tag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post7930213713160764973..comments2023-10-31T06:34:42.476-07:00Comments on अपनी, उनकी, सबकी बातें: क्या बुढ पुरनिया सब सच कह गए हैं...rashmi ravijahttp://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comBlogger42125tag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-36606798219941880892012-02-17T03:18:33.915-08:002012-02-17T03:18:33.915-08:00@ PD
हा हा ...ये तो पोस्ट तो जैसे सबको अपने प्रेर...@ PD<br /><br />हा हा ...ये तो पोस्ट तो जैसे सबको अपने प्रेरकों को याद करने का बहाना बन गया है...<br /><br />कई बार ब्लॉग बन जाने के बाद भी लोग सहायता करते रहते हैं...सुझाव देते हैं...इस विधा में लिखो...ऐसा लिखो..वैसा लिखो....<br />अब उन्हें याद करना अपने-अपने स्वभाव..अपने संस्कार पर निर्भर है..<br />जिन लोगों ने प्रेरणा देने वालों को याद किया..उन्हें याद किया जाना अच्छा लगा होगा..और याद करने वालों को भी ख़ुशी मिली होगी.rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-75917006500066207632012-02-17T00:43:03.144-08:002012-02-17T00:43:03.144-08:00सच कहूँ तो मुझे कभी किसी ने यहाँ नहीं बुलाया, खुद ...सच कहूँ तो मुझे कभी किसी ने यहाँ नहीं बुलाया, खुद ही पता नहीं कैसे कहाँ से टपक लिया इधर. कुछ लिखना भी अचानक ही शुरू हुआ, बिना किसी के कुछ कहे.<br />मगर फिर भी शुरुवाती कला में प्रोत्साहित करने वालों को कैसे भूल सकता हूँ? उनके नाम दिए जा रहा हूँ.<br /><br />अविनाश दास(भैया)<br />फिलिप शास्त्री जी<br />प्रमोद सिंह जी<br />समीर जी<br />ज्ञानदत्त जी<br />दिनेश द्विवेदी जी<br />रवि रतलामी जी<br />युनुस जी<br />अनूप जी<br /><br />और भी कई मित्र हैं, सबका नाम समेटा नहीं जा सकता है. सो सिर्फ शुरुवाती दिनों के नाम दे रहा हूँ धन्यवाद सहित.PDhttps://www.blogger.com/profile/17633631138207427889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-60566691240056165082012-02-16T11:36:06.767-08:002012-02-16T11:36:06.767-08:00ऑप्शनल है न, तो मैं चित्र की तारीफ़ करने आया हूँ :)...ऑप्शनल है न, तो मैं चित्र की तारीफ़ करने आया हूँ :)<br />जोक्स अपार्ट, वाकई सही बातें कहीं हैं आपने।Avinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-12553043572722572012012-02-15T19:41:33.565-08:002012-02-15T19:41:33.565-08:00ब्लाग तो हिन्दयुग्म पढ़ते हुए अचानक ही बन गया ल...ब्लाग तो हिन्दयुग्म पढ़ते हुए अचानक ही बन गया लेकिन इसे चिठटा जगत और ब्लागवाणी से जोड़ने का उपाय बताया कविता वाचकनवी जी ने। फिर सभी लोगों की टिप्पणियों ने लिखने को प्रेरित किया। वर्तमान में तो ब्लाग पर लिखने में ही आनन्द आता है, प्रकाशकों के तकाजे आ रहे हैं कि कोई नयी पुस्तक नहीं दे रही हैं आप, लेकिन यहाँ तो ब्लाग पर लिखने में ही संतुष्टि मिल रही हैं। अच्छा आलेख है।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-10866409924456408132012-02-14T07:33:25.866-08:002012-02-14T07:33:25.866-08:00People come into your life
For a reason
For a sea...People come into your life <br />For a reason<br />For a season <br />or For lifetime <br /><br />ये बड़ा अच्छा कहा आपने...और व्याख्या भी कर दिया इसका ...:) :)abhihttps://www.blogger.com/profile/12954157755191063152noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-88027518504673462062012-02-13T22:27:00.267-08:002012-02-13T22:27:00.267-08:00रश्मि जी सुन्दर विचारों से लदी आपकी रचना पढ़ बड़ा अच...रश्मि जी सुन्दर विचारों से लदी आपकी रचना पढ़ बड़ा अच्छा लगा..<br />बड़ा सुकून मिलता है किसी का एहसान मान लेने से...शुक्रिया कहने से मोहब्ब्त का खजाना और बढ़ जाता है..<br />आपकी लेखनी चिरायु हो..<br />शुभकामनाएँ...vidyahttps://www.blogger.com/profile/07319211419560198769noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-35282451890281730162012-02-13T14:02:53.382-08:002012-02-13T14:02:53.382-08:00बुढ पुरनिये के कहे को अपने हिसाब से इस्तेमाल करने ...बुढ पुरनिये के कहे को अपने हिसाब से इस्तेमाल करने वाले बहुत हैं जी. गीता की लाइनें कहाँ नहीं कोट कर देते लोग :) और क्या कहें - ऑप्शनल के चक्कर में हम स्किप कर लेते हैं. :PAbhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-28617191113300663972012-02-12T05:52:58.921-08:002012-02-12T05:52:58.921-08:00सुंदर प्रवाह, बढि़या रवानी.सुंदर प्रवाह, बढि़या रवानी.राजेश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/02628010904084953893noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-2453397174229075862012-02-12T01:40:27.581-08:002012-02-12T01:40:27.581-08:00रश्मि जी , मेरे विचार से यह बात हर व्यक्ति पर उसके...रश्मि जी , मेरे विचार से यह बात हर व्यक्ति पर उसके अपने मन की उदारता, संस्कार और आत्मसात किये हुए मूल्यों के अनुसार लागू होती है ! कुछ लोग छोटी से छोटी बात का श्रेय अपने मेंटर्स और सहायकों को देने में कभी कंजूसी नहीं करते वहीं ऐसे अहसानफरामोश लोग भी हैं जो अपने माता-पिता के किये हुए त्याग और बलिदान को भी किसी गिनती में नहीं गिनते ! मेरे विचार से दूसरी श्रेणी से के लोगों से बढ़ कर निकृष्ट और कोई नहीं हो सकता ! आपके आलेख सदैव विचारोत्तेजक होते हैं ! आभार आपका !Sadhana Vaidhttps://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-64818821600930465032012-02-11T23:00:30.513-08:002012-02-11T23:00:30.513-08:00समाज मे रहते हैं तो सभी को साथ लेकर चलना पडता है क...समाज मे रहते हैं तो सभी को साथ लेकर चलना पडता है कुछ साथ चलते है और कुछ छोड जाते हैं ………बस यही बात सब जगह लागू होती है फिर चाहे ज़िन्दगी हो या ब्लोगिंग्………और सब पर लागू होती है कोई मान लेता है कोई नाशुक्रा निकलता है।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-69886497427840319882012-02-11T11:34:11.509-08:002012-02-11T11:34:11.509-08:00आपने याद दिलाया तो याद आया कि हमारा ब्लाग गुल्लक...आपने याद दिलाया तो याद आया कि हमारा ब्लाग गुल्लक हमारे मित्र शिवनारायण गौर ने 2007 के आखिरी दिन बनाया था। पहली पोस्ट भी उन्होंने ही पोस्ट की थी। फिर लगभग साल भर उसमें हमने कुछ नहीं किया। फिर 2009 में जो शुरू हुए तो अब तक जारी है। और अब तो एक नहीं तीन-तीन हैं। <br />*<br />बहरहाल आप भले ही अमरबूटी खाकर न आई हों,पर हम तो यही कहेंगे कि न केवल सुंदर लिखती रहें,बल्कि ऐसी सुंदर दिखती भी रहें।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-37250326435853297782012-02-10T22:56:45.388-08:002012-02-10T22:56:45.388-08:00@ अदा जी ,
मैं कहना चाहता हूं कि ये हुई ना बात अदा...@ अदा जी ,<br />मैं कहना चाहता हूं कि ये हुई ना बात अदा की तर्ज पर ! लेकिन कहूंगा इस तरह से ...<br /><br />अदावत कहन :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-766995188326994392012-02-10T12:25:13.030-08:002012-02-10T12:25:13.030-08:00रश्मि,
कई महीनों के बात कमेन्ट कर रही हूँ....
कहते...रश्मि,<br />कई महीनों के बात कमेन्ट कर रही हूँ....<br />कहते हैं दुनिया में दो ही बातें रह जातीं हैं हमारे जाने के बाद...नेकी और बदी<br />तुमने एक नेक काम किया और जिसके साथ किया उसे भी इसका पूरा अहसास है...कोई कितना भी दुनिया की नज़र में खुद को सही दिखाता/दिखाती रहे...लेकिन जब भी अकेले, खुद के साथ बैठता/बैठती है...खुद से आँखें मिलाना उतना आसान नहीं होता...और ये पक्की बात है वो शख्स भी अपने ज़मीर से रोज़ लात खाता/खाती होगा/होगी..इसलिए निश्चिन्त रहो...जिसकी नियत ठीक नहीं होती उसकी नियति भी ठीक नहीं होती...<br />'अदा'स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-79650209891857092962012-02-10T05:58:58.651-08:002012-02-10T05:58:58.651-08:00टिप्पणीकर्ता की भूमिका ऑप्शनल है????? :)टिप्पणीकर्ता की भूमिका ऑप्शनल है????? :)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-29542314479266153512012-02-10T05:30:32.360-08:002012-02-10T05:30:32.360-08:00@महफूज़,
हमेशा की तरह आप अपनी रौ में लिखते चले ग...@महफूज़,<br /><br />हमेशा की तरह आप अपनी रौ में लिखते चले गए...:)<br /><br />मैने तो एक सामान्य से विषय की चर्चा की है..कईयों के साथ ऐसा होता रहता है.<br />और आपका यहाँ -वहाँ गिरने वाले को नापसंद करना सही है...परन्तु गरीब,अनपढ़..बदसूरत (ऐसा कोई शब्द है ही नहीं..हर चीज़ में खूबसूरती होती है..देखने वाले की नज़र चाहिए )...एक मजबूरी होती है.<br /><br />बहरहाल.....स्वागत है...ब्लॉगजगत में आपकी टिप्पणियाँ आनी शुरू हो गयी हैं....आज इधर का भी रुख कर लिया..शुक्रिया :)rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-17781702669464736482012-02-10T04:27:10.194-08:002012-02-10T04:27:10.194-08:00कई बार क्या होता है न.. हम दोस्त समझने में भूल कर ...कई बार क्या होता है न.. हम दोस्त समझने में भूल कर देते हैं... जिसे हम दोस्त समझ रहे होते हैं... वो ऐक्चुयली में दोस्त होता ही नहीं है.. बस ! हमारी कुछ ज़रूरतें ऐसी होती हैं (इमोशनल) .. जो हमें सामने वाले को दोस्त समझने की भूल पैदा कर देतीं हैं.. कई बार ऐसे एहसान फरामोश लोग भी हमारे ज़िन्दगी में आ जाते हैं.. जिनका साथ हमने हर मुसीबत में और ज़रूरत पर दिया हो... लेकिन वो ऐसे बिन पेंदे के लोटे होते हैं.. कि ऐंवें ही लुढ़क जाते हैं ... और स्टैंड बाय बना कर रखते हैं और दस दस साल पुरानी दोस्ती भी बिना मतलब में भूल जाते हैं... ... पर ऐसे लोगों का जाना अच्छा ही होता है.... जो चला गया वो वाकई में आपका कभी था ही नहीं... ऐसे लोगों का जाना ख़ुशी ही मनाना चाहिए.. कि ठीक है भई तू अपने रस्ते खुश हम अपने रस्ते... हमने कुछ अच्छे पल साथ बिताये उसके हम शुक्रगुजार हैं... देखिये दोस्त\प्यार और आपको कभी भी छोड़ कर नहीं जायेंगे.. जो चला गया तो यही समझिये कि वो साला/साली कभी लाइफ में था/थी ही नहीं... <br /><br />रही बात ब्लॉग और ब्लॉग बनाने की... तो काफी हद तक आपकी गलती दूंगा कि आपसे इंसान समझने में गलती हो गई... यहाँ ब्लॉग जगत में (दोस्त) आपको नहीं मिलेगा..यह आपकी गलती है... कि आपने ऐसा कैसा दोस्त बनाया... कि जो आपसे दोस्ती ख़त्म होने के बाद भी आपकी बुराईयां कर रहा है.... और आपके दोस्ती/एहसान/प्यार को नकार दे रहा है..... जो आपसे दोस्ति ख़त्म होने के बाद भी आपकी बुराई करे... तो ऐसे इंसान का वैसे भी कोई भरोसा नहीं कि वो ऐसा किसी और के साथ भी नहीं करेगा... अब कोई और बेवकूफ बने तो बने... आपने दोस्ती निभाई... यह आपका बड़प्पन है.. मैं तो एक चीज़ जानता हूँ .. जो आपको यूज़ करे... स्टैंड बाय समझे... मुसीबत में साथ ना दे...आपके सक्सेस को नकारे, किसी और दोस्त के लिए आपको छोड़ दे... तो ऐसे लोगों को सिर्फ धीरे से छोड़ कर आगे बढ़ जाना चाहिए.... कुछ नहीं कहना चाहिए... जिसने जाना होगा वो तो जायेगा ही... जो सच्चा होगा वो जा कर भी लौट कर आएगा...आपने अपनी ज़िम्मेदारी निभा दी... अब सामने वाले की बारी है.... <br /><br />मैं तो एक बात जानता हूँ कि रश्मि रविजा को अपनी काबिलियत बताने की ज़रूरत नहीं है.. जो अपने पैदा होने से पहले ही मिडिया में छप रही हो.. वो भी किसी जनसन्देश टाइम्स या अलीगंज टाइम्स में नहीं... धर्मयुग में छपना ... और माधुरी में छपना.. .कोई मामूली बात नहीं है.... और सबसे बड़ी बात अगर आपसे महफूज़ अली बात कर रहा है तो समझ लीजिये कि आपका लेवल क्या है... मैं बहुत क्लास कौन्शियास हूँ वैसे भी... मुझे गरीब, अनपढ़, बदसूरत, सेमी इंटेलिजेंट, और यहाँ वहां गिरने वाले लोग भी नहीं पसंद हैं.. तो आपका लेवल बहुत हाई है.. बाकी नेकी कर दरिया में दाल यही सही है.. हमें हर बीते हुए पल को अच्छा पल समझ कर रखना चाहिए..डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)https://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-80972201009324809652012-02-10T04:04:48.920-08:002012-02-10T04:04:48.920-08:00रश्मि, कृतज्ञता और कृतघ्नता ये दोनों ही गुण केवल म...रश्मि, कृतज्ञता और कृतघ्नता ये दोनों ही गुण केवल मनुष्य में पाये जाते हैं. जिसके भीतर कृतज्ञता का गुण होता है, वह छोटी से छोटी सलाह/मदद के लिये धन्यवाद ज्ञापित करता है और हमेशा इस बात को याद रखता है कि उसकी किसी ने मदद की या नेक सलाह दी. मुझे लगता है कि कम से कम इतनी कृतज्ञता की भावना तो सबको अपने भीतर जीवित रखनी ही चाहिये, कि किसी की उन सलाहों पर हमेशा नत रहे, जिनके चलते उसे कोई उपलब्धि हासिल हुई हो. धन्यवाद देने से देने वाले का मान बढता है जबकि लेने वाले का मन भर जाता है. <br /> किसी को केवल उसकी मदद/सलाह के लिये मौके-बेमौके याद कर लेने से कुछ नहीं घटता, अपना सम्मान उसकी नज़रों में बढता ही है. वैसे भी अगर हमारे लिये किसी ने कुछ किया है, तो भूलना सबसे बड़ी कृतघ्नता होगी.<br />अखबार और बाद में स्कूल के चलते मेरा लेखन बुरी तरह प्रभावित हो रहा था. केवल पढने तक सीमित रह गई थी, लेकिन शुक्ल जी ने मुझे ब्लॉग बनाने और निरन्तर लिखने के लिये प्रेरित किया, मेरे लेखन को एक तरह से जीवन-दान दिया, ये मैं कभी नहीं भूल सकती.<br />बहुत जीवंत फ़लसफ़ा प्रस्तुत किया है रश्मि. आभार तुम्हारा.वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-37908180384897888222012-02-10T01:44:08.315-08:002012-02-10T01:44:08.315-08:00शुक्रिया दराल जी...
दुबारा टिप्पणी करने की मेहनत क...शुक्रिया दराल जी...<br />दुबारा टिप्पणी करने की मेहनत की आपने...rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-49548154106378082742012-02-10T01:19:41.543-08:002012-02-10T01:19:41.543-08:00रश्मि जी , हमने लिखा था --राह दिखाने वाले का काम त...रश्मि जी , हमने लिखा था --राह दिखाने वाले का काम तो राह दिखा कर ख़त्म हो जाता है . उसके बाद राह पर चलने वाले पर निर्भर करता है की वह सही चल रहा है या राह भटक गया है . <br />लेखन के मामले में तो यही कह सकते हैं की यह एक शौक होता है जिसे कभी भी पूरा किया जा सकताहै . <br />हमने पिछले चार पांच साल पहले ही हास्य और कविता आदि लिखना शुरू किया था .डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-74343469246206061942012-02-10T00:49:12.439-08:002012-02-10T00:49:12.439-08:00@दराल जी,
आपकी कोई टिप्पणी तो नहीं मिली..स्पैम तो...@दराल जी,<br /><br />आपकी कोई टिप्पणी तो नहीं मिली..स्पैम तो मैं हमेशा चेक करती रहती हूँ .rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-19883453514319106842012-02-09T23:41:44.024-08:002012-02-09T23:41:44.024-08:00रश्मि जी , हमारी (वेल्युएबल) टिप्पणी क्या स्पैम मे...रश्मि जी , हमारी (वेल्युएबल) टिप्पणी क्या स्पैम में चली गई ?डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-59303877893235519692012-02-09T22:22:54.955-08:002012-02-09T22:22:54.955-08:00हम तो अपने उठने के काल से ही सबेरा मानकर जी रहे है...हम तो अपने उठने के काल से ही सबेरा मानकर जी रहे हैं..प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-66006438715198229992012-02-09T21:43:22.357-08:002012-02-09T21:43:22.357-08:00कोई इंसान जन्म से सब कुछ सीखकर नहीं आता..... हर क...कोई इंसान जन्म से सब कुछ सीखकर नहीं आता..... हर कदम पर इंसान को कुछ न कुछ सीखने मिलता है और गुरू कोई भी हो सकता है...... <br />बढिया विचार। सुंदर चिंतन।Atul Shrivastavahttps://www.blogger.com/profile/02230138510255260638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-63883561045838771422012-02-09T20:28:23.720-08:002012-02-09T20:28:23.720-08:00किसी काम के लिए कभी देर नहीं होती और हर समय अच्छा ...किसी काम के लिए कभी देर नहीं होती और हर समय अच्छा समय होता है ...आपने आज के दौर में लिखना शुरू किया सारे पाठक आपको एक ही अंतरजाल पर मिल गए, लिखने के लिए मन की शान्ति चाहिए जो आपके पास है क्योंकि आपने अपने सारे कर्त्तव्य पूरी तरह निबाहे है .... तो खुश रहिये .sonalhttps://www.blogger.com/profile/03825288197884855464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-61207173968805665392012-02-09T19:31:47.037-08:002012-02-09T19:31:47.037-08:00@दूसरों की भलाई में लगे होते हैं..पर उनका अपना कु...@दूसरों की भलाई में लगे होते हैं..पर उनका अपना कुछ भला नहीं होता...जबकि वहीँ दांव-पेंच खेलनेवाले....चालें चलनेवाले सबके प्रिय बने रहते हैं...<br /><br />यह सबकुछ जीवन में इतनी बार देखा ,अनुभव किया है कि अब कोई निभा जाए तो हैरानी होती है :)<br />नेकी कर कुँए में डाल , और यह विश्वास रखना चाहिए कि ईश्वर सब देखता है ! हमें भी :)वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.com