tag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post6582662439558670270..comments2023-10-31T06:34:42.476-07:00Comments on अपनी, उनकी, सबकी बातें: गलतियाँ करने की इजाज़त भी उतनी ही जरूरी rashmi ravijahttp://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comBlogger30125tag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-62538151776839710402012-10-20T23:42:00.302-07:002012-10-20T23:42:00.302-07:00एक गंभीर समस्या पर बहुत गंभीर विचार रखे गए हैं इस ...एक गंभीर समस्या पर बहुत गंभीर विचार रखे गए हैं इस आलेख में. मुझे ऐसा लगता है कि अगर किसी की समस्या को ध्यान पूर्वक सुना और समझा जाय तो इतनी ही बात उस व्यक्ति पर एक बहुत अच्छा प्रभाव डालती है. कई बार हमारा अपना दुःख भी किसी से शेयर करने पर मन हल्का हो जाता है. तो ऐसे मनोवृत्ति के व्यक्ति के साथ यदि कुछ समय दिया जाय तो इसकी सोच को कुछ हद तक शांत किया जा सकता है.रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-14609290272457242492012-10-19T20:27:32.930-07:002012-10-19T20:27:32.930-07:00कई दिनों से बाहर थी इसलिए आज ही इस पोस्ट को पढ़ प...कई दिनों से बाहर थी इसलिए आज ही इस पोस्ट को पढ़ पा रही हूं। असल में हम परिवारवादी थे लेकिन वर्तमान में व्यक्तिवादी बनते जा रहे हैं। पूर्व में पति और पत्नी का झगड़ा व्यक्तिगत झगड़ा नही माना जाता था लेकिन अब दोनों में झगड़ा होता है तो सभी कहते हैं कि इनके बीच में मत बोलो। ऐसे ही दूसरे रिश्तों के बीच है। तब व्यक्ति अकेला ही निर्णय लेगा तब ऐसे निर्णय भी वह ले लेता है। अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-57593301186191042632012-10-19T03:03:18.959-07:002012-10-19T03:03:18.959-07:00प्लीज़ आप तो ऐसी बातें न करें .....आप समझदार हैं, ...प्लीज़ आप तो ऐसी बातें न करें .....आप समझदार हैं, प्रबुद्ध हैं, बुद्धिजीवी हैं, समस्या के हर पहलू पर अच्छी तरह विचार करने की काबिलियत रखते हैं, आपलोगों पर तो जिम्मेवारी है कि दूसरों को निराशा के गर्त से बाहर निकलने में मदद करें .rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-28485237151054688302012-10-19T02:59:46.824-07:002012-10-19T02:59:46.824-07:00आभार आपकी टिपण्णी का आभार आपकी टिपण्णी का rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-44939554945120224602012-10-18T21:17:10.084-07:002012-10-18T21:17:10.084-07:00इस विषय पर सार्थक और संपूर्ण लेख ।इसमे लगभग वो सार...इस विषय पर सार्थक और संपूर्ण लेख ।इसमे लगभग वो सारी बातें भी आ गई जो मैं खुद अक्सर इस विषय पर कहता रहता हूँ।आपके बताए सभी उपाय मुझे बहुत व्यवहारिक लगे।पर मैं अमित श्रीवास्तव जी की बात से भी बिल्कुल सहमत हूँ।राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-79257793843403465692012-10-18T20:26:51.647-07:002012-10-18T20:26:51.647-07:00दीदी...मुझे भी बिलकुल समझ नहीं आता की लोग ऐसा करते...दीदी...मुझे भी बिलकुल समझ नहीं आता की लोग ऐसा करते क्यों हैं...वैसे आपने कहा भी तो है की हर लोगों की सहनशक्ति अलग अलग होती है..लेकिन फिर भी ज़िन्दगी से यूँ निराश होना कहाँ तक ठीक है....मैंने तो ऐसे ऐसे लोगों को भी देखा है जो बहुत ही सामान्य से लोग हैं लेकिन ज़िन्दगी के उस बुरे फेज से गुज़र रहे हैं जो किसी को भी तोड़ कर रख दे...लेकिन फिर भी वो लड़ते हैं और ज़िन्दगी जीते है..<br /><br />आप इन सब विषय में लिखती हैं तो अच्छा ही है न.....अच्छी बातें हैं ये सब!!abhihttps://www.blogger.com/profile/12954157755191063152noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-44196777887656130152012-10-18T07:33:00.757-07:002012-10-18T07:33:00.757-07:00एक बड़े ही सेंसिटिव मुद्दे पर उतनी ही सेंसिटिविटी ...एक बड़े ही सेंसिटिव मुद्दे पर उतनी ही सेंसिटिविटी के साथ लिखा है आपने.. बिलकुल कांच की तरह है यह युवा वर्ग, फ्रैजाइल.. ज़रा सा झटका लगा और टूटकर बिखर गए..!! <br />हालाँकि यह एक ऐसी मनस्थिति है कि कई लोगों को महसूस होती है, खुद मुझे कई बार लगता है कि मैं सुसाइडल टेम्परामेंट का हूँ!! खैर, बहुत ही अच्छा आलेख!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-18063197003540613292012-10-18T05:09:52.331-07:002012-10-18T05:09:52.331-07:00सार्थक चिंतन.सार्थक चिंतन.वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-77753547415125602312012-10-17T20:12:39.258-07:002012-10-17T20:12:39.258-07:00ईश्वर करे जिजीविषा बनी रहे, परस्पर प्यार पल्लवित ह...ईश्वर करे जिजीविषा बनी रहे, परस्पर प्यार पल्लवित होता रहे।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-89008520442885140672012-10-17T20:06:29.053-07:002012-10-17T20:06:29.053-07:00जरुरत से ज्यादा दबाव इंसान को अनियंत्रित करता है ...जरुरत से ज्यादा दबाव इंसान को अनियंत्रित करता है . वह अच्छे व्यवहार का हो या अपनी फील्ड में आगे बढ़ते रहने का . अवसाद को सही समय पर समझने के लिए भी गहरी समझ की आवश्यकता है , सही है !<br />सार्थक पोस्ट !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-66546184913617574592012-10-17T13:08:31.515-07:002012-10-17T13:08:31.515-07:00बहुत कठिन है किसी अन्य के दुःख को समझना और महसूस क...बहुत कठिन है किसी अन्य के दुःख को समझना और महसूस करना. हम बच्चों को अपनी प्रतिष्ठा के लिए उपयोग करते हैं. जबकि जिन लोगों को दिखाने के लिए हम यह सब करते हैं वे तो आते जाते रहते हैं और हमारा बच्चा हमारी मूर्खता की सजा भुगतता है.<br />किसी की सहायता करना तो ठीक है किन्तु आत्महत्या की धमकी देने वाले के साथ रहना सरल नहीं है.<br />घुघूतीबासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-79008506157139132342012-10-17T06:36:20.945-07:002012-10-17T06:36:20.945-07:00http://bulletinofblog.blogspot.in/2012/10/blog-pos...http://bulletinofblog.blogspot.in/2012/10/blog-post_17.htmlरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-38785674016197970412012-10-17T02:30:54.335-07:002012-10-17T02:30:54.335-07:00रश्मि जी
कई बार सच में ये पता करना मु...रश्मि जी <br /><br /> कई बार सच में ये पता करना मुश्किल होता है की बच्चे या आप के पास का कोई इतना बड़ा कदम उठा सकता है रही बात बच्चो पर दवाब की तो मै खुद कई बार बेटी के स्कुल जा का टीचर से बात करती हूँ और दुसरे बच्चो के परफार्मेंस के बारे में पता करती हूँ चिंता ये ही रहती है की ज्यादा दबाव न डालने के साथ ये भी पता रहे की कही ज्यादा ही छुट तो नहीं दे रही मै , बच्चे कर सकते हो और मै सोचती रहूँ की जाने दो अभी छोटी है , नहीं तो उसके लिए भी बाद में मुझे ही सुनना पड़ेगा की पहले से ही क्यों नहीं सिखाया पढाया प्रतियोगिता में मै पिछड़ रही हूँ , मै तो बच्ची थी तुम्हे दबाव डालना था :( दोस्तों को लेकर मेरी सोच बिलकुल उस फ़िल्मी डायलाग की तरह ही है किन्तु अब मित्र तो दूर है पता है की वो परेशानी में है या गलत कदम उठा रहे है उन्हें डाटने के बजाये हमेसा उसके उपाय बताती हूँ हिम्मत देने , परिस्थिति से लड़ने को कहती हूँ किन्तु हर कोई लड़ सके ये भी नहीं होता है बस फोन पर आना बंद हो जाता है फिर वही वाली फिलिंग लोगो के मन में आती है की मेरे मामले में दखल मत दो , और मनोवैज्ञानिक के पास जाने की बात तो कीजिये भी मत यहाँ तो लोग सीधे उसे पागलो का डाक्टर कहते है । वैसे एक बात और है किसी किसी के परिवार में या व्यक्ति में ही आत्महत्या करने की प्रवृति होती है जैसे परिवार में यदि वो किसी को ये करते देख चुके है या बार बार धमकी देते देखा है तो वो भी वैसा करने लगते है और कुछ जीवन में हमेसा दुखी रहने के आदि होते है । बहुत बढ़िया लेख धन्यवाद ।anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-28473799029706542122012-10-17T00:19:30.650-07:002012-10-17T00:19:30.650-07:00बहुत उपयोगी और सटीक आलेख लिखा है रश्मि बहुत उपयोगी और सटीक आलेख लिखा है रश्मि vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-44961366963729103412012-10-17T00:17:35.665-07:002012-10-17T00:17:35.665-07:00sorry could not read this post before
giving info...sorry could not read this post before <br />giving informations always helps<br />regdsरचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-62000111287144263812012-10-16T22:25:30.617-07:002012-10-16T22:25:30.617-07:00एक उपयोगी और तर्कपूर्ण लेख...दरअसल जब हम अवसाद में...एक उपयोगी और तर्कपूर्ण लेख...दरअसल जब हम अवसाद में होते हैं तो हमें अपनी समस्या दुनिया में सबसे बड़ी और गंभीर लगती है, जबकि यदि हम अपने से अधिक समस्याओं वाले लोगों को खुश देखें तो उससे जीने का हौसला मिलता है।दीपिका रानीhttps://www.blogger.com/profile/12986060603619371005noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-39642429028930286572012-10-16T20:22:15.915-07:002012-10-16T20:22:15.915-07:00बहुत आवश्यक और प्रेरणादायक लेख , इसे पढकर एक हेल्प...बहुत आवश्यक और प्रेरणादायक लेख , इसे पढकर एक हेल्प लाइन शुरू करने की सोंच रहा हूँ !शुक्रिया आपका ! Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-81969325409926890702012-10-16T16:52:19.668-07:002012-10-16T16:52:19.668-07:00एक ज़रूरी और विचारणीय पोस्ट...... संवाद और आपसी सं...एक ज़रूरी और विचारणीय पोस्ट...... संवाद और आपसी संवेदनशीलता बहुत कुछ बदल सकती है.... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-81987010551994764832012-10-16T12:19:52.654-07:002012-10-16T12:19:52.654-07:00दी, आपने बिलकुल सही बात कही है. बच्चों से ज़रूरत स...दी, आपने बिलकुल सही बात कही है. बच्चों से ज़रूरत से ज्यादा अपेक्षाएं, अपनी इच्छाओं को उन पर थोपना, झूठी प्रतिष्ठा को बच्चों की खुशी से ज्यादा महत्त्वपूर्ण समझना, ये सब बच्चों की आत्महत्या के लिए उत्तरदायी होते हैं.<br />मनोविज्ञान में एक कहावत है, जो मेरी सहेली अक्सर बताती थी कि "हर कोई कभी न कभी सुसाइडल ज़रूर होता है", पर वो सुसाइड कर ही ले ऐसा कम होता है. इसके बहुत से कारण होते हैं और बहुत से बचने के उपाय भी, लेकिन सबसे ज़रूरी उपाय यही है कि हम किसी को भी इतना अकेला ना छोड़ें कि वह अपनी ज़िंदगी ही व्यर्थ समझने लगे. <br />मैं अपनी दीदी से बहुत जुड़ी हुयी थी, उनकी शादी के बाद अचानक डिप्रेशन में चली गयी. इसके पहले अम्मा के देहांत के बाद जब ऐसा हुआ था, तो दीदी ने ही मुझे अवसाद से उबारा था. इस बार मेरे दोस्तों ने मेरा साथ दिया. सबको मेरा व्यवहार सामान्य लग रहा था, लेकिन मेरे दो मनोविज्ञान पढ़ने वाले दोस्त भांप गए. तब मैं केवल इक्कीस साल की थी. मेरे उन दोस्तों ने मेरी रूममेट और सहेलियों को समझाया कि मुझे अकेली ना छोड़ें. मेरा दोस्त समर तो ज़बरदस्ती मुझे हॉस्टल से बाहर घसीटकर ले जाता खुली जगहों पर. इधर-उधर की फालतू बातें करता और जानने की कोशिश करता कि आखिर मैं किस बात से परेशान हूँ. बहुत बाद में मुझे पता चला कि वो मेरी कांउसलिंग कर रहा था :) muktihttps://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-89953524449264695382012-10-16T10:08:54.341-07:002012-10-16T10:08:54.341-07:00
गहरे अवसाद में जो हो उसे कभी भी लेक्चर नहीं देना ...<br />गहरे अवसाद में जो हो उसे कभी भी लेक्चर नहीं देना चाहिए कि <br /> ज़िन्दगी कितनी अमूल्य है। वो गलत कर रहा है ... जितनी सहजता से तुमने इतनी बड़ी बात कह दी, काश - अपनी बुद्धिमता के आगे इतनी छोटी सी बात लोग समझ लें ....रश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-21516586370574450382012-10-16T08:43:46.748-07:002012-10-16T08:43:46.748-07:00सार्थक लेख | but situation varies from man to man ...सार्थक लेख | but situation varies from man to man and family to family, no concrete road map one can draw for every one for these type of situations.amit kumar srivastavahttps://www.blogger.com/profile/10782338665454125720noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-91704837351580165792012-10-16T08:36:05.422-07:002012-10-16T08:36:05.422-07:00Apka lekh bahtarin hai. kai family me parent ka va...Apka lekh bahtarin hai. kai family me parent ka vayhar bachcho ke prati sahi nahi hota. mere ek relation me pita ka chhote bete ke prati ektarfa lagav hai. aur bade bete ko unke pita ye kahte hai.<br />" jo kaam tum karte ho vo to koi majura bhi kar li." halanki bada beta yogya hai aur 14 ki age se dukan hi chalata hai. par pita ka vyavhar behad anuchit hai. aap ese cases me counsling ki salh nahi de sakte . eske kai reason hote hai. ek dusre case me pita ka vyavhar sabhi aulado ke prati doyam darge ka hai jo paristhtiovash chote bete ke liye samsaya ban rahi hai. pahle case me bade bete ki wife ne sucide almost plan kar liya tha disre case me aisi koi baat nahi honi hai. badiya lekh ke liye dhanyvad.hemant123456789https://www.blogger.com/profile/00552279219602633764noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-37146878352091282902012-10-16T07:00:50.054-07:002012-10-16T07:00:50.054-07:00thanks rashmi. [ sorry - no transliteration - so t...thanks rashmi. [ sorry - no transliteration - so the comment is in english ]<br /><br />it is truly a very very serious issue, and i KNOW that some situations are so heavy, so desperate, that there really doesn't seem to be a way out. this appears to be the only option to escape the pain and anxiety. it wud be wonderful for people in such depressing situations to know/ be able to reach these helplines ...<br /><br />thanks for this concern, thanks for this post. if it can help someone, even one single person, it wud really be a successful attempt. thanks again dear.<br />Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-31300275829531250472012-10-16T05:46:54.667-07:002012-10-16T05:46:54.667-07:00आत्महत्या में सबसे बड़ा कारण डिप्रेशन ही होता है ....आत्महत्या में सबसे बड़ा कारण डिप्रेशन ही होता है . ऐसे में डॉक्टर से परामर्श अवश्य करना चाहिए . ऐसे व्यक्ति का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है . एक इम्पल्स होती है जिसे यदि रोक दिया जाए तो टाला जा सकता है . बच्चों में विशेषकर विपरीत परिस्थितियों में ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है . बाल मन अपरिपक्व और इम्पल्सिव होता है . आजकल तनाव के शिकार बच्चे भी बहुत होने लगे हैं . डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-51461229872298775002012-10-16T05:18:17.986-07:002012-10-16T05:18:17.986-07:00jindagi hai to sab kuchh hai.. aur isko bachane ke...jindagi hai to sab kuchh hai.. aur isko bachane ke liye kuchh bhi karna padega.. chahe khud ki jindagi ho ya kisi aur ki....!!<br /><br />bahut hi prerak baat... bahut sach...!!<br />मुकेश कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/14131032296544030044noreply@blogger.com