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"काँच के शामियाने " पर अभिषेक अजात के विचार
बहुत बहुत आभार अभिषेक अजात । आपने किताब पढ़ी, अपनी प्रतिक्रिया लिखी और फिर मेरी मित्र सूची में शामिल हुए । मैने पहले भी कहा है, कोई पुरुष ...


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अनिमेष ऑफिस से एक हफ्ते की छुट्टी लेकर अपने घर आया हुआ था . निरुद्देश्य सा सड़कों पर भटक रहा था .उसे यूँ घूमना अच्छा लगता . जिन सड़कों ...
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(चित्र सतीश पंचम जी के सौजन्य से ) कभी नहीं सोचा था, 'अवैध ' या 'विवाहेतर सम्बन्ध ' जैसे विषय पर कभी कुछ लिखूंगी...इसलि...
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हमारे देश के करीब करीब सभी प्रान्तों में रंगोली बनायी जाती है. बस इसे बनाने के तरीके और नाम अलग होते हैं..बंगाल में चावल को पीसकर उसके घो...

वाह... बधाइयां, पढ नहीं पा रही पर निश्चित रूप से शानदार समीक्षा होगी. रश्मि, इसे तुम ब्लॉग पर लिख के पोस्ट करो, तो सब पढ सकेंगे.
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