tag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post4832464814572175591..comments2023-10-31T06:34:42.476-07:00Comments on अपनी, उनकी, सबकी बातें: देवी के द्वार पर देवियों की ही अधिक भीड़ क्यूँ ??rashmi ravijahttp://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comBlogger28125tag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-19185042662570654452013-10-22T11:51:51.467-07:002013-10-22T11:51:51.467-07:00कारण तो जो आपने बताए सब सही है।लेकिन ज्यादा कमी तो...कारण तो जो आपने बताए सब सही है।लेकिन ज्यादा कमी तो जागरुकता की ही है मैं अजित जी की टिप्पणी से सहमत हूँ कि इस पर और विश्लेषण होना चाहिए।भगदड में महिलाओं के अधिक संख्या में हताहत होने का कारण ये साड़ी लहंगा भी होता होगा ।राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-56797428930088686192013-10-22T04:51:42.901-07:002013-10-22T04:51:42.901-07:00ऐसा कुछ नहीं है कि सिर्फ महिलाएं ही धर्म भीरु होंत...ऐसा कुछ नहीं है कि सिर्फ महिलाएं ही धर्म भीरु होंती हैं। … हमारे <br /> समाज में कुछ गलत बातें बचपन से ही परिवारों में बताई जाती है। ।बिल्कुल बेसिर पैर की भ्रांतियां फैलाई जाती हैं। .वो भी घर के बड़े लोगो जैसे ( पिछली पीढ़ी ) के द्वारा ,…. . कुछ गलत बातें ऐसे बताई जाती है की बच्चे बड़े होकर अंध विश्वासी हो जाते हैं। । इतना गहराई तक कि बड़े होकर भी उन आडम्बरों से मुक्त नहीं हो पाते … उदहारण के तौर पर … मेरी सहेली और उनके पति जो दोनों खुद बैंक में कार्यरत है.… ग्रेजुएशन तक साइंस / मैथ्स से पड़ने के बावजूद अपनी बेटी से एक दिन बोलती है " मंगलवार का व्रत लड़कियां नहीं रखती....... हनुमान जी नाराज हो जाते हैं " …ये लो किस पुराण में लिखा है की हनुमान जी उन लड़कियों से नाराज हो जाते हैं जो मंगल को उनकी पूजा वगेरह करती हैं। …… we are taught like that since our childhood that we become God fearing instead of God Loving.Summaryhttps://www.blogger.com/profile/15528322669498970699noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-49892917388860880532013-10-21T01:54:56.769-07:002013-10-21T01:54:56.769-07:00नया दृष्टिकोण दिया है सोच को ... ओर इसी बहाने सामा...नया दृष्टिकोण दिया है सोच को ... ओर इसी बहाने सामाजिक मान्यताओं पे चुटकी भी ले ली ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-86933790369930595412013-10-21T01:37:24.070-07:002013-10-21T01:37:24.070-07:00Nice suggestion from Manjusha ma'm .... :D sta...Nice suggestion from Manjusha ma'm .... :D start posting videos !! great !Summaryhttps://www.blogger.com/profile/15528322669498970699noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-9077188467711085452013-10-19T08:06:24.478-07:002013-10-19T08:06:24.478-07:00सलिल जी ...Not again :(सलिल जी ...Not again :(rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-26335059799011654012013-10-19T08:05:13.736-07:002013-10-19T08:05:13.736-07:00हम्म...ये भी है ,स्त्रियाँ कोमल मन की और भावुक तो ...हम्म...ये भी है ,स्त्रियाँ कोमल मन की और भावुक तो होती ही हैं और यही उन्हें धर्मभीरु भी बना देता है rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-27966811473356846592013-10-19T07:59:04.001-07:002013-10-19T07:59:04.001-07:00विदेशों का तो नहीं पता पर हमारी कॉलोनी में जहाँ कै...विदेशों का तो नहीं पता पर हमारी कॉलोनी में जहाँ कैथोलिक लोग ही ज्यादा हैं. उनकी धार्मिक गतिविधियों में पुरुष भी बराबर रूप से हिस्सा लेते हैं. कई बार चर्च जाने का मौक़ा मिला है . वहाँ भी पुरुषों की संख्या , महिलाओं से अधिक ही होती है. rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-44994268448042949072013-10-19T07:57:41.667-07:002013-10-19T07:57:41.667-07:00खग ही जाने खग की भाषा :-)खग ही जाने खग की भाषा :-)BS Pablahttps://www.blogger.com/profile/06546381666745324207noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-57786335863301162902013-10-19T07:52:59.214-07:002013-10-19T07:52:59.214-07:00बिलकुल सच है ,वाणी .... माता की चौकी में उम्रदराज ...बिलकुल सच है ,वाणी .... माता की चौकी में उम्रदराज महिलायें जितना उन्मुक्त होकर नाचती हैं, किसी पार्टी में तो संकोच कर जायेंगी, लोग भी हंसने से बाज नहीं आयेंगे ...पर मन तो सबका होता है, धरम -करम के नाम पर ही मिलना-जुलना, घूमना -फिरना ,हँसना -बोलना सब हो पाता है.rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-3956937492821622842013-10-19T07:43:15.789-07:002013-10-19T07:43:15.789-07:00अली जी,
आत्मालोचन क्यूँ, सिर्फ हमारी ही जिम्मेवार...अली जी, <br />आत्मालोचन क्यूँ, सिर्फ हमारी ही जिम्मेवारी थोड़े ही है, इसका विश्लेषण करने की. एक पर्यवेक्षक की दृष्टि से आपलोग भी मीमांसा कर सकते हैं. एक समाजशास्त्री होने के नाते आपके विचार ज्यादा ही महत्त्व रखेंगे .<br />और हमारे बहनापे से ज्यादा तो आप सबका भाईचारा है. वो अलग बात है, हमलोग बड़े दिलवाले हैं ...जलते नहीं :)rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-16578857295652422522013-10-19T07:37:02.227-07:002013-10-19T07:37:02.227-07:00रवि, बिलकुल भी परवाह नहीं की जानी चाहिए बल्कि अपने...रवि, बिलकुल भी परवाह नहीं की जानी चाहिए बल्कि अपने से छोटों के लिए उदाहरण भी बन जाओगे तुमलोग.rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-41984464225395747942013-10-19T07:31:06.360-07:002013-10-19T07:31:06.360-07:00सही कहा पल्लवी सही कहा पल्लवी rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-12647781681484376392013-10-19T07:14:59.724-07:002013-10-19T07:14:59.724-07:00महिलायें ही क्यूँ बाबाओं के यहाँ दिखाई देती हैं......महिलायें ही क्यूँ बाबाओं के यहाँ दिखाई देती हैं... इस पर एक बहुत ही अच्छा वैज्ञानिक एक्सप्लेनेशन है.. ओशो ने अपने एक प्रवचन में इसकी बड़ी सुन्दर व्याख्या की है.. अभी यहाँ लिखने लगा तो जगह कम पड़ जायेगी.. <br />प्लीज़ रश्मि जी! माफ कीजियेगा... इधर कई बार आपके पोस्ट पर मैं इस तरह अधूरी बात करके चल देता हूँ..!! मगर इसे नोट कर लीजिए.. कभी डिटेल में बात करेंगे इस पर!! सौरी एक बार फिर!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-50266733994895048612013-10-17T23:25:00.860-07:002013-10-17T23:25:00.860-07:00आपकी पोस्ट से पूरी तरह सहमत हूँ पर कई अन्य कारण भी...आपकी पोस्ट से पूरी तरह सहमत हूँ पर कई अन्य कारण भी है महिलाओं के ज्यादा धार्मिक होने का.<br />महिलाएं ज्यादा भावुक होती है तथा बच्चो के लिए उनके मन में ज्यादा डर होता है. परिवार की सलामती और ख़ुशी के लिए हर संभव प्रयत्न करती है। इसके अलावा मौजूद जिन्दगी से बेहतर जिन्दगी अगले जनम में मिले ये चाहत भी उन्हें धर्मगुरु और धार्मिक स्थानों पर जाने के लिए प्रेरित करती है. यदि किसी महिला के बच्चे न हो तो समाज और परिवार में जो बुरी स्थिति होती है वो हम सब जानते है इसलिए बच्चे के लिए धार्मिक स्थानों पर जाना स्वाभाविक है. सिर्फ बच्चा ही नहीं बेटे के लिए भी। शोभाhttps://www.blogger.com/profile/12010109097536990453noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-27636072474241702392013-10-17T20:25:41.942-07:002013-10-17T20:25:41.942-07:00आपका विश्लेषण सही है लेकिन एक बात ध्यान में आती ...आपका विश्लेषण सही है लेकिन एक बात ध्यान में आती है कि विदेशों में भी महिलाएं ही धार्मिक गतिविधियों में सबसे अधिक आगे रहती हैं। इसलिए घर से बाहर निकलने की चाहत के अतिरिक्त भी कुछ ऐसे अन्य कारण भी हैं जिनके विश्लेषण की भी आवश्यकता है। मुझे लगता है कि सभ्यता की दौड़ में पुरूष आगे रहता है लेकिन संस्कृति की दौड़ में महिलाएं आगे रहती हैं। अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-53491610657469025332013-10-17T19:55:26.685-07:002013-10-17T19:55:26.685-07:00यह सही है कि अधिकांश स्त्रियाँ दैनिक जीवन की एकरस...यह सही है कि अधिकांश स्त्रियाँ दैनिक जीवन की एकरसता से उब कर ही देवी देवता की शरण में आती है क्योंकि इसके लिए अपने परिजनों को सफाई नहीं देनी पड़ती …भगवान् के नाम पर स्त्रियों के मुक्त हास परिहास को देखती हूँ विभिन्न अवसरों पर कॉलोनी में होने वाले भजन /गीतों में :) और तो और जन्माष्टमी पर अजब गजब नृत्य करते नौनिहालों को भी !!<br />वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-15443478195599643112013-10-17T19:02:01.150-07:002013-10-17T19:02:01.150-07:00ये लो हमारी टिप्पणी अब तलक लाइन में लगी है ! उसका ...ये लो हमारी टिप्पणी अब तलक लाइन में लगी है ! उसका बेचारी का नंबर कब आएगा ?उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-7839979077456714582013-10-17T10:23:16.622-07:002013-10-17T10:23:16.622-07:00आत्मालोचन आप ही लोग करें और कोई निष्कर्ष निकाल कर ...आत्मालोचन आप ही लोग करें और कोई निष्कर्ष निकाल कर हमें भी बतायें ! हम भी तो जाने ज़रा , भक्ति भाव में महिलाओं की विशेष रूचि के क्या कारण हो सकते हैं !<br />एक बात ज़रूर कह सकते है कि टिप्पणी दर टिप्पणी आप सखियाँ कितना प्रेम / स्नेह उड़ेल देती हैं एक दूसरे पर ...थोडा बहुत स्नेह इधर भी छलकाया जाये वर्ना आप लोगों की पारस्परिकता से जलन सी होने लगी है :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-47880971640149556942013-10-17T09:59:16.574-07:002013-10-17T09:59:16.574-07:00सही लिखा है दी। हमारा ही उदाहरण है। मैं और शिल्पा ...सही लिखा है दी। हमारा ही उदाहरण है। मैं और शिल्पा अक्सर बाहर घूमने चलते जाते हैं तो उसे इधर-उधर से कमेंट्स सुनने को मिलते हैं कि बड़ा घूमती है शिल्पा। सो, करें तो करें क्या। मैं उसे कहता हूं, टेंशन क्या लेनी। हम घूमते रहेंगे और जिन्हें जो बोलना है बोलने दो। अपने आप वक्त के साथ चुप हो जाएंगे। रवि धवनhttps://www.blogger.com/profile/04969011339464008866noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-65591686491342316702013-10-17T08:37:19.827-07:002013-10-17T08:37:19.827-07:00शुक्रिया मोनिका जीशुक्रिया मोनिका जीrashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-55073918559011456132013-10-17T08:36:41.213-07:002013-10-17T08:36:41.213-07:00आपने जो लिखा वो सोलाह आने सच्ची बात हैं मगर अपने य...आपने जो लिखा वो सोलाह आने सच्ची बात हैं मगर अपने यहाँ तो लोगों औरतों पर उंगली उठाने के लिए जैसे हमेशा मौके की तलाश ही रहा करती है। कभी-कभी तो ऐसा लगता है की लोग यह देखते रहते है कब कौन सी स्त्री ज्यादा खुश नज़र आरही है आखिर वह इतनी खुश है कैसे ?? ज़रूर कोई न कोई खास बात होगी :) जो उन से सहा नहीं जाता और फतबे कसना ताने मारना शुरू कर देते हैं। रही दरमिक स्थानो पर महिलाओं की मौजूदगी की ज्यादा संख्या वाली बात तो अगर मन न भी हो लोग ही मजबूर करते हैं ऐसे कामों में मन लगाने के लिए और जो न लगाए वो बुरी और भी न जाने क्या क्या ... Pallavi saxenahttps://www.blogger.com/profile/10807975062526815633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-76610947172784061912013-10-17T08:35:28.812-07:002013-10-17T08:35:28.812-07:00:):):):)rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-44823824652355527002013-10-17T08:32:26.838-07:002013-10-17T08:32:26.838-07:00ऐ लो, कहाँ तो इस पोस्ट के लिए हम अ-भारी हैं और तुम...ऐ लो, कहाँ तो इस पोस्ट के लिए हम अ-भारी हैं और तुम हमरी टिप्पणी को भारी कह रही हो :):)<br />और हाँ फोटू-शोटू लगाना बंद मर करो मईडम, हमलोग तो ईंट का जवाब पत्थर से देने में यकीन करते हैं , बोले तो विडिओ डालना शुरू कर दो :):)स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-80030669229291319682013-10-17T08:32:21.195-07:002013-10-17T08:32:21.195-07:00सहमत आपकी बात से .... एकदम सच है ये, आपका अवलोकन ...सहमत आपकी बात से .... एकदम सच है ये, आपका अवलोकन भी सटीक है .... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-51054818629124153582013-10-17T08:27:26.288-07:002013-10-17T08:27:26.288-07:00पोस्ट पर भारी है, आपकी टिपण्णी बहन जी
थैंक्यू :)पोस्ट पर भारी है, आपकी टिपण्णी बहन जी <br />थैंक्यू :)rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.com