शनिवार, 9 अप्रैल 2011

जन-सपनों का आगाज़

हमारी पीढ़ी ने जिन्होंने गांधी जी को नहीं देखा...स्वतंत्रता आन्दोलन में उमड़ते जन सैलाब की कहानियाँ ही सुनी हैं....या फिर क्रिकेट विश्व कप के जीत के जुनून में युवा लोगो को सड़कों पर अपनी ख़ुशी जाहिर करते हुए देखा है.

पिछले चार दिनों में देश  के  हर  गली -कूचे  में  जन समूह को यूँ उमड़ते  देख उन्हें थोड़ा इलहाम तो हो गया कि आजादी का वो आन्दोलन कैसा रहा होगा?...और एक अकेला व्यक्ति भी अगर अपने ह्रदय की आवाज़ सुन जनहित में कुछ करने की ठान ले तो लोग खुद ब खुद जुड़ते चले जाते हैं. हर तबके के लोग सिर्फ अपने दिल की आवाज़ सुन अपना समर्थन व्यक्त करने आ रहे थे.

कई बुद्धिजीवियों का कहना है इस से क्या हो जायेगा?? बिल अभी पास होना है..उसपर कार्यवाई होनी है, लोगो को सजा दिलवानी है...जनता को न्याय दिलवाना है...यह सब क्या हो पायेगा??


भविष्य तो किसी ने नहीं देखा है, लेकिन क्या इस डर से कि कुछ हो ही नहीं सकता,हाथ पर हाथ धरे बैठे रहना ही उचित  है? जैसा कि अब तक था....सिर्फ भ्रष्टाचारियों के  विरुद्ध विष-वमन कर निरुपाय से मन को शांत कर लेते थे.  यह मंजिल की तरफ एक छोटा सा कदम तो है. शायद कदम भी नहीं ...कदम उठाने की चाह भर ही है..जैसा कि लोग नारे लगा रहे थे... "ये तो एक अंगडाई है...सामने बड़ी लड़ाई है " अंगडाई ही सही,..कुछ करने की तमन्ना तो जागी. ऐसे ही नहीं कहा गया है. something  is  always better  than   nothing  . अगर हम पहले से ही सोच लें...कुछ नहीं हो सकता ,ये सिर्फ खुशफहमी है...सफलता  नहीं मिलने वाली तो दुनिया अब तक आदिम अवस्था में ही रहती....ना तो हम इस आधुनिक युग में होते ना ही कभी कोई जन आन्दोलन, साकार रूप लेता. किसी ने तो पहला कदम बढाया होगा.

लोग सवाल कर रहे हैं...क्या भूख...गरीबी...भ्रष्टाचार...पूंजीपतियों  का वर्चस्व ख़त्म हो जायेगा?? पर क्या हमारे इन सबके विरोध में लम्बे-लम्बे आलेख लिखने से वह सब ख़त्म होनेवाला है??

भ्रष्टाचार कण-कण में इस तरह व्याप्त हो चुका है कि हर आदमी को पहले खुद को इस में  आलिप्त होने से रोकने की जरूरत है. जैसे स्वेच्छा  से सबने विदेशी कपड़ों का त्याग किया था...अंग्रेजों से देश को मुक्त करने के लिए अपने घर से शुरुआत की थी. करप्शन ख़त्म करने के लिए भी पहले खुद को ही सुधारना होगा. अगर भ्रष्टाचार  के  खिलाफ लोग आवाजें उठा रहे हैं तो उम्मीद है,ये आवाज़ उनके अपने कानो तक भी जाएगी.

हमें ये आशा नहीं करनी चाहिए कि यह बिल ,कोई जादू की छड़ी है जो सबकुछ ठीक कर देगा...पर अगर आगे चलकर ,भ्रष्टाचार, काला-बाजारी में थोड़ी भी कमी हो तो यह सुधार की दिशा में एक कदम तो है. बेधड़क बड़े-बड़े घोटाले करनेवाले  शायद एक बार डरेंगे तो कि ऐसा  कानून  है जो उन पर शिकंजा कस सकता है.

जनता को अपनी ताकत का अंदाज़ा  तो हो गया कि वो अगर चाहे तो सरकार को घुटने टेकने पड़ेंगे ,सरकार अपनी मनमानी नहीं कर सकती...जनता ने सपने देखने  तो सीखे , प्रतिनिधियों को चुन कर भेजने के बाद , अपना भविष्य उन्हें सौंप,जनता विवश हो जाती थी. सरकार को ये संदेश तो मिला  उसे देश रुपी गाड़ी चलाने के लिए दी गयी है...वो इस गाड़ी को अपने घर लेकर नहीं जा सकती. सरकार सिर्फ  ड्राइवर की भूमिका में है. उसपर अंकुश  गाड़ी के मालिक,जनता का है.

रवि रतलामी जी
के ब्लॉग पर बहुत ही सहज सरल  शब्दों में बहुत महत्वपूर्ण और बेसिक जानकारी दी गयी है इस निर्देश  के साथ कि " इस संदेश को आगे भेजें. "

छींटें और बौछारें  ब्लॉग से साभार

  
1. अन्ना हजारे कौन हैं?
सेवा-निवृत्त सैनिक जिन्होंने 1965 के युद्ध में हिस्सा लिया था. समाज सुधारक.
2. तो इनमें क्या खास बात है?

इन्होंने महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के रालेगांव सिद्धि नामक गांव की काया पलट दी.

3. तो क्या हुआ?

यह स्व-पोषित गांव के रूप में एक मॉडल है. यहाँ के सोलर पावर, बायोफ़्यूल तथा विंड मिल में गांव की जरूरत जितनी बिजली पैदा कर ली जाती है.
1975 में यह गांव बेहद गरीब था. आज यह देश के सर्वाधिक समृद्ध गांवों में से एक है. यह स्व-पोषित (सेल्फ सस्टेन्ड), पर्यावरण-प्रेमी तथा भाईचारा युक्त मॉडल गांव बन चुका है.


4. ठीक है?

अन्ना हजारे को उनके सामाजिक कार्यों के लिए पद्म भूषण की उपाधि से नवाजा गया है.


5. अच्छा तो वो किस लिए आंदोलन कर रहे हैं?

भारत में भ्रष्टाचार रोकने हेतु नया प्रभावी कानून पास करवाने के लिए.


6. यह कैसे संभव है?

वे नए लोकपाल बिल की वकालत कर रहे हैं. यह बिल राजनीतिज्ञों (मंत्रियों), अफसरों (आईएएस/आईपीएस) इत्यादि को उनके भ्रष्ट कार्यों की सज़ा दिलाने में सक्षम होगा.


8. क्या ये एकदम नई चीज है?

1972 में तत्कालीन कानून मंत्री शांति भूषण ने यह बिल प्रस्तावित किया था. तब से राजनीतिज्ञ इसे दबाए बैठे हुए हैं और इसमें मनमाना संशोधन कर अपने अनुकूल बनाने में लगे हुए हैं.


7. ओह.. तो वो सिर्फ एक बिल पास करवाने के लिए अनशन पर बैठे हैं. क्या ये इतने कम समय में संभव हो पाएगा?

पहली चीज जो वो चाह रहे हैं वो है कि सरकार घोषणा करे कि यह बिल जल्द पास होगा. उन्होंने महाराष्ट्र में सूचना का कानून ऐसे ही आंदोलन से लागू करवाया जिसे बाद में पूरे भारत में आरटीआई कानून के रूप में लागू किया गया.
दूसरा, बिल के मसौदे के लिए सरकार एक कमेटी बनाए जिसमें जनता के प्रतिनिधि और सरकारी प्रतिनिधि बराबर हों. सरकारी अफसरों और राजनीतिज्ञों द्वारा बनाए गए बिल में अपने बचने के रास्ते और लूप होल्स निकाल ही लिए जाएंगे.


8. बढ़िया. क्या होगा जब यह बिल पास हो जाएगा? 

लोकपाल की नियुक्ति केंद्र सरकार करेगी. वह इलेक्शन कमिश्नर की तरह ऑटोनोमस कार्य करेगा, किसी सरकारी संस्था के अधीन नहीं. हर राज्य में लोकपाल होगा. उसका काम सिर्फ यही होगा कि भ्रष्टाचार की रोकथाम करे और भ्रष्ट लोगों को 1-2 वर्ष के भीतर ट्रायल कर सजाएँ दे.

9. अन्ना हजारे के साथ और कौन हैं?

भारत की पूरी जनता. बाबा रामदेव, किरण बेदी, अरविंद केजरीवाल, आमिर खान...


10. ठीक है, तो मैं क्या कर सकता हूँ?

इस संदेश को आगे भेजें. छापें, वीडियो में दें. अपने शहर में हो रहे इस आंदोलन के समर्थन में सभा, जुलूस में जाएँ. फेसबुक, जीमेल स्टेटस में आंदोलन को अपना समर्थन दर्ज करें.

26 टिप्‍पणियां:

  1. rashmi ji mujhe is safalta se bahut badee ummeede nahee hai par ye ek sote hue desh kee jagne kee koshish hai. 35 saal baad poora desh jo chal rahaa hai use chalne dene kee bat karne ke bajaay ekjut hokar khadaa hua hai. 1 anna hazaare se kam nahee chalega anna kee duplicacy ho. gar gaav mai ek anna ho to kaam chalegaa hee. j p ne bhee raajneeti chhodne ke baad (1952) gaavo ke sucharu sanchalan ka prayas kiya tha kuchh safaltaa bhee unhe mili par vo aage nahee jaa paaya. j p ke vichar ko bhee sarkaar kaat nahee saktee thee lekin sarkaaree tantra ke kaam karne ke tareeke ne use failne se rok diya. jaroorat tab bhee ye thee ki gav gav j p ke pratiroop kaam kare. afsos aisa hota nahee hai.

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  2. सकारात्मक सोच सबसे पहले चाहिये।
    सूचना का अधिकार कारगर है, इसके बारे में भी कुछ लोग ऐसा ही कहते थे।

    प्रणाम

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  3. अन्ना पर इस जानकारी के लिए आभार -अभी तो यह आगाज है !

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  4. करप्शन ख़त्म करने के लिए भी पहले खुद को ही सुधारना होगा. अगर भ्रष्टाचार के खिलाफ लोग आवाजें उठा रहे हैं तो उम्मीद है,ये आवाज़ उनके अपने कानो तक भी जाएगी. ----
    जिस दिन यह आवाज़ खुद सुन ली बस तभी बदलाव आएगा...

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  5. बहुत सार्थक और ज्ञानवर्धक पोस्ट है ! अन्ना साहेब के इस आंदोलन ने जनता को अपनी शक्ति और क्षमता से परिचित करा दिया है ! एक असरदार आंदोलन के लिये अराजक और हिंसक होना कतई ज़रूरी नहीं है ! दृढ़प्रतिज्ञ होकर किसी काम को शान्ति के साथ किया जाये तो भी अनुकूल परिणाम मिल सकते हैं यह बात उन्होंने सिद्ध कर दी है ! उनका परिचय और समाजहित में किये गये उनके कार्यों का व्यौरा आने वाले समय में सबको प्रेरित करता रहेगा ! सारगर्भित आलेख के लिये आपका आभार !

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  6. ठीक ही आइन्स्टीन ने कहा था कि आने वाली पीढी को विश्वास नहीं होगा कि हाड मांस में कोई ऐसा व्यक्ति हुआ होगा... हमें आज लग रहा है कि क्या आने वाली पीढी को विश्वास होगा कि एक अन्ना के आह्वान पर देश भर में इस तरह क्रांति के जमीन तैयार हो जाएगी...

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  7. पहला कदम तो बढाना ही पडेगा तभी मंज़िल मिलती है बिना चले कौन पहुँचा है मंज़िलो तक्…………समसामयिक पोस्ट्।

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  8. अन्ना एक आवाज़ है जो हर नेक दिल में दबी पड़ी थी ।
    एक आक्रोश है , एक ज़ज्बा है , एक विचार है , एक समाधान है --जिसकी पहल अन्ना हजारे ने की है । इसे आगे बढ़ाना हम सबका काम है । अब यह आग बुझनी नहीं चाहिए ।

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  9. अंगडाई ही सही,..कुछ करने की तमन्ना तो जागी.
    बहुत सही. ज़रूरी अपनी ताकत को समझना ही है, अन्ना के बहाने लोगों ने एकता के ताकत को एक बार फिर देखा है.

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  10. कहते हैं उम्‍मीद पर आसमान टिका है। कम से कम अन्‍ना के इस आव्‍हान से यह तो पता चला कि ऐसा केवल फिल्‍मों में और कहानियों में नहीं होता। हम कोशिश करें तो हकीकत में भी हो सकता है। सच है कि यह केवल एक मोमबत्‍ती है इसे सूरज बनाना है तो इसमें समय भी लगेगा और सबको भी लगना होगा।

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  11. मैंने ठीक यही कहा था अपने दोस्त से की हमने ना तो गांधी को देखा है ना किसी ऐसे व्यक्ति को जो अपने दम पे ऐसा आंदोलन कर सके और देश की पूरी जनता उसके साथ हो ले....
    पहली बार किसी को देश के लिए आगे बढते, जन आंदोलन करते देखा है मैंने तो.

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  12. छींटे और बौछार की प्रस्‍तुति यहां देखने को मिली, आप दोनों का आभार.

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  13. "संवेदना के स्वर" पर हमने भी इस मिशन में योगदान किया! यह मेसेज हमें भी मिला था और इसे हमने आगे बढ़ाया.. आपका प्रयास सराहनीय है!

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  14. आपका लेख आपके सद्विचार और सद्भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति है.अन्ना के अनशन ने सफलता का पहला कदम चूमा है.आगे के लिए वे सजग दिखलाई पडतें हैं.हम सभी को भी सजगता से आगे साथ निभाना होगा.आपका यह कहना सही है कि 'भविष्य तो किसी ने नहीं देखा है, लेकिन क्या इस डर से कि कुछ हो ही नहीं सकता,हाथ पर हाथ धरे बैठे रहना ही उचित है'
    आपका मेरे ब्लॉग 'मनसा वाचा कर्मणा'पर हार्दिक स्वागत है. आपके अमूल्य विचारों और सुझावों से मेरा मार्गदर्शन होगा,ऐसी मै आशा करता हूँ.कृपया,अनुरोध स्वीकार कीजियेगा.

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  15. meine b support kiya tha.......me and my group organised a candle-march in his support.

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  16. pravin pansey ji se sahmat.....पहला पग तो धरना होगा।

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  17. यानी आने वाले समय में कोई अधिकारी ’बिना लिए-दिए’ काम करने की बात करे, तो उस पर यक़ीन किया जा सकता है :)

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  18. वर्तमान में हमारा कानून नौकरशाहों और राजनेताओं पर सीधी कार्यवाही की इजाजत नहीं देता इस कारण इनका भ्रष्‍टाचार बढ़ता ही जा रहा है। लोकपाल विधेयक से ये सारे कानून के दायरे में आ जाएंगे तब भ्रष्‍टाचार करने से पहले सौ बार सोंचेगे।

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  19. यह तो शुरुआत है। लड़ाई लंबी है। क़दम बढ़ चुके हैं। न रुकना है, न थकना है।

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  20. बस ये जूनून जिन्दा रहे तो सुधार तो हो ही जाएगा.

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  21. ज़्यादा उम्मीदें नहीं पाल रहा हूं ! कारण कभी विस्तार से बताऊंगा !

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  22. दीदी ,
    ये सच है की मैंने ब्लॉग जगत में अन्ना हजारे जी पर बनी पोस्टस को नहीं पढ़ा है फिर भी ये कह सकता हूँ की इससे बेहतर पोस्ट पढने को शायद ही मिलती, हर बार की तरह नयी उर्जा और प्रकाश से भरी पोस्ट के लिए आभार :)

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  23. बिल्कुल सही। जन सपनों का आगाज।

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