tag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post7451732544377743339..comments2023-10-31T06:34:42.476-07:00Comments on अपनी, उनकी, सबकी बातें: कैसा है, हमारे खिलाड़ियों का खान पान ??rashmi ravijahttp://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comBlogger37125tag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-68965686704831698372011-08-26T11:45:29.485-07:002011-08-26T11:45:29.485-07:00कभी जनसत्ता में प्रभाष जोशी को क्रिकेट के बारे में...कभी जनसत्ता में प्रभाष जोशी को क्रिकेट के बारे में लिखते पढ़ते थे तो एक ख्याल आता था यार, इन जैसा आदमी क्रिकेट के प्रति कितनी प्रतिबद्धता रखता है? आपकी पोस्ट पढ़कर भी वैसा ही लगा। लेकिन उनसे ईर्ष्या नहीं होती थी, आपसे हो रही है - अविनाश का कमेंट इसकी वजह है:)संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-44421661083215570372011-08-01T01:34:42.599-07:002011-08-01T01:34:42.599-07:00रश्मि जी , बेहद जरूरी विषय उठाया है आपने, हमारे दे...रश्मि जी , बेहद जरूरी विषय उठाया है आपने, हमारे देश के खिलाड़ियों के पिछड़ने के पीछे उनका पौष्टिक आहार नहीं लेना भी है। वाकई इस मामले पर खेल से जुड़े लोगों को कुछ करना चाहइए।नीलिमा सुखीजा अरोड़ाhttps://www.blogger.com/profile/14754898614595529685noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-64353791409620146852011-07-31T05:26:33.298-07:002011-07-31T05:26:33.298-07:00रश्मि जी! दो दिन से बाहर था.. आज लौटा, इसलिए देर ह...रश्मि जी! दो दिन से बाहर था.. आज लौटा, इसलिए देर हुई! आपकी पोस्ट ने एक सार्थक मुद्दा उठाया है.. सच पूछिए तो ईमानडारी से मन की बात कहता हूँ.. पहले पहले तो मुझे लगता था कि ये खिलाड़ी जब अंडर परफोर्म करने लगते थे तो चोटिल होने का बहाना बनाने लगते थे... शीर्षस्थ खिलाड़ियों को भी आई.पी.एल. में थकान नहीं होती, लेकिन धीमा खेले जाने वाली (वेस्ट इंडीज़ के) टेस्ट सीरीज़ में रेस्ट की आवश्यकता होती है. कप्तानी तक इस डर से मना कर देते हैं कि उससे उनका पर्फोर्मेम्स खराब होता है. <br />जबकि इस तरह के बहाने द्रविड़ या कपिल जैसे खिलाड़ियों ने शायद ही कभी बनाए हों. जिस रोल में, जहां भी खेलने को कहा गया उन्होंने उत्कृष्ट खेल दिखाया.. <br />अविनाश जी ने वाकई पूरे स्तामिना के साथ कमेन्ट किया है और वो आपके आलेख के सप्लीमेंट के रूप में देख रहा हूँ. <br />कुछ तो देशयष्टि का प्रभाव होता है और खान पान का भी!! वरना वेस्ट इंडीज़ के खिलाड़ी जिनका सामाजिक स्तर वैसा ही है जैसा झारखंड से आने वाले खिलाड़ियों का. मगर उनके खिलाड़ियों ने भी बरसों राज किया है!! <br />एक सार्थक पोस्ट!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-8158083135018149392011-07-31T01:30:35.236-07:002011-07-31T01:30:35.236-07:00अच्छा विश्लेषण किया है. पौष्टिक भोजन खिलाड़ियों के...अच्छा विश्लेषण किया है. पौष्टिक भोजन खिलाड़ियों के लिए तो जरूरी है ही बाकी सब के लिए भी उतना ही जरूरी है.रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-43260252125690714222011-07-30T21:51:38.976-07:002011-07-30T21:51:38.976-07:00एकदम अलग ...सटीक और विचारणीय बातें..... खिलाड़ियों...एकदम अलग ...सटीक और विचारणीय बातें..... खिलाड़ियों के खानपान के विषय में इतनी जानकारी नहीं थी... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-80523890095888032972011-07-30T12:05:13.759-07:002011-07-30T12:05:13.759-07:00@रवि
कि बच्चे सुबह से खेलने आए हुए थे और उन्हें द...@रवि <br /><b>कि बच्चे सुबह से खेलने आए हुए थे और उन्हें दोपहर को एक-एक केला देकर विदा कर दिया। आखिर ये कब तक चलेगा। </b><br /><br />इसी तरफ मैं भी इशारा करना चाह रही थी...जब आँखों देखा हो ये सब...तो नज़रंदाज़ करना मुश्किल हो जाता है.<br />सचमुच कब तक चलेगा यह सब????rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-8736746084806514462011-07-30T10:17:32.766-07:002011-07-30T10:17:32.766-07:00सही समय पर सही टापिक छेड़ा है। एक बार मैं स्टेडियम...सही समय पर सही टापिक छेड़ा है। एक बार मैं स्टेडियम में एक न्यूज कवर करने गया तो वहां देखा कि बच्चे सुबह से खेलने आए हुए थे और उन्हें दोपहर को एक-एक केला देकर विदा कर दिया। आखिर ये कब तक चलेगा। <br />और, जरा द्रविड़ के बारे में फटाफट कुछ पोस्ट डाल दो।रवि धवनhttps://www.blogger.com/profile/04969011339464008866noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-35643307820678647142011-07-30T08:49:21.794-07:002011-07-30T08:49:21.794-07:00@ Avinash Chandra
बहुत ज्यादा तो कतई नहीं बोले
ब...@ Avinash Chandra <br /><br />बहुत ज्यादा तो कतई नहीं बोले<br />बिलकुल सटीक विश्लेषण है आपकाAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-23616807122682701852011-07-30T07:29:40.273-07:002011-07-30T07:29:40.273-07:00Yeh to aksar main bhi sochti hu. Apna desi khana t...Yeh to aksar main bhi sochti hu. Apna desi khana tel mein tala hua, aur itna jyada paka hua ki usme kuch reh he nahi jata hai jo shareer ko kuch de sake. Bas swad le leke khao. Idhar kuch salon se koshish rehti hai ki healthy he khayein, meat itna nahi lekin kache vegetables and fruits. Meat se shakti jarur milti hai, lekin uske side effects bhi dheron hai. Yahan kafi log Vegan food ki taraf badh rahe hai, jahan meat to dur , janwar ka doodh, dahi , cheej ko bhi haath nahi lagate. Badhiya likha aapne. Hamare khiladiyon ko jab tak sahi dhang se khanpaan nahi milta hum unse ache khel ki umeed kaise karein ?Rinahttps://www.blogger.com/profile/14103275260178304411noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-87447039670825342852011-07-30T05:06:30.843-07:002011-07-30T05:06:30.843-07:00बहुत ही सही विश्लेषण किया है जिस तरफ़ कोई ध्यान नही...बहुत ही सही विश्लेषण किया है जिस तरफ़ कोई ध्यान नही देता…………आज हमारे लोगो को इस तरफ़ भी ध्यान देना चाहिए मगर जब तक हमारे देश मे भ्रष्टाचार व्याप्त है तब तक ऐसा संभव कहाँ यदि उनके लिए पैसा मिलता भी होगा तो कहाँ उन तक पहुंचता होगा भोजन खुद ही डकार जाते हैं भ्रष्ट अफ़सर्…………लेकिन विषय उम्दा चुना है।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-39985452944825965252011-07-30T03:48:04.315-07:002011-07-30T03:48:04.315-07:00@अविनाश
बहुत ज्यादा बोल गया न आज?
ना ना...बहुत ...@अविनाश<br /> बहुत ज्यादा बोल गया न आज? <br /><br />ना ना...बहुत अच्छा लगा ,बाबा आपका यूँ बोलना :)<br />यही तो पोस्ट की सार्थकता है....कि पढ़कर सिर्फ 'अच्छा है' कहने की जगह लोगों को कुछ कहने को प्रेरित करे...शुक्रिया <br /><br />खेल कोई भी हो, जिसमे एक जुनून हो...वही बन सकता है एक अच्छा खिलाड़ी, ये तो सच है. पर सही खान-पान....अनुशासित जीवन उनके इस खेल-जीवन को लम्बा कर देते हैं.<br /><br />एक कमेंटेटर ने ही कहा था कि बॉलर अक्सर बौंड्री लाइन पर फिल्डिंग करते हैं....और तेजी से गिर कर बॉल रोकने में और जोर से बाहें घुमा कर बौंड्री लाइन से बॉल वापस फेंकने पर उनके कन्धों में चोट की संभावना बढ़ जाती है. ऐसे ही एग्रेसिव बैटिंग करनेवालों के लिए भी कहा था कि वे इतनी ताकत लगा कर बैटिंग करते हैं कि उनकी मांसपेशियों में खिंचाव अ जाता है...इसीलिए मुझे भी लगा कि ये लोग जल्दी घायल हो जाते हैं..डिफेंसिव खेलने वालों की जगह..वर्ना द्रविड़ कि तो मैं भी इतनी बड़ी प्रशंसक हूँ...कि दो-चार पोस्ट लिख दूँ शायद उनपर...:)rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-39150643091252551332011-07-29T12:11:46.619-07:002011-07-29T12:11:46.619-07:00आप क्रिकेट पर क्यों लिखती हैं? :)
इस पर शायद मैं य...आप क्रिकेट पर क्यों लिखती हैं? :)<br />इस पर शायद मैं युगों युगों युगों और उसके भी आगे तक बात कर सकता हूँ। :)<br /><br />फिटनेस खान पान से सम्बंधित तो है ही, इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती।<br />बहुत दिनों तक बहुत क्रिकेट खेला है, कभी-कभी अच्छा भी खेल सका हूँ इसलिए ये बात कहूँगा कि कम से कम हमारे यहाँ क्रिकेट एक खेल नहीं है।<br />आजकल फिर भी संस्थाएँ हैं जो फिटनेस को ध्यान में रखती हैं, उसके बारे में सोचा जाने लगा है, लेकिन पहले यह व्यक्तिगत निर्णय थे।<br />क्रिकेट का मतलब हमेशा से केवल "बल्ला" और "चौके-छक्के" रहा है बच्चों के मन में। यकीन मानिए, अपने १४-१५ साल की खेल अवधि में 'कैफ' के अलावा किसी से नहीं मिला जिसने कहा हो, भाई मैं एक क्षेत्ररक्षक हूँ। जो 'अच्छा' होता है वो बल्लेबाज़, जो 'कम अच्छा' वो हरफनमौला, जो 'कुछ नहीं' वो गेंदबाज़। अपवाद हैं, अब अधिक होते हैं।<br />खेलना फिटनेस और स्टेमिना से भी अधिक एक यज्ञ है जहाँ पूरे मन से तप करना होता है। कौन कितना करता है, कैसे करता है ये उस पर निर्भर करता है।<br />ताज़ा खिलाडियों कि बात करें तो द्रविड़, कुंबले और लक्ष्मण ही हैं जो शाकाहारी हैं और द्रविड़ ने कभी भी फिटनेस और आरामतलबी में लिए कोई मैच (रणजी भी) नहीं छोड़ा। कुंबले में रोज ३०-४० ओवर किये टेस्ट में उफ़ किये बिना। टूटे जबड़े से भी। द्रविड़ के लिए मैं आँख मूँद के भी बात कर सकता हूँ, इसलिए शायद यहाँ अधिक कह रहा होऊंगा, लेकिन फिर भी कम से कम स्लिप पर खड़ा होना मैदान का सबसे कठिन काम है, ये मेरा १० साल का स्लिप क्षेत्ररक्षण का अनुभव कहता है। पहली स्लिप में इतना झुकना होता है कि शाम को कमर टूट जाती है। डिफेंसिव खेलने में भी मैंदान में खड़ा तो रहना ही होता है, जो ५ छक्कों के तूफ़ान के बाद ड्रेसिंग रूम में किये जा रहे आराम से कहीं कठिन है।<br />द्रविड़ को अस्पताल शायद ढाका में ले जाया गया था (आज तक सबसे अधिक लगातार टेस्ट उन्होंने ही खेले हैं बिना ब्रेक के) वो भी जबड़ा टूटने पर, हालांकि संभव है पाकिस्तान में भी गयें हो अस्पताल। वो आज भी दिन भर फील्डिंग करने के बाद ओपनिंग करने आए थे। उसी एकाग्रता के साथ।<br />इरफ़ान पठान और हमारे सबसे अनफिट खिलाड़ी जहीर खान, इनका खान-पान अवश्य ही शाकाहारी नहीं होगा।<br />और हमारी अधिकतर महिला खिलाडी झारखण्ड के आदिवासी इलाकों से आती हैं, और ठीक ही खेलती हैं। वहाँ पोषण तो कैसा होता है, ये सब जान सकते हैं।<br /><br />एक महत्वपूर्ण बात ये है कि आपको अपने शरीर को पहचानना होता है और उसी हिसाब से अधिक या कम मेहनत करनी होती है, बिल्ड एक बहुत महत्वपूर्ण चीज है खेल में। अगर कोई कोच है, तो उसे इसी बात पर ध्यान देने की आवश्यकता है।<br />खान-पान आपकी मदद अवश्य कर सकता है, लेकिन खिलाडी तैयार खेल से ही होते हैं। हाँ +१ होना कभी भी बुरा नहीं। :)<br /><br />अपनी हार पर आयें, तो हारे हम इसलिए कि हमारे पास स्वान नहीं था, हरभजन था। सचिन जरुर महान खिलाडी है, लेकिन कभी पूरे मैच क्षेत्ररक्षण नहीं किया होगा उन्होंने पिछले ४-६ सालों में। ये महानता कब तक? अब तो रनर भी बंद हो रहे हैं। ज़हीर ने भी IPL तो पूरा ही खेला था।<br />गंभीर का चोटिल हो जाना एक दुर्घटना है, जिस पर अफ़सोस ही किया जा सकता है, वो शीघ्र ठीक हों।<br /><br />P.S. बहुत ज्यादा बोल गया न आज?Avinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-37273215709229237042011-07-29T06:21:17.507-07:002011-07-29T06:21:17.507-07:00थोड़ा इंतजार करें, एकाध जीत के बाद जश्न और फिर हम...थोड़ा इंतजार करें, एकाध जीत के बाद जश्न और फिर हमारे खान-पान पर ताजा शोध, जिसकी नकल कर विदेशी फिर हम पर हावी.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-67832301301136007502011-07-29T03:05:08.650-07:002011-07-29T03:05:08.650-07:00जरूर पूछना अभी...पर ये पूछना कि मटन रोटी में ज्याद...जरूर पूछना अभी...पर ये पूछना कि मटन रोटी में ज्यादा ताकत है या लौकी की सब्जी और रोटी में?:)<br /><br />मैने ये लिखा है कि शाकाहारी भोजन भी उतना ही पौष्टिक होता है...बशर्ते उसमे दूध-दही-फल-पनीर-मेवा का समावेश हो.rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-89250602686031493282011-07-29T03:04:54.162-07:002011-07-29T03:04:54.162-07:00@अभी
तुमने सही ही लिखा होगा...
लेकिन मैं समझता हूँ...@अभी<br />तुमने सही ही लिखा होगा...<br />लेकिन मैं समझता हूँ की इंजर्ड होने की एक सबसे बड़ी वजह है लापरवाही...उसमे शायद फ़ूड हैबिट या फिर खानपान से रिलेटेड बात शायद नहीं है(जहाँ तक मुझे लगता है)..<br /><br />पर डा. दराल साब कुछ और कह रहे हैं....:)<br /> <b>पौष्टिक आहार खिलाडियों के लिए बहुत ज़रूरी है , तभी स्टेमिना डेवलप होता है । ज्यादा चोटिल भी इसीलिए होते हैं क्योंकि शरीर में प्रतिरोध नहीं होता , विपरीत परिस्थितयों से लड़ने के लिए ।</b>rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-57167024914843114832011-07-29T02:42:47.495-07:002011-07-29T02:42:47.495-07:00और खिलाड़ियों को मांसाहारी खाने से ज्यादा ताकत आता...और खिलाड़ियों को मांसाहारी खाने से ज्यादा ताकत आता है या शाकाहारी से, यह मैं आपको कल तक बता दूँगा...मेरे एक मित्र हैं जो मेडिकल के फिल्ड में हैं, उनसे बात कर के :P :) :)abhihttps://www.blogger.com/profile/12954157755191063152noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-3595985236161019062011-07-29T02:40:26.544-07:002011-07-29T02:40:26.544-07:00अच्छी और रोचक पोस्ट है दीदी,
लेकिन मैं समझता हूँ...अच्छी और रोचक पोस्ट है दीदी, <br /><br />लेकिन मैं समझता हूँ की इंजर्ड होने की एक सबसे बड़ी वजह है लापरवाही...उसमे शायद फ़ूड हैबिट या फिर खानपान से रिलेटेड बात शायद नहीं है(जहाँ तक मुझे लगता है)..<br /><br /><br />लगभग सभी अंतराष्ट्रीय खेलों में अब ठोस खाने से ज्यादा महत्त्व लिक्विड डाईट को दिया जाता है...बहुत ऐसे खेल भी हैं जहाँ मुख्य खेल से एक दिन पहले किसी भी किस्म का ठोस खाना खिलाड़ियों को नहीं दिया जाता..<br />जैसे फोर्मुला वन(F1)रेसिंग आठ महीने चलती है और रेस लगभग हर वीकेंड होता है अलग अलग जगहों पर...दो दिन रेस होते हैं फोर्मुला वन में...पहला दिन होता है पोल क्वालीफाइंग रेस, और दूसरा दिन मुख्य रेस..पोल क्वालीफाईंग के चौबीस घंटे पहले तक फोर्मुला वन ड्राईवर को कुछ भी ठोस खाने की सख्त मनाही रहती है और वो बस लिक्विड डाईट पे रहते हैं...<br /><br />क्रिकेट में भी अब खेल के एक दिन पहले या खेल के दिन बहुत से इंटरनेशनल खिलाड़ी लिक्विड डाईट पे रहते हैं...abhihttps://www.blogger.com/profile/12954157755191063152noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-71216846850194615642011-07-29T02:31:23.515-07:002011-07-29T02:31:23.515-07:00@ Mukesh Kumar Sinha
ये सोच पुरानी नहीं है...आप...@ Mukesh Kumar Sinha <br /><br />ये सोच पुरानी नहीं है...आप सिर्फ खुशफहमी के शिकार हैं....आपको वस्तुस्थिति की खबर ही नहीं...तो क्या जबाब दिया जाए...आपके कमेन्ट पर सिर्फ एक स्माइली लगाने का मन हो रहा है...:)rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-34472581721979459172011-07-29T02:28:16.344-07:002011-07-29T02:28:16.344-07:00@मनोज जी,
हमारे देश में भुखमरी की बात सही है....सा...@मनोज जी,<br />हमारे देश में भुखमरी की बात सही है....सारे आंकड़े भी दुरुस्त हैं...<br />दो जून भर-पेट खाना ही मयस्सर नहीं तो फल-मेवा की क्या बात की जाए....पर यहीं राजनेता...अभिनेता...व्यवसायी...(कुछ खिलाड़ी भी) करोड़ों के मालिक भी तो हैं.<br /><br />फिर ये इतने सारे खेलों का आयोजन...उनपर करोड़ों रुपये का खर्च किसलिए किया जाता है...सिर्फ हारने के लिए??...और दूसरे देशों को मेडल जीतते देखते रहने के लिए???rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-43344508815322167132011-07-29T02:20:34.761-07:002011-07-29T02:20:34.761-07:00खुशदीप भाई,
मेरे घरवाले दोस्त सब जानते हैं कि मैं ...खुशदीप भाई,<br />मेरे घरवाले दोस्त सब जानते हैं कि मैं द्रविड़ की कितनी बड़ी फैन हूँ....द्रविड़ अपने खान-पान, फिटनेस का पूरा ख्याल रखते हैं..और अनुशासित जीवन बिताते हैं. पर जहाँ तक अक्सर...उनके इंजर्ड नहीं होने का प्रश्न है वो इसलिए तो नहीं कि वे डिफेंसिव खेलते हैं....और फील्डिंग भी स्लिप में करते हैं...जहाँ दौड़ते हुए गिर कर बॉल नहीं रोकनी पड़ती :){वैसे ये बस अनुमान है..मैं गलत भी हो सकती हूँ :)}<br /><br />एक बार द्रविड़ को भी...शायद पकिस्तान में लम्बी पारी खेलने के बाद dehydration के कारण अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था..rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-73891258958537358532011-07-29T02:09:33.729-07:002011-07-29T02:09:33.729-07:00साधना जी,
सही कहा आपने.. किस परिवार के बच्चे में ए...साधना जी,<br />सही कहा आपने.. किस परिवार के बच्चे में एक बेहतरीन खिलाड़ी विकसित हो रहा है इसका निर्धारण कैसे किया जा सकता है <br /><br />और अगर पता चल भी जाए तो माता-पिता अपने ही बच्चों में भेदभाव नहीं कर सकते कि एक बच्चा खेल रहा है...तो उसे पौष्टिक भोजन,दूध-फल दें और दूसरे को नहीं...<br />यहाँ स्कूल को आगे आना चाहिए...वे मोटी-मोटी फीस लेते हैं...पर अपने खिलाड़ियों का बिलकुल ध्यान नहीं रखते. स्कूल में under 8 ....under 10 की टीम गठित की जाती है...तो शुरुआत से ही पता चल जाता है कि किन बच्चों में बेहतर खिलाड़ी बनने की संभावनाएं हैं. बच्चे सुबह छः बजे प्रैक्टिस के लिए हाज़िर होते हैं...शाम को भी जाते हैं...उस समय उन्हें पौष्टिक आहार...फल-दूध दिया जा सकता है. <br /><br />यह सब अनुभव से लिख रही हूँ...मेरे दोनों बेटे अपनी स्कूल टीम में थे...पर स्कूल ने सिर्फ उनसे जमकर मेहनत करवाई... कभी अपनी टीम के खिलाड़ियों के स्वास्थ्य का ख्याल नहीं रखा.rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-39401393360728667122011-07-29T01:40:30.155-07:002011-07-29T01:40:30.155-07:00sayad ye soch bahut pahle ki hai, ab ye samay bada...sayad ye soch bahut pahle ki hai, ab ye samay badal chuka hai, bhartiya sports person ki vishwa me puchh ho rahi hai, aur sirf cricket nahi, har jagah dhire dhire varchaswa bhi mil raha hai....yaani hamare khilari ab apne swasthya ka dhyan rakh rahe hain, tabhi to aisa ho raha hai:)<br /><br />haam!! aur badlaw ki jarurat hai!<br />fir INDIA is the best:)मुकेश कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/14131032296544030044noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-17157961831325225522011-07-29T01:36:50.939-07:002011-07-29T01:36:50.939-07:00बहुत सख़्त ज़रूरत है इंग्लैंड टीम को भारतीय लंच खि...बहुत सख़्त ज़रूरत है इंग्लैंड टीम को भारतीय लंच खिलाने की आज से...Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-80947853505895113502011-07-28T22:23:50.811-07:002011-07-28T22:23:50.811-07:00जंक फूड के ही जलवे हैं आजकलजंक फूड के ही जलवे हैं आजकलAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-41351357002016181962011-07-28T20:00:55.485-07:002011-07-28T20:00:55.485-07:00यह सत्य है कि भारतीय भोजन गरिष्ठ होता है लेकिन प...यह सत्य है कि भारतीय भोजन गरिष्ठ होता है लेकिन पौष्टिक नहीं। हमारे यहाँ खेल को कभी महत्व दिया ही नहीं गया तो खिलाडियों का क्या ध्यान रखा जाएगा। जब हम भी स्कूल की टीम में खेलते थे तब ग्लूकोज ही हमारे हिस्से आता था।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.com