tag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post466451469345094571..comments2023-10-31T06:34:42.476-07:00Comments on अपनी, उनकी, सबकी बातें: दूसरों की खातिर शहीद होने की राह पर : शर्मीला इरोमrashmi ravijahttp://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comBlogger84125tag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-43448478619408675332011-11-30T23:13:00.805-08:002011-11-30T23:13:00.805-08:00at this time i am join your blagat this time i am join your blagsuresh patel IAS studenthttps://www.blogger.com/profile/10567320116175125896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-29903526037511182562011-11-30T23:05:07.886-08:002011-11-30T23:05:07.886-08:00at this time only join your blog then....mai kush ...at this time only join your blog then....mai kush khungasuresh patel IAS studenthttps://www.blogger.com/profile/10567320116175125896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-53738165534752126662011-06-28T02:22:00.761-07:002011-06-28T02:22:00.761-07:00आप ने सही कहा रश्मि जी,मैं यहाँ पहले नहीं आ सका। आ...आप ने सही कहा रश्मि जी,मैं यहाँ पहले नहीं आ सका। आप का ब्लाग फॉलो कर लिया है अब गलती न होगी।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-64511087073188769002011-06-22T03:27:15.694-07:002011-06-22T03:27:15.694-07:00:(:(abhihttps://www.blogger.com/profile/12954157755191063152noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-61201727831169793482011-06-22T01:49:36.500-07:002011-06-22T01:49:36.500-07:00इरोम के जज्बे और उनके संघर्ष को नमन है ...
हो सकत...इरोम के जज्बे और उनके संघर्ष को नमन है ... <br />हो सकता है कुछ लोग प्रयास कर भी रहे हों उनको समझाने का पर जब तक कोई प्रभावी प्रस्ताव या सरकार ये पहल न करे तो इतना लंबा संघर्ष शायद व्यर्थ जायगा ... पता नहीं ऐसे कितने बलिदान और लेने हैं समाज ने ...<br />धीरे धीरे हमारी व्यवस्था ऐसा रूप ले रही है जहां आम आदमी को कुछ कहने का हक सिर्फ चुनाव के वक्त मिलने वाला है ... और वो इस चुनावी व्यवस्था में सुधार के लिए भी वो कुछ नहीं कर सकता ... <br />पिछले कई दिनों से सरकार और अन्ना टीम/रामदेव टीम मीडिया के वार्तालाप से ये बात कुछ कुछ स्पष्ट होती जा रही है ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-71954290482072563172011-06-21T23:02:31.925-07:002011-06-21T23:02:31.925-07:00सब को पढ रही हूँ सोच रही हूँ ऐसे अनशनों के दौर कब ...सब को पढ रही हूँ सोच रही हूँ ऐसे अनशनों के दौर कब तक खत्म होंगे? क्या कोई भी ऐसी सरकार आयेगी जो अनशन करने का अवसर न दे? शायद नही इस लिये शर्मीला जी से सिर्फ सहानुभूति ही रख सकते हैं। उनके साहस के आगे नत मस्तक तो हैं लेकिन कहीं तक खुशदीप की बात मे भी दम है। अब पंजाब मे देखो अकाली एक आतंकवादी की फाँसी की सजा माफ करवाने के लिये यू एन ओ के दर तक जाने वाले हैं कल अनशन के लिये भी ब्क़ैठ सकते हैं। अगर ऐसा सिलसिला संविधान को चुनौती दे रहा हो तो सरकार तो उसकी रक्षा करेगी ही। सही गलत मे सब की सोच एक जैसी नही हो सकती। किसी को माँह स्वादी तो किसी को वादी। एक बात सही है शर्मीला ने बाबा जैसी नौटंकी नही की इस लिये देश के सामने उसका मामला नही आया।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-21090354418754194142011-06-20T18:08:41.856-07:002011-06-20T18:08:41.856-07:00इरोम के संघर्ष के बारे में पढ़कर अच्छा लगा लेकिन द...इरोम के संघर्ष के बारे में पढ़कर अच्छा लगा लेकिन दुःख भी हुआ.<br />साथ में सुधी जनों के कमेंट्स ने एक सार्थक चर्चा का रूप ले लिया.<br />सरकारों की उदासीनता को देखते हुए लगता है कि सत्यग्रह को कोई नया रूप लेना होगा.विशालhttps://www.blogger.com/profile/06351646493594437643noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-18629161803576064272011-06-20T12:32:54.876-07:002011-06-20T12:32:54.876-07:00क्या हम इतने मूर्ख हो गए हैं की सोचें कि इस तरह से...क्या हम इतने मूर्ख हो गए हैं की सोचें कि इस तरह से हम उन्हें भारत का अभिन्न अंग बना सकते हैं? दिल्ली में उन्हें चिंकी कहकर, उनके प्रदेशों में सेनाएँ भेजकर? छोटी जनसंख्या वाले इन प्रदेशों में जितने लोग शेष भारत में मुट्ठी भर लगते हैं वे वहाँ की सामाजिक संरचना बदल सकते है. किन्तु हम वहाँ की demography बदल अपने लिए एक वोट बैंक खड़ा करने का लालच नहीं छोड़ पाते.<br />हम में से कितने लोग पूर्वोत्तर के लोगों को अपने बीच पाते हैं? अपने पडोस में, हस्पताल में डॉक्टर के रूप में, सरकारी अधिकारियों के रूप में? मैं सदा कारखानों की ऐसी बस्तियों में रही हूँ जिन्हें हम मिनी भारत कहते थे. लगभग सब प्रान्तों के लोग होते हैं सिवाय पूर्वोत्तर के.<br /><br />सेना के जवान भी इस स्थिति को जीते जीते परेशान हो चुके होंगे.शायद यह थकान भी उनसे कई गलत कम करवा लेती होगी.<br /><br />शर्मीला इरोम जो कर रही हैं वह कोई विरला ही कर सकता है.<br />घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-88268133278870068262011-06-20T11:43:55.337-07:002011-06-20T11:43:55.337-07:00cheers for Irom,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.comcheers for Irom,<br /><a href="http://vivj2000.blogspot.com/" rel="nofollow"><b> विवेक जैन </b><i>vivj2000.blogspot.com</i></a>Vivek Jainhttps://www.blogger.com/profile/06451362299284545765noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-32750619066085921922011-06-20T09:58:51.806-07:002011-06-20T09:58:51.806-07:00रश्मि जी,
मनोज जी का बहुत शुक्रिया कि मेरे ब्लॉग &...रश्मि जी,<br />मनोज जी का बहुत शुक्रिया कि मेरे ब्लॉग 'साझा-संसार' तक आपको लेकर आये| <br />इरोम शर्मिला का संघर्ष आम हिन्दुस्तानी का संघर्ष है, जिसे हर हिन्दुस्तानी को जानना और समझना चाहिए| आपके आलेख और लोगों की प्रतिक्रिया और प्रतिक्रिया पर प्रतिक्रिया पढ़ी| अच्छा है ऐसे बहस से कुछ और भी बातें उजागर होती है और लोगों की सोच का पता भी चलता है| मेरा मानना है कि यह कानून चाहे पूर्वोत्तर के लिए हो या कश्मीर के लिए कहीं केलिए भी जायज़ नहीं है| पूरा देश एक है और पूरे देश का एक कानून होना चाहिए| पूर्वोत्तर राज्यों की स्थिति के बारे में 'अमरेन्द्र जी' द्वारा दिए लिंक से और भी जानकारी मिली| यूँ मुझे लगता है कि ये मुद्दा ऐसा है जिसपर दो मत नहीं हो सकता, भले हीं कहने और सोचने का तरीका अलग अलग हो| <br />जन जन तक शर्मिला की बात पहुंचे, इस कानून के बारे में लोग जाने, सरकार इसके खात्मे केबारे में निर्णय ले, इसी आशा के साथ आपको धन्यवाद कि आपका और आपके माध्यम से लोगों का समर्थन शर्मिला को मिल रहा है|<br />अच्छे आलेख के लिए आपको बहुत बधाई|डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/11843520274673861886noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-49716743429965599692011-06-20T08:25:13.033-07:002011-06-20T08:25:13.033-07:00कई बार सोचता हूं कि क्या वे हमारे राष्ट्र / देश का...कई बार सोचता हूं कि क्या वे हमारे राष्ट्र / देश का अटूट हिस्सा हैं और हमारी तरह से उन्हें भी खुलकर सांस लेने और नागरिक अधिकारों का उपयोग करने का अधिकार है या फिर उपनिवेश / शत्रु क्षेत्र हैं जो उन्हें सेना के हवाले कर दिया जाना चाहिए ?<br /><br />फिर यह भी सोचता हूं कि अनोखे हैं वे लोग जो डंडे के जोर पर देशभक्त बना सकते हैं और राष्ट्रीयतावाद की अलख जगा सकते हैं ?<br /><br />और यह भी कि क्या हम स्वयं भी इन हालात में रह सकते हैं ?<br /><br />वैसे कड़े और नर्म कानूनों पर कभी एक आलेख लिखा था उसकी चर्चा फिर कभी :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-76086960209634880452011-06-20T01:42:56.320-07:002011-06-20T01:42:56.320-07:00@सतीश जी,
मगर कानून जिस कारण भी बनाया गया वह कारण...@सतीश जी,<br /><br />मगर कानून जिस कारण भी बनाया गया वह कारण अभी बाकी है या नहीं , इस पर फैसला बाकी है !<br /><br /><b>तो ये फैसला कब होगा??...और कैसे होगा??...अगर जांच कमिटी की रिपोर्ट पर ही कोई ध्यान ना दे और उसे भुला दे....</b><br /><br />काश लोग अप्रिय व नापसंद बातों के पक्ष को समझने का प्रयत्न भी करने लगें तो परिवार और देश की बहुत सी समस्याओं का निदान हो जाये !<br /><br /><b>वे बातें अप्रिय और नापसंद क्यूँ बन जाती हैं....पहले इसे समझने का प्रयत्न करना चाहिए </b>rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-61682391920801291682011-06-20T01:38:32.663-07:002011-06-20T01:38:32.663-07:00@संजय जी..
ये कोई जरूरी नहीं कि कोई महान शख्सियत आ...@संजय जी..<br />ये कोई जरूरी नहीं कि कोई महान शख्सियत आन्दोलन करे तब ही प्रतिफल प्राप्त हो...<br />हमारे स्वतात्न्त्रता संग्राम में आम लोगो ने ही भाग लिया था जो अपने कर्मो से ख़ास बन गए.rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-51755068840073829742011-06-19T22:18:45.278-07:002011-06-19T22:18:45.278-07:00यकीनन शर्मीला इरोम के मामले को, वह दर्ज़ा नहीं दि...<b>यकीनन शर्मीला इरोम के मामले को, वह दर्ज़ा नहीं दिया गया जिसके वह सर्वथा योग्य हैं !<br /> <br />स्वामी निगमानंद का वलिदान देश जान ही नहीं पाता अगर वह उस अस्पताल में न होते जहाँ बाबा रामदेव भर्ती थे, यह दोनों घटनाएं कलंकित करने वाली हैं ! <br /><br />अगर यह एक्ट अनुपयुक्त और जन विरोधी है तो निस्संदेह इस पर सरकार को गौर करना चाहिए और शर्मीला जनहित में वन्दनीय हैं !<br /><br />मगर हमें यह न भूलना चाहिए कि अक्सर इस प्रकार का सख्त कानून लोकप्रिय नहीं होते मगर देशहित में यह आवश्यक हैं !<br /><br />एक वर्ग अथवा सोंच विशेष के खिलाफ बनाए गए, ऐसे कानून के कट्टर विरोधी होते रहे हैं और आगे भी होंगे ! मगर कानून जिस कारण भी बनाया गया वह कारण अभी बाकी है या नहीं , इस पर फैसला बाकी है !<br /><br />देशहित की व्यापक समस्यायों पर समझ के बिना, बहस सिर्फ बेमानी होती है काश लोग अप्रिय व नापसंद बातों के पक्ष को समझने का प्रयत्न भी करने लगें तो परिवार और देश की बहुत सी समस्याओं का निदान हो जाये ! <br /><br />डॉ अमर कुमार को बहुत बार समझ पाना, हम जैसे अल्पबुद्धि के लिए मुश्किल होता है !<br />उनके लिए शुभकामनायें ! </b>Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-47289598425319891992011-06-19T19:24:17.154-07:002011-06-19T19:24:17.154-07:00"उनकी मांग सही है या नहीं.......वे पूरी की जा..."उनकी मांग सही है या नहीं.......वे पूरी की जा सकती हैं या नहीं....ये एक अलग विषय है. पर शर्मीला को अपना अनशन तोड़ने के लिए तैयार तो किया जा सकता है...क्या उनकी जान की कोई कीमत नहीं है?"<br />आपकी इन पंक्तियों से अक्षरष: सहमत। रही बात एक आम और एक खास के अंतर की, सिखों के नवम गुरू श्री तेगबहादुर जी महाराज की शहादत की पृष्ठभूमि को ध्यान में लायें तो यह एक सर्वकालिक सत्य है कि अन्याय का विरोध यदि किसी विशिष्ट शख्सियत द्वारा किया जाये तो वह ज्यादा प्रभावी होता है, अब बेशक ही आधुनिक विद्वान और बुद्धिजीवी इसे मार्केटिंग फ़ंडा कहें या कुछ और।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-20527323094332385232011-06-19T08:44:03.366-07:002011-06-19T08:44:03.366-07:00डॉक्टर अमर कुमार के सामने मेरे तर्क-वितर्क की सभी ...डॉक्टर अमर कुमार के सामने मेरे तर्क-वितर्क की सभी सीमाएं खत्म हो जाती हैं...उनका कहा, एक-एक शब्द मेरे लिए पत्थर की लकीर है...<br /><br />मेरा निवेदन यही है कि अगर क़ानून बुरा है तो वो पूरे देश के लिए बुरा है...नार्थईस्ट के लिए भी और कश्मीर के लिए भी...<br /><br />जय हिंद...Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-79417243475649724962011-06-19T07:58:12.075-07:002011-06-19T07:58:12.075-07:00@अमर जी,
बस कुछ मजबूरी है, मॉडरेशन की....ताकि पोस्...@अमर जी,<br />बस कुछ मजबूरी है, मॉडरेशन की....ताकि पोस्ट के विषय से ध्यान हट कर<br />बेकार की टिप्पणियों पर ना उलझ जाए....<br />उलटी-सीधी टिप्पणी करनेवाले की यही कोशिश होती है...और उसकी कोशिश कामयाब होते देखने में कोई दिलचस्पी नहीं.<br /><br />दरअसल आज तक...टिप्पणी मॉडरेट करने की जरूरत भी नहीं पड़ी...पर जब-जब मॉडरेशन हटाया...टप्प से वाहियात सी टिप्पणी टपक पड़ती है.rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-65564480298250306732011-06-19T04:46:04.430-07:002011-06-19T04:46:04.430-07:00अरे वाह.. यहाँ तो गर्मा-गरम बहस चल रही है... ...<i><br />अरे वाह.. यहाँ तो गर्मा-गरम बहस चल रही है... <br />स्वतः ही पक्ष और प्रतिपक्ष बन गये हैं, लगता है हम शैशवास्था से उबर रहे हैं ।<br />यह एक सुखद सँकेत है.. एच.आर. शर्मा पर कुछ कहने से बचने के बावज़ूद , खुशदीप सहगल और सतीश सक्सेना की टिप्पणी निराश करती है । <b>उनके द्वारा इस पोस्ट को और इसमें निहित मूल भावना को इतने हल्के में लिया जाना आश्चर्यजनक है ।</b><br />@ भाई खुशदीप जी :<br />यह ठीक है कि ऎसे एक्ट देश की आँतरिक सुरक्षा ( ? ) के लिये आवश्यक हैं, पर इसमे सँतोषप्रद तरीके के सँशोधन तो किये ही जा सकते हैं, ज़्यादती की शिकायतों की ज़वाबदेही तो तय की जा सकती है ।<br />"The Act is too sketchy, too bald and quite inadequate in several particulars". the Act, for whatever reason, has become a symbol of oppression, an object of hate and an instrument of discrimination and high-handedness." It is highly desirable and advisable to repeal the Act altogether, without, of course, losing sight of the overwhelming desire of an overwhelming majority of the [North-East] region that the Army should remain (though the Act should go) फिर आखिर क्या वज़ह है कि सरकार इस रिपोर्ट को ठँडॆ बस्ते में डाल कर सो गयी ?<br />रही बात कश्मीर की... तो यह एक थोथी दलील है... यह कौन नहीं जानता कि इस एक्ट के नाम पर उठाये गये कदमों ने अविश्वास के माहौल को पुख़्ता किया है, वहाँ का आम आदमी इनके होने से अपने को सुरक्षित के बजाय असुरक्षित अधिक महसूस करता है । चूँकि वह भारत की केन्द्रीय सरकार का प्रतिनिधित्व करते हैं, इसलिये ज़ाहिर है आम जन का गुस्सा दिल्ली पर ही अधिक होगा ।<br />जब सरकार ने इस एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की आड़ में टालू बयान देना चाहा.. तो रेड्डी कॅमेटी के माननीय सदस्यों में प्रमुख लेफ़्टिनेन्ट जनरल ( से.नि. ) वी.आर. राघवन और गृह मँत्रालय के पूर्व विशेष सचिव पी.पी. श्रीवास्तव ने इसे स्पष्ट किया कि.. Acknowledging that the Supreme Court had upheld the constitutional validity of the Act, the Committee said that judgment "is not an endorsement of the desirability or advisability of the Act." The apex court may have endorsed the competence of the legislature to enact the law. But "the Court does not — it is not supposed to — pronounce upon the wisdom or the necessity of such an enactment." ( The Hindu, Repeal Armed Forces Act: official panel 8 ocober 2006 )<br /><br />@ भाई सतीश सक्सेना जी<br />वाकई इन अनशनकारियों की अलग दुनिया है... क्यों ?<br />आपको स्मरण होगा कि देश में पहला आमरण अनशन क्राँतिकारी यतीन्द्रनाथ दास ( Jatin Das ) ने लाहौर जेल में किया जिसमें 64 वें दिन वह अपनी जिद ( ? ) के कारण शहीद होगये.. किन्तु बाद में अँग्रेज़ सरकार को कैदियों से समान व्यवहार की उनकी माँग पर झुकना ही पड़ा । <br />शर्मिला चारु भी अपने कारणों को स्पष्ट करते हुये कहती हैं, कि...My fast is on behalf of the people of Manipur. This is not a personal battle – this is symbolic. It is a symbol of truth, love and peace”, ( http://manipurfreedom.org )<br />गाँधी की की सामूहिक अवज्ञा की परिकल्पना क्या थी, Nationwide Disobedience ! किन्तु इसमें अराजकता की सँभावनायें भाँप कर उन्होंने चतुराईपूर्वक इसे सविनय अवज्ञा ( Civil Disobedience ) का नाम दिया... सत्याग्रह की मूल भावना यही है न कि रामदेव का सरकस, जिसे मीडिया ने लाइव कवरेज़ देकर विकृत प्रहसन का रूप दे दिया ।<br /><br /><br /><br />Comment moderation has been... promugulated under BSPA ?<br />Blogger's special power act ... he he he :)<br /></i>डा० अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09556018337158653778noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-90127626210148940442011-06-19T04:23:50.515-07:002011-06-19T04:23:50.515-07:00mujhse asahamt ho rahe sabhi dosto ko naman. aawes...mujhse asahamt ho rahe sabhi dosto ko naman. aawesh ke awesh ko punah naman.<br /><br />dosto mujhe ye sujhaab do ki ab sarakr to jaisi hai vaisi hai ham log sarkaar ko ye kaanoon vaapis lene aur sharmila ji ke is andolan ko sahee disha dene ke liye kya karne jaa rahe hain. dibeties ka mareej hoo. pooree raat karaahte hue kaatee hai. sawere pata chala ki sugar ekdam se neeche aa gai aur sif sanyog hai ki bach gaya nahee to yahaa naman karne ko bhi jinda nahe rahta. mei jantaa hoo ki 11 saal nahee 11 ghante ke upvaas se phir yahee haal ho saktaa hai. phir bhi aaj rat se parso sawere tak kuchh nahee khaaunga. mei is tarah sharmila ke paavan aandolan ko apna pratham samarthan dene kaa vadaa kartaa hoo. iske aage aap is andolan ka praroop tyaar kariye. aapko bhai kahta rahaa hoo vaisaa hee samarthan bhi dunga. aap tay keejiye ki aage kya karne ja rahe hain. aapne kaha ki blogger pahle hoo patrakaar baad mai ye tathyatmak roop se sahee nahee hai. apne blog par ane kee date aur patrakarita shuru karne kee date phir se jaanch le. duniya mai har koi pet paalne ke liye koi na koi kaam kar raha hota hai.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/13199219119636372821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-25987016285678581262011-06-19T02:19:40.869-07:002011-06-19T02:19:40.869-07:00nari sanghar ki sachi misal .....nari sanghar ki sachi misal .....अग्निमनhttps://www.blogger.com/profile/16918211064988414750noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-81680070496058527352011-06-19T01:33:33.256-07:002011-06-19T01:33:33.256-07:00आज हर चीज़ के लिए मीडिया-प्रायोजकों का होना बहुत ज...आज हर चीज़ के लिए मीडिया-प्रायोजकों का होना बहुत ज़रूरी है वर्ना कोई कितना ही भाड़ झोंक ले कोई नहीं सुनने वाला...Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-18720664370095980642011-06-19T01:09:40.575-07:002011-06-19T01:09:40.575-07:00सार्थक लेखन हेतु बधाई
आज हर इंसान अपने अपने स्वार...सार्थक लेखन हेतु बधाई <br />आज हर इंसान अपने अपने स्वार्थ में इस तरह लीन है. की शायद त्याग की परिभाषा ही भूल गए हैंरचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-31504735494750122282011-06-18T23:47:05.523-07:002011-06-18T23:47:05.523-07:00आज अनशन और धरने का भी बाजारीकरण हो गया है.यदि आपके...आज अनशन और धरने का भी बाजारीकरण हो गया है.यदि आपके पास संसाधन और प्रभुता नहीं है तो आपका अनशन कार्यान्वित हो जायेगा,अर्थात अनशनकारी मर जायेगा पर उसकी कोई सुध लेने नहीं आएगा !संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-69832847741460486292011-06-18T19:35:41.792-07:002011-06-18T19:35:41.792-07:00पोस्ट पढ़ी और पूरी टिप्पणियां भी ...
शर्मीला इरोम ...पोस्ट पढ़ी और पूरी टिप्पणियां भी ...<br /><br />शर्मीला इरोम का संघर्ष अपनी जगह सही है , मगर उनकी स्थिति बाबा रामदेव के लकदक अनशन की सार्थकता स्वयं ही बयान करती है ...आम इंसान की बात सुनना चाहता कौन है ...कलयुग में सतयुगी राम की अपेक्षा व्यर्थ है ...वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-34140780100132258952011-06-18T10:01:42.564-07:002011-06-18T10:01:42.564-07:00सोच रहा हूँ कि क्या कहूँ,
डा० अमर कुमार जी कि टिप...सोच रहा हूँ कि क्या कहूँ, <br />डा० अमर कुमार जी कि टिप्पणी से पूर्ण सहमतAvinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.com