tag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post7298197275699049436..comments2023-10-31T06:34:42.476-07:00Comments on अपनी, उनकी, सबकी बातें: एक यादगार नाटक : 'बस इतना सा ख्वाब है'rashmi ravijahttp://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comBlogger45125tag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-29490901325251649182011-03-04T08:32:59.227-08:002011-03-04T08:32:59.227-08:00bahut sundar.....bahut sundar.....सु-मन (Suman Kapoor)https://www.blogger.com/profile/15596735267934374745noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-76028145208669118742011-03-03T18:42:22.117-08:002011-03-03T18:42:22.117-08:00मुम्बई के रंगमच से लगाव से ऐसी भावपूर्ण प्रस्तुति...मुम्बई के रंगमच से लगाव से ऐसी भावपूर्ण प्रस्तुतियां देखने का सौभाग्य मुम्बई पाते हैं -आपने पूरे दृश्यों को साक्षात कर दिया ...तौलिया लाने की बात तो यूफेमिजम(euphemism ) है ..दरअसल बात चड्ढी-बनियान की ही है जैसा मनीषा पांडे ने ब्लागजगत में पहली बार उद्घोषित किया था :)Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-17467792095820581992011-03-03T11:04:23.013-08:002011-03-03T11:04:23.013-08:00mauka mila to zaroor dekhungaa...mauka mila to zaroor dekhungaa...VIVEK VK JAINhttps://www.blogger.com/profile/15128320767768008022noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-3422478292314111992011-03-03T08:32:50.084-08:002011-03-03T08:32:50.084-08:00इतना पढ़ ही आँखें बह चलीं, सीधे देखती तो क्या हाल ह...इतना पढ़ ही आँखें बह चलीं, सीधे देखती तो क्या हाल होता पता नहीं...<br /> <br />आपने जिस ढंग से विवेचना की है...हैड्स ऑफ़ यु....<br />थैंक्स अ लोट .....थैंक्स .... <br /><br />देखें हमें कभी यह नाटक देखने का अवसर मिलता है या नहीं...<br />यूँ नाटक का यह सत्य किसी के जीवन का सत्य न हो...यह प्रार्थना है ईश्वर से...रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-53757284762614030922011-03-03T04:52:56.461-08:002011-03-03T04:52:56.461-08:00सुन्दर जानकारी के साथ साथ मार्मिक विष्य पर पढ कर म...सुन्दर जानकारी के साथ साथ मार्मिक विष्य पर पढ कर मन द्र्वित हो गया। सच मे कुछ दुख कितने गहरे होते हैं जिन्हें हम पूरी तरह किसी से बाँट भी नही सकते। शुभकामनायें।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-29749322892175312882011-03-03T00:51:44.336-08:002011-03-03T00:51:44.336-08:00@अली जी,
सखियों सहित / दलबल सहित फिल्मों को देखने...@अली जी,<br /><br /><b>सखियों सहित / दलबल सहित फिल्मों को देखने के आपके शौक में यह किंचित बदलाव बासन्ती बयार सा लगा </b><br /><br />मैने सिर्फ नाटक के बारे में लिखा....देखने का सुअवसर मिलने की भूमिका नहीं लिखी....पर आपने यह कहकर उगलवा ही लिया ये सब.:)<br /><br />नाटक देखने का शौक हमें शायद फिल्मो से ज्यादा है...पर हमारे इलाके में हिंदी नाटकों का मंचन नहीं होता....पृथ्वी थियेटर, भाई दास हॉल..नेहरु सेंटर...सब हम लोगो के घर से काफी दूर है. और नाटको का मंचन हमेशा रात में ही होता है . हमारे यहाँ के थियेटर में गुजराती और मराठी नाटकों का मंचन नियमित रूप से होता है. और हम हर बार थियेटर के सामने से गुजरते हुए हसरत से पोस्टर पर एक नज़र जरूर डाल लेते हैं शायद हिंदी/अंग्रेजी में कुछ दिख जाए. अखबारों में भी नाटकों का विज्ञापनों वाला पन्ना ध्यान से देखा जाता. ब्लॉग जगत में आने के बाद मेरा वो पन्ना देखना तो कम हो गया..पर मेरी सहेली शर्मीला...हर बार चेक करती ...और जैसे ही हमारे एरिया में इस नाटक के मंचन की खबर पढ़ी...उसने सबको फोन खटका डाला. लेकिन पहले से तय पारिवारिक कार्यक्रमों की वजह से कई सहेलियाँ नहीं आ पायीं...सिर्फ हम तीन ही मैनेज कर पाए...हमारे पतिदेवों ने भी बस इसलिए एतराज नहीं किया कि अगर जरा सी आनाकानी की तो उन्हें साथ जाना पड़ेगा :)...ये सुनहरा मौका हम छोड़नेवाले नहीं थे. यह नाटक भी रात 9 बजे शुरू हुआ और 11.40 पर ख़त्म.<br /><br />हमलोग टिकट विंडो पर भी खूब सुना आए कि 'हिंदी नाटक का शो क्यूँ नहीं करते??' .शायद इस शो के हाउसफुल होने पर वे और 'शोज़' करने के लिए प्रेरित हों, और हमें और नाटक देखने का मौका मिले..पर आपको पता ही है...मैं बस उन्ही फिल्मो/नाटको के बारे में लिखती हूँ..जो मुझे अपील करती हैं :)<br /><br />मेरी सहेली, राजी का फेसबुक पर इस पोस्ट के लिंक पर किया कमेन्ट उसके नाटक देखने की उत्कंठा बयाँ करता है .<br /><br /><b>Raji Menon K</b> -- I missed it. I missed it......I would have sooooo loved to see the play. after reading the post i feel even more awful for having missed it. next time, folks<br /><br />{शुक्रिया उसके कमेंट्स यहाँ पोस्ट करने का बहाना देने के लिए:)}rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-29186514944447830672011-03-02T23:24:09.917-08:002011-03-02T23:24:09.917-08:00शोभना चौरे जी की मेल से प्राप्त टिप्पणी....वे किस...<b>शोभना चौरे जी की मेल से प्राप्त टिप्पणी....वे किसी कारणवश अपनी टिप्पणी पोस्ट नहीं कर पा रही हैं.</b><br /><br /><br /> साहित्य समाज का दर्पण होता है हम बचपन से पढ़ते आये है इस नाटक की कथावस्तु को बहुत ही सुन्दर ढंग से प्रस्तुत कर अपने यह वाक्य सिध्ह कर दिया|<br /><br /> <br /><br /> निसंतान दम्पति की वेदना और उनके साथ रहने वाले की<br /> मानसिक अवस्था और इसी अवस्था के रहते उनका दैनिक आचरण कितना बनावटी और सतही हो जाता है की संवाद प्रायः बंद ही हो जाते है |<br /> बहुत सुन्दर विश्लेषण |rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-77746235869975902992011-03-02T17:19:00.367-08:002011-03-02T17:19:00.367-08:00अभी कुछ ही दिन पहले घुघूती जी की एक पोस्ट पढ़ी बच्...अभी कुछ ही दिन पहले घुघूती जी की एक पोस्ट पढ़ी बच्चे गोद लेने वाले बहिरागतों पर ! नाटक के संतान विहीन दंपत्ति ने इस आसान विकल्प को स्वीकारने और सहज जीवन जीने के मार्ग को क्यों नहीं चुना और फिर घर में एक क्लिनिकल साइकोलोजिस्ट का ही आगमन क्यों हुआ ? ये दो ऐसी बातें हैं जो नाटककार प्रशांत दलवी के सुनियोजित मंतव्य / उद्देश्यपरकता की ओर ध्यान खींचती हैं !<br /> <br />निश्चय ही नाटककार इस समस्या के मनो-जागतिक पक्ष को उभारना चाहते होंगे जहां हमें सहज उपलब्ध 'दूसरे विकल्प' के बजाये केवल 'अपने ही नैसर्गिक' की आकांक्षा होती है फिर भले ही वह आभासी ही क्यों ना हो ?<br /><br />यह भी सत्य है कि हम अपने लिए यथार्थ अथवा आभास के जीवन को स्वयं ही चुनते हैं ! ... तद्जनित समस्यायें झेलते हैं और उनके निदान भी खोजते हैं ! मेरे लिए यह नाटक उन लोगों से वास्ता रखता है जिन्होंने आभासी जीवन चुना किन्तु सावधान उन्हें भी करता है जो यथार्थ में जीते हैं ! तो दलवी साहब को उनके संबोधन की सफलता पर पूरे अंक !<br /><br />करमाकर और शेफाली के अभिनय को सीरियल्स में ही देखा है वे दोनों भावप्रवण अभिनेता / अभिनेत्री बतौर स्वीकार्य हैं मुझे ! समझ सकता हूं कि उन्होंने नाटक में जान डाल दी होगी ! बहरहाल ...<br /><br />सखियों सहित / दलबल सहित फिल्मों को देखने के आपके शौक में यह किंचित बदलाव बासन्ती बयार सा लगा :)<br /><br />आपके रिव्यू की तारीफ़ पहले ही इतनी ज्यादा हो चुकी है कि अब हम बहुत अच्छा कहें तो क्या पता आपको अच्छा भी लगेगा कि नहीं :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-29756578261993026622011-03-02T04:11:32.766-08:002011-03-02T04:11:32.766-08:00बेहतरीन समीक्षा। पढ़कर लगा सामने बैठकर देख रहे हों...बेहतरीन समीक्षा। पढ़कर लगा सामने बैठकर देख रहे हों । मार्मिक चित्रण ।ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-63010017603243108132011-03-02T03:37:31.299-08:002011-03-02T03:37:31.299-08:00रश्मि यही तुम्हारी खासियत है कि इस तरह प्रस्तुत कर...रश्मि यही तुम्हारी खासियत है कि इस तरह प्रस्तुत करती हो कि लगता है सामने ही घटित हो रहा है ………………इस समस्या को जिस ढंग से प्रस्तुत किया है वो सोचने को मजबूर करता है और साथ ही उन लोगो की मन: स्थिति का दर्शन कराता है।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-16295376306412948982011-03-02T00:24:15.577-08:002011-03-02T00:24:15.577-08:00रंगमंच पर इतनी सुंदर जानकारी देने के लिए धन्यवादरंगमंच पर इतनी सुंदर जानकारी देने के लिए धन्यवादKajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-90688598430989026922011-03-01T22:45:35.981-08:002011-03-01T22:45:35.981-08:00a warmly organised play...a warmly organised play...amit kumar srivastavahttps://www.blogger.com/profile/10782338665454125720noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-80837119225422927332011-03-01T22:40:47.573-08:002011-03-01T22:40:47.573-08:00रश्मि जी आपने तो हिला कर रख दिया इस नाटक से ....
...रश्मि जी आपने तो हिला कर रख दिया इस नाटक से ....<br />पर आपने इसे जिस खूबी से लिखा है काबिलेतारीफ है ....<br />आपने कहानी को शब्दों में जीवत कर दिया ....<br /><br />हाँ अंत जरा अव्यवहारिक लगा ...<br />जहां वह मोहित से इतना अधिक प्रेम करती थी तो उसकी हत्या कैसे बर्दास्त कर पायेगी....<br />एक माँ के नज़रिए से तो ये अंत उचित नहीं लगा ....<br />समझाने का कोई और तरीका भी हो सकता था ....पर हत्या ......???हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-87519581187566845892011-03-01T10:24:34.184-08:002011-03-01T10:24:34.184-08:00मराठी रंगमंच बहुत समृद्ध है । हम लोग बचपन से इस त...मराठी रंगमंच बहुत समृद्ध है । हम लोग बचपन से इस तरह के नाटक मराठी में देखते आये हैं । यह खुशी की बात है कि मराठी के बेहतरीन नाटकों को अब हिन्दी में प्रस्तुत किया जा रहा है ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-96265651859256102011-03-01T10:22:20.433-08:002011-03-01T10:22:20.433-08:00bahut umda sameeksha kee hai ap ne ,
naatak ki kah...bahut umda sameeksha kee hai ap ne ,<br />naatak ki kahani itni sashakt aur marmik hai ki barbas hi ankhen bhar aainइस्मत ज़ैदीhttps://www.blogger.com/profile/09223313612717175832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-43941631941997865442011-03-01T09:42:42.777-08:002011-03-01T09:42:42.777-08:00शेफ़ाली जी सशक्त अभिनेत्री हैं. मंच पर उनका अभिनय ...शेफ़ाली जी सशक्त अभिनेत्री हैं. मंच पर उनका अभिनय कौशल देखना निश्चित रूप से बहुत सुखद अनुभव रहा होगा. शानदार समीक्षा के लिये बधाई.वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-23165644770283510512011-03-01T07:54:10.374-08:002011-03-01T07:54:10.374-08:00kafi jabardast kahani aur uske kirdaar aur uske bi...kafi jabardast kahani aur uske kirdaar aur uske bich aapke drishtikon ... ek sashakt charitra ko ubhaara.<br />khwaab mein jeena galat ya sahi hai , ise hum nirdharit nahi ker sakteरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-21686617910056374692011-03-01T07:49:59.243-08:002011-03-01T07:49:59.243-08:00निश्चय ही प्रभावशाली प्रस्तुति होगी.निश्चय ही प्रभावशाली प्रस्तुति होगी.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-10865487265091763692011-03-01T06:56:27.509-08:002011-03-01T06:56:27.509-08:00बहुत ही मार्मिक कहानी है प्ले की रश्मि जी ! नि:संत...बहुत ही मार्मिक कहानी है प्ले की रश्मि जी ! नि:संतान दंपत्ति की कल्पनालोक में जीने की मानसिकता के माध्यम से नाटककार ने ऐसे दम्पत्तियों के प्रति समाज में लोगों की नकारात्मक सोच पर करारा वार किया है ! आपने इतना बढ़िया रिव्यू लिखा है कि बिना देखे ही पूरा नाटक देख लेने का आभास हो रहा है ! जीवन के प्रति शालिनी और उसके पति का इस तरह मिथ्यालोक में रहने का दृष्टिकोण निश्चित रूप से विमर्श का विषय हो सकता है ! यह सोच एक व्यक्ति विशेष की हो सकती है जिसको वे अपने अभिनय के द्वारा जी रहे थे और किसी भी नाटककार को अपनी कृति के लिये कथावस्तु और तदनुरूप चरित्र चुनने का अधिकार होता है ! ऐसे व्यक्ति भी कथा के पात्र हो सकते हैं ! सुन्दर समीक्षा और समालोचना के लिये बधाई !Sadhana Vaidhttps://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-74546600339760881842011-03-01T06:23:24.124-08:002011-03-01T06:23:24.124-08:00jab padhna shuru kiya ek achchi si kahani lagi...a...jab padhna shuru kiya ek achchi si kahani lagi...anat tak pahuchte pahuchte andar tak hil gyi...gajab ka natak aur gajab ki aapki lekhni...Shubham Jainhttps://www.blogger.com/profile/11736748654627444959noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-3316601091094640422011-03-01T01:37:25.569-08:002011-03-01T01:37:25.569-08:00मनोवैज्ञानिक समस्या पर संवेदनशील पात्रों का अभिनय ...मनोवैज्ञानिक समस्या पर संवेदनशील पात्रों का अभिनय और उसपर तुम्हारा वर्णन ...जैसे हम खुद ही देख आये पूरा प्ले और उन अनुभूतियों को जीते रहे ...समस्या का हल देर से करने की कोशिश की गयी , मगर यही तो कहानी थी ...<br /><br />बच्चा गोद लिया जाए या नहीं , ये व्यक्तिगत निर्णय ही होना चाहिए ..जिस तरह इन दम्पत्तियों के साथ सहानुभूति/उपेक्षा प्रकट की जाती है , सामाजिक समस्या ही ज्यादा लगती है !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-2302108760756836172011-02-28T23:42:42.753-08:002011-02-28T23:42:42.753-08:00हमारा अस्तित्व किसी की पहचान के बिना क्या है।
स...हमारा अस्तित्व किसी की पहचान के बिना क्या है। <br /><br />सही तो है। <br />पढ़ते पढ़ते ही आंखें नम हो गईं।रवि धवनhttps://www.blogger.com/profile/04969011339464008866noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-44674338453198043692011-02-28T22:57:19.645-08:002011-02-28T22:57:19.645-08:00लिखा तो आप ने भी वाकई अच्छा है चुकी दोनों कलाकारों...लिखा तो आप ने भी वाकई अच्छा है चुकी दोनों कलाकारों को जानती हूँ इसलिए लगा की जैसे वो ही मेरे सामने अभिनय कर रहे है | हा ये सच है की बहुत से लोग ऐसे है जो बच्चे तो चाहते है किन्तु वो गोद नहीं लेना चाहते है मै खुद निजी रूप से ऐसे लोग को जानती हूँ उन्होंने एक गरीब बच्चे को गोद तो लिया किन्तु ज्यादा समय तक वो दोनों उसे संभल नहीं पाए क्योकि उन्हें उससे प्यार ही नहीं हुआ उसे अपना बच्चा समझ ही नहीं पाये | जबकि एक दुसरे दंपत्ति को भी देखा है की उन्हें बच्चे नहीं थे वो चाहते थे की उन्हें बच्चे हो किन्तु उन्हें कभी भी बच्चो से ज्यादा लगाव भी नहीं था बल्कि रिश्ते के दुसरे बच्चो को भी वो पसंद नहीं करते थे | सभी की अपनी अपनी सोच होती है |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-20302339727088071372011-02-28T20:40:18.336-08:002011-02-28T20:40:18.336-08:00बहुत खुबसूरत अंदाज़ जैसे वास्तविकता आँखों के साम...बहुत खुबसूरत अंदाज़ जैसे वास्तविकता आँखों के सामने ही घटित हो रहा हो |<br />बहुत सुन्दर अंदाज़ |Minakshi Panthttps://www.blogger.com/profile/07088702730002373736noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-88050621211500492912011-02-28T20:15:36.816-08:002011-02-28T20:15:36.816-08:00शैफाली की अभिनय क्षमता का हमेशा कायल रहा हूँ....अच...शैफाली की अभिनय क्षमता का हमेशा कायल रहा हूँ....अच्छा रहा इस मंचन के बारे में जानना!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com