tag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post7603673121669863641..comments2023-10-31T06:34:42.476-07:00Comments on अपनी, उनकी, सबकी बातें: ब्लॉग जगत एक सम्पूर्ण पत्रिका है या चटपटी ख़बरों वाला अखबार या महज एक सोशल नेटवर्किंग साईट ?rashmi ravijahttp://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comBlogger37125tag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-63679256129431413882022-01-22T00:04:29.032-08:002022-01-22T00:04:29.032-08:00इतना सारगर्भित आलेख पढ़वाने के लिए आदरणीय विभा दीद...इतना सारगर्भित आलेख पढ़वाने के लिए आदरणीय विभा दीदी का बहुत-बहुत आभार । इस लेख से तो बहुत कुछ जानने सीखने का मौका मिला । इसके अलावा उस पर की गई सार्थक टिप्पणियों ने बहुत कुछ सिखाया । आदरणीय दीदी को मेरा नमन और वंदन ।जिज्ञासा सिंह https://www.blogger.com/profile/06905951423948544597noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-21205412737903254092013-03-21T20:06:39.313-07:002013-03-21T20:06:39.313-07:00यहाँ आने के बाद एक सुखद अनुभव का अहसास हुआ... चुपक...यहाँ आने के बाद एक सुखद अनुभव का अहसास हुआ... चुपके से भी निरंतर आकर पढता रहूँगा... धन्यवाद Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-84905885684945398082010-03-17T01:18:55.325-07:002010-03-17T01:18:55.325-07:00अभी बस इतना कि आप साहित्यिक पत्रिकायें मेंबरशिप भे...अभी बस इतना कि आप साहित्यिक पत्रिकायें मेंबरशिप भेज के मंगवा लें। ब्लाग पर सक्रिय रहें पर उन महत्वपूर्ण पत्रिकाओं को ज़रूर पढ़ें।Ashok Kumar pandeyhttps://www.blogger.com/profile/12221654927695297650noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-22540092351631215382010-01-25T03:52:17.246-08:002010-01-25T03:52:17.246-08:00Blog Jagat to ek poora sansar(Jagat) hai, use kisi...Blog Jagat to ek poora sansar(Jagat) hai, use kisi ek nishchit daayre mein rakhna theek nahin hoga. Yeh Patrika bhi hai, akhbar bhi aur social networking site bhi. Hum ya to woh blogs padhte hain jinmein hamari ruchi hoti hai ya unki, jinhein hum jaanete hain aur jinki baat padhna chahte hain. Lekh chahe kitana bhi sarthak ho, agar logon ne padha nahin toh kya faayda. Jo dikhta hai wohi bikta hai. Isliye blog ka mahahoor hona bhi zaroori hai, aur mashahoor tab hoga jab aapka dayra bada hoga, isliye networking bhi zaroori hai. <br />Sabki lekhani alag hoti hai, koi gambheer vishay bhi asani se kah dalta hai toh koi aasaani se kahne wali baat bhi gambheerta mein ulajh kar penchida bana dalta hai. Hum sab bas apna kaam karte rahein, log likhate rahein, hum tippani karte rahein, jiska kaam usi ko saajhe. Aap log Lekhika/lekhak... ek udyamee ki tarah hain jise shuru ke nafe ya nuksaan se zyada apne udyam ke safal hone ki chinta rahti hai, aur yeh safalta ya asafalta aane wala samay hi bata sakta hai..abhi to hum sab Yuddh mein hai, apni Hindi ke prachar aur prasar mein..kabhi khud se ladte hain, kabhi doosron se..par haan hum sab apna kartavya poora karein..aisi hi kaamana hai..shubha kaamnaaon sahit..Commonerhttps://www.blogger.com/profile/01943027912472615500noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-58880562436588937002010-01-25T01:18:02.262-08:002010-01-25T01:18:02.262-08:00जहाँ तक हमारे जैसे पाठको का सवाल है जो ब्लॉग लेखन ...जहाँ तक हमारे जैसे पाठको का सवाल है जो ब्लॉग लेखन से नहीं जुड़े है(और मै लिख भीनहीं सकता क्योकि उपरवाले ने लेखनी शक्ति ही नहीं दी).उनकेलिए ब्लॉग एक माध्यम है स्तरीयलेखको को पढ़ने का. मै<br />तो ब्लॉग पर इसीलिए आता हूँ की स्तरीय मटेरिअल पढने को प्राप्त हो .ashishhttps://www.blogger.com/profile/07286648819875953296noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-64272952303226286782010-01-23T19:36:32.997-08:002010-01-23T19:36:32.997-08:00पिछली टिप्पणी के समय हिन्दी मे लिखने की सुविधा नही...पिछली टिप्पणी के समय हिन्दी मे लिखने की सुविधा नही थी फिर से आया हू और बहुत ही सार्थक बहस हो रही है.<br />सभी ने एक बात को माना है कि अच्छा लेखन ही बचेगा. भाई महफ़ूज ने बहुत गम्भीरता से टिप्पणी की लेकिन मेरी असहमति दर्ज करे. ब्लोग पर आपको वो सब मिल जायेगा जिससे एक पाठक की पठन भूख सान्त होती है लेकिन ये है कि उसके लिये समय देखर ढूढना पडता है. उनका ये कहना कि असली लेखन तो पत्रिकाओ मे ही है मेरे गले नही उतरता.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/13199219119636372821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-33205383115290104812010-01-23T18:10:03.692-08:002010-01-23T18:10:03.692-08:00अच्छा लिखा हुआ सदैव ही प्रतिष्ठित होता है । ब्लॉग ...अच्छा लिखा हुआ सदैव ही प्रतिष्ठित होता है । ब्लॉग की संवाद प्रक्रिया इसे विशिष्ट बनाती है, इसलिये ये ज्यादा रुचता है । <br /><br />शरद जी की टिप्पणी मूल्यवान है । <br />प्रविष्टि का आभार ।Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-61371222433151581152010-01-23T09:18:34.936-08:002010-01-23T09:18:34.936-08:00ब्लोग्गिंग में आने से पहले प्रिंट में एक स्वतंत्र ...<i> <b>ब्लोग्गिंग में आने से पहले प्रिंट में एक स्वतंत्र लेखक के रूप में बहुत सक्रिय हो चुका था , प्रारंभिक समस्याओं ..बल्कि कहूं कि कुछ जानकारियों के अभाव के बाद जब लेखन ने रफ़्तार पकडी तो सब कुछ वैसा ही मिला , प्यार स्नेह ,और ब्लोग्गिंग से अलग नकद नारायण भी ।मगर जब ब्लोग्गिंग का चस्का लगा तो अब ये कहने में कोई संदेह नहीं कि प्रिंट के लिए बेवफ़ाई कर बैठा । मगर निश्चित रूप से दोनों का मिजाज़ और अंदाज़ बहुत ही अलग है । मैं दोनों ही नहीं छोड सकता था और छोडना भी नहीं चाहता था इसीलिए उपाय निकाला कि ब्लोग अपने लेखन और उनके वर्ग के हिसाब से बना लूं। फ़िर चाहे उनके पाठक अलग अलग हों /उन ्पर टिप्पणियों का समीकरण अलग हो । और उसी अनुरूप आगे बढ रहा हूं ...मगर अब सोचता हूं कि बेवफ़ाई भी थोडी कम तो की ही जाए , </b> </i><br /><a href="http://www.google.com/profiles/ajaykumarjha1973#about" rel="nofollow"> अजय कुमार झा </a>अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-64209269195643514752010-01-23T07:42:42.597-08:002010-01-23T07:42:42.597-08:00एक शानदार लेख के लिए बधाई हो।
ऐसे लोगों को ब्लॉग ...एक शानदार लेख के लिए बधाई हो।<br /> ऐसे लोगों को ब्लॉग जगत की जरूरत है। महाराष्ट्र की स्थिति जानकार बहुत हैरानी हुई। आह जिन्दगी जैसी पत्रिका भी वहां नहीं आती।Kulwant Happyhttps://www.blogger.com/profile/04322255840764168300noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-30109282300744394892010-01-23T06:21:30.804-08:002010-01-23T06:21:30.804-08:00आपने जिन मुद्दे को केंद्र में रख कर संवाद करने की ...आपने जिन मुद्दे को केंद्र में रख कर संवाद करने की कोशिश की है,सराहना करता हूँ.<br />मैं ब्लॉग लेखन को दोयम दर्जे का हरगिज़ नहीं कह सकता.हाँ ये सही है कि यहाँ हिंदी-जगत की वही बुराइयां घर कर गयी हैं कि तुम मुझे हाजी कहो और मैं तुम्हें हाजी कहूं!!<br />ढेर सारे लोग हैं जो अच्छे और सार्थक विषय पर लिख रहे हैं, हैं कुछ ऐसे भी जो अभी तिफ्ले-मकतब है.लेकिन ये अभ्यास ही उनका मार्ग-प्रशस्त करेगा.<br />इतना तो कडुआ सच है कि उल-जलूल चीज़ों पर शतक-दर-शतक टिप्पणियाँ कर दी जाती हैं.और कभी तो कोफ़्त की हद जब होती है,कि बिना पढ़े ही लोग कमेन्ट कर ने लगते हैं.<br /><br />आज जब आम लोगों की पहुँच से संचार-माध्यम काफी दूर हो चुके हैं, ब्लॉग उनके लिए अभिव्यक्ति का उचित माध्यम है.यहाँ कई ऐसी ख़बरें और सूचनाएं पढने को नसीब हो जाती हैं, जो अनछुई रहती हैं, कथित मुख्यधारा की पत्रकारिता में.<br /><br />जब एमेर्जेसी थी और पत्र-पत्रिकाओं पर पहरे थे.फिर दना-दन कई पत्रिकाएं बंद होने लगीं तो देश में लघु-पत्रिकाओं का दौर आया. आज जितने अच्छे लेखक-कवि हैं अधिकाँश उसी आन्दोलन की देन हैं.सीमित प्रसार-संख्या के बावजूद इन पत्रिकाओं ने खूब शोहरत बटोरी.बाढ़ सी आ गयी.ऐसी पत्रिकाओं की.लेकिन जिनमें गुणवत्ता थी आज तक टिकी हैं.<br />इसे आज के ब्लॉग-लखन के सन्दर्भ में रखा जा सकता है.<br />ब्लॉग में भी वही टिकेगा जहां सच होगा, जहां भाषा होगी, जहां लहजा होगा.जहां खालिस विचार न होंगे, ज़िन्दगी की तपती रेत भी होगी!شہروزhttps://www.blogger.com/profile/02215125834694758270noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-32079080880874295772010-01-23T05:15:04.243-08:002010-01-23T05:15:04.243-08:00काजल कुमार जी की बात से सहमत!!काजल कुमार जी की बात से सहमत!!प्रवीण त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/02126789872105792906noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-74709352054981705392010-01-23T03:36:18.377-08:002010-01-23T03:36:18.377-08:00आपके ब्लॉग पर गया था वहां पूरा धारावाहिक देख कर पस...आपके ब्लॉग पर गया था वहां पूरा धारावाहिक देख कर पसीना छूट गया और यहाँ आगया ! बहुत अच्छा विषय उठाया हैं , ब्लॉग बेहद रुचिकर होने के साथ साथ सोशल नेटवर्किंग साईट ही है, कुछ ही दिनों में परिवार सा लगने लगता है, हाँ इस परिवार में अच्छे, बुरे, कडवे और गंदे हर तरह के अनुभव मिलते हैं जो स्वाभाविक ही है ! शुभकामनायें !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-52781958328996052052010-01-23T02:25:27.625-08:002010-01-23T02:25:27.625-08:00मतलब पहले सोशल नेटवर्किंग फिर राईटिंग ....मतलब पहले सोशल नेटवर्किंग फिर राईटिंग ....Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-87271331337235216622010-01-23T02:23:55.621-08:002010-01-23T02:23:55.621-08:00'ब्लॉग जगत एक सोशल नेटवर्किंग साईट जैसा ही लगन...'ब्लॉग जगत एक सोशल नेटवर्किंग साईट जैसा ही लगने लगा है.जिसकी नेटवर्किंग ज्यादा अच्छी है.-'<br />'कितनी ही अच्छी रचनाएं कहीं किसी कोने में दुबकी पड़ी होती हैं.और किसी की नज़र भी नहीं पड़ती.....'<br />दोनों हाथ में लड्डू -फिर ब्लॉग जगत को क्यों न अपनाएँ ?Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-12075446843577557072010-01-22T23:16:26.448-08:002010-01-22T23:16:26.448-08:00रश्मि जी अपने अपने विचार है --------, हिदी ब्लोगिं...रश्मि जी अपने अपने विचार है --------, हिदी ब्लोगिंग जरूर अपने शैशव अवस्था में है----- मगर ऐसा नहीं है की स्तरीय लेखन का अभाव है----------- स्तरीय लेखन हो रहा है और पढ़ा भी जा रहा है ---------जहां तक नेट्वर्किंग का का सबाल है वो दोनों ही जगह है , ----------अच्छा पढने बालो का भी नेट्बर्क बन ही जाता है -----------स्तरीय पाठ्य कही भी छुपा नहीं रहता ,, ------------जहा तक स्तरीय लेखन की उपलब्धता की बात है हम यही कर सकते है -----------किसी को भी पढने के लिए बाध्य नहीं कर सकते<br />सादर<br />प्रवीण पथिक<br />9971969084प्रवीण शुक्ल (प्रार्थी)https://www.blogger.com/profile/01003828983693551057noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-20260152284125173322010-01-22T22:54:51.821-08:002010-01-22T22:54:51.821-08:00अच्छा और सार्थक लेखन कहीं भी छुपा नहीं रह सकता ज्य...अच्छा और सार्थक लेखन कहीं भी छुपा नहीं रह सकता ज्यादा दिनों तक...चाहे वो पत्रिका में हो या ब्लौग पे।गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-51132336055946191162010-01-22T22:50:19.358-08:002010-01-22T22:50:19.358-08:00रश्मि,
बहुत सही लिखा है तुमने...रश्मि,<br /><br /> बहुत सही लिखा है तुमने, जिस ब्लॉग में मिर्च मसाला दूसरों पर कमेन्ट या आलोचना आ रही हो, लोग बड़े चाव से पढ़ते हैं और कीचड़ उछलने में भी बहुत सक्रीय होते हैं. एक अच्छे और सार्थक लेखन को तभी पाठक हासिल होते हैं या फिर लोग पढने में रूचि रखते हैं, जहाँ पर उन्हें चर्चित लोग नजर आते हैं. वैसे इससे चिंतित होने की कोई जरूरत नहीं है. आप लिख रहे हैं अपने विचारों और अभिव्यक्ति को साकार कर रहे हैं. हताश होने की जरूरत नहीं. सृजन होता रहे . हिंदी को आगे बढ़ने के लिए अच्छे विषयों का चुनाव और लेखन होना ही हमारे उद्देश्य को पूरा कर सकता है.<br /> बस उसमें ही लगे रहो. तुम्हारा यह लेख बहुत सार्थक है.रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-51346565869456538042010-01-22T22:33:21.853-08:002010-01-22T22:33:21.853-08:00दीदी ,
ऐसी हीं कुछ भावनाएं मेरे मन में भी जन...दीदी ,<br />ऐसी हीं कुछ भावनाएं मेरे मन में भी जन्म लेती रही हें मगर हिंदी <br />अपनी मिठास चाहे कोई पत्रिका हो ब्लॉग हो या कोई और माध्यम हमारे जीवन में घोलती हीं रही है .<br />लेखक लिखेंगे तो पाठक पढेंगे हीं और लेखकों को पढना पड़ता है इससे किसी को इंकार कहाँ और लिखना हो या अनेक रंगों को पढना ब्लॉग से बेहतर क्या है.<br />ब्लॉग जगत कुछ भी हो मगर मेरे कंप्यूटर पर ये तो पूरा एक संसार लगता है आँख कबतक बंद करेंगे हम.Arshad Alihttps://www.blogger.com/profile/00741578153298460528noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-26411034042015278342010-01-22T22:25:56.862-08:002010-01-22T22:25:56.862-08:00ब्लॉगजगत एक सम्पूर्ण पत्रिका है । खेल साहित्य मनोर...ब्लॉगजगत एक सम्पूर्ण पत्रिका है । खेल साहित्य मनोरंजन सब कुछ है यहाँ । यहाँ सब लोग अपने आप को अभिव्यक्त करने आते हैं । यहाँ आनेवाले सभी लेखक हैं सिर्फ पाठक इक्का-दुक्का ही हो सकते हैं । जो पाठक हैं वे भी जल्द से जल्द लेखक बन जाना चाहते हैं । जिन लोगों ने पत्रिकाओं से लेखन की शुरुआत की है ( जैसे रश्मि रवीजा ) वे लोग बहुत गम्भीरता से इस माध्यम को लेते हैं और इसके प्रति अपनी चिन्ता व्यक्त करते हैं । इसलिये कि वे जानते हैं लेखन और प्रकाशन के बीच एक सम्पादक नाम का व्यक्ति होता है जो आपकी रचना का स्तर तय करता है (हाँलाकि इसमें भी विवाद हो सकता है ) लेकिन इसके लिये लेखक को खुद ही आलोचक और सम्पादक बनना होता है और यह काम बहुत निर्ममता से करना होता है । ब्लॉग्स में अच्छे लेखन की उम्मीद ऐसे ही की जा सकती है अन्यथा आप की मर्ज़ी जो आप लिखना चाहें किसने रोका है?<br />दूसरा मुद्दा लोकप्रियता का है और इसके लिये आपने जो कुछ कहा है वह भी कुछ हद तक सही है । आजकल साहित्य जगत मे भी यही हो रहा है कि लोग लिख कम रहे है और चर्चित ज़्यादा हो रहे है । इसके लिये ज़्यादा चिंचित होने की ज़रूरत नही किसी कवि ने कहा है " जो रचेगा वही बचेगा " इसलिये अच्छा लेखन ज़ारी रखे । समय खुद आपका मूल्यंकन करेगा ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-54587214056748887812010-01-22T22:16:03.773-08:002010-01-22T22:16:03.773-08:00rashmi ji
aapne bahut hi sahi lekh likha hai .......rashmi ji<br /><br />aapne bahut hi sahi lekh likha hai ......sach aam insaan ke liye to blogjagat ek bahut hi uttam platform hai jahan wo apne man ki ha rbaat kah sakta hai aur sari duniya ki khabar isi platform par uplabdh bhi ho jati hai aise mein kisi bhi patrika ko padhne ki itni jaroorat mehsoos nhi hoti jitni pahle hoti thi...........aur ise badhawa dena hum sab ka kartavya hai.vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-78285611638749817172010-01-22T21:07:32.071-08:002010-01-22T21:07:32.071-08:00जिसको जो पसंद आता है वह उसको पढ़ लेता है ..यहाँ अब ...जिसको जो पसंद आता है वह उसको पढ़ लेता है ..यहाँ अब हर विषय पर लिखा होता है ...सच्चा और अच्छा लिखा हुआ हमेशा सबको मन भाता है ..रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-49678668983796894602010-01-22T19:07:06.223-08:002010-01-22T19:07:06.223-08:00"कोई भी विवादस्पद लेख हो या किसी विषय पर विवा...<b>"कोई भी विवादस्पद लेख हो या किसी विषय पर विवाद हो तो बहुत लोग पढ़ते हैं.पर कोई सृजनात्मक लेख हो तो उसके पाठक बहुत ही कम हैं."</b><br /><br />आपका यह अवलोकन एकदम सत्य है। इससे हम लोगों की मानसिकता का भी पता चलता है।<br /><br />हिन्दी को यदि नेट में आगे बढ़ाना है तो हमें पाठकों को स्तरीय लेखन देना ही होगा। यदि हमारी रुचि विवादास्पद लेखों में बनी रहेगी तो हम स्तरीय लेख कैसे लिख पायेंगे? हमें अपनी रुचि और मानसिकता को बदलना ही होगा।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09998235662017055457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-82783349906669174972010-01-22T16:37:31.581-08:002010-01-22T16:37:31.581-08:00ब्लॉग जगत का सबसे बड़ा फायदा मुझे यही लगता है कि य...ब्लॉग जगत का सबसे बड़ा फायदा मुझे यही लगता है कि यहाँ आपके पास बहुत विकल्प हैं ...आपको जो पसंद है वह चुने ...वही लिखें ....नेटवर्किंग की परवाह बिलकुल नहीं करें ...अच्छे और गंभीर लेखन को अपना स्थान जरुर मिलता है ...धीरे धीरे ही सही ...!!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-24102161370682077702010-01-22T10:27:49.028-08:002010-01-22T10:27:49.028-08:00मैं आपकी हर बात से सहमत हूँ..... और यह बात तो सही ...मैं आपकी हर बात से सहमत हूँ..... और यह बात तो सही है कि असली लेखन और उसकी महत्ता पत्रिकाओं में ही है..... यहाँ लेखन को सतही तौर पर ही लिया जाता है.... <br /><br />-- <br />www.lekhnee.blogspot.comMahfooz Alihttps://www.blogger.com/profile/03655176540994817573noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-76690820488510185072010-01-22T09:33:46.072-08:002010-01-22T09:33:46.072-08:00आपकी बात सत्य है ...बहुत अच्छी रचनाएँ पढने से छूट ...आपकी बात सत्य है ...बहुत अच्छी रचनाएँ पढने से छूट जाती हैं...पर ब्लॉग पर उपलब्ध हैं तो कभी न कभी नज़र पद ही जायेगी...हाँ गंभीर साहित्य लिखना भी चाहिए और पढ़ना भी...ये सब व्यक्तिगत रूचि पर निर्भर होता है.....लेकिन कहीं कहीं ये लगता है कि जो पहले से स्थापित लोग हैं उनके ही ब्लोग्स ज्यादा पढ़े जाते हैं....और ये बात प्राप्त टिप्पणियों से या चिटठा चर्चा से ही अनुभव होती है.....आपसे सहमत हूँसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.com