tag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post117606230656952112..comments2023-10-31T06:34:42.476-07:00Comments on अपनी, उनकी, सबकी बातें: पीक आवर्स" में मुंबई लोकल ट्रेन में यात्राrashmi ravijahttp://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comBlogger34125tag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-69485993454884858732012-06-11T09:23:09.048-07:002012-06-11T09:23:09.048-07:00मुम्बई के लोग कमाल के होते हैं ...थोड़ी-बहुत चोट की...मुम्बई के लोग कमाल के होते हैं ...थोड़ी-बहुत चोट की परवाह नहीं करते। वह लड़की अगर ट्रेन के नीचे भी गिरती तो भी कुछ न कुछ पकड़कर लटकती हुयी अपने गंतव्य तक पहुँचकर ही दम लेती।बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-60261645898362576532012-06-11T09:15:28.819-07:002012-06-11T09:15:28.819-07:00होता है न! बस्तर के आदिवासी गाँवों में यह दुर्लभ उ...होता है न! बस्तर के आदिवासी गाँवों में यह दुर्लभ उपकरण आपको देखने को मिल जायेगा। और सच्ची में .... वे लोग सुनते भी हैं। <br />मैं आज तक कभी भी अपना कार्यक्रम रेडियो पर नहीं सुन सका। है न कमाल की बात!बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-47681152252418874532012-06-11T09:07:52.310-07:002012-06-11T09:07:52.310-07:00हमें आपके ट्रैफ़िक अंकल जी बहुत अच्छे लगे " बा...हमें आपके ट्रैफ़िक अंकल जी बहुत अच्छे लगे " बातें कम और काम ज़्यादा" के नारे को और इम्प्रूव करते हुये "चुप-चुप रहना काम ज़्यादा करना" को उन्होंने कितने व्यावहारिक तरीके से पेश किया। अबकी से मिलेंगे तो उन्हें मेरी तरफ़ से जयराम जी की बोल देना।<br />और ख़रीदो हील वाली चप्पल, अभी क्या हुआ... जब पीठ, कमर और सिर में दर्द शुरू होगा तब मत कहना कि पहले क्यों नहीं बताया था। ये बबुनी लोग भी कमाल करती हैं, पीक ऑवर में लोकल ट्रेन का सफ़र और चप्पल पेंसिल हील वाली। आख़िरी स्टॉपेज वाली ट्रेन कई बार उधर (शायद सात नम्बर पर) ही रुक जाती है ..अब चलिये वहाँ से आधा फ़र्ल्लांग पैदल। <br />वैसे लोकल में चढ़ने-उतरने का मेरे पास एक ईज़ाद किया नुस्ख़ा है। बस आपको इतना करना है कि ट्रेन के गेट के पास आकर खड़े भर होने की ज़रूरत है बाकी काम भीड़ का रेला ख़ुद कर देगा।<br />ट्रेन की गर्मी ..फ़ुल स्लीव की ड्रेस ..गरमागरम कॉफ़ी....(और टपकता पसीना) भई वाह! क्या कहने कॉफ़ी के। ये हिम्मत आप ही कर सकती हैं। इस हिम्मत के लिये आपको सलाम! नमस्ते!!सतश्री अकाल!!! और हाँ! ये जो डिस्पो कप को मोड़ कर पर्स में रख लिया ..भई कमाल का आइडिया है, इसके लिये एक बार फिर सलाम! नमस्ते!!सतश्री अकाल!!!<br />और आख़िर में बाय-बाय!! टा-टा!!!! अरे ज़ल्दी करो न!फ़ास्ट वाली निकल जायेगी फिर स्लो में जाना पड़ेगा। हाँ चप्पल की चिंता मत करो फेक दो यहीं।बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-34063273717052673022011-09-25T11:23:07.469-07:002011-09-25T11:23:07.469-07:00पहले भी पढ़ा था और तब भी और आज भी हँसे इस पर: सोचन...पहले भी पढ़ा था और तब भी और आज भी हँसे इस पर: सोचने दो लोगों को कि मैं थर्ड क्लास में ही जाती हूँ......:)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-9364709346607050982011-09-22T08:47:11.989-07:002011-09-22T08:47:11.989-07:00ओह... आपकी पेंसिल हील वाली संडल..ओह... आपकी पेंसिल हील वाली संडल..शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-42543783240191478612011-09-12T16:33:44.756-07:002011-09-12T16:33:44.756-07:00आदरणीया रश्मि जी बहुत ही रोचक ढंग से लिखी रोचक जान...आदरणीया रश्मि जी बहुत ही रोचक ढंग से लिखी रोचक जानकारी पढ़ने में मजा आया |आपका दिन शुभ हो |जयकृष्ण राय तुषारhttps://www.blogger.com/profile/09427474313259230433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-17903698824050341172011-09-11T22:02:07.161-07:002011-09-11T22:02:07.161-07:002001 में मैंने भी यात्रा की है, कूछ कर हैंडल पकड़न...2001 में मैंने भी यात्रा की है, कूछ कर हैंडल पकड़ने के चक्कर में एक बार तो टपकते-टपकते बचा था। :)<br />------<br /><b><a href="http://za.samwaad.com/2011/09/blog-post_10.html" rel="nofollow">क्यों डराती है पुलिस ?</a></b><br /><a href="http://bm.samwaad.com/2011/08/blog-post_14.html" rel="nofollow">घर जाने को सूर्पनखा जी, माँग रहा हूँ भिक्षा।</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-90189275548759803692011-09-10T11:31:01.264-07:002011-09-10T11:31:01.264-07:00दक्षिण मुंबई में रहने का ये फायदा है ( हा भले इस च...दक्षिण मुंबई में रहने का ये फायदा है ( हा भले इस चक्कर में आप को माचिस की डिबिया जैसे घरो में क्यों ना रहना पड़े ) की आप हमेसा भीड़ की उलटी दिशा में चलते है आफिस जाते समय रोज लोकल ट्रेनों का सामना होता था और कई साल पहले ७ जुलाई को ट्रेनों में बम ब्लास्ट के बाद ट्रेनों के बंद होने के बाद शहर का नजारा कितना भयानक होता है वो भी झेला है और ये बात भी बिल्कुल सही कही की जब आप को लोकल से जाना है तो आप को अपने ड्रेस के साथ ही जूते चप्पलो का भी ध्यान रखना पड़ता है | वैसे हर किसी के बस की बात नहीं है लोकल पकड़ना बाहर वाले तो हल्की भीड़ में भी चढ़ उतर नहीं पाएंगे |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-78485249298849545742011-09-10T02:49:05.597-07:002011-09-10T02:49:05.597-07:00सोच रहा हूं रश्मि बहना को नॉनस्टाप ख़बरें पढ़ने का...सोच रहा हूं रश्मि बहना को नॉनस्टाप ख़बरें पढ़ने का मौका मिले तो अच्छे अच्छे एंकर्स की छुट्टी कर दे...<br /><br />जय हिंद...Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-68014791393304979122011-09-09T18:35:01.922-07:002011-09-09T18:35:01.922-07:00कई स्टेशन पार कर लिए इस धड़ाधड़ पोस्ट ने.कई स्टेशन पार कर लिए इस धड़ाधड़ पोस्ट ने.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-6771182219431961382011-09-09T12:26:57.094-07:002011-09-09T12:26:57.094-07:00इसे कहते हैं जीवन्त संस्मरण।
आपके साथ एक-एक पल था।...इसे कहते हैं जीवन्त संस्मरण।<br />आपके साथ एक-एक पल था। कमाल की लेखनी।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-36179218165939567152011-09-09T10:40:56.582-07:002011-09-09T10:40:56.582-07:00बहुत ही दिलचस्प संस्मरण ! आपके साथ हमने भी पीक अवर...बहुत ही दिलचस्प संस्मरण ! आपके साथ हमने भी पीक अवर्स में मुम्बई की लोकल ट्रेन की जॉय राइड का मज़ा ले लिया ! बहुत मज़ा आया ! आभार !Sadhana Vaidhttps://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-52054568480744113782011-09-09T05:43:16.121-07:002011-09-09T05:43:16.121-07:00मैं तो लोकल ट्रेन में सफर करने से बहुत डरती हूँ .....मैं तो लोकल ट्रेन में सफर करने से बहुत डरती हूँ .....इसके पीछे भी एक कहानी है ,खैर आपका विवरण पढ़कर ऐसा लग रहा था जैसे मैं भी आपके ही साथ हूँरेखाhttps://www.blogger.com/profile/14478066438617658073noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-77303222833287863062011-09-09T00:29:45.218-07:002011-09-09T00:29:45.218-07:00आपकी पोस्ट का प्रवाह तो बिल्कुल सुपरफास्ट ट्रेन...आपकी पोस्ट का प्रवाह तो बिल्कुल सुपरफास्ट ट्रेन की तरह होता है, पढ़ने वाला उस प्रवाह में बहता चला जाता है। एक सांस में ही आपकी पोस्ट पढ़ डाली। मुम्बई लोकल के अनुभव को जीवन्त कर दिया है आपने इस पोस्ट में।जीवन और जगत https://www.blogger.com/profile/05033157360221509496noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-20095531197234114642011-09-08T23:14:30.942-07:002011-09-08T23:14:30.942-07:00bahot khoobsoorati ke saath aapne 'aapbeeti...bahot khoobsoorati ke saath aapne 'aapbeeti' likhi hai.....lag raha tha hum lokal train men hain.mridula pradhanhttps://www.blogger.com/profile/10665142276774311821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-51797945016350339272011-09-08T19:14:50.361-07:002011-09-08T19:14:50.361-07:00अरे ये तो मैं पढ़ चूका हूँ...एक दिन आपके उस ब्लॉग ...अरे ये तो मैं पढ़ चूका हूँ...एक दिन आपके उस ब्लॉग का चक्कर लगा रहा था...तभी पढ़ा था...वैसे दीदी अभी भी आप स्टाईलिश सैंडल पहनती हैंऊँचे हील वाली? :P <br /><br />जब मैं पहली बार मुंबई गया था न तो दादर स्टेशन से हमें कुर्ला के लिए ट्रेन लेनी थी...शाम के सात बज रहे होंगे...और भीड़ इतनी थी की मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी ट्रेन पे चढ़ने की...करीब आधे घंटे तक खड़ा रहने के बावजूद हिम्मत नहीं जुटा पाया...तो फिर दादर से टैक्सी कर के कुर्ला आया :Pabhihttps://www.blogger.com/profile/12954157755191063152noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-33680964745399896322011-09-08T12:33:05.391-07:002011-09-08T12:33:05.391-07:00@राजेश जी,
मीडियम वेव ११४० किलो हर्ट्स पर....
ले...@राजेश जी,<br /><br />मीडियम वेव ११४० किलो हर्ट्स पर....<br /><br />लेकिन शायद महाराष्ट्र से बाहर नहीं सुना जा सकता {वैसे भी आजकल रेडियो किसके पास होता है...:)}rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-37072821913406132332011-09-08T12:31:08.524-07:002011-09-08T12:31:08.524-07:00@अभिषेक,
जब-जब सैंडविच पढ़ा. मुझे लगा आप अपनी हालत...@अभिषेक,<br />जब-जब सैंडविच पढ़ा. मुझे लगा आप अपनी हालत बयां करने वाली हैं :)<br /><br />हाहा सैंडविच तो आप हुए थे...तीन महिला ब्लोगर्स के बीच....एक अखबार की खबर भी बन गए थे...इतनी जल्दी भूल गए...:)rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-23054677299897184992011-09-08T12:11:34.160-07:002011-09-08T12:11:34.160-07:00सैंडिल उतारने में बहुत देर लगा दी आपने।
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आकाशवाण...सैंडिल उतारने में बहुत देर लगा दी आपने। <br />*<br />आकाशवाणी भोपाल में तीन-चार बार रिकार्डिंग के लिए जाना हुआ है। सच कह रही हैं आप तिलिस्म की तरह ही लगते हैं स्टूडियो। <br />*<br />यह तो बताएं कि आपको किस स्टेशन पर सुना जा सकता है।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-50976306582248943532011-09-08T10:45:03.508-07:002011-09-08T10:45:03.508-07:00हील वाले फुटवियर नहीं पहने कभी...डरती हूँ।हील वाले फुटवियर नहीं पहने कभी...डरती हूँ।ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-90156377962673624932011-09-08T05:33:20.109-07:002011-09-08T05:33:20.109-07:00दूसरों के जीवंत संस्मरण पढ़ते ही कुछ वैसे ही अपने ...दूसरों के जीवंत संस्मरण पढ़ते ही कुछ वैसे ही अपने याद आने लगते हैं....एक बार चर्च गेट से बिरार वाली ट्रेन में अंधेरी के लिए चढ़ गया ...उतर नहीं पाया अंधेरी में ....ऐसा अँधेरा जीवन में फिर कभी नहीं देखा!:(Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-75944797529802958822011-09-07T23:49:11.797-07:002011-09-07T23:49:11.797-07:00जब-जब सैंडविच पढ़ा. मुझे लगा आप अपनी हालत बयां करन...जब-जब सैंडविच पढ़ा. मुझे लगा आप अपनी हालत बयां करने वाली हैं :)<br />एक बार चला हूँ मैं भी. मैंने तो सुना था कि वो पीक आवर नहीं था. पर उसके बाद दुबारा चढ़ने की हिम्मत नहीं है. वैसे अभी तक मौका भी नहीं आया उसके बाद :)Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-74559533323765286322011-09-07T22:32:00.079-07:002011-09-07T22:32:00.079-07:00कल 09/09/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल प...कल 09/09/2011 को आपकी यह पोस्ट <a href="http://nayi-purani-halchal.blogspot.com" rel="nofollow"> नयी पुरानी हलचल </a> पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .<br />धन्यवाद!Yashwant R. B. Mathurhttps://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-89395761526706286332011-09-07T21:30:34.550-07:002011-09-07T21:30:34.550-07:00हील की सैंडिल का जिक्र होते ही मुझे ये पोस्ट याद आ...हील की सैंडिल का जिक्र होते ही मुझे ये पोस्ट याद आती है और एक कविता भी !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-32667482418137865372011-09-07T11:50:40.447-07:002011-09-07T11:50:40.447-07:00ऐसा लगा जैसे साथ साथ ही थी पूरे सफ़र में..रोचक और ...ऐसा लगा जैसे साथ साथ ही थी पूरे सफ़र में..रोचक और सजीव वर्णन...मीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.com