शनिवार, 21 अगस्त 2010

भाई-बहन के निश्छल स्नेह के कुछ अनमोल पल

राखी का एक दिन तो ऐसा है जब भाई सात समंदर पार हो....कितना भी व्यस्त हो, किसी काम में आकंठ डूबा हो...बहन की याद आ ही जाती है और कैसे नहीं आएगी?? बहन इतने दिल से जो याद करती है :)

इस राखी  पर मैं भी , अपने ब्लॉग जगत में मिले  भाइयों ...खुशदीप भाई,शहरोज़ भाई, दीपक मशाल, अभी, सौरभ हूँका , प्रशांत  (PD ), रोहित, मिथिलेश , अरशद, चन्दन  ..के लिए दिल से दुआ करती हूँ कि 

सफलताओं के शिखर हो,उनके कदमो तले
हर डाली पर जीवन की,नव पुष्प खिले,
दीपों की माला सी, पाँत खुशियों की जगमगाए
सुख,समृधि, शांति ,से उनका दामन भर जाए
.

यह पोस्ट मेरे इन प्यारे भाइयों को समर्पित है.

हम मध्यमवर्गियों का इतिहास में कहीं नाम नहीं होता पर रस्मो-रिवाज़,त्योहार,परम्पराएं..एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक इन्ही के द्वारा हस्तांतरित की जाती है. राखी में भी बहने बड़े शौक से राखी खरीदती हैं या खुद बनाती हैं, मिठाइयां  बनाती हैं,भाई शहर में हुआ तो राखी बाँधने जाती हैं  वरना दिनों पहले ,राखी पोस्ट की जाती है, भाई भी उसी स्नेह से इसका प्रतिदान करते हैं.

पर जब भाई -बहन का यही प्यार निम्न वर्ग और उच्च  वर्ग में देखने को मिलता है तो बड़ी सुखद अनुभूति होती है.

एक बार मैं अपने दादा जी के पास गाँव गयी हुई थी.देखा हमारी गायें चराने वाला चौदह -पंद्रह वर्ष का एक किशोर, मेरे दादा जी से सौ  रुपये मांग रहा है (तब वह एक बड़ी रकम थी ) कुछ दिन बाद उसकी माँ ने बताया कि शिवराम अपनी बहन 'प्रमिला' से मिलने पहली बार उसके ससुराल गया .प्रमिला चावल का पानी निकाल रही थी (भोजपुरी में कहें तो मांड पसा रही थी )..उसने जैसे ही सुना, भाई आया है, ख़ुशी में उसका ध्यान बंट गया और गरम पानी से उसका हाथ जल गया. शिवराम अंदर गया तो देखा,उसकी बहन पुआल पर सोती है. घर आकर वह अपनी माँ से बहुत झगडा कि ऐसी जगह उसकी शादी कर दी कि उसका हाथ जल गया और वह पुआल पर सोती है. उसने मेरे दादाजी से एडवांस पैसे लिए और एक चौकी खरीद,बैलगाड़ी पर लाद, अपनी बहन के ससुराल पहुंचा आया.

ऐसा ही प्यार हाल में देखा. मेरी कामवाली मराठी  बाई, 'माँ बीमार है' कहकर एक दिन अचानक गाँव चली गयी.उसकी बहन काम पर आने लगी तो बताया कि उसके पति ने बहुत मारा-पीटा है..इसीलिए वह चली गयी है. करीब दस दिन बाद वह वापस आई, उसने कुछ नहीं बताया तो मैने भी नहीं पूछा...अचानक उसके थैले में से मोबाइल बजने लगा.मैने यूँ ही पूछ लिया ,'नया मोबाइल लिया?"

तब उसने सारी बात बतायी कि यह सब सुनकर ,उसका भाई चार लोगों के साथ गाँव से आया और उसके पति की अच्छी धुनाई की (कितने मध्यमवर्गीय भाई हैं जिन्होंने यह सुन, अपने जीजाजी को दो झापड़ रसीद किए हों कि मेरी बहन पर हाथ क्यूँ उठाया ?..खैर..) एक कमरा किराये पर ले उसका सारा समान वहाँ शिफ्ट किया और बहन को एक मोबाइल खरीद कर दिया कि जब भी जरूरत हो,बस एक फोन कर ले .इसका  परिणाम भी यह हुआ कि उसका पति खुद माफ़ी मांगता हुआ साथ रहने आ गया.

भाई-बहन का ऐसा  ही निश्छल स्नेह ,उच्च वर्ग में देख भी आँखें नम हो जाती हैं.

अमिताभ बच्चन जब कुली फिल्म की शूटिंग के दौरान भयंकर रूप से बीमार  पड़े थे ,उन्हीं दिनों राखी भी पड़ी थी और डॉक्टर के मना करने के बावजूद ,अमिताभ बच्चन ने 'सोनिया गांधी' और रमोला (अजिताभ की पत्नी ) की राखी कलाई से नहीं उतारी थी. बाद में सोनिया गाँधी और अमिताभ बच्चन  के सम्बन्ध मधुर नहीं रहें.पर जब तक निश्छल प्रेम था,उसे नज़रंदाज़ कैसे किया जा सकता है? पता नहीं कितने लोगों को पता है,सोनिया गाँधी की शादी ,हरिवंश राय बच्चन के घर से हुई थी ,मेहंदी,हल्दी की रस्म वहीँ अदा की गयी थी और इसी नाते अमिताभ से भाई का रिश्ता बना.

संजय दत्त से सम्बंधित घटना बहुत ही द्रवित करनेवाली है. एक प्रोग्राम में उनकी बहन प्रिया बता रही थीं. संजय दत्त सबसे बड़े थे,इसलिए दोनों बहनों को हमेशा इंतज़ार रहता कि राखी पर क्या मिलेगा,वे अपनी फरमाईशें भी रखा करतीं.पर जब संजय दत्त जेल में थे,उनके पास राखी पर देने के लिए कुछ भी नहीं था. उन्हें  जेल में कारपेंटरी और बागबानी  कर दो दो रुपये के कुछ कूपन मिले थे. उन्होंने वही कूपन , बहनों को दिए. जिसे प्रिया ने संभाल कर रखा था और उस प्रोग्राम में दिखाया. सबकी आँखें गीली हो आई थीं.

ऋतिक रौशन का किस्सा कुछ अलग सा है. उनका और उनकी बहन सुनयना के कमरे तो अलग अलग थे पर उन्हें बाथरूम शेयर करना पड़ता था. ऋतिक रौशन को सफाई पसंद थी जबकि टीनएज़र लड़कियों सी सुनयना  के क्रीम, लोशन,क्लिप्स, नेलपौलिश इधर उधर बिखरे होते. उनका रोज झगडा होता. फिर सुनयना  की शादी हो गयी.ऋतिक जब दूसरे दिन  बाथरूम में गए तो एकदम साफ़ झक झक करता बाथरूम  देख हैरान रह गए.और इतनी  याद आई बहन  की कि तौलिया आँखों से लगाए बाथरूम के फर्श पर ही बैठ रोने लगे.

ये थे भाई बहनों के निश्छल स्नेह के कुछ खट्टे-मीठे पल.


एक बार फिर मेरे भाइयों को राखी की ढेर सारी  शुभकामनाएं

49 टिप्‍पणियां:

  1. बहनों के प्यार का मोल कौन दे सकता है...उनकी याद में आंखें हरदम नम रहती हैं। ख़ासकर राखी के मौके पर तो दिल उन्हें बार-बार गुहारता है...तब हर भाई एकजैसा महसूस करता है, चाहे वो प्रमिला का भइया शिवराम हो, जो बहन की ससुराल चौकी लेकर पहुंच गया हो या फिर आपकी कामवाली बाई का मोबाइल देने वाला भइया हो...या फिर सुनयना का भाई रितिक (स्टारपन से दूर)...सबके दिल की तड़प एक जैसी होती है। भावना से भर देने वाला सरस और जादुई छुअन वाला लेख...बधाई।

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  2. भावना से भर देने वाला सरस और जादुई छुअन वाला लेख...

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  3. आज तो रेशम के एक एक धागे का मोल चुका दिया आपने .इसमें अमिताभ वाली बात पढ़ी थी "सोनिया गाँधी" बुक में.
    खूबसूरत रिश्ते के प्यार से लबालब पोस्ट है .
    अरे हाँ ..आपकी लिस्ट में एक भाई मेरा भी है कुम्भ के मेले में बिछड़ा हुआ ...मेरी भी तरफ से आपकी यही पोस्ट उसे समर्पित हा हा हा.

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  4. rashmi ji,
    bhai -bahan ki pyar ki dori dekhen kitni hai anmol
    yaad kare jab bhi bahna
    bhai ka dil bhi neh se jaata dol.
    aapne bahut hi sundarta ke saath bhai bahen ke anmol bndhan ko prastut kiya hai.
    poonam

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  5. kyaa baat hai aaj bhaiyo kee khoob sudh lee hai. soniya kee shaadee kaa kisaa padhaa hua thaa aur sanjay dutt walaa t v pe dekhaa huaa. aapko bhee raakhe kee bahut bahut badhaai.

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  6. भाव बिह्वल कर देने वाली पोस्ट. भाई बहन के निश्छल प्रेम की बहुत कहानिया पढ़ी और सुनी गयी है, रानी कर्मावती और हुमायूँ से लेकर महान पुरु और महान सिकंदर की धर्मपत्नी तक. इस कच्चे धागों के बंधन वाले पर्व की शुभकामनाये सहित , आपके एक भ्राता का उन्ही के स्टाइल में आवाहन भी.

    "बहना ने भाई की कलाई पर प्यार बांधा है, रेशम के धागे से संसार बांधा है "

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  7. बेशक यह पर्व भाई बहन के पावन रिश्ते का प्रतीक है । अपने बहुत अच्छे उदाहरण देकर पोस्ट में चार चाँद लगा दिए । हमारे लिए तो नई जानकारी रही ।
    शुभकामनायें रश्मि जी ।

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  8. मैं अभी आपकी पोस्ट पूरी पढ़ा हूँ.... अच्छे से... एक एक शब्द... पता है मैं भी अपनी बहन से बहुत प्यार करता हूँ.... उसके लिए मैं कुछ भी कर सकता हूँ.... उसको लेकर मैं अब भी बहुत इन्सिक्युर्ड रहता हूँ... जब उसकी शादी हुई थी .... तब बिना मतलब में उसके ससुराल चला जाता था... फिर धीरे धीरे यह आदत छोड़ी... वो मुझसे तीन साल छोटी है.... लेकिन वो आप तो जानती ही हैं... वो मेरी माँ और बहन दोनों का रोल निभाती है... एक बार की बात है... बहुत साल पहले की बात है..... मैं उस वक़्त बारहवीं में पढता था ... मेरी बहन ने मुझसे ऐसे ही कहा... की लिबर्टी के शोरूम में उसने एक जूता देखा है... और उसे बहुत पसंद आया है... मुझे उस वक़्त ऐसा फील हुआ की मुझे वो जूता अपनी बहन को देना चाहिए... मैंने अपने फादर को सात सौ रुपये का चूना लगाया... और सात सौ अपने एक दोस्त से उधार लिए... और फिर वो जूता उसको गिफ्ट किया था... सच! कह रहा हूँ वो ख़ुशी आज तक महसूस होती है... हम लोग आज भी वो बात याद करते हैं....आपने कितने प्यारे प्यारे एक्जाम्पल्स दिए हैं.... बहुत अच्छी लगी यह पोस्ट.... मैं माफ़ी चाहता हूँ की ....... पहले आपकी पोस्ट पूरी नहीं पढ़ी....

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  9. भई बहन के रिश्तों को संजोये सुन्दर पोस्ट ...

    बाकी दिन भी भावनाएं तो रहती ही हैं पर त्योहार पर ज्यादा ही मन भावुक हो जाता है ...

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  10. रश्मि जी ,
    शायद ही राखी पे इससे बढ़िया कोई पोस्ट हो .....
    ये छोटे-छोटे उदहारण सिर्फ उदहारण ही नहीं हैं भाइयों को एक सीख देते हैं ....जैसे महफूज़ जी ने कहा ....
    कुछ और भाई भी इससे प्रेरणा लेंगे ...बहन तब तक ही नहीं होती जब तक उसकी शादी नहीं होती ....
    विवाह के बाद भी भाइयों की उतनी जिम्मेदारी होती है बहन के प्रति ...

    आज ही अपने भाई को राखी कोरियर कर आई हूँ मिठाई के साथ .....और आज ही आपने ये प्यारी पोस्ट दी .....शुक्रिया .....!!

    आपको रक्षा - बंधन की ढेरों शुभकानाएं ....और आपके ब्लॉग जगत के भाइयों को भी ....!!

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  11. बहुत-बहुत आभार इन दूआ के लिए, आपको भी रक्षाबंधन की बहुत-बहुत बधाई ।

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  12. चौकी और मोबाइल वाले भाई के प्रसंग सुखद लगे ! आपने सही समय पर ये राग छेड़ा है ! दुनिया के तमाम भाई बहने इसी तरह से जियें ! पर्व की अग्रिम शुभकानायें !

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  13. भाई बहन जैसे पवित्र रिश्ते कि कोई मिशाल नहीं होती. हर हाल में बहन भाई चाहे लड़ें या मार पीट कर लें. बचपन से बड़े होने तक प्रेम काम नहीं होता. इस रिश्ते कि कोई मिशाल नहीं है.

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  14. आपने तो जिम्मेदारी का पूरा अहसास ही दिला दिया ....शुक्रिया !

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  15. भाई बहन का रिश्ता होता ही इतना पवित्र और भावुकता भरा कि भले ही आपस में कितना भी लड़े झगड़ें लेकिन जरूरत पड़ने पर एक दूसरे के प्रति तड़प उठ ही जाती है..वह जो चौकी लेकर गया था उस जैसा भाई अक्सर आस पड़ोस में कहीं न कहीं दिख जाते हैं....बस हम उन पर ध्यान नहीं दे पाते।

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  16. कितने रोचक किस्‍से उठा लायीं .. बहुत खूब !!

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  17. ई त एतना कोमल रिस्ता है कि बस मन से महसूस किया जा सकता है... ऊ भाई लोग जिनका आप जिकिर की हैं, सब खुसकिस्मत है कि आप जईसा बहिन है उनके पास..इसमें दूरी का त कोनो बंधन नहीं है...दूरि त सरीर के बीच होता है मन थोड़े न दूर होता है..जेतना घटना आप लिखी हैं मन को छूने वाला है... हम त ऐसही इमोसनल हैं इ सब बात अऊर सेंटीमेंटल बना देता है...

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  18. सुन्दर प्रसंगों और प्यार से लबरेज़ इस पोस्ट पर कौन न रीझे? ऋतिक रौशन के साथ तो रोने का मन करने लगा... शुभकामनाएं.

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  19. अरे आज ही तो एक बड़ी दीद की लंदन से राखी आई थी....तो दूसरी ब्लॉग पर....पर छोटे तब खुश होते हैं जब ऱाखी मिल जाती है तब तक कुछ नहीं बोलूंगा....कौन कहता है कि ये आभाषी दुनिया है.....मुंबई कभी नहीं गया .लेकिन अब लगता है आना पड़ेगा..हर हाल में...

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  20. पति को पिटवा कर ........ :) क्या बात है भाई हो तो ऎसा ही हो

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  21. मुझे भारतीय पर्वों में दीपावली के बाद रक्षा बंधन सब से ज्यादा प्रिय है.मेरी अपनी बहन नहीं हैं सो सभी को बहन बनाता रहता हूँ..रश्मी जी ने इसका पास रखा आभारी हूँ..अब मुझे इनके मान को यथावत रखना है..बस यही इश्वर से दुआ है.

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  22. सोनिया जी की बंधी राखी अमिताभ जी की कलाई पर ....उच्चवर्ग में अपनी सुविधा के लिए बने रिश्तों को ही दिखा रही है ...निश्छल प्रेम कही होगा छिपा हुआ ...अब हम इन्हें इतने करीब से तो जानते नहीं हैं ...

    मुझे मायावती जी और कल्याण सिंह जी का राखी बंधन भी याद आ रहा है ...:):)

    आभासी दुनिया के भाइयों के लिए एक दुआ हमारी ओर से भी ...!

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  23. आपने भाई बहनों के इतने भावक किस्से सुना कर आँख नम कर दी।

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  24. Hi..

    Aapki es snehil post par maine kal raat ek tippani ki thi jo dikh nahi rahi.. Shayad post nahi hui..

    Rakshabandhan se purv, apne bhaiyon ko samarpit es post ne hum se sabhi bhaiyon ko apni bahanon ki yaad kara di..

    Mahfooz bhai ne apni bahan ko yaad karte hue jo vakya share kiya wo bhi aapki post main likhit udaharanon sa hi marmik hai..

    Eshwar har bhai ko aap si bahan de..

    Deepak..

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  25. @रोहित
    जरूर और जल्दी आओ मुंबई....सुस्वागतम :)

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  26. @वाणी गीत
    वाणी ,जब अमिताभ घायल हुए थे, राजीव गाँधी ने राजनीति नहीं ज्वाइन की थी. वे लोग विदेश घूमने गए थे, उसे रद्द कर वे,अमिताभ के घायल होने की खबर सुन कर उन्हें देखने आए थे. कभी कभी इन बेचारों को भी शक की नज़र से नहीं देखना चाहिए.उच्च वर्ग के हों,पर उनके अंदर भी तो एक इंसानी दिल ही है.

    और इन दोनों का रिश्ता बहुत पुराना है. जब सोनिया ने राजीव जी से शादी का फैसला लिया तो इंदिरा जी ने कहा था पहले एक बार भारत में आकर देख लो कि रह पाओगी या नहीं. अब शादी से पहले वे इंदिरा जी के साथ कैसे रहें? इसलिए उन्हें हरिवंश राय जी के यहाँ ठहराया गया था. सुबह चार बजे की फ्लाईट थी. राजीव,अमिताभ,संजय और अजिताभ उन्हें लेने गए थे. अब सुबह सुबह बच्चन जी और तेजी जी की नींद कैसे ख़राब करें, इसलिए वे लोग दो घंटे तक सोनिया गाँधी को दिल्ली की सड़कों पर ऐसे ही घुमाते रहें ( तब इतना सम्मान था माता-पिता का ). और उन दिनों वे सारा दिन अमिताभ और अजिताभ के साथ ही बिताती थीं.राजीव गाँधी तो बस बीच बीच में मिलने आते.

    यह सब पुष्पा भारती जी को दिए गए एक विस्तृत इंटरव्यू में अमिताभ बच्चन ने बताया था. राखी वाली बात भी पुष्पा भारती ने ही लिखी थी क्यूंकि वे जब अमिताभ बच्चन से मिलने गयीं थी,तब उनके सामने यह घटना घटी थी. इण्डिया टी.वी. की तरह कोई अखबार की सुर्खियाँ नहीं थी कि "सोनिया गाँधी ने बाँधी अमिताभ बच्चन को राखी " :) कभी कभी बेचारों को benefit of doubt दे देना चाहिए

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  27. गंगोत्री जैसी पावन पोस्‍ट। भाई और बहन का रिश्‍ता भी इतना ही पावन होता है। मेरे लिए तो सबसे कीमती रिश्‍ता है और मैं हमेशा दोनों बच्‍चों को इस रिश्‍ते की मजबूती के लिए आग्रह में लगी रहती हूँ। बचपन में कभी भी वे लड़ते थे तो मैं दुखी हो जाती थी, इस बात पर बच्‍चे आज भी मुझे चिढाते हैं कि मम्‍मी कितनी डरपोक है।

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  28. भाई बहन का प्यार दुनिया में सबसे निराले प्रेम में से है. रक्षाबंधन की बहुत-बहुत बधाइयाँ.

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  29. रक्षा बंधन पर बहुत सारे रोचक प्रसंग सुनाने का आभार.

    रक्षा बंधन की शुभकामनाएँ.

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  30. आपके किस्से दिल को छू गये ..... राखी का त्योहार एक ऐसा त्योहार है जो हर तरह से पाक, पवित्र और सच्चे मान से होता है .... सभी बहनों और भाइयों को इस त्योहार की मंगल कामनाएँ ....

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  31. रश्मि, मेरे जीजाजी(श्री आनंद वर्धन ओझा) की बड़ी बहन का कन्यादान श्री हरिवंशराय बच्चन ने किया था, और मृत्युपर्यंत उन्होंने इस रिश्ते को बखूबी निभाया भी, इसलिये सोनिया-अमिताभ के रिश्ते के बीच कोई दिखावे जैसी बात होगी , लगता तो नहीं हैं. बच्चन परिवार में संस्कार की जड़ें गहरे हैं.

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  32. दी तीन बार आके पढ़ गया.. लेकिन हर बार सिवाय आँखों की नमी के कुछ नहीं आया मन में.. अभिभूत हूँ कुछ कह नहीं सकता आज...

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  33. रश्मि दी, आज ही दिल्ली से आया हूँ और सबसे पहले आपका ही ब्लॉग पढ़ा...सोचा की कुछ तो लिखी होंगी आप. और देखिये मिल भी गया स्पेसल पोस्ट राखी पे :)...
    आपका ये प्यार अभी आँखें नम कर गयी.. ..बहुत सोचा की की और क्या लिखूं यहाँ...हर बार कुछ न कुछ लिख के मिटा दे रहा हूँ...

    बस यही कहूँगा,

    रश्मि दी, हैप्पी राखी :)

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  34. अच्छा है सुन्दर प्रस्तुति सार्थक

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  35. आप ठीक कह रही हैं ! आजकल ब्लॉग पर समय नहीं दे पा रही हूँ ! भारत वापिस आना है अगले सप्ताह इसलिए यहाँ भी व्यस्तता बहुत बढ़ गयी है ! आपकी पोस्ट पढ़ कर आँखें नम हो गयीं ! अपनी ननद को खोये अभी एक माह भी पूरा नहीं हुआ है ! उनका चेहरा और स्मृतियाँ हर पल साथ रहती हैं इस बार का रक्षा बंधन मेरे परिवार के लिये बहुत दर्दभरा होगा ! आपने बहुत प्यारे संस्मरण लिखे हैं ! इतनी अच्छी प्रस्तुति के लिये बधाई !

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  36. राखी से पहले इस पोस्ट से बेहतर और कुछ हो ही नहीं सकता. देश से बाहर परदेश मै अपनेपन की एक मीठी सी सौगात दे गयी आपकी ये पोस्ट. पता अभी भी जब मै अपने लिए कुछ सामान लेने जाता हू तो पहले ये देखता हू की अपनी बहन के लिए क्या ले सकता हूँ? अपनी शौपिंग तो टाली जा सकती है पर उसकी कभी नहीं, अपने लिए पैसे खर्च करने मै बहुत कंजूस टाइप हू लेकिन उसके लिए कभी लिए कभी सोचा भी नहीं. ये मेरा पहला मौका है जब मै राखी पर बाहर हूँ. कभी सोचा न था की ऐसा भी दिन आ सकता है. :(

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  37. बस इतना ही कहूंगी |"भैया मेरे राखी के बंधन को न भुलाना "
    "भैया मेरे छोटी बहन को न बुलाना "
    जानबूझ कर हम भुलाना की जगह बुलाना गाते थे छोटी बहन को छेड़ने के लिए \
    हमारी परम्पराओ में रिश्ते और त्यौहार की अटूट परम्परा है राखी के स्नेह से भीगा भाई बहन का प्यार |
    और आपकी इस सुन्दर पोस्ट ने उसे अहसास दे दिए |
    बधाई और शुभकामनाये |

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  38. I have been thinking about commenting on your several posts written earlier. They have been so damn well written. I could not resist commenting on this one, especially since it is Raksha Bandhan today, and the post is extremely relevant. As usual it is brilliant..I may not agree to some parts in the post, but thats alright. And yes, I wanted to write it in Hindi but I think I am technologically impaired and hindered. Keep writing and keep 'em coming to the delight of bloggers and followers of the blog. Happy Rakshabandhan!

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  39. Also visit my blog
    http://commoner-vasudhaivakutumbakam.blogspot.com/

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  40. .
    इश्वर से प्रार्थना है भाई बहेन का का ये पावन त्यौहार हमारे जीवन में बार बार खुशियाँ बिखेरे । इस पोस्ट के माध्यम से अपने सभी भाइयों की लम्बी उम्र की कामना करती हूँ। इश्वर करे मेरे सभी भाई खूब तरक्की करें और खुशहाल रहे।
    .

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  41. संभवतया में पहली बार आपके ब्लॉग पर आया हूँ
    और इस पोस्ट के बारे में क्या कहूँ आपने वर्तमान
    काल के चुनिन्दा प्रसंग बेहद सुन्दर ढंग से बताये हैं....... मध्यम, निम्न और उच्च वर्ग पर आपके विचारों से भी सहमत हूँ
    देर से दे रहा हूँ , पर रक्षा बंधन की शुभकामनाएं स्वीकारियेगा
    [ये मानते हुए की रक्षा बंधन हर दिन मनाया जा सकता है ]
    पोस्ट बेहतरीन है सीधी दिल पर असर कर रही है
    आभार
    -----------------------------------

    रक्षा बंधन [ कथाएं, चर्चाएँ, एक कविता भी ] समय निकालो पढ़ डालो

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  42. Main 3-4 dino se internet se door tha, so bas abhi abhi ye post padha hun didi.. kuchh karano se vyastata bhi adhik ho gayi thi aur tabiyat bhi kharab ho chali hai.. :( khair ye sab baaten phone par batata hun. :)

    abhi to aapse rakhi ka aashirvad pakar bahut khush hun didi.. rakhi ki bahut bahut shubhakaamnayen aapko bhi. :)

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  43. इस बार राखी जबलपुर मे मनाई अपनी ससुराल में .संयोग से मेरी एक चचेरी बहन भी वहाँ है । वैसे जबसे बिटिया हुई है पहली राखी बान्धने का हक़ उसीको है । बहुत खुश रहा इस बार मै इस त्योहार मे लेकिन आज लौटने के बाद जब से यह पोस्ट पढ़ी है मन बहुत गीला गीला सा हो गया है ... यह भावनात्मक पक्ष है ..इससे कैसे इंकार किया जा सकता है ।

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  44. मैं तो शैतान की नानी हूं,मेरे भतीजे ने मुझसे कह -'बुआ! मेरे भी राखी बांधो'
    'कितने रूपये देगा?'मैंने पूछा.
    'मम्मी से लाता हूं' वो भागा सौ रूपये लाया मैंने रूपये लिए राखी बांध दी.
    सीधी बात राखी बंधवानी है तो फीस,जुरमाना,देना ही पड़ेगा.
    थोड़ी देर बाद उसे पकड़ कर एक राखी और बाँध दी.पचास ला कर दिए.
    अब जो थोड़ी थोड़ी देर मे मैंने उसे राखी बांधनी शुरू की कि कलाई से कोहनी तक हाथ भर दिया.वो रोने लगा-'अब तो मम्मी रूपये नही दे रही.मैं कहाँ से लाऊं?'
    'ये मेरा टेंशन नही है कहीं से भी ला मैं तो आज दिन भर तेरे राखी बांधूंगी और पास पडोस,खानदान सब सब की लड़कियों को बुलाती हूं कि आओ 'इलू' को राखी बाँधो,रूपये मिलेंगे.'
    उसकी हालत देखने लायक थी. भाभी और घर के सारे हँस हँस कर लोट पोट हो गए.
    यूँ मुझे ये त्यौहार अनकम्फर्ट लगता है.बच्चों के लिए और बचपन तक ठीक है.ये त्यौहार ना होता तो भी क्या एक भाई अपनी बहन का या बहन अपने भाई का बुरा चाहेंगे? नही न.
    बस काफी है.
    सच्ची मैं तो ऐसिच हूं

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