tag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post3684392285316804784..comments2023-10-31T06:34:42.476-07:00Comments on अपनी, उनकी, सबकी बातें: मोनिका शर्मा की कलम से 'काँच के शामियाने' का आकलन rashmi ravijahttp://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-75015227976591520042016-02-02T05:00:07.209-08:002016-02-02T05:00:07.209-08:00 बहुत बढिया बहुत बढियावन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-53172322026446658542016-01-30T00:58:42.209-08:002016-01-30T00:58:42.209-08:00काबिल ए तारीफ़
seetamni. blogspot. inकाबिल ए तारीफ़<br />seetamni. blogspot. inजसवंत लोधीhttps://www.blogger.com/profile/02394006567209787669noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-1586664343193270872016-01-27T00:25:17.069-08:002016-01-27T00:25:17.069-08:00R N Sharma ji की टिप्पणी
समीक्षाएं तो कई पढ़ीं रश्...R N Sharma ji की टिप्पणी <br />समीक्षाएं तो कई पढ़ीं रश्मि जी के उपन्यास की पर मोनिका जी ने जो पढ़ा लिखा और जिया है अपनी समीक्षा में वाकई काबिले तारीफ़ है। जया के बचपन से लेकर उसके दमन और संघर्ष और फिर उजाले की ओर बढ़ने की कहानी उपन्यास में तो है ही पर समीक्षा इतनी विस्तृत और सुन्दर बन पड़ी है की पढ़ते समय मुझे वो सब भी याद आ गया जो मैं भूल चूका था। मोनिका जी ने सब याद रखते हुए उन पर अपने विचार रखें हैं। ये खुद में एक बड़ी बात है। इसे पढ़कर मेरा मन एक बार फिर " कांच के शामियाने" पढ़ने का हो आया है। पढूंगा मगर कुछ दिनों बाद।<br /><br />रचयिता और समीक्षक [ यानी रश्मि जी और डा. मोनिका शर्मा ] दोनों ही बधाई के पात्र हैं।rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.com