tag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post2324145782299303881..comments2023-10-31T06:34:42.476-07:00Comments on अपनी, उनकी, सबकी बातें: 'कांच के शामियाने ' पर गीताश्री जी की टिप्पणी rashmi ravijahttp://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-88926513303629342382015-12-23T04:15:00.766-08:002015-12-23T04:15:00.766-08:00किसी कथानक पर जब स्थापित कथाकार अपनी स्वीकृति की म...किसी कथानक पर जब स्थापित कथाकार अपनी स्वीकृति की मुहर लगाता है, तो वह कथानक न केवल सफल हो जाता है, वरन उन तमाम मुंहों को भी बन्द करने की ताक़त देता है, जो पूर्वाग्रही हैं.गीता जी की यह संक्षिप्त टिप्पणी कई लम्बी समीक्षाओं पर भारी है. बधाई रश्मि.वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.com