Jaisa ki sabne hi kaha, kavita sirf kavita na rah kar pratyaksh rup se jeevant ho uthi hai..<br /><br />Jo hruday se kalakar hota hai, wo har vidha main mahir bhi hota hai..wo chahe chitrakari ho, kahani lekhan, sansmaran, aalekh, aadi har kshetr main nipun bhi hota hai..ye aapki mahanta hai ki aap ese apne mitr ki cosmetic surgery ka naam de rahi hain..<br /><br />Neem ka ped ke madhyam se aapne us adhadhundh shahrikaran ki oor dhyan dilaya hai.. Jiske chalte aisi jaane kitni dhroharon se hum vanchit ho chuke hain, jinhone sadiyon se humare jeevan main mook sahbhagi ka dayitva nibhaya hai..<br /><br />Mujhe bhi apna gaon yaad aa gaya..<br /><br />Gaon kinare neemiya tare barson se jo bhi hota aaya uska sajeev varnan aapki Kavita main chitrit hai.. Wah.. <br />Har vyakti jo bhi gaon ki prustbhoomi se aaya hai aapki kavita main chitrit har drushya ko apni aankhon se dekh chuka hoga apni jindgi main..<br /><br />Sundar kavita..<br /><br />DEEPAK..Deepak Shuklahttps://www.blogger.com/profile/02437731202200979518noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-8856351218768319892010-05-11T11:11:45.841-07:002010-05-11T11:11:45.841-07:00रश्मि जी कभी कभी हमारी यादे इन चीजो से जुड जाती है...रश्मि जी कभी कभी हमारी यादे इन चीजो से जुड जाती है, ओर वो चीजे हमे बहुत प्यरी भी लगती है, बहुत् सुंदर रचना लगी . धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-22225134575995145122010-05-11T10:51:53.185-07:002010-05-11T10:51:53.185-07:00विधा परिवर्तन के परिणाम इतने सुखद होगे ये सिर्फ़ पढ...विधा परिवर्तन के परिणाम इतने सुखद होगे ये सिर्फ़ पढके ही जाना जा सकता था. वैसे भी मूल बात अभिव्यक्ति है और उसकी आप माहिर खिलाडी है. ऐसे ही यदा कदा सर्वदा अलग अलग विधाओ मे हाथ आजमती रहे. नये कौशल अधिक प्रशन्नता लाते है.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/13199219119636372821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-80841922488733508032010-05-11T09:47:39.862-07:002010-05-11T09:47:39.862-07:00इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.Deepak Shuklahttps://www.blogger.com/profile/02437731202200979518noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-74754540684604520102010-05-11T07:58:02.546-07:002010-05-11T07:58:02.546-07:00आह!! कहाँ तक यात्रा करा लाई इस कविता के माध्यम से....आह!! कहाँ तक यात्रा करा लाई इस कविता के माध्यम से..चौबारे का पेड़ भी याद आया और नीम तर दद्दा भी.<br /><br /><br />बहुत सुन्दर, बधाई.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-84339836753730180552010-05-11T07:47:28.317-07:002010-05-11T07:47:28.317-07:00bahutai badhiya Rashmi ji....maza aa gaya...bahutai badhiya Rashmi ji....maza aa gaya...दिलीपhttps://www.blogger.com/profile/15304203780968402944noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-71676533925272908272010-05-11T07:46:45.253-07:002010-05-11T07:46:45.253-07:00तीक्ष्ण सूरज दिखा रहा था नाराजगी,सर पर चढ़ के
न...तीक्ष्ण सूरज दिखा रहा था नाराजगी,सर पर चढ़ के<br />नहीं थी शीतल छाँव नीम की, ना ही वो नीम बयार <br />कितना करीबी लिखा है आपने. यह गाथा आपके गाँव के नीम के पेड़ का ही नहीं यह तो हमारे - तुम्हारे - उसके यानि सबके गाँव के नीम के पेड़ की गाथा है. <br />बहुत सुन्दरM VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.com