tag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post3857202463874509167..comments2023-10-31T06:34:42.476-07:00Comments on अपनी, उनकी, सबकी बातें: कुछ अनुत्तरित प्रश्न rashmi ravijahttp://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comBlogger34125tag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-76644555615698029862012-11-28T00:55:54.306-08:002012-11-28T00:55:54.306-08:00रश्मि जी,शायद कुछ गलतफहमी हुई है।मैं यहाँ हर एक व्...रश्मि जी,शायद कुछ गलतफहमी हुई है।मैं यहाँ हर एक व्रत की बात नहीं कर रहा हूँ जैसे कि आपने पोस्ट में उदाहरण दिए मैं केवल उनकी बात कर रहा हूँ जो पुरुषों के लिए किए जाते है और उन्हें महिमामंडित करते हैं।आपको शायद विश्वास न हो लेकिन आजकल बहुत से पुरुष ऐसे है जिन्हें ये सब बातें असहज करती हैं कि उन्हें देवता माना जाए और पत्नी उनके पैर छुए या उनके हाथ से ही जल ग्रहण कर व्रत तोडे बल्कि अब तो फिल्म या सीरियल में भी ऐसे दृश्य नहीं पचते।अब वो ऐसा करने से पत्नी को रोकते होंगे जिसमें थोड़ी मनुहार होगी तो थोड़ी ज़बरदस्ती और दबाव भी लेकिन वो ऐसा नहीं होगा कि उसे तानाशाही कहा जाए।लेकिन जो सचमुच तानाशाह है वो तो क्यों पत्नी को ऐसे व्रत करने से रोकने लगे?और जो मैंने उदाहरण दिया था वैसे बहुत सारे पुरुष हमारे समाज में है इसमें तो कोई शक नहीं।लेकिन आप इतनी निराश भी न हों क्योंकि अच्छे पुरुष भी बहुत हैं।मेरे साथ ऐसे सहकर्मी भी है जो हर शनिवार को ही अपने बीवी बच्चों के लिए उपहार लेकर जाते है और जब उनसे मजाक में पूछा जाए कि हर हफ्ते ही गिफ्ट क्यों तो जवाब होता है कि कमा ही उनके लिए रहे हैं और उनकी ही इच्छा पूरी न हो तो क्या फायदा।<br />राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-44948067412564528802012-11-22T02:53:31.456-08:002012-11-22T02:53:31.456-08:00@वैसे पुरुषों की भी हर बात में ही पुरुष मानसिकता य...@वैसे पुरुषों की भी हर बात में ही पुरुष मानसिकता या ब्लैकमैलिग आदि देखना भी एक तरह की तानाशाही ही है।<br /><br />सही कहा, राजन :)<br />पर तानाशाही का अर्थ क्या है?<br />दुसरे की मर्जी न मानना ,उस पर अपने विचार थोपना। <br />अपने मन के अनुसार ही करने को बाध्य करना ...आदि।<br />व्रत के लिए ये तानाशाही भी सर आँखों पर अगर पत्नी बीमार हो, उसे दवा खाना जरूरी हो फिर भी वो पानी न पिए व्रत रखे तो उसे जबरदस्ती खिला देना पति की केयरिंग और प्रेम ही दर्शायेगा .<br />परन्तु अगर सिर्फ इसलिए कि पति का विश्वास न हो,इसलिए कोई त्यौहार न मनाये व्रत न रखे, सही नहीं लगता .<br />और आपको भी पता है राजन, अभी बहुसंख्यक लोगों में पति को हुक्म चलाने की आदत है और पत्नी को दोयम दर्जा प्राप्त है।<br />आपने ही एक बार टिपण्णी में लिखा था कि आपके सहकर्मी टी.वी. बंद कर चाबी अपने साथ ले आते हैं क्यूंकि उन्हें लगता है उनके पीछे उनकी पत्नी केवल टी.वी. देखती है। <br />तो ऐसे लोगो की कैसी मानसिकता होगी?<br /><br />और इन प्रश्नों के जबाब किसके पास हैं बालक कि जिस बच्चे की मंगलकामना के लिए व्रत रखा उसे ही ईश्वर ने अपने पास क्यूँ बुला लिया ?? rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-7392028002604349622012-11-22T01:56:47.654-08:002012-11-22T01:56:47.654-08:00रश्मि जी, पहली बात तो मुझे नहीं लगता कि पति कोई बह...रश्मि जी, पहली बात तो मुझे नहीं लगता कि पति कोई बहुत ज्यादा जबरदस्ती करते होंगे ऐसे व्रत को न करने देने के लिए।वो केवल एक दो बार मना करते होंगे और पत्नी मान जाती होगी और मैंने देखा है कि आजकल पुरुष ही इस तरह के कर्मकाडो से असहज महसूस करते है।और दूसरों के बीच सभी पुरुष इसकी चर्चा नहीं करते।और यदि मान लीजिए यदि पुरुष इनका केवल मौखिक ही विरोध करें तब आप ही ये भी कह देंगे कि देखो पुरुष ऊपर से खुद को प्रगतिशील दिखाने की कोशिश करते हैं और अन्दर ही अंदर ऐसे तीज त्योहार चलते भी रहने देना चाहते हैं।और कहेंगे क्या ऐसी बातें तो यहाँ पहले ही कही ही जा रही हैं।वर्ना आप इन चीजों के लिए पुरुषों को दोष न दिया करें और सीधे कहें कि महिलाओं की इच्छा से ही ऐसे रीति रिवाज चल जिंदा है ।वैसे पुरुषों की भी हर बात में ही पुरुष मानसिकता या ब्लैकमैलिग आदि देखना भी एक तरह की तानाशाही ही है।आप या अदा जी मानें या न मानें ।और जिन्हें आप अनुत्तरित प्रश्न कह रही हैं उनके जवाब सबको पता है पर कभी हमारी आस्था तो कभी डर उन्हें मानने से बचता है।राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-13685330125491596912012-11-21T23:49:20.634-08:002012-11-21T23:49:20.634-08:00मैं एक आस्तिक हूँ, लेकिन मैं किसी तीर्थ स्थल पर क...मैं एक आस्तिक हूँ, लेकिन मैं किसी तीर्थ स्थल पर किसी विशेष तिथि या अवसर पर जाने का आग्रही नहीं हूँ। जरूरी हो तो उस तिथि को घर पर ही पूजा कर लेता हूँ। मैं किसी भी तीर्थ स्थल पर एकान्त में या कम भीड़ के समय ही जाना पसंद करता हूँ। जीवन और जगत https://www.blogger.com/profile/05033157360221509496noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-51276753751200811102012-11-21T22:15:08.165-08:002012-11-21T22:15:08.165-08:00बहुत दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी वह... त्यौहारों से हंस...बहुत दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी वह... त्यौहारों से हंसी-खुशी और उत्सव का माहौल बनता है, इसलिए भारत की संस्कृति इतनी रंग-बिरंगी और विविध है। लेकिन पर्व के नाम पर भीड़-भाड़ में दुर्घटनाएं होने का खतरा बना रहता है। बेहतर हो यदि हम पर्वों में उल्लसित होने के साथ-साथ सुरक्षा का भी ख्याल रखें। और साथ ही ऐसे व्रत त्यौहार करें जिनके लिए हमारा शरीर और मन हमें स्वीकृति देता हो। शरीर को कष्ट देकर कोई त्यौहार मनाना कोई बुद्धिमत्ता नहीं है। और आपका यह कहना बिल्कुल सही है कि यह तय करना स्त्री का अधिकार है, हालांकि हमारे समाज में स्त्रियों के मन में जन्म से ही इतने डर बिठा दिए जाते हैं, जैसे तीज नहीं करोगी तो पति के साथ बुरा हो सकता है, आदि, कि अक्सर वह खुशी से नहीं भय से व्रत करती है और व्रत में कुछ ऊंच नीच हो जाए, तो उसका हृदय आशंकित होता रहता है कि कुछ बुरा न हो जाए।दीपिका रानीhttps://www.blogger.com/profile/12986060603619371005noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-40486825031747061052012-11-21T20:14:45.728-08:002012-11-21T20:14:45.728-08:00मैं भी शोभा जी से सहमत होना चाहती हूँ . दिन विशेष ...मैं भी शोभा जी से सहमत होना चाहती हूँ . दिन विशेष पर उमड़ने वाली अनियंत्रित भीड़ को संतुलित करना बहुत मुश्किल कार्य है , जब तक जनता स्वयं इसमें सहयोग ना दे .<br /> वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-24228834975283329582012-11-21T06:27:20.031-08:002012-11-21T06:27:20.031-08:00दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि.
घुघूतीबासूतीदिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि.<br />घुघूतीबासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-56858434905061648712012-11-21T06:12:38.346-08:002012-11-21T06:12:38.346-08:00देखिये शोभा जी,
हमलोग कोई एक्सपर्ट तो हैं नहीं, एक...देखिये शोभा जी,<br />हमलोग कोई एक्सपर्ट तो हैं नहीं, एक आम भारतीय नागरिक की तरह इस पर चिंतन मनन कर सकते हैं। कार्यवाई तो सम्बंधित अधिकारी ही करेंगे .<br />यह तो सही कह रही हैं आप, आजकल किसी विशेष दिन किसी तीर्थस्थान या मंदिर में दर्शनार्थियों की संख्या में हर साल इजाफा हो रहा है। तो इसके लिए तैयारी भी वैसी ही करनी होगी। नियम से क्यू बनवाये जाएँ। लम्बी कतार हो, बीच बीच में बेंचों, और चाय-पानी की भी व्यवस्था हो। जैसा शिर्डी, तिरुपति, गणपति उत्सव के दिनों में 'लाल बाग़ का राजा ' और नवरात्र में महालक्ष्मी मंदिर में होती है । हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। जिनकी श्रद्धा होती है वे अट्ठारह घंटे तक कतार में खड़े होने के बाद दर्शन करते हैं। पर सब कुछ सुव्यवस्थित तरीके से होता है। कोई अफरा-तफरी नहीं मचती .<br /><br />भीड़ तो हर साल बढ़नी ही है तो अब प्रशासन को ही इसे गंभीरतापूर्वक लेना होगा और आम नागरिकों के सहयोग से ही सबकुछ संपन्न हो सकता है। rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-35728370655051478772012-11-21T05:47:51.570-08:002012-11-21T05:47:51.570-08:00तुम्हारे आलेख ने मुख्यतः तीन मुद्दों को उठाया है। ...तुम्हारे आलेख ने मुख्यतः तीन मुद्दों को उठाया है। पहला मुद्दा, नारी स्वतंत्रता का है ...सही कहा तुमने व्रत-उपवास जैसी चीज़ों को 'न' करने के लिए भी पति अपनी पत्नियों पर प्रेम पूर्वक दबाव डालते हैं, यह भी एक किसिम की तानाशाही ही होती है, बेचारी पत्नी पति के प्रेम के आगे कुछ कह नहीं पाती है और पति इस बात का झंडा लेकर खड़ा हो जाता है की देखा मैं अपनी पत्नी से कितना प्रेम करता हूँ ....जबकि सही अर्थ में यह पति द्वारा ईमोशनल ब्लैकमेलिंग ही होती है। ये क्यों भूल जाते हैं लोग, कि अपने बच्चे, अपने पति अपने परिवार दोस्तों के लिए कुछ करने में भी बहुत ख़ुशी मिलती है।<br /><br />दूसरा मुद्दा आस्था और अंधविश्वास का है, इसमें कोई शक नहीं कि दुनिया के सभी धर्मों में लोगों की आस्था अंधविश्वास की हद तक है ...फिर वो हिन्दू धर्म हो, ईसाई हो या फिर इस्लाम हो ...और शायद इसे ही धर्मान्धता कहते हैं, जिसके कारण आज इतने हादसे हो रहे हैं और सारे देश इसी एक समस्या से जूझ रहे हैं ...इसपर अगर बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जायेगी ...इसलिए इसे यहीं विराम देतीं हूँ ...<br /><br />तीसरा मुद्दा है सामूहिक धार्मिक अनुष्ठानों वाले स्थानों में प्रशासन की तरफ से समुचित व्यवस्था एवं सुरक्षा । इस तरह के आयोजनों के लिए व्यवस्था करना म्युनिसिपल कारपोरेशन का काम है, किन्तु वहां पर लोगों की सुरक्षा पुलिस का ही काम है। ऐसे स्थानों को साफ़ रखने की जिम्मेदारी हर नागरिक का है, इसकेलिए आम जनता में कॉमन सिविक सेन्स अब भी नहीं आएगा तो कब आएगा ? हम इक्कीसवी सदी में आ चुके हैं ...दुनिया के बाकी मुल्कों से भी हमारा तार्रुफ़ प्रत्यक्ष या मिडिया के माध्यम से होता ही रहता है, हम पश्चिम के फैशन, और बाकी 'कूल' चीज़ों को अपनाने में कोई कोताही नहीं करते फिर इस 'सिविक सेन्स' जैसी अहम् बात को अपनाने में इतनी कोताही क्यों करते हैं ? फिर जैसा तुमने कहा की मुंबई जैसी जगह में जहाँ की आबादी भी कम नहीं है, एडमिनिस्ट्रेशन काम करता , तो यह भी कहना गलत होगा कि इस तरह की सिविल मैनेजमेंट नहीं हो सकता क्योंकि पोपुलेशन ज्यादा है। हर इंसान अपना काम करे तो सब संभव है।<br /><br />दुःख हुआ जान कर कि ऐसी घटना घटी ....ऐसा नहीं होना चाहिए था, लेकिन फिर दिल को बहलाने को 'ग़ालिब' ये ख्याल भी ठीक ही है, कि प्रकृति स्वयं को संतुलित करने के अजीब-अजीब तरीके करती हैं ....क्या पता, यह भी उसका एक तरीका हो। :(<br /><br />दिवंगत आत्माओं की शांति की कामना करती हूँ।<br />स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-88480048038444688422012-11-21T05:43:50.099-08:002012-11-21T05:43:50.099-08:00हाँ,यही तो होता है, भले ही आम जनता को कितनी भी परे...हाँ,यही तो होता है, भले ही आम जनता को कितनी भी परेशानी हो, पर इन नेताओं की सवारी शहंशाह की तरह निकालनी चाहिए .<br />अगर उन्हें वी.आई.पी. ट्रीटमेंट देना ही है, अकेले दर्शन लाभ लेना ही है तो रात के तीन-चार बजे जाएँ दर्शन करने जब आम जनता आराम की नींद सो रही हो। <br /><br />मुंबई में सिद्धिविनायक मंदिर में दर्शन करने अक्सर अभिनेता इसी वक़्त जाते हैं। हर जगह इसे नियम की तरह बना देना चाहिए।<br /><br />सुन्दरता अपनी जगह है, पर इस बात का ध्यान तो रखना ही चाहिए कि मंदिर निर्माण में ऐसी चीज़ों का इस्तेमाल हो कि जब भीड़ हो तो कोई दुर्घटना न घटने पाए। rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-35939296334388070662012-11-21T03:35:31.012-08:002012-11-21T03:35:31.012-08:00जी नहीं ! लोग नहीं भागे थे नेताओ के पीछे बल्कि उनक...जी नहीं ! लोग नहीं भागे थे नेताओ के पीछे बल्कि उनके आने की वजह से आम दर्शनार्थी को कुछ वक़्त के लिए रोक दिया था. इससे भीड़ बढ़ गयी थी.<br /><br />और मार्बल देखने में सुंदर लगता है तो सभी मंदिरों में लगाया जाने लगा है अगर दर्शनार्थी फिसलते है तो फिसले. शोभाhttps://www.blogger.com/profile/12010109097536990453noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-1441209569855914772012-11-21T03:31:31.840-08:002012-11-21T03:31:31.840-08:00रश्मिजी आज कल ये प्रवृत्ति बढ़ रही है किसी स्थान व...रश्मिजी आज कल ये प्रवृत्ति बढ़ रही है किसी स्थान विशेष पर जाना. बिहार की मुझे खास जानकारी नहीं है पर उज्जैन में ये बात बहुत देखने में आ रही है. दिन विशेष पर इतनी भीड़ हो जाती है कि कोई भी दुर्घटना असंभव नहीं है. जब कोई दुर्घटना हो जाती है तो सब बाते उठती है वर्ना सब चलता रहता है. इस का क्या इलाज हो सकता है? शोभाhttps://www.blogger.com/profile/12010109097536990453noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-89156811033973179242012-11-21T02:22:17.974-08:002012-11-21T02:22:17.974-08:00you are right dear if police is able to control t...you are right dear if police is able to control the crowd its bcoz ppl r ready to cooperate. Without ppl cooperation any administration, police dept..municipal corp. nt a single dept can work efficiently...we will hv to instill civic sense in ourselves or otherwise we will hv to face the consequences which we r already facing in abundance .<br /><br />And its high time we shud take a vow to keep our religious places clean .rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-46205509151445529722012-11-21T01:45:33.120-08:002012-11-21T01:45:33.120-08:00हम मानवीय अव्यवस्था के लिये हम ईश्वर को दोषी मान ब...हम मानवीय अव्यवस्था के लिये हम ईश्वर को दोषी मान बैठते हैं...प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-65314202222616782162012-11-21T01:32:16.294-08:002012-11-21T01:32:16.294-08:00Dear Rashmi Ma'm ,
You have pointed out few w...Dear Rashmi Ma'm ,<br /><br />You have pointed out few weaknesses of civil management in country . No doubt that its due to large population , but also it is not impossible to provide a safe and manage it . In few states police nicely manages such gatherings . But again , the question is , is it Police's duty or Municipality's duty ? In other countries police doesn't get involve in managing civic matters. Its the task of civil management ( or municipal corp in our country ) . Also the civic sense of people is far better and responsible than ours . As a citizen we have failed to represent ourselves as clean and sensible people . There is a saying 'Cleanliness is next to Godliness ' . But it can be seen that religious places only are surrounded by garbage , waste flowers,garlands etc. Even if God might be staying there at some time , he/she might have left the place due to its dirtiness. Summaryhttps://www.blogger.com/profile/15528322669498970699noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-70900520768637261292012-11-20T22:55:27.597-08:002012-11-20T22:55:27.597-08:00भीड़ का अनुशासन आवश्यक है। भीड़ का अनुशासन आवश्यक है। अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-55228238577493498852012-11-20T21:44:33.843-08:002012-11-20T21:44:33.843-08:00behad dukhad hai.... waise hee aapdayein kam hai u...behad dukhad hai.... waise hee aapdayein kam hai uspar sarkari laparwahi ke chalte aisi ghatnaayeinsonalhttps://www.blogger.com/profile/03825288197884855464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-57354724069603924132012-11-20T21:20:15.523-08:002012-11-20T21:20:15.523-08:00रश्मि जी , अंधी श्रद्धा को ही तो अंध विश्वास कहते ...रश्मि जी , अंधी श्रद्धा को ही तो अंध विश्वास कहते हैं :)<br />इस मामले में ओह माई गौड फिल्म अच्छी लगी थी. <br />हालाँकि प्रशासन को इंतजाम तो करना ही चाहिए. डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-51668798684145712502012-11-20T11:31:37.130-08:002012-11-20T11:31:37.130-08:00अगर ये माना जाए कि पत्ता भी ईश्वर की मर्जी के बिना...अगर ये माना जाए कि पत्ता भी ईश्वर की मर्जी के बिना नहीं हिलता तो शिकायत भी तो उनसे ही की जाएगी न। rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-9965920272448368262012-11-20T11:30:01.808-08:002012-11-20T11:30:01.808-08:00सही है, सबकी आस्था के अपने आयाम होते हैं परन्तु अक...सही है, सबकी आस्था के अपने आयाम होते हैं परन्तु अक्सर आस्तिक और नास्तिक शब्द को देवी-देवता...पूजा-पाठ,से ही जोड़ कर देखा जाता है।rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-37336300633293424882012-11-20T11:28:12.279-08:002012-11-20T11:28:12.279-08:00सही कहा अनु,
हर जगह अव्यवस्था छाई हुई है, आम लोगों...सही कहा अनु,<br />हर जगह अव्यवस्था छाई हुई है, आम लोगों की परवाह ही नहीं किसी को।<br />rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-62896974253739289202012-11-20T11:27:11.414-08:002012-11-20T11:27:11.414-08:00ओह!! ये नेतागण
लोग भागते क्यूँ हैं , उनकी शक्ल दे...ओह!! ये नेतागण <br />लोग भागते क्यूँ हैं , उनकी शक्ल देखने। <br />और मार्बल की सीढियां बनाते वक़्त आर्किटेक्ट को ये नहीं सोचना था ज्यादा भीड़ हुई तो लोग फिसल सकते हैं?? <br />rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-32344906992376464962012-11-20T11:24:00.637-08:002012-11-20T11:24:00.637-08:00हाँ ,किसी का भला न भी हो तो कम से कम कुछ बुरा न हो...हाँ ,किसी का भला न भी हो तो कम से कम कुछ बुरा न हो।rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-3590361477663636942012-11-20T11:20:58.964-08:002012-11-20T11:20:58.964-08:00अच्छी कविता,
यहाँ शेयर करने का शुक्रिया अच्छी कविता,<br />यहाँ शेयर करने का शुक्रिया rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-59122718070880481052012-11-20T11:18:34.863-08:002012-11-20T11:18:34.863-08:00नहीं डा .दाराल
बात अंधविश्वास की नहीं श्रद्धा की ...नहीं डा .दाराल <br />बात अंधविश्वास की नहीं श्रद्धा की है।<br />अगर जनता गंगा किनारे जाकर पूजा करना चाहती है तो प्रशासन का कर्तव्य है कि वे इसका अच्छा इंतजाम करें और सुचारू रूप से अच्छी तरह कार्य संपन्न करवाएं . कोई दुर्घटना न घटे ,इसकी पूरी जिम्मेवारी उनकी है।<br />rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.com