tag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post5163919363957262147..comments2023-10-31T06:34:42.476-07:00Comments on अपनी, उनकी, सबकी बातें: हिंदी ब्लॉगर्स, भी ले सकते हैं प्रेरणा, इन मराठी बंधुओं सेrashmi ravijahttp://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comBlogger33125tag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-10250841787939004812010-04-01T10:55:59.518-07:002010-04-01T10:55:59.518-07:00बहुत बढ़िया बात... काश ऐसा हिन्दी जगत में हो जाए। य...बहुत बढ़िया बात... काश ऐसा हिन्दी जगत में हो जाए। यहाँ तो सब को एक बीमारी सी हो गई है,एक ब्लॉग़ पर पचास प्रतिक्रियाएं नहीं कि हम हो गए गुरू ब्लॉग़र।Kulwant Happyhttps://www.blogger.com/profile/04322255840764168300noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-22360251247213447082010-03-12T05:36:10.715-08:002010-03-12T05:36:10.715-08:00अपना हिंदी-ब्लौग जगत और ये परिकल्पना...कम-से-कम इस...अपना हिंदी-ब्लौग जगत और ये परिकल्पना...कम-से-कम इस हमारी वाली पीढ़ी के दौरान तो ये संभव होता नहीं दिख रहा।<br /><br />तमाम व्यस्तताओं से निजात पाकर अब निय्मित हुआ हूं ब्लौग में....अब कोई पोस्ट नहीं छूटेगी मैम।गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-10128694178467031222010-03-03T16:21:39.623-08:002010-03-03T16:21:39.623-08:00बिलकुल हिंदी ब्लोगिंग में भी ऐसा किया जाना चाहिए ....बिलकुल हिंदी ब्लोगिंग में भी ऐसा किया जाना चाहिए ...<br />मगर कैसे ...एक दूसरे की टांग खींचने से फुर्सत मिले तब तो ....वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-60793830943075875612010-03-03T08:27:20.578-08:002010-03-03T08:27:20.578-08:00बात में दम है .बात में दम है .Manju Guptahttps://www.blogger.com/profile/10464006263216607501noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-24500315030723616732010-03-03T06:51:08.769-08:002010-03-03T06:51:08.769-08:00रश्मि, हिंदी में ये संभव नहीं है ,यहाँ सिर्फ एक दू...रश्मि, हिंदी में ये संभव नहीं है ,यहाँ सिर्फ एक दूसरे की जय की जा सकती है ,अगर आप जय नहीं कर सकते तो टोली से बाहर |अफ़सोस ये है कि चर्चाएँ भी उन्ही की होती हैं जिन्हें ये टोली पसंद करती है ,आज वर्तमान समय में हिंदी ब्लोग्स पर जो परोसा जा रहा है वो केवल भीड़ बटोरने की एक मुहिम है|इन सबके बीच बेचारी हिंदी कोने में सर झुकाए बैठी है |इस टोली में कौन कौन है ये आप भी जानती हैं और हम भी जानते हैं |<br />और हाँ रचना जी आपसे किसने कहा हिंदी साहित्य स्थापित हैं ,स्थापना ,स्थिरता का सूचक है और स्थिरता समाप्ति का |हिंदी को अभी और भी समृद्ध होना है ,उसको और भी परिष्कृत होना है |आप अपनी दृष्टि को विस्तार दें ,हिंदी में केवल कविता कहानी नहीं लिखी जा रही है बल्कि अभिव्यक्ति का सबसे अलग और बेहद शानदार दस्तावेज लिखा जा रहा है,जिसे पढने का समय न तो आपके पास है न ही ब्लॉगिंग के दावेदारों के पास |हिंदी और ब्लॉगिंग को अपनी बपौती समझने वाले को न ये वैचारिक क्रांति पसंद है और न ही रश्मि के विचार पसंद आयेंगे ,मराठी हिंदी की छोटी बहन है सज संवर रही है मुझे ख़ुशी है |Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16315054585574087560noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-27889530071984068032010-03-03T06:24:04.068-08:002010-03-03T06:24:04.068-08:00ये बहुत ही बेहत्तरीन है और हमें भी हिन्दी के प्रति...ये बहुत ही बेहत्तरीन है और हमें भी हिन्दी के प्रति इतना ही समर्पित होने की ज़रूरत है…<br />पर अविनाश सर ने क्या दमदार बात कही है !<br />:)Rashmi Swaroophttps://www.blogger.com/profile/14615276585404778659noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-76491896129582348372010-03-03T06:04:38.284-08:002010-03-03T06:04:38.284-08:00hamen iska anusaran avashy hi karna chahiye...ye s...hamen iska anusaran avashy hi karna chahiye...ye sochkar ki hindi blog jagat mein raajniti hai...log nahi aayenge..prayas hi nahi karna kahan ki buddhimaani hai..<br />pahle shuru to karein fir dekhte hain..<br />bahut acchi jaankari..स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-6245462892387023712010-03-03T05:17:13.631-08:002010-03-03T05:17:13.631-08:00आपका कहना :फिर क्यूँ नहीं आपस की सारी खींचतान,सार...आपका कहना :फिर क्यूँ नहीं आपस की सारी खींचतान,सारे मन मुटाव मिटा सारे ब्लोगर्स संगठित होकर इसके विकास के लिए प्रयासरत होते हैं.हमें प्रिंट मीडिया से अनुमोदन क्यूँ चाहिए?प्रिंट मीडिया को भी चाहिए कि इस नए माध्यम को वह दोयम दर्जे का ना समझे और जिम्मेवारी भरा रवैया अपनाए,इसे देखने का.वैसे हम खुद को ही इतना शक्तिशाली बना लेँ कि यह अभिव्यक्ति का एक नया माध्यम बन कर उभरे. <br /><br />@विवेक <br />वाकई हिन्दी ब्लॉगिंग में भाई लोगों का ज्यादा कब्जा लगता है, जो कि साहित्य को अंतर्जाल पर आने ही नहीं देना चाहते हैं, और न ही इसको विज्ञापित करवाना चाहते हैं, अगर आज भी आपको कोई हिन्दी साहित्य की किताब ढ़ूँढ़ना हो तो मुश्किल होगी।<br /><br />दम है..वज़न है......<br />मैं शुरू से ही मराठी साहित्य का प्रशंसक रहा हूँ बंगाली की तरह..<br /><br />लेकिन अपुन का हिन्दुस्तानी [इस में हिंदी -उर्दू को शामिल समझें ] भी किसी से कम नहीं है..<br /><br />आप दोनों से सहमत.<br /><br />.शहरोज़शेरघाटीhttps://www.blogger.com/profile/12003123660549394986noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-16822714697128852542010-03-03T04:56:00.512-08:002010-03-03T04:56:00.512-08:00वाकई हिन्दी ब्लॉगिंग में भाई लोगों का ज्यादा कब्जा...वाकई हिन्दी ब्लॉगिंग में भाई लोगों का ज्यादा कब्जा लगता है, जो कि साहित्य को अंतर्जाल पर आने ही नहीं देना चाहते हैं, और न ही इसको विज्ञापित करवाना चाहते हैं, अगर आज भी आपको कोई हिन्दी साहित्य की किताब ढ़ूँढ़ना हो तो मुश्किल होगी। <br /><br />पर हाँ हिन्दी ब्लॉगर्स प्रेरणा ले सकते हैं, कि देखो वहाँ (मराठी ब्लॉगर्स) में टाँग खिंचाई नहीं होती है...विवेक रस्तोगीhttps://www.blogger.com/profile/01077993505906607655noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-38419148703263670732010-03-03T04:16:46.345-08:002010-03-03T04:16:46.345-08:00rashmi ji
bahut hi sundar mudda uthaya hai aur ba...rashmi ji<br /><br />bahut hi sundar mudda uthaya hai aur bahut hi sahi tarike se ...........main bhi is baat se sahmat hun jaisa ki nirmala di ne kaha hai ki hindi ki samagra roop se apnaya jana chahiye na ki shetriyata ke aadhar par hum bant jayein usse achcha hoga ki hindi ka viakas is tarah se ho ki jan jan ki boli ban jaye.vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-34233456378802282892010-03-03T03:59:28.733-08:002010-03-03T03:59:28.733-08:00ये सारे गुण हम हिंदी की बढ़ोतरी के लिए भी क्यूँ नही...ये सारे गुण हम हिंदी की बढ़ोतरी के लिए भी क्यूँ नहीं अपनाते??<br /><br /><br /><br />कौन रोक रहा हैं ये करने से किसी को भी लेकिन रश्मि हिंदी ब्लोगिंग मे संगठन कि बात और हिंदी ब्लोगिंग का संगठन बनाने कि बात मे अंतर हैं ।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-53767766851685219502010-03-03T00:42:16.554-08:002010-03-03T00:42:16.554-08:00रश्मि जी, आपने अपनी बात बहुत अच्छे तरीके रखी है… म...रश्मि जी, आपने अपनी बात बहुत अच्छे तरीके रखी है… मराठी ब्लॉग्स, मराठी साहित्य, मराठी नाटक आदि की परम्परा के बारे में कोकास जी की टिप्पणी में काफ़ी कुछ साफ़ कर ही दिया है। मैं इस विषय पर अधिक क्या लिखूं… मैं भी कई मराठी ब्लॉगर्स / फ़ोरम से जुड़ा हुआ हूं और "स्तरीय बहस" करने (पढ़ने) का मजा उधर ही आता है, लेकिन चूंकि मैं राष्ट्रभाषा को मातृभाषा से पहले रखता हूं, इसलिये हिन्दी में ही अधिकतर लिखता हूं…। मराठी जहाँ भी, जितना भी मिले, पढ़ता हूं… परन्तु "मराठी" की श्रेष्ठता का कभी बखान नहीं करता (न ही ऐसा कोई मुगालता है) क्योंकि कहीं हिन्दी ब्लॉग जगत के "भाई" लोग नाराज़ न हो जायें…।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02326531486506632298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-44581443464235979742010-03-02T23:59:31.684-08:002010-03-02T23:59:31.684-08:00@रचना जी,
शायद हिंदी और मराठी में अंतर तो बहुत है ...@रचना जी,<br />शायद हिंदी और मराठी में अंतर तो बहुत है पर वह अंतर यह है कि मराठी ब्लोग्स बहुत पहले शुरू किये जा चुके हैं और अब उनकी संख्या करीब १२००० है.जबकि हिंदी के लिए मैंने लोगों से दस हज़ार की संख्या ही सुनी है,इसलिए यह कहना कि हिंदी में ज्यादा लोग लिखते हैं, इसलिए पोस्ट नीचे चली गयी,बेमानी है.एक और चीज़ जो मैंने गौर की है कि हिंदी में ज्यादातर लिखने वालों की औसत उम्र ४० के आस पास है जबकि मराठी में बहुत सारे नवयुवक लेखक हैं.इस से एक ताजगी तो आती ही है,लेखन में क्यूंकि उनके अनुभव अलग होते हैं.<br /><br /> मराठी ब्लॉगर्स का उदाहरण देने के पीछे मेरी यही मंशा थी कि हिंदी ब्लोग्स का भी ज्यादा से ज्यादा प्रचार हो और नए नए लोग इस से जुड़ें.नवयुवक भी.क्यूंकि मैंने देखा है,हर मराठी घर में एक मराठी अखबार जरूर आता है.और उसे मल्टीनेशनल में काम करने वाले,सिर्फ अंग्रेजी में ही सारा,ऑफिस वर्क और बातचीत करने वाले,नवयुवक भी बड़े चाव से पढ़ते हैं.यही बात हम दावे से खुद हिन्दीवालों के लिए नहीं कह सकते.ज्यादातर हिन्दीभाषी अपने बच्चों को बैंगलोर,हैदराबाद,चेन्नई जैसी जगह भेजते हैं पढने और ये बच्चे हिंदी साहित्य या..हिंदी में लिखा कुछ भी पढना तो दूर...हिंदी गाने और फिल्मों से भी दूर होने लगते हैं.<br /><br />और संगठन और सोसायटी का फर्क मुझे समझ नहीं आया.शायद सोसायटी से आपका मतलब अनौपचारिक रूप से मिलना होगा.पर वहाँ भी कुछ लोग एक दिन तय करेंगे मिलने का,जगह तय करेंगे,सबको सूचित करेंगे ,चाय नाश्ते का भी इंतज़ाम करेंगे.और अगर यह नियमित रूप से होगा तो कुछ लोगों को इसे कार्यान्वित करने का भार भी वहन करना होगा.और फिर शायद इसे संगठन कहा जाने लगेगा.मैं एक बात बता दूँ.मेरा मंतव्य सारे हिंदी ब्लॉगर्स के एकजुट होने से है.पुणे में स्वेच्छा से ६० मराठी ब्लोगर्स एकत्रित हो गए.मुझे लगता है,हिंदी में इतनी संख्या में एक छत के नीचे लोगों को एकत्रित करना एक दुष्कर कार्य है.इसीलिए मैंने कहा कि सारे मन मुटाव भुला,ब्लॉग के माध्यम से हिंदी की बेहतरी के लिए प्रयास करें.जिस से हमारी आनेवाली पीढ़ी भी हिंदी पढने और लिखने की तरफ उन्मुख हो.<br /><br />मराठी भाषा बहुत ही समृद्ध है. उनका साहित्य,फिल्म,रंगमंच ,अखबार और अब ब्लोग्स,की लोकप्रियता देख ,मुझे रश्क होता है.वहाँ सिर्फ एक वर्ग विशेष ही नाटक नहीं देखता या साहित्य नहीं पढता.बल्कि आम से ख़ास सभी सामान रूप से जुड़े होते हैं.शोभा डे( मशहूर पत्रकार,लेखक एवं सोशलायीट्स).और उर्मिला मातोंडकर(फिल्म अभिनेत्री) जब मिस इंडिया कंटेस्ट में एक साथ जज थीं.तो दोनों ने पूरे समय मराठी में ही वार्तालाप किया.और हम हिंदी वाले ,अगर दोनो लोगों को अंग्रेजी आती हो तो अंग्रेजी में ही बतियाते हैं.<br /><br />यहाँ मेरा मतलब मराठी की श्रेष्ठता दिखाना नहीं है.सिर्फ लोगों तक यह बात पहुंचानी है कि ये सारे गुण हम हिंदी की बढ़ोतरी के लिए भी क्यूँ नहीं अपनाते??rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-83631905153127392722010-03-02T23:24:48.799-08:002010-03-02T23:24:48.799-08:00रश्मि बहन मराठी के १२००० से अधिक पत्रा हैं इससे पत...रश्मि बहन मराठी के १२००० से अधिक पत्रा हैं इससे पता चलता है कि इस भाषा के चाहने वाले कितने सक्रिय हैं साहित्य सृजन में.....<br />अता जर कधी पुन्हा अशा काही कार्यक्रमाचा आयोजन ठरवला तर अगदीच निरोप द्या,आम्ही पण येणार आमची भड़ास ची टीम घेउन...:)डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava)https://www.blogger.com/profile/13368132639758320994noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-82086426075371308642010-03-02T22:20:34.808-08:002010-03-02T22:20:34.808-08:00मैं आ गया गोरखपुर से.... आपकी यह पोस्ट बहत सार्थक ...मैं आ गया गोरखपुर से.... आपकी यह पोस्ट बहत सार्थक लगी... हम हिंदी वालों को भी ऐसा ही करना चाहिए... बहुत ही प्रेरणादायी पोस्ट.. .डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)https://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-74265435416595217402010-03-02T21:29:39.880-08:002010-03-02T21:29:39.880-08:00सार्थक पोस्ट है....जो कुछ कहना चाहती थी वो सब और ल...सार्थक पोस्ट है....जो कुछ कहना चाहती थी वो सब और लोग कह चुके....हिंदी ब्लोगेर्स को संगठित करना कठिन कार्य है...पर असंभव कुछ नहीं...प्रेरणा देता हुआ लेख...काश इस पर विचार किया जाये...संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-85931008157225322912010-03-02T20:01:02.157-08:002010-03-02T20:01:02.157-08:00रश्मि बहना,
आपको क्रिएटिवटी संतरालय दिया गया तो बह...रश्मि बहना,<br />आपको क्रिएटिवटी संतरालय दिया गया तो बहुत सोच-समझ कर दिया गया था...आपकी<br />इस पोस्ट से वो चुनाव सार्थक भी हो गया...ये मानव प्रकृति है, वो सबसे पहले अपने जैसे, अपने रहन-सहन, अपनी बोली वालों के बीच ही सहज अनुभव करता है...मराठी ब्लॉगरों का आयोजन भी इसी दृष्टि से देखा जाना चाहिए...<br />निश्चित तौर पर आयोजनकर्ता और उन्हें समर्थन देने वाले बधाई के पात्र है...लेकिन हिंदी के साथ अच्छी बात ये है कि जिस तरह भारत को विभिन्न फूलों का गुलदस्ता माना जाता है..यहां भी अलग-अलग प्रांत, अलग-अलग भाषाओं के लोग हिंदी में लिखते है, इसलिए यहां विरोध के स्वर अधिक सुनाई दैं तो उसे भी सहजता से लेना चाहिए...दुख तब होता है जब सिर्फ विरोध के लिए विरोध किया जाता है जबकि ठोस वजह कुछ भी नहीं होती...कहीं मिलने-मिलाने की कोई पहल भी होती है तो उन्हें कायर, घेटो के बाशिंदे, न जाने क्या क्या कह दिया जाता है...इससे पहल करने वाले का उत्साह तो जाता ही है, दूसरे भी आगे आने से कतराने लगते हैं....लेकिन मुझे उम्मीद है कि ये स्थिति ज़्यादा दिन तक नहीं बनी रहेगी...कुछ कर दिखाने की सोच वाले अब अकेले नहीं है...कारवां बनता जा रहा है...ज़रूरत है बस साथ आने की...<br /><br />जय हिंद...Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-78443754894412264212010-03-02T19:36:41.516-08:002010-03-02T19:36:41.516-08:00हिंदी और मराठी मे बहुत अंतर हैं । हिंदी ब्लोगिंग म...हिंदी और मराठी मे बहुत अंतर हैं । हिंदी ब्लोगिंग मे बहुत से ब्लॉगर ऐसे हैं जिनका विषय हिंदी नहीं था पर नेट पर मिली सुविधा कि वजह से वो हिंदी लिख रहे हैं । हर ब्लॉगर साहित्यकार ही हो ये हिंदी ब्लोगिंग मे जरुरी नहीं हैं। यहाँ लिखने वालो कि संख्या बहुत ज्यादा हैं और इसका प्रमाण हैं कि रात को तुम्हारी पोस्ट पढ़ केर सोच सुबह कमेन्ट दूंगी तो ब्लॉग वाणी पर पोस्ट इतना नीचे थी कि तिथि से खोजी ।<br /><br />संगठन का अर्थ कितना व्यापक हैं इसको पहले समझना होगा । अगर काम सोसाइटी बनाकर चल सकता हैं तो संगठन कि आवश्यकता नहीं होती हैं । हिंदी ब्लोगिंग मे हिंदी साहित्य मे रूचि रखने वाले अपनी अलग पहचान चाहते हैं इस से बेहतर कुछ नहीं हो सकता । क्यूँ नहीं वो सब किसी एक सोसाइटी मे मिल सकते हैं कौन रोक सकता हैं<br /><br />लेकिन हां अगर वो एक संगठन बनाना चाहते हैं और ये चाहते हैं "हिंदी ब्लॉगर " का मतलब उनका संगठन हैं तो ये एक भ्रान्ति हैं । इस सोशल नेटवर्किंग के ज़माने मे हिंदी ब्लॉगर संगठन बनाकर अगर दूसरो को अपनी ताकत से डरना मकसद हैं तो वो एक बेकार पहल होगी । लोग virtual से आभासी मे किन्ही कारणों से ही आये होगे । आभासी दुनिया को ख़तम करके संगठन बनाना इस पर लम्बी बहस हो निर्विकार तो अच्छा हो ।<br /><br />हिंदी मे बहुत कुछ समा सकता हैं लेकिन मराठी या अन्य भाषाओ मे उतना नहीं क्युकी हिंदी आम जां कि भाषा हैं । मराठी साहित्य को आगे ले जाने कि जरुरत हो सकती हैं लेकिन हिंदी साहित्य स्थापित हैं ब्लोगिंग मे कविता कहानी लोग पढ़ ही रहे हैं । अभी सबको पढ़ा जाता हैं फिर उनको पढ़ा जाएगा जो संगठन के सदस्य होगे<br /><br /><br />ब्लोगिंग केवल साहित्य ही नहीं हैं , ये माध्यम हैं अपनी आवाज दूर तक पहुचने का । बिना मिले एक दूसरे से जुड़ने का , कोई मकसद ले कर चलने का और उस मकसद से जां चेतना लाने का<br /><br /><br />रश्मि आज के लिये इतना हीAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-27750402224209266572010-03-02T19:05:20.369-08:002010-03-02T19:05:20.369-08:00hamen sach me seekhne ki jarurat hai marathi blogg...hamen sach me seekhne ki jarurat hai marathi blogger bhaiyon se.. sach kaha di..दीपक 'मशाल'https://www.blogger.com/profile/00942644736827727003noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-73748178768623622962010-03-02T18:48:40.649-08:002010-03-02T18:48:40.649-08:00्रश्मि जी मैने देखा है लोग राष्ट्र भाशा से अधिक क्...्रश्मि जी मैने देखा है लोग राष्ट्र भाशा से अधिक क्षेत्रिय भाशाओं को इस लिये अपनाते हैं कि उन्हें अपने क्षेत्र मे पहचान मिलती है। इस बात का एक उदाहरण मै अपने शहर से देती हूँ यहाँ केवल मै हिन्दी मे ही लिखती हूँ बाकी लेखकों से बात चीत कर के यही जाना है कि हमे पंजाब मे अगर पहचान बनानी है तो पंजाबी मे ही लिखना पडेगा नही तो क्षेत्रिय लोगों से हम कट जायेंगे। कुछ हद तक सही भी है मगर मेरा मानना ये है कि जब तक हमारी राष्ट्र भाशा का प्रसार नही होता हम देश से कट जाते हैं मुझे लगता है कि अगर देश को एक सूत्र मे पिरोना है तो राष्ट्रभाशा से बडा कोई विकल्प नही है। हिन्दी को हर प्रदेश मे इस तरह प्रसारित होना चाहिये कि भाषा के प्रति लोगों की धारण बदले। आज बेशक पंजाब मे हिन्दी को प्रोत्साहन नही मिलता मगर जब हम एक जुट हो कर इस काम मे लग जायेंगे तो जरूर एक दिन इसे भी लोग अपनाने लगेंगे जैसे ब्लागिन्ग मे बहुत से पंजाबी भाशी हिन्दी मे भी प्रयास कर रहे हैं। बेशक क्षेत्रिय भाशाओं का अपना महत्व है मगर मुझे तो क्षेत्रिय भाशाओं से अधिक महत्वपूर्ण राष्ट्र भाशा लगती है। प्रयास जोर शोर से होना ही चाहिये। बहुत अच्छा लगा आपका आलेख। धन्यवाद।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-49822276344134978882010-03-02T18:08:20.826-08:002010-03-02T18:08:20.826-08:00हिन्दी ब्लॉगर के लिये अनुकरणीय प्रविष्टि !
बेहतरी...हिन्दी ब्लॉगर के लिये अनुकरणीय प्रविष्टि ! <br />बेहतरीन । आभार ।Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-20412665957764005242010-03-02T17:59:43.385-08:002010-03-02T17:59:43.385-08:00बड़ा अच्छा लगा मराठी ब्लाग के बारे में जानकर। कोर्स...बड़ा अच्छा लगा मराठी ब्लाग के बारे में जानकर। कोर्स/पाठ्यक्रम की बात भी शुरू होने लगी है हिन्दी में भी। शोध हुये ही हैं। दिन-प्रतिदिन हिन्दी ब्लाग का<br />जिक्र भी बढ़ ही रहा है। खींच-तान और जूतम-पैजार तो हर जगह होती है। मराठी में भी होगी। लेकिन असल बात यह है कि हम प्रमुखता किस बात को देते हैं!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-87757458955895961392010-03-02T11:10:00.308-08:002010-03-02T11:10:00.308-08:00करने को तो हम भी बहुत कुछ कर ले, ओर बहुत से ब्लांग...करने को तो हम भी बहुत कुछ कर ले, ओर बहुत से ब्लांगर मित्र शुरुआत भी कर चुके है.... लेकिन बाकी हम को समय कब मिलता है क्योकि हम सारा समय तो टांग खीचने मै ही गवां देते है , हम कभी नही सुधरेगे ओर ना ही सुधरने देगे.<br />धन्यवाद आप ने बहुत सुंदर संदेश दिया, तो आओ ओर सब मिल कर हम एक संगठन बनाये, ओर मिलजुल कर इस हिन्दी ब्लांग को आगे लेजाये, ओर इन टांग खीचू टाईप के लोगो को नजर आंदज करेराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-8069605789343974482010-03-02T10:59:31.179-08:002010-03-02T10:59:31.179-08:00bahut hi sahi bat uthai aapne aur sahi udaharan de...bahut hi sahi bat uthai aapne aur sahi udaharan dete hue,<br />is baat ka mai bhi apne aaspaad udaharan dete rhta hu ki marathi sahitya se lekar marathi bloggers ko dekho, aur apne aap ko dekhoSanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-90836838397696091452010-03-02T10:44:52.931-08:002010-03-02T10:44:52.931-08:00अच्छी परिकल्पना है. रश्मि जी, जब तक अहं का भाव लोग...अच्छी परिकल्पना है. रश्मि जी, जब तक अहं का भाव लोगों के भीतर से खत्म नहीं होगा, तब तक संगठित हुआ ही नहीं जा सकता. हर क्षेत्र में " उसकी साडी मुझसे ज़्यादा सफ़ेद कैसे?’ का बोलबाला है. सब अपने आप को श्रेष्ठ समझते हैं, ऐसे में कौन किस की बात सुने?वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.com