tag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post3388726631091923202..comments2023-10-31T06:34:42.476-07:00Comments on अपनी, उनकी, सबकी बातें: क्या लडकियाँ सचमुच लड़कों की नक़ल या उनकी बराबरी करती हैं??rashmi ravijahttp://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comBlogger89125tag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-50141670826289216622012-07-28T00:08:42.744-07:002012-07-28T00:08:42.744-07:00मैंने कभी ये शिकायत सुनी थी की मेरी टिप्पणियों में...मैंने कभी ये शिकायत सुनी थी की मेरी टिप्पणियों में व्यंग होता है(इसी बात को आधार बना कर मेरे कईं प्रशनो को अनुत्तरित छोड़ दिया गया ) लेकिन वहीं जब मैंने उन्ही लोगों को आपकी टिप्पणियों में छिपे व्यंग भाव को सराहते देखा तो मुझे तथाकथित समानता का सिद्दांत समझ में आ गया .. वैसे डिसाइड क्या हुआ ?.. नारीवाद है या स्त्री सशक्तिकरण है या समानता की मांग है या कुछ और ? जब फाइनल हो जाए बता दीजियेगा कम से एक नाम तो हो :):)एक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-3953210309986983282012-07-27T23:51:40.193-07:002012-07-27T23:51:40.193-07:00@अरे जब घर में रहे , कही बाहर घूमने जाये, शादी विव...@अरे जब घर में रहे , कही बाहर घूमने जाये, शादी विवाह में जाये, मित्रो के साथ कही पार्टी करे तो आराम से हर बार .....<br /><br />क्या बात है ? :) आज बड़ी आसानी से हल मिल गया .. ओह ! अच्छा ! पुरुषों का मामला था इसलिए ? :)<br />मेरा सवाल है की पुरुषों के ड्रेस कोड पर इतना अनुशासन क्यों रहा है आज तक ?<br />पहनना है या नहीं या सिर्फ बहाना है(जो की आपको लग रहा है)ये बातें बाद में देखेंगे लेकिन ऑप्शन क्यों नहीं है ????एक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-39672460049418760902012-07-26T05:39:31.245-07:002012-07-26T05:39:31.245-07:00अपने अपने दृष्टिकोण की बात है |अपने अपने दृष्टिकोण की बात है |Darshan Darveshhttps://www.blogger.com/profile/12199453189017666485noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-65326175918167725922012-07-26T05:38:07.913-07:002012-07-26T05:38:07.913-07:00रश्मि, ये तो केवल पुरुषों के शगूफ़े हैं कि लड़किया...रश्मि, ये तो केवल पुरुषों के शगूफ़े हैं कि लड़कियां लड़कों की नकल करती हैं. लड़कियां अपने आप में सम्पूर्ण व्यक्तित्व हैं, उन्हें किसी नकल की न ज़रूरत है न वे करती हैं. आगे बढती महिलाओं को देखकर यदि पुरुष अपने फ़्रस्ट्रेशन को इस तरह निकालना चाहे, तो निकाले. किसी भी घर में यदि पत्नी, पति से ज़्यादा ऊंचे पद पर है, तो पति भयानक रूप से अवसादग्रस्त होता है, जबकि पति की सफलता पर पत्नी हमेशा दिल से खुश होती है. तो हमेशा अपनी तरह से नचाने वाले पुरुष अब स्त्रियों का स्वतंत्र व्यक्तिव, उनकी स्वतंत्र सोच पचा नहीं पा रहे. खुंदक क्किसी न किसी रूप में तो निकलेगी ही, तो यही कह लो कि नकल कर रही हैं. आज दुनियां के तमाम सर्वोच्च पदों पर महिलाएं विराजमान हैं, केवल अपनी योग्यता से, किसी की नकल से नहीं. ये अलग बात है कि सारे पुरुष एक जैसा नहीं सोचते.वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-70038033999946408122012-07-25T10:19:31.203-07:002012-07-25T10:19:31.203-07:00शुक्रिया आपकी प्रतिक्रिया का
ये तो आपने सही कहा....शुक्रिया आपकी प्रतिक्रिया का <br /><br />ये तो आपने सही कहा...टकराहट की मानसिकता की जगह सहयोगात्मक भावना की ही जरूरत है.rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-90794517282651442472012-07-25T03:41:48.762-07:002012-07-25T03:41:48.762-07:00अब मैं क्या कहूं रश्मि जी, मैंने खुद ही अपने दोनों...अब मैं क्या कहूं रश्मि जी, मैंने खुद ही अपने दोनों कान छिदवा रखे हैं, लेकिन मैं इस बात से भी इत्तेफाक रखता हूँ कि आज कि दुनिया में सब बराबर हैं, कोई छोटा या बड़ा नहीं या कोई प्रथम या द्वितीय नहीं! लड़का हो या लड़की, सब को समान अधिकार हैं!सुरेन्द्र "मुल्हिद"https://www.blogger.com/profile/00509168515861229579noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-61954283874167803462012-07-24T21:50:06.954-07:002012-07-24T21:50:06.954-07:00बहुत देर से आयी हूं। बहुत विमर्श हो चुका है। जिन आ...बहुत देर से आयी हूं। बहुत विमर्श हो चुका है। जिन आदतों को लेकर हम पुरुषों को हेय दृष्टि से देखते हैं यदि उन्हीं बातों को महिला भी अपने आचरण में लाने लगे तो अच्छी बात नहीं है। रही बात वेशभूषा की तो वह कार्य के हिसाब से ही पहनी जाती हैं।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-86557880394457832942012-07-24T21:43:43.826-07:002012-07-24T21:43:43.826-07:00मै अरुण चन्द्र राय जी से सहमत हूँ। अच्छा आलेख।मै अरुण चन्द्र राय जी से सहमत हूँ। अच्छा आलेख।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-36830548363612315682012-07-24T18:43:20.051-07:002012-07-24T18:43:20.051-07:00आपके दृष्टिकोण से पूरी तरह सहमत हूँ. आलेख जितना इस...आपके दृष्टिकोण से पूरी तरह सहमत हूँ. आलेख जितना इस विषय पर कहता है वहतो है ही परन्तु टिप्पणियाँ पढ़ने में उससे भी ज्यादा मज़ा आया और यह भी लगा कि कुछ महिलाएं भी स्त्रियों की नौकरी करने से सहमत नहीं है. तर्क चाहें नौकरी के अवसर कम होने का हो याँ बच्चे संभालने में कोताही का.रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-72851710936959558522012-07-24T00:40:48.579-07:002012-07-24T00:40:48.579-07:00ये लम्बे बाल वाले बहुत अच्छे लड़के कौन से हैं?? कु...ये लम्बे बाल वाले बहुत अच्छे लड़के कौन से हैं?? कुछ लोगों की फेसबुक प्रोफाइल टटोलनी पड़ेगी...:)rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-70678624069417267452012-07-23T23:04:41.569-07:002012-07-23T23:04:41.569-07:00इस पोस्ट से पुरुष वर्ग के प्रति सही दृष्टिकोण नही...इस पोस्ट से पुरुष वर्ग के प्रति सही दृष्टिकोण नहीं परिलक्षित होता है .नारी वर्ग को यहाँ तक लाने में पुरीष वर्ग की थोरी तो श्रेय होगा .टकराहट की मानशिकता के स्थान पर सहयोगात्मक भावना रहे .दोने एक दूसरे के पूरक है .समाज दोनों से बनता है .<br />परिधान किसी भी नारी की पहचान है जिससे उसकी मर्यादा ,सभ्यता ,और गुण परिलक्षितहोती है . परिधान के चुनाव में स्वतन्नता तो है ही लेकिन यह भी देखनी है की आपकी परिधानिक स्वतन्त्रता किसी सामाजिकपरिवेश पर गलत प्रभाव तो नहीं देगा.आज के समय में नारियो पर खाप का बंधन वैएमानी तथा वेतुका है.satishhttps://www.blogger.com/profile/00479532114433862090noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-48396494446337653562012-07-23T13:54:34.900-07:002012-07-23T13:54:34.900-07:00सच है जी - पूर्ण सहमति. लडकियां करे तो भी फैशन, लड़...सच है जी - पूर्ण सहमति. लडकियां करे तो भी फैशन, लड़के करें तो भी !<br />वैसे बाकी चीजों के बारे में तो ज्यादा अनुभव नहीं पर लम्बे बाल तो बहुत अच्छे लड़के भी करते हैं :) फैशन करने से कोई नहीं बिगड़ता.<br />हाँ दारु-सिगरेट वगैरह तो सबको ही बराबर बिगाड़ेगा !Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-82036865019726032102012-07-23T11:42:14.082-07:002012-07-23T11:42:14.082-07:00बड़ी सटीक उपमा दी है...आपने
धारा में नाव और किनार...बड़ी सटीक उपमा दी है...आपने <br />धारा में नाव और किनारे पर हाय हाय करते लोग..:)rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-2452516486646140432012-07-23T11:05:47.217-07:002012-07-23T11:05:47.217-07:00बाप रे! बहुत से कमेंटस् आ चुके हैं मगर मैंने एक भी...बाप रे! बहुत से कमेंटस् आ चुके हैं मगर मैंने एक भी नहीं पढ़े।<br />आपकी यह पोस्ट एकदम सटीक विवेचना करने में सफल है। <br /><br />जब नाव नदी में चल निकली तो धारा के संग=संग ही बहेगी। समुंद्र से भी मिलेगी। किनारे खड़े हो कर हाय-हाय करने से क्या होता है!:)देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-55566392374869986782012-07-23T10:52:11.628-07:002012-07-23T10:52:11.628-07:00बराबरी और किसी से श्रेष्ठ होने का अर्थ एक ही होता ...बराबरी और किसी से श्रेष्ठ होने का अर्थ एक ही होता है??rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-25891706684338462262012-07-23T10:35:17.424-07:002012-07-23T10:35:17.424-07:00रश्मि जी क्या आप वाकई सीरियसली यह कह रही हैं कि स...रश्मि जी क्या आप वाकई सीरियसली यह कह रही हैं कि स्त्रियां पुरुषों से श्रेष्ठ नहीं हैं। यह बात कुछ जम नहीं रही। एक तरफ आप बराबरी की बात करती हैं, दूसरी तरफ खुद ही यह भी कहती हैं। आखिर क्यों ?राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-60958998520721101262012-07-23T08:12:31.747-07:002012-07-23T08:12:31.747-07:00इसमें कोई शक़ नहीं लड़कियों के नौकरियों में आ जाने...इसमें कोई शक़ नहीं लड़कियों के नौकरियों में आ जाने से लड़कों ले लिए opportunities कम हो रहीं हैं...लेकिन इसका हल ये नहीं कि लडकियाँ नौकरी में आएँ ही नहीं...<br />मैंने तो यहाँ तक महसूस किया है, अगर ऑफिस में लेडी बास हो तो पुरुष नहीं पसंद करते हैं...जबकि उस महिला ने अपनी मेहनत से वो मक़ाम पाया होता है...<br />इस तरह के व्यवहार से बचने का एक ही उपाय है महिलाओं के लिए उस तरफ ध्यान नहीं देना, और पुरुष ऐसी कुंठा से ख़ुद को निकालने कि कोशिश करें, उस अधिकारी को महिला नहीं एक व्यक्ति माने, यही हो सकता है...स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-19492626033939441502012-07-23T07:36:41.400-07:002012-07-23T07:36:41.400-07:00लड़कों में इन्फिरियोरिटी और इन्स्क्योरीटी क्यूँ आ...लड़कों में इन्फिरियोरिटी और इन्स्क्योरीटी क्यूँ आएगी??<br />क्या वे पढना -लिखना छोड़ देंगे?<br />या फिर कम मार्क्स लेकर भी उन्हें एडमिशन मिल जाता था अब, लडकियाँ ज्यादा मार्क्स लाकर एडमिशन ले रही हैं..तो वे भी ज्यादा मेहनत करें और स्वस्थ परिवर्तन कैसे होगा??<br />जब कार्य बंटे रहेंगे??rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-13884162943532105192012-07-23T07:32:20.356-07:002012-07-23T07:32:20.356-07:00बच्चों के अच्छे बुरे होने के लिए सिर्फ़ माँ ही जिम्...बच्चों के अच्छे बुरे होने के लिए सिर्फ़ माँ ही जिम्मेदार नहीं होती, उसमें उनके आस-पास का माहौल, स्कूल, दोस्त इन सबका हाथ होता है...साथ ही हर बच्चे का अपना ख़ुद का भी व्यंक्तित्व होता है ....<br />मैं ख़ुद एक नौकरी-पेशा महिला हूँ, और मैंने अपने कैरियर के साथ-साथ अपने बच्चे पाले हैं...मुझे अपने कैरियर से प्यार है...जिसने मुझे इस योग्य बनाया है कि मैं अपने बच्चों को ढंग से पाल सकी... मेरे कैरियर ने मुझे बहुत कुछ दिया है, दुनिया की जानकारी, अच्छे लोगों से मिलना, उनके विचार जानना, देश-दुनिया में क्या हो रहा है इसके बारे में जानना, अपनी कमियों को पहचानना, उनको सही करना और एक परिष्कृत सोच को लाना, साथ ही आर्थिक स्वतंत्रता पाना, मेरी माँ सारी उम्र एक कैरियर वूमन रही है, और हम भाई बहन को बहुत अच्छे से पाला है उन्होंने....<br />औरत सिर्फ़ माँ, बेटी, पत्नी या बहन नहीं है, वह एक व्यक्ति है और उसे अपने व्यक्तित्व को पहचानने और उसका विकास करने का पूरा अधिकार है...अगर ऐसा नहीं होता तो दुनिया भर की महान महिलाओं का नाम आज हम जान ही नहीं पाते...<br />अधिकतर कैरियर वूमन, माँ होने का फ़र्ज़, न सिर्फ़ अच्छी तरह समझती हैं उसे पूरा भी करतीं हैं....<br />ऐसी भी औरतों को देखा है मैंने, जो घर में रहतीं हैं, फिर भी बच्चों का ध्यान नहीं रखतीं हैं, या तो टेलीफोन पर गप्प लगातीं हैं या टी.वी. देखतीं हैं, या किसी किटी पार्टी में व्यस्त रहतीं हैं...घर में होने भर से फ़र्ज़ पूरा नहीं हो जाता है...उसके लिए जिम्मेदारी का भी अहसास होना चाहिए...स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-65092384994623272712012-07-23T07:12:44.901-07:002012-07-23T07:12:44.901-07:00रश्मि जी काफी दिनों बाद आपके ब्लॉग पर आया... माफ़ी...रश्मि जी काफी दिनों बाद आपके ब्लॉग पर आया... माफ़ी...<br />बढ़िया आलेख है. लेकिन...जो बदलाव आप देख रही हैं वह समय के साथ आएगा ही... इसे कोई रोक नहीं सकता है... लेकिन कुछ वर्षो बाद जो इन्फिरियोरिटी और इन्स्क्योरीटी लड़कियों में है.. वह लडको में आनी शुरू हो जाएगी... यह स्वाभाविक चक्र है... अभी से मैंने देखा है कि लड़कियों के कारण अवसर खोते हुए देख रहे हैं लड़के.... जिस तरह आरक्षण ने एक अलग तरह के कुंठा को जन्म दिया था.. वही अब पुरुष स्त्री के बीच हो रहा है.. स्वस्थ परिवर्तन की ओर नहीं जा रहा समाज....अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-91478645621999775422012-07-23T07:04:32.132-07:002012-07-23T07:04:32.132-07:00तुम्हारे पति जानबूझ कर हार जाते होंगे तुम्हे खुश ...तुम्हारे पति जानबूझ कर हार जाते होंगे तुम्हे खुश करने को...<br />हार में जो ख़ुशी है..वो तुम क्या जानो...एक बार हार के देखो..:):) {जैसे हमने तो हारने में Phd की हुई है..:):) }<br /><br />बट ऑन सीरियस नोट...हम ये नहीं कहते कि स्त्रियाँ श्रेष्ठ है..पुरुषों से .पर मानसिक रूप से समकक्ष जरूर हैं...फिर खुद के लिए निर्णय लेने की क्षमता भी है,उनमेंrashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-77403771358107290122012-07-23T06:57:20.233-07:002012-07-23T06:57:20.233-07:00गायत्री जी...जो महिलाएँ नौकरी करती हैं...उन्हें कि...गायत्री जी...जो महिलाएँ नौकरी करती हैं...उन्हें किसे क्या साबित करना है??..और वे अपने बच्चों के ख्याल रखने का पूरा इंतजाम कर के ऑफिस जाती हैं.<br /><br />सॉरी ,मैं ये नहीं मानती कि कहीं कोई युवा या युवती गलत कार्य को अंजाम देते हैं तो इसकी वजह उनकी माँ होती है.rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-30508087847228356502012-07-23T06:47:29.269-07:002012-07-23T06:47:29.269-07:00क्या जॉब करके पाई हुयी ख़ुशी, बच्चों के साथ समय व्...क्या जॉब करके पाई हुयी ख़ुशी, बच्चों के साथ समय व्यतीत करने से बेहतर है ? क्या हम अपनी काबिलियत सिर्फ जॉब करके ही दिखा सकते हैं ? उन बच्चों का क्या जो २ बजे घर लौटने के बाद शाम के ८ बजे तक माँ का इंतजार करते रहते हैं... आज की युवा पीढी के गलत दिशा में भटकने का एक प्रमुख कारण आज की माँ ही है शायद... मजबूरी में काम करना अलग बात है, पर खुद को साबित करने के लिए...??? मैं इससे सहमत नहीं... किसे साबित करना चाहते हैं हम और क्या ??? उसी पुरुष समाज को, जिससे हम बेहतर है...डा. गायत्री गुप्ता 'गुंजन'https://www.blogger.com/profile/04502207807795556896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-89965495876391816692012-07-23T06:39:14.865-07:002012-07-23T06:39:14.865-07:00:):):):)rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-41180480141142266962012-07-23T06:34:35.110-07:002012-07-23T06:34:35.110-07:00बिलकुल सही कहा आपने..
अपना अस्तित्व बनाये रखना..हर...बिलकुल सही कहा आपने..<br />अपना अस्तित्व बनाये रखना..हर स्त्री/पुरुष का अधिकार है...और उसका सम्मान किया जाना चाहिए.rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.com