रविवार, 4 दिसंबर 2011

भोपाल गैस त्रासदी और फिल्म एरिन ब्रोकोविच

3 दिसम्बर सन् 1984 को भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड नामक कम्पनी के कारखाने से मिथाइल आइसो साइनाइड नामक जहरीली गैस का रिसाव हुआ जिससे लगभग 15000 से अधिक लोगो की जान गई तथा हज़ारों लोग अंधेपन और अन्य विकलांगता के शिकार हुए. पीड़ितों को ना तो न्याय मिला और ना ही उचित मुआवजा.  
जब जब फिल्म 'एरिन ब्रोकोविच '  देखती हूँ (और Zee Studio n Star Movies की कृपा से कई बार देखी है ) मुझे 'भोपाल गैस त्रासदी ' याद आ जाती है और लगता है कोई मिस्टर या मिस ब्रोकोविच यहाँ क्यूँ नहीं हुए? जो इस बड़ी कम्पनी को घुटने टेकने पर मजबूर कर देते और पीड़ितों को कम से कम सही मुआवजा ही मिल पाता. इसे डेढ़ साल पहले पोस्ट किया था...आज री-पोस्ट कर रही  हूँ.

यह फिल्म 'एरिन ब्रोकोविच' की ज़िन्दगी पर आधारित है और यह दर्शाती है कि कैसे सिर्फ स्कूली शिक्षा प्राप्त तीन बच्चों की तलाकशुदा माँ ने सिर्फ अपने जीवट और लगन के सहारे अकेले दम पर 1996 में PG & E कम्पनी को अमेरिका के साउथ कैलिफोर्निया में बसे एक छोटे से शहर 'हीन्क्ले' के लोगों को 333 करोड़ यू.एस.डॉलर की क्षतिपूर्ति करने को मजबूर कर दिया,जो कि अमेरिकी इतिहास में अब तक कम्पेंसेशन की सबसे बड़ी रकम है.

फिल्म में एरिन ब्रोकोविच की भूमिका जूलिया रॉबर्ट ने निभाई है और उन्हें इसके लिए,ऑसकर, गोल्डेन ग्लोब, एकेडमी अवार्ड,बाफ्टा, स्टार्स गिल्ड ,या यूँ कहें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का प्रत्येक पुरस्कार मिला .रोल ही बहुत शानदार था और जूलिया रॉबर्ट ने इसे बखूबी निभाया है.

स्कूली शिक्षा प्राप्त 'एरिन' एक सौन्दर्य प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार जीतती है. उसके बाद ही एक लड़के के प्यार में पड़कर शादी कर लेती है और दो बच्चों के जन्म के बाद उसका तलाक भी हो जाता है. वह छोटी मोटी नौकरी करने लगती है,फिर से किसी के प्यार में पड़ती है,पर फिर से धोखा खाती है और एक बच्चे के जन्म के बाद दुबारा तलाक हो जाता है. अब वह, ६ साल का बेटा और ४ साल और नौ महीने की बेटी के साथ अकेली है और अब उसके पास कोई नौकरी भी नहीं है. वह नौकरी की तलाश में है,उसी दौरान एक दिन एक कार दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो जाती है, कम्पेंसेशन के लिए वह एक वकील की सहायता लेती है जिनक एक छोटा सा लौ फर्म है. लेकिन वो यह मुकदमा हार जाती है क्यूंकि विपक्षी वकील दलील देता है कि "उस कार को एक डॉक्टर चला रहा था,वह लोगों को जीवन देता है,किसी का जीवन ले कैसे सकता है? और एरिन के पास नौकरी नहीं है इसलिए वह इस तरह से पैसे पाना चाहती है.यह दुर्घटना उसकी गलती की वजह से हुई"


नौकरी के लिए हज़ारो फोन करने के बाद हताश होकर वह उसी Law Firm में जाती है और जोर देती है कि वे उसका केस हार गए हैं,इसलिए उन्हें एरिन को नौकरी पर रख लेना चाहिए. बहुत ही अनिच्छा से वह बहुत ही कम वेतन पर , उसे 'फ़ाइल क्लर्क' की नौकरी दे देते हैं. फिर भी उसे ताकीद करते हैं कि वह अपने फैशनेबल कपड़े पहनना छोड़ दे.इस पर एरिन ढीठता से कहती है कि "उसे लगता है वह इसमें सुन्दर दिखती है" .एरिन की भाषा भी युवाओं वाली भाषा है,एक पंक्ति में तीन गालियाँ,जरा सा गुस्सा आता है और उसके मुहँ से गालियों की झड़ी लग जाती है. बॉस उसे हमेशा डांटा करता है पर एक बार गुस्से आने पर बॉस के मुहँ से भी गाली निकल जाती है और दोनों एक दूसरे को देखकर हँसते हैं.बॉस और एरिन में बॉस और कर्मचारी के अलावा कोई और रिश्ता नहीं दिखाया गया है.

एक दिन फ़ाइल संभालते समय एक फ़ाइल पर उसकी नज़र पड़ती है,जिसमे एक घर को बेचने सम्बन्धी कागजातों में घर में रहने वालों की बीमारी का भी जिक्र था. उत्सुक्तता वश वह उस परिवार से जाकर मिलती है.और उस पर यह राज जाहिर होता है कि उस इलाके में हर घर के लोग खतरनाक बीमारियों से ग्रस्त हैं क्यूंकि pG & E कम्पनी अपने Industrial waste वहाँ के तालाबों में डालते हैं ,जिस से वहाँ का पानी दूषित हो जाता है. और वहाँ के वासी उसी पानी का उपयोग करते हैं. पानी में chrome 6 का लेवल बहुत ही ज्यादा होता है,जो स्वास्थ्य के लिए बहुत ही खतरनाक है.एरिन उस इलाके के हर घर मे जाकर लोगों से मिलती है,उसके आत्मीयतापूर्ण व्यवहार से लोग, अपने दिल का हाल बता देते हैं.किसी का बच्चा बीमार है,किसी के पांच गर्भपात हो चुके हैं. किसी के पति को कैंसर है. वह डॉक्टर से भी मिलती है और उनसे विस्तृत जानकारी देने का अनुरोध करती है.

जब वह ऑफिस लौटती है ,तब पता चलता है इतने दिन अनुपस्थित रहने के कारण उसे नौकरी से निकाल दिया गया है. वह कहती है, मैने मेसेज दिया था,फिर भी बॉस नहीं पिघलते.घर आकर फिर वह अखबारों में नौकरी के विज्ञापन देखने लगती है,इसी दरम्यान उस हॉस्पिटल से सारी जानकारीयुक्त एक पत्र कम्पनी में आता है और उसके बॉस को स्थिति की गंभीरता का अंदाजा होता है.वे खुद 'एरिन' के घर जाकर उसकी investigation की पूरी कहानी सुनते हैं और उसे नौकरी दुबारा ऑफर करते हैं.इस बार 'एरिन' मनमानी तनख्वाह मांगती है,जो उन्हें माननी पड़ती है.

अब एरिन पूरी तरह इस investigation में लग जाती है.वह आंख बचा कर वहाँ का पानी परीक्षण के लिए लेकर आती है,मरे हुए मेढक, मिटटी सब इकट्ठा करके लाती है.और जाँच से पता चल जाता है,कि poisonous chromium का लेवल बहुत ही ज्यादा है. और यह बात कम्पनी को भी पता है,इसलिए वह लोगों के घर खरीदने का ऑफर दे रही है.

एरिन पूरी तरह काम में डूबी रहती है पर उसके तीन छोटे बच्चे भी हैं...शायद किसी अच्छे काम में लगे रहो तो बाकी छोटे छोटे कामों का जिम्मा ईश्वर ले लेता है, वैसे ही उसका एक पड़ोसी 'एड ' बच्चों की देखभाल करने लगता है और 'एरिन' के करीब भी आ जाता है. एरिन का बड़ा बेटा कुछ उपेक्षित महसूस करता है और उस से नाराज़ रहता है पर जब एक दिन वह 'एरिन' के फ़ाइल में अपने ही उम्र के एक बच्चे की बीमारी के विषय में पढता है और उसे पता चलता है की 'एरिन' उसकी सहायता कर रही है. तो उसे अपनी माँ पर गर्व होता है.

एरिन की पीड़ितों का दर्द समझने की क्षमता और उन्हें न्याय दिलाने का संकल्प और उसके बॉस 'एड' की क़ानून की समझ और उनका उपयोग करने की योग्यता ने PG & E को 333 करोड़ डॉलर क्षतिपूर्ति के रूप में देने को बाध्य कर देती है .

 Stiven Soderbergh द्वारा निर्देशित इस फिल्म, इस फिल्म का निर्देशन अभिनय,पटकथा तो काबिल-ए-तारीफ़ है ही. सबसे अच्छी बात है.कि नायिका कोई महान शख्सियत नहीं है,बिलकुल एक आम औरत है,सारी अच्छाइयों और बुराइयों से ग्रसित.

इस फिल्म के रिलीज़ होने के बाद 'एरिन ब्रोकोविच' अमेरिका में एक जाना माना नाम हो गयीं उन्होंने 'ABC परChallenge America with Erin Brockovich Lifetime. में Final Justice नामक प्रोग्राम का संचालन किया.आजकल वे कई law firm से जुडी हुई हैं. जहाँ पीड़ितों को न्याय दिलाने के कार्य को अंजाम दिया जाता है.

26 टिप्‍पणियां:

  1. कोई वैसा होता तो संभवतः त्रासदियाँ टाली जा सकती थी।

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  2. जिस देश में चरित्र नहीं होगा वह ऐसे हादसे होते रहेंगे.... अपने गृह मंत्री से पहले पहुचे थे वारेन एंडरसन.... और उन्हें फिर सेफ पैसेज दिया गया था ..

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  3. बहुत ही रोचक कहानी है फिल्म की। बेहद दिलचस्प। सचमुच इस तरह के लोगों की जरूरत यदा कदा महसूस होती है कि कोई तो हो जो कानून को धता बताने वालों को उनकी औकात बताये।

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  4. त्रासदियां केवल अफसोस छोड़ जाती हैं। कोई मुआवजा उनके लिए पर्याप्‍त नहीं होता।

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  5. भोपाल गैस त्रासदी एक भयावह दुर्घटना थी जिसके पीड़ित आज तक न्याय की आस लगाए एडियाँ घिस रहे हैं ! यह हमारे देश का दुर्भाग्य है कि ऐसे अवसर पर भी कई बेईमान और मौकापरस्त लोग असली पीड़ितों का हक मार झूठे दस्तावेज़ और सबूत जुटा कर उनके हिस्से की सारी धनराशि को हड़प गये ! काश एरिन ब्रोकोविच की तरह कोई जीवट वाला मसीहा यहाँ भी होता तो कंपन्सेशन का सारा धन असली पीड़ितों को मिल पाता ! एक अच्छी फिल्म की बहुत ही बेहतरीन समीक्षा की है आपने जो बहुत प्रभावित करती है !

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  6. रोचक बात ...पर कहाँ भरपाई हो पाती है ऐसे भीषण हादसों से होने वाले नुकसान की ...?

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  7. इस मामले में हम पिछड़े देश हैं.

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  8. भारत में न तो इस तरह की त्रासदियों के विरूद्ध कोई इच्छाशक्ति है न ही मुआवज़े के लिए

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  9. फ़िल्म देखने को प्रेरित करती समीक्षा।

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  10. इरीन ब्रोकोविच कथा है या व्यक्ति?

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  11. यह त्रासदियाँ एक कोढ़ की तरह हैं... फिल्म संवेदनशील ह्रदय ने बनायी है.. मगर हमारे देश के हुक्मरानों में अगर ज़रा भी संवेदनशीलता होती तो इसकी सूरत ही कुछ और होती!!

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  12. रोचक समीक्षा. भोपाल को भी एक एरिन ब्रोकोविच की जरूरत है.

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  13. सारा सिस्‍टम ही जब सड़ गया हो तो ऐसे जुनूनी व्‍यक्ति भी पैदा नहीं हो पाते।

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  14. मैंने फिल्म नहीं देखी है और आप ने ये नहीं बताया है की क्या इस पुरे मसले पर कोई राजनितिक एंगल या उसकी कोई दखलंदाजी थी , क्योकि भारत में तो हर बड़े मामले में राजनीती का हाथ जरुर होता है या राजनीती अपने फायदे खोजता हुआ वह हाजिर हो जाता है और हो जाता है पूरा मामले का बंटाधार | फिर इस तरह के किसी भी मामले में कभी भी कोई भी निर्णय नहीं आता है और वो अन्नत काल तक चलता रहता है और हर राजनितिक दल अपने हिसाब से उसका दोहन करता रहता है |

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  15. उपस्थित हुआ ,अब फिल्म देखने की फ़िक्र में हूं !

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  16. फ़िल्म और हकीकत में शायद यही फ़र्क होता है.

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  17. फिल्म के माध्यम से आपने ज्वलंत समस्या को छुवा है ... भोपाल में जो हुवा उसका मुआवजा जरूर मिलता अगर सरकार उनसे मिली हुयी न होती इस समय ...

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  18. फिल्म देखी है मैंने, और बिलकुल सहमत हूँ उस पर आपके विचारों से।

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  19. यह फिल्म देखने की जिज्ञासा बढ़ गयी है ....
    आभार आपका !

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  20. अच्छा किया, इसे रिपोस्ट किया. बहुत भयावह था वो दिन.

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  21. बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।
    मेरा शौक
    मेरे पोस्ट में आपका इंतजार है,
    आज रिश्ता सब का पैसे से

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  22. इस पोस्ट के लिए धन्यवाद । मरे नए पोस्ट :साहिर लुधियानवी" पर आपका इंतजार रहेगा ।

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  23. इस फिल्म को मैं कभी पूरी नहीं देख पाया ....हर बार जब भी कोशिश की ... कोई ना कोई दूसरा काम आ जाता था
    अच्छी समीक्षा की है , आज बिना किसी रूकावट के समीक्षा तो पढ़ ही ली ......
    सुब्रमनियन स्वामी की भी पूरी जीवनी पर गौर किया जाए तो प्रेरणा मिलती है

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  24. रोचक..शायद फिल्मों और हकीकत का यही अंतर अफसोस पैदा करता है...

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  25. मेरी भी यह फेवरिट फिल्मों की सूचि में है..
    अच्छा किया री-पोस्ट कर के....कम से कम जो लोग उस समय न पढ़ पाये अब तो पढ़ ही लेंगे!!

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  26. अब अपनी प्रोफाइल में जर्नलिस्ट लिख लीजिये .....:))

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