tag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post4455248431767368288..comments2023-10-31T06:34:42.476-07:00Comments on अपनी, उनकी, सबकी बातें: खुदा महफूज़ रखे इन्हें हर बला से,हर बला सेrashmi ravijahttp://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comBlogger29125tag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-69404184840465149802013-12-15T00:05:13.835-08:002013-12-15T00:05:13.835-08:00हमारे जीवन की रीढ़ सरीखी इन स्त्रियों पर एक सार्थक ...हमारे जीवन की रीढ़ सरीखी इन स्त्रियों पर एक सार्थक दृष्टि का आलेख ...हेमा दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/15580735111999597020noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-65963613844383407902013-12-15T00:03:51.776-08:002013-12-15T00:03:51.776-08:00हमारे जीवन की रीढ़ सरीखी इन स्त्रियों पर एक सार्थक ...हमारे जीवन की रीढ़ सरीखी इन स्त्रियों पर एक सार्थक आलेख ...हेमा दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/15580735111999597020noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-28337721361989914662013-11-19T10:34:01.946-08:002013-11-19T10:34:01.946-08:00सही है एक दम सटीक नक्शा खींचा है आपने मुंबई की लाइ...सही है एक दम सटीक नक्शा खींचा है आपने मुंबई की लाइफ का और अब तो मुंबई ही क्या हर छोटे बड़े शहरों का यही हाल है। Pallavi saxenahttps://www.blogger.com/profile/10807975062526815633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-48500996115252838562012-06-17T21:21:15.080-07:002012-06-17T21:21:15.080-07:00शुक्रिया लिंक देने के लिए। सचमुच आपने बहुत गहन अवल...शुक्रिया लिंक देने के लिए। सचमुच आपने बहुत गहन अवलोकन के बाद लिखा है। अंशुमाला जी के ब्लाग पर चल रही बहस के बीच मेरा कहना यही था कि आप सामान्यीकरण न करें।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-51404669533561431542011-11-10T05:56:59.632-08:002011-11-10T05:56:59.632-08:00true - we cant even manage our own home - one sing...true - we cant even manage our own home - one single home ... how these women manage their own and 6-7 others is a mystery to me . i salute them .Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-56328947243429753362010-02-08T19:17:53.835-08:002010-02-08T19:17:53.835-08:00पुनः प्रस्तुति, पुनः पठन भी ।
सजीवता वही है । लगा...पुनः प्रस्तुति, पुनः पठन भी । <br />सजीवता वही है । लगा नहीं दोबारा पढ़ रहा हूँ । चित्र से ज्यादा अक्षर दिखे मुझे, सूझे भी ! <br />आभार प्रविष्टि का ।Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-79463412197549666412010-02-06T06:27:34.156-08:002010-02-06T06:27:34.156-08:00रश्मि जीवन को बहुत करीब से देखती हो तभी तो तुम्हार...रश्मि जीवन को बहुत करीब से देखती हो तभी तो तुम्हारे सृजन मे जीवंत सा एहसास होता है । बहुत अच्छा लिखा है शुभकामनायेंनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-905009889285262312010-02-06T02:02:35.519-08:002010-02-06T02:02:35.519-08:00baaii story brought to you baaiii rashmi ravija......baaii story brought to you baaiii rashmi ravija....achchaa hai mumbai mein nayeee aayee grihiniyo ke liye first hand report!!!!alokhttps://www.blogger.com/profile/03872891638391198021noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-8712641442484544872010-02-05T04:25:45.680-08:002010-02-05T04:25:45.680-08:00आपका लिखा उपन्यास तो मैं नहीं पढ़ सका हूँ -शायद आगे...आपका लिखा उपन्यास तो मैं नहीं पढ़ सका हूँ -शायद आगे पढ़ सकूं मगर आज मुम्बई की बाईयों पर आपकी रपट से आपकी लेखकीय प्रतिभा से परिचित हुआ हूँ -<br />कह सकता हूँ आप लेखन की जन्मजात /प्रकृति प्रदत्त क्षमता से संपन्न हैं .<br />बाईयो के जीवन का बहुत सूक्ष्मता से विश्लेषण किया है -आखिर वे भी मानव हैं और उनकी भी भावनाए हैं .<br />मुम्बई के बाईयों की इस मानवीयता से संस्पर्शित रिपोर्ट पर आपको साधुवाद !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-75829591617975158082010-02-05T04:15:18.969-08:002010-02-05T04:15:18.969-08:00ही कहा आपने, आज के परिप्रेक्ष्य में जब महिलाये ऑफि...ही कहा आपने, आज के परिप्रेक्ष्य में जब महिलाये ऑफिस और घर दोनों काम के बीच चकरघिन्नी बनी हुई है तो सहायता के लिए किसी का होना एक नियामत ही है.और मेरे जैसे लोग जिनका कोई नहीं उनके लिए तो देवदूत ही है वो.लेकिन दुःख की बात ये की हमारे देश में डोमेस्टिक वोर्केर को उचित निगाह से नहीं देखा जाता.उनकी प्रोब्लेम्स को सुनने के लिए कोई संस्था भी नहीं है.ashishhttps://www.blogger.com/profile/07286648819875953296noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-20266606439825206682010-02-04T23:54:35.083-08:002010-02-04T23:54:35.083-08:00बहुत सजीव चित्रण , बधाई .
एकदम यथार्थ को करीब से ज...बहुत सजीव चित्रण , बधाई .<br />एकदम यथार्थ को करीब से जीकर जो देखा है, फिर भी वे धन्य हैं कि हमको सुख देकर खुद को पाल रही हैं. नारी का यह रूप वन्दनीय है. लेकिन ऐसा हर जगह नहीं है. उनकी व्यथा से मालिक कोई सरोकार नहीं रखता है. उसको काम चाहिए और फिर कुछ नहीं. हमारे जीवन को सहज बना रही इन महिलाओं को हमें भी अपने परिवार के सदस्य के रूप में देखना चाहिए.रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-62128739223029058422010-02-04T23:48:13.132-08:002010-02-04T23:48:13.132-08:00'लोकल ट्रेन' मुंबई की धड़कन कही जाती है और...'लोकल ट्रेन' मुंबई की धड़कन कही जाती है और इसी तर्ज़ पर अगर यहाँ की कामवाली बाईयों को 'मुंबई' का हाथ पैर कहा जाए तो शायद अतिशयोक्ति नहीं होगी.क्यूंकि इन्हीं की बदौलत,मुंबई के सारे घर शांतिपूर्वक और सुचारू रूप से चलते हैं.सुबह पांच बजे से रात के ग्यारह बजे तक ये कामवालियां दूसरों का घर संभालने में लगी होती हैं.<br /><br />उपरोक्त पंक्तियों में ही आप ने महानगरों की दशा का चित्रण कर दिया। बाखूब। सजदा कबूल करें।Kulwant Happyhttps://www.blogger.com/profile/04322255840764168300noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-24519881948176519992010-02-04T17:13:40.298-08:002010-02-04T17:13:40.298-08:00मैं जब भी मेड, आया, काम वाली, नौकरानी, बाई, महरी न...मैं जब भी मेड, आया, काम वाली, नौकरानी, बाई, महरी नाम सुनता था, कानों को कचोटते थे...हमारे घर पत्नीश्री का हाथ बंटाने के लिए माया आती है, मैं उसके बारे में पत्नीश्री की मददगार शब्द का ही इस्तेमाल करता हूं...दो-तीन महीने पहले इसी शीर्षक के साथ एक पोस्ट लिखी थी, लिंक यहां दे रहा हूं...हो सके तो पढ़ने के लिए वक्त निकालना...<br /><br />http://deshnama.blogspot.com/2009/08/blog-post_27.html<br /><br />जय हिंद...Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-51845685944917290412010-02-04T03:55:50.940-08:002010-02-04T03:55:50.940-08:00बहुत ही रोचक और सार्थक आलेख. और क्या कहूं? बधाई.बहुत ही रोचक और सार्थक आलेख. और क्या कहूं? बधाई.वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-25406442664614968212010-02-04T03:37:38.448-08:002010-02-04T03:37:38.448-08:00hey,i am myself a working women in mumbai and i co...hey,i am myself a working women in mumbai and i completely agree with what u said.hats off to the realistic potrayal.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16445778181259545466noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-24063589362352801902010-02-04T02:00:51.222-08:002010-02-04T02:00:51.222-08:00बहुत बढिया लिखा है।आज कल यह बाइयां भी परिवार का हि...बहुत बढिया लिखा है।आज कल यह बाइयां भी परिवार का हिस्सा बनती जा रही हैं....भागती जिन्दगी मे यह बहुत सहयोग दे रही हैं..परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-12662296690296533402010-02-03T22:47:06.780-08:002010-02-03T22:47:06.780-08:00धन्यबाद रश्मि जी एक वर्ग विशेष की स्तिथि को बहुत ख...धन्यबाद रश्मि जी एक वर्ग विशेष की स्तिथि को बहुत खूबी से बयान किया है आप ने और समाज में उनकी उपयोगता को भी काफी संजीदगी से दिखाया है आपने ,, पर उनकी निजी जिन्दगी और पारिवारिक जीवन को देख कर थोडा दुःख होता है उम्मीद कायम है स्तिथि सुधरेगी ,,,, और शारीरिक श्रम को भी भी अन्य( मानसिक श्रम ) श्रम की तरह उचित पारिश्रमिक मिलेगा<br /><br />सादर<br />प्रवीण पथिक<br />९८९७१९६९०८४प्रवीण शुक्ल (प्रार्थी)https://www.blogger.com/profile/01003828983693551057noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-92018016483554420102010-02-03T20:35:34.787-08:002010-02-03T20:35:34.787-08:00Very true!These are the people about whom we never...Very true!These are the people about whom we never think but they make our life so easy.Nice to have someone who can throw light on these taken for granted people.mamtahttps://www.blogger.com/profile/10767198205312070778noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-78397057894572639682010-02-03T18:51:36.457-08:002010-02-03T18:51:36.457-08:00पहले पढ़ चुकी हूँ ...फिर शिकायत करोगी ...दुबारा क्य...पहले पढ़ चुकी हूँ ...फिर शिकायत करोगी ...दुबारा क्यों पढ़ी ....हा हा हा<br />अब जब कोई रचना पसंद आये तो बार बार पढ़ती हूँ ....मजबूरी है ...<br />आपकी सशक्त लेखनी और सामाजिक सरोकार पर संवेदनशीलता को नमन ....!!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-43934194503795390362010-02-03T10:32:58.617-08:002010-02-03T10:32:58.617-08:00बहुत अच्छा वर्णन किया है। यह अच्छी बात है कि आज की...बहुत अच्छा वर्णन किया है। यह अच्छी बात है कि आज की कामवाली बाई निरीह नहीं है, बहुत जागरुक है। <br />संयोग देखिए मैं भी बाइयों पर काफी लिख चुकी हूँ और अभी भी एक लेख अधूरा पड़ा है जो उनपर ही है।<br />घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-76994107855947263212010-02-03T09:40:10.617-08:002010-02-03T09:40:10.617-08:00हम ज़बान में पढ़ चुके थे हम...
फिर एक बार पढ़ा ..चित्...हम ज़बान में पढ़ चुके थे हम...<br />फिर एक बार पढ़ा ..चित्रों समेत...अच्छा लगा...<br />बायीं ओर तुम्हारी पेंटिंग्स भी बहुत खूबसूरत हैं...<br />बधाई...!!स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-66931842852567890802010-02-03T09:34:18.889-08:002010-02-03T09:34:18.889-08:00काम वाली बाईयों पर बहुत ही अच्छा लेख है यह। बहुत ब...काम वाली बाईयों पर बहुत ही अच्छा लेख है यह। बहुत बढिया।सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-58326854181507859502010-02-03T09:24:20.291-08:002010-02-03T09:24:20.291-08:00सब कुछ अच्छा लगा और आखरी में कामवाली बाइयों के जुल...सब कुछ अच्छा लगा और आखरी में कामवाली बाइयों के जुलूस का चित्र देख कर तो मज़ा आ गया । इस चित्र के नीचे कैप्शन होना चाहिये " हड़ताल हमारा शौक नही मजबूरी है मजबूरी "शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-71065180981769582572010-02-03T08:36:02.370-08:002010-02-03T08:36:02.370-08:00हमज़बान पर पढ़ चुकी थी...लेकिन सजीव चित्रण ने फिर पढ...हमज़बान पर पढ़ चुकी थी...लेकिन सजीव चित्रण ने फिर पढने पर मजबूर कर दिया....लेखन शैली बहुत बढ़िया है...लेख में कसाव है....शुभकामनायेंसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-47686476516581304242010-02-03T08:15:26.190-08:002010-02-03T08:15:26.190-08:00आपकी ये रोचक और सार्थक पोस्ट मैने हमजबां में ही पढ...आपकी ये रोचक और सार्थक पोस्ट मैने हमजबां में ही पढ़ ली थी...और फिर से एक बार पढ़कर भी उतना ही मजा आया..और सबसे बढ़िया तस्वीरें अब हम शान से कह सकते हैं कि हमारी कामवालियां भी ब्लोग्स पर हैं :) आखिर उनका इतना हक तो बनता ही है...बहुत अच्छा आलेख है ..एक बार फिर बधाईshikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.com