tag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post1634451055053434715..comments2023-10-31T06:34:42.476-07:00Comments on अपनी, उनकी, सबकी बातें: दोनों हाथों से किताबों का खजाना लुटाते, सूरज प्रकाश जीrashmi ravijahttp://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comBlogger36125tag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-87983589843510447502012-01-10T11:23:46.240-08:002012-01-10T11:23:46.240-08:00आप सूरजप्रकाश जी की इस बात को ध्यान में रखियेगा &q...आप सूरजप्रकाश जी की इस बात को ध्यान में रखियेगा " यह किताबें पढ़कर किसी और को दें " <br />तो मैं कब आऊँ ?शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-3630073173428465612011-12-31T06:34:02.502-08:002011-12-31T06:34:02.502-08:00बहुत प्रेरक प्रस्तुति...नव वर्ष की हार्दिक शुभकामन...बहुत प्रेरक प्रस्तुति...नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-35929245845644005602011-12-29T21:57:01.367-08:002011-12-29T21:57:01.367-08:00अनुकरणीय है सूरज जी का यह कार्य।
बहुत अच्छा लगा।अनुकरणीय है सूरज जी का यह कार्य।<br />बहुत अच्छा लगा।Avinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-76181711757814350422011-12-29T10:56:29.196-08:002011-12-29T10:56:29.196-08:00saraahniye.saraahniye.CS Devendra K Sharma "Man without Brain"https://www.blogger.com/profile/14027886343199459617noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-36387233291312953722011-12-29T02:35:48.558-08:002011-12-29T02:35:48.558-08:00किस्मत वाली हैं आप ... अपनी इच्छा अनुसार नगीने खोज...किस्मत वाली हैं आप ... अपनी इच्छा अनुसार नगीने खोज लाई हैं ... ये बहुत ही महान कार्य है ... और एक प्रकार से भाषा, राष्ट्र और पढ़ने वालों की सच्ची सेवा है जो सूरज प्रकाश जी कर रहे हैं ... काश हम भी मुंबई में होते ...<br />आपको २०१२ की बहुत बहुत मंगल कामनाएं ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-91107701224869151022011-12-28T23:39:02.514-08:002011-12-28T23:39:02.514-08:00@साधना जी,
शायद आपको उनके बेटे 'समर' के ब...@साधना जी,<br />शायद आपको उनके बेटे 'समर' के बारे में ज्ञात होगा...सत्रह वर्ष की नादान उम्र में ईश्वर ने उसे अपने पास बुला लिया...उसी से जुड़े बहुत ही मार्मिक संस्मरण मेहरुन्निसा परवेज ने 'समर ' नाम की शीर्षक वाली कहानी संग्रह में लिखे हैं.....यह किताब तो अब आपकी हुई..<br /><br />आप उनसे जुड़े संस्मरण अपने ब्लॉग पर लिखिए ना...हम सब लाभान्वित होंगे.rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-24860156125679631812011-12-28T22:05:49.756-08:002011-12-28T22:05:49.756-08:00रश्मि जी, आपके आलेख के लेबल्स में मेहरुन्निसा परवे...रश्मि जी, आपके आलेख के लेबल्स में मेहरुन्निसा परवेज़ का नाम देख कर बहुत सारी यादें ताज़ा हो गयीं ! १९६२ से लेकर १९६६ तक हम लोग मध्य प्रदेश में जगदलपुर में थे ! उन दिनों ये भी वहीं थीं ! इनके पतिदेव श्री रऊफ खान परवेज़ वहाँ एडवोकेट थे और अच्छे शायर भी थे ! ये भी लिखती थीं ! मेरे पिताजी वहाँ जज थे और मेरी मम्मी भी कवियित्री थीं ! समानधर्मी काम और समानधर्मी रुचियों के कारण हम लोगों के परिवारों के बीच बहुत मधुर सम्बन्ध थे और अक्सर मिलना जुलना होता था ! फिर पिताजी के ट्रांसफर के बाद सब आँधी में उड़े पत्तों की तरह बिखर गये ! आपके पास यदि उनकी कोई पुस्तक आदरणीय सूरज प्रकाश जी के संकलन में से उपलब्ध हो तो कृपया उसे पढ़ने के बाद क्यू में मेरा नाम भी जोड़ लीजियेगा ! मेहरून्निसा जी का नाम यहाँ देख कर बहुत खुशी हो रही है ! सधन्यवाद !Sadhana Vaidhttps://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-85996001639227531512011-12-28T18:35:37.405-08:002011-12-28T18:35:37.405-08:00और मुझे भी यकीन है की दीदी उस स्टैम्प मेसेज का पाल...और मुझे भी यकीन है की दीदी उस स्टैम्प मेसेज का पालन जरूर करेंगी...वैसे पहले से यहाँ कई लोग नज़रे लगाये बैठे हैं किताबों पर(including ojha babu and shubham ji) :D<br />लेकिन मैंने तो फेसबुक पर सबसे पहले वो किताबें अपने नाम बुक्ड कर ली थी..abhihttps://www.blogger.com/profile/12954157755191063152noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-63301001909470437412011-12-28T18:05:28.788-08:002011-12-28T18:05:28.788-08:00यह आप लोगों के पुस्तक प्रेम को उजागर करता है वर्ना...यह आप लोगों के पुस्तक प्रेम को उजागर करता है वर्ना इतना होने पर भी कुछ लोग यही चाहते रहे कि खुद सूरज प्रकाश जी उनके घर तक आकर किताबे दे जायं जिससे आने जाने पर भी उनकी दमड़ी खर्च न हो!Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-43105282089555203442011-12-28T00:33:48.318-08:002011-12-28T00:33:48.318-08:00ओह अनुपम कार्य है। मुझे भी प्रेरणा मिली है।ओह अनुपम कार्य है। मुझे भी प्रेरणा मिली है।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-77255947772749387062011-12-27T18:56:21.864-08:002011-12-27T18:56:21.864-08:00aree ye uncle to sahi ke santa clause ban gye...ha...aree ye uncle to sahi ke santa clause ban gye...hai na di..but mai apna gift lene se rah gyi:( ...but mujhe yakin hai ki aap stamp ka palan jarur karengi :)Shubham Jainhttps://www.blogger.com/profile/11736748654627444959noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-30582331334302487692011-12-27T10:31:33.001-08:002011-12-27T10:31:33.001-08:00किताबों को इंसान की सच्ची मित्र कहा जाता है...
सूर...किताबों को इंसान की सच्ची मित्र कहा जाता है...<br />सूरज प्रकाश ने बेटियों से उपमा देकर भावुक कर दिया...<br />उनकी इस पहल के लिए बधाई...<br />आपकी पोस्ट बहुत अच्छी रही...<br />और हां...इस रूंगे को कुछ जगह ’लुभाव’ भी कहा जाता है...पहले समय में दुकानदार बच्चों को अपनी दुकान तक खींच लाने के लिए इस ’मंत्र’ का प्रयोग करते रहे हैं :)शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''https://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-55059519313970711472011-12-27T10:22:43.458-08:002011-12-27T10:22:43.458-08:00@अनीता जी,
अब तो हम आपको जबरदस्ती पढवायेंगे....इस...@अनीता जी,<br /><br />अब तो हम आपको जबरदस्ती पढवायेंगे....इसी बहाने आपके चरण रज जो पड़ेंगे हमारे द्वारे ...:) <br /><br />पुष्पा भारती की 'शुभागता' ख़त्म भी कर ली...तो कब आ रही हैं,लेने ?:):)rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-21014539269185782522011-12-27T10:17:55.532-08:002011-12-27T10:17:55.532-08:00सूरजप्रकाश जी की उदारता एवं साहित्य सौरभ को दूर दू...सूरजप्रकाश जी की उदारता एवं साहित्य सौरभ को दूर दूर तक पहुंचाने के लिये उनकी इस अभूतपूर्व पहल के बारे में जानकर बहुत प्रसन्नता हुई ! उनका अनुकरण करना भी हर एक के लिये आसान नहीं है क्योंकि ऐसा करने के लिये भी बहुत बड़ा दिल चाहिये ! वरना तमाम ऐसे साहित्यप्रेमी भी हैं जिनके पास वृहत् निजी लाइब्रेरीज़ हैं जिनकी किताबों को वे तमाम उम्र सीने से लगाए बैठे रहते हैं लेकिन किसीको पढने के लिये नहीं दे पाते ! सूरजप्रकाश जी जैसे विलक्षण व्यक्ति ऐसे लोगों के लिये वास्तव में सूर्य के समान ही प्रखर एवं प्रकाशवान हैं ! आप खुशनसीब हैं जो उनकी इस उदारता से लाभान्वित हो सकीं ! आपके आलेख से सूरजप्रकाश जी के बारे में जानकर बहुत अच्छा लगा व उनके प्रति मन अगाध श्रद्धा से भर उठा !Sadhana Vaidhttps://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-86786376516679318242011-12-27T04:53:17.727-08:002011-12-27T04:53:17.727-08:00रश्मि जी आप ने हमें फ़ोन कर के नहीं बताया हमें बहुत...रश्मि जी आप ने हमें फ़ोन कर के नहीं बताया हमें बहुत खराब लग रहा है…:) काश हम भी वहां होते। खैर अब उस स्टेंप को याद रखियेगा और पढ़ने के बाद हमें पास ऑन कीजिएगा…:)हम किताबें भी लेने आयेगें और हमें भूल जाने की भरपाई के रुप में चाय में पियेगें…॥:) सतीश जी से भी यही कह रहे हैं।Anita kumarhttps://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-91365057840348775742011-12-26T16:10:40.160-08:002011-12-26T16:10:40.160-08:00अनुकरणीय। किताबे पढ़कर किसी अन्य पुस्तकप्रेमी को प...अनुकरणीय। किताबे पढ़कर किसी अन्य पुस्तकप्रेमी को पास करने का मेसेज भी अच्छा है। काश ! हम भी वहाँ होते :)Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-7734051244943557172011-12-26T07:39:51.952-08:002011-12-26T07:39:51.952-08:00राजेश जी, किताबें बनाने में श्रम और पैसा दोनों ही ...राजेश जी, किताबें बनाने में श्रम और पैसा दोनों ही लगता है. लेकिन कितने लोग हैं जिन्हें किताबें खरीदने के लिये मिल पाती हैं?<br /> कितने लोग हैं जो किताबें खरीद पाते हैं या जिनके शहर में साहित्यिक पुस्तकों की दुकान उपलब्ध है? तब क्या फ़ायदा किताबों के प्रकाशन से ही यदि चंद लोगों तक ही उन्हें सीमित रह जाना हो? सूरज जी के इस प्रयास की जितनी प्रशंसा की जाये कम है. खरीदी हुई किताबों को इस तरह भेंट कर देने के लिये बहुत बडा दिल चाहिये.वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-82934662360204049042011-12-26T05:20:08.692-08:002011-12-26T05:20:08.692-08:00सूरज प्रकाश जी का ये कदम तो सच मे सराहनीय है ऐसा क...सूरज प्रकाश जी का ये कदम तो सच मे सराहनीय है ऐसा करने के लिये काफ़ी हिम्मत चाहिये होती है …………तुम खुशकिस्मत हो रश्मि जो उस खज़ाने मे से अनमोल मोती सहेज लायीं पढकर हमें भिजवा देना ताकि हम भी पढ सकें और आगे दूसरे पुस्तक प्रेमियों को दे सकें। :))))vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-15229780843252643092011-12-26T03:14:08.904-08:002011-12-26T03:14:08.904-08:00सुंदर एवं सराहनीय कार्य, सूरज प्रकाश जी ने नामारुप...सुंदर एवं सराहनीय कार्य, सूरज प्रकाश जी ने नामारुप कार्य किया। ज्ञान का प्रकाश जहाँ तक फ़ैलेगा वहाँ तक अज्ञान का अंधेरा दूर भागेगा।<br /><br />साधुवादब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-79270313347833288142011-12-26T02:42:54.584-08:002011-12-26T02:42:54.584-08:00बहुत ही सराहनीय ..आपके लिए शुभकामनाएं ।बहुत ही सराहनीय ..आपके लिए शुभकामनाएं ।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-35495074650017069622011-12-26T00:01:18.487-08:002011-12-26T00:01:18.487-08:00राजेश जी,
मेरे विचार से कुछ बातें मूल्याधारित या...राजेश जी,<br /><br /> मेरे विचार से कुछ बातें मूल्याधारित या दाम से थोड़ा हटकर होती हैं। सौगात या किसी के द्वारा सदिच्छा से दी गई वस्तु को दाम लगाकर लेना या देना मेरे विचार से उचित नहीं है। <br /><br /> हां, इसे व्यापारिक नजरिये से आगे कहीं लाभ लेने की मंशा हो तो मुफ्त में किताबें लेना जरूर गलत है....लेकिन यहां सभी लोग साहित्य रसिक हैं....न कहीं व्यापारिक भावना है न कुछ लाभार्जन का मंतव्य.....सो इस मामले में मुझे कुछ गलत नहीं लगा। <br /><br /> सूरज प्रकाश जी का निर्णय केवल लाभ हानि तक सीमित न रहकर बल्कि उससे कहीं आगे विस्तृत आयाम लिये हुए है। उनके इस निर्णय की झलक उस स्टैम्प में मिल सकती है जिसमें उन्होंने लिखा है - "ये पुस्तक पढ़ कर किसी और पुस्तक प्रेमी को दे दें"। <br /><br /> यह विस्तृत एंव अलग दृष्टिकोण ही सूरज प्रकाश जी जैसे विशाल हृदयी लेखकों को हम सब से हटकर एक अलग मुकाम पर दर्शाता है।सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-63977453842260186082011-12-25T21:06:20.975-08:002011-12-25T21:06:20.975-08:00सूरज प्रकाश जी,रश्मिजी और वंदना जी कृपया अन्यथा न...सूरज प्रकाश जी,रश्मिजी और वंदना जी कृपया अन्यथा न लें। मेरे मत में तो किताबें न तो मुफ्त में ली जानी चाहिए और न ही दी जानी चाहिए। आखिर किताबें बनाने में भी श्रम लगता है।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-24493393446626736342011-12-25T20:40:45.511-08:002011-12-25T20:40:45.511-08:00सतीश जी की पोस्ट पर भी पढा, अच्छा लगा।सतीश जी की पोस्ट पर भी पढा, अच्छा लगा।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-42301008510834904642011-12-25T20:24:47.652-08:002011-12-25T20:24:47.652-08:00पंचम जी से खबर मिल चुकी थी, मुझे लगता है कि इस मनो...पंचम जी से खबर मिल चुकी थी, मुझे लगता है कि इस मनोदशा में हर सच्चा पुस्तक प्रेमी पहुंचता है. हां, लेकिन ऐसा कर नहीं पाता, जो सूरजप्रकाश जी ने किया है.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-78089436501553518062011-12-25T19:39:47.291-08:002011-12-25T19:39:47.291-08:00रश्मि, जब तुमने सूरज जी की योजना के बारे में बताया...रश्मि, जब तुमने सूरज जी की योजना के बारे में बताया, तो मुझे लगा कि मेरे पंख होते तो मैं उड़ के मुम्बई पहुंच गयी होती. तुमने सूरज जी का लिंक दिया, तो बस अफ़सोस की स्थिति में सूरज जी की पोसट पर कमेंट कर आई. जवाब की तो मुझे उम्मीद ही नहीं थी. लेकिन ट्रेन में मेल चैक करने लगी तो सूरज जी का मेल मिला . सोचो मेरा क्या हाल हुआ होगा?<br />पूरा श्रेय तुम्हें जाता है रश्मि. न तुम बतातीं, न मैं ये लाभ ले पाती.<br />0- राजेश जी, जिसे किताबों का मोह होता है, वो केवल मुफ़्त की किताबों के भरोसे नहीं रहता. वैसे भी ऐसे कितने लोग हैं जो किताबें मुफ़्त में देते हैं? <br />0- रश्मि, सतीश जी को बी मेरा धन्यवाद कहो.वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.com