tag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post1049828731861150105..comments2023-10-31T06:34:42.476-07:00Comments on अपनी, उनकी, सबकी बातें: 'कांच के शामियाने ' पर 'अपनी बात' रखी वंदना अवस्थी दुबे ने rashmi ravijahttp://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-6334436849193324921.post-48335803308725119572015-12-19T03:47:14.626-08:002015-12-19T03:47:14.626-08:00रश्मि, सचमुच तीन साल का ब्रेक हम सबके लिये फ़ायदेम्...रश्मि, सचमुच तीन साल का ब्रेक हम सबके लिये फ़ायदेम्न्द रहा, क्योंकि उपन्यास पढते हुए फिर नयापन महसूस हुआ. बहुत परिपक्व लेखन का उदाहरण है ये उपन्यास, जो अपनी सहज भाषा और प्रवाह से पाठक को एक ही बैठक में खत्म करने को मजबूर करता है. बधाई इतने सुन्दर और सार्थक लेखन के लिये,वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.com